पहले छात्रों को किताबी ज्ञान मिलता था, बदलाव
अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी
नई दिल्ली/गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई शिक्षा नीति को व्यावहारिक शिक्षा पर केंद्रित बताते हुए शुक्रवार को कहा, कि पहले छात्रों को किताबी ज्ञान मिलता था। लेकिन, अब इससे बदलाव आएगा। साथ ही उन्होंने कहा, कि नई शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर लागू करने की जिम्मेदारी शिक्षकों की है।
अखिल भारतीय शिक्षा संघ के 29वें द्विवार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि गूगल डेटा और सूचना दे सकता है। लेकिन शिक्षकों की भूमिका छात्रों के मार्गदर्शक की होती है। मोदी ने कहा, ‘‘आज भारत 21वीं सदी की आधुनिक आवश्यकताओं के मुताबिक नयी व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। हम इतने वर्षों से स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर अपने बच्चों को केवल किताबी ज्ञान दे रहे थे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति उस पुरानी अप्रासंगिक व्यवस्था को परिवर्तित कर रही है।’’
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति व्यावहारिक शिक्षा पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से अपील करते हुए कहा, ‘‘इस तरह की शिक्षा प्रणाली शिक्षा नीति के केंद्र में है और अब यह शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे इस प्रणाली को जमीन पर लागू करें।’’ उन्होंने याद किया कि कैसे उनके स्कूल के एक शिक्षक उन्हें और अन्य छात्रों को अनाज का उपयोग करके संख्याओं के बारे में बताते थे। शिक्षा नीति में किए गए बदलावों का जिक्र करते हुए, मोदी ने छात्रों को उनकी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि नई नीति ने इसके लिए प्रावधान किए हैं।
मोदी ने कहा कि स्थानीय भाषाओं में दी जाने वाली शिक्षा से गांवों के प्रतिभाशाली युवाओं को शिक्षक बनने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी स्वतंत्रता के बाद, अंग्रेजी एक प्रमुख भाषा बन गई। आज भी, माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ें। नतीजतन, गांवों और गरीब परिवार की पृष्ठभूमि के प्रतिभाशाली शिक्षकों को सिर्फ इसलिए अवसर मिलना बंद हो गए क्योंकि उन्हें कभी अंग्रेजी सीखने का मौका नहीं मिला। चूंकि नई शिक्षा नीति स्थानीय भाषाओं में शिक्षा पर जोर देता है, इसलिए यह ऐसे शिक्षकों को अवसर प्राप्त करने में भी मदद करेगी।’’
शिक्षण के महान पेशे की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि जब भी वह भूटान और सऊदी अरब के शाही शासकों सहित किसी भी विश्व नेता से मिले, तो उन्होंने उन्हें बताया कि उन्होंने भारत के शिक्षकों से अपनी शिक्षा प्राप्त की है। मोदी ने कहा कि सऊदी अरब के शाह (सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद), जो एक बहुत वरिष्ठ और सम्मानित नेता हैं, ने मुझे बताया कि उनके शिक्षक गुजरात से थे।
मोदी ने कहा कि हालांकि वह अपने पूरे जीवन में कभी शिक्षक नहीं रहे, लेकिन वह आजीवन एक ऐसे छात्र रहे हैं जो समाज में हो रही चीजों को देखता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री होने के बावजूद, वह अभी भी अपने स्कूल के उन शिक्षकों के संपर्क में हैं, जो जीवित हैं। मोदी ने कहा कि बच्चे को आकार देने में प्राथमिक शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि परिवार के बाद वह शिक्षक ही होता है जिसके साथ वह सबसे अधिक समय बिताता है और शिक्षक के व्यवहार और तौर-तरीकों से सीखता है। अपने संबोधन में मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि छात्रों और स्कूलों के बीच लगाव आज कम होता जा रहा है। क्योंकि, छात्रों को अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद शायद ही अपना स्कूल याद रहता है।
इस कम होते लगाव को पाटने के लिए, प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि स्कूल प्रबंधन को शिक्षकों और स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर हर साल उस स्कूल का स्थापना दिवस मनाना शुरू करना चाहिए और पुराने छात्रों को आमंत्रित करना चाहिए।