नेता चुग को निष्कासित करने का आदेश रद्द
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी के विवादित वृत्तचित्र को विश्वविद्यालय परिसर में दिखाए जाने के मामलें में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के नेता लोकेश चुग को एक साल के लिए निष्कासित किए जाने के दिल्ली विश्वविद्यालय के आदेश को बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि पीएचडी शोधार्थी और एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग के खिलाफ कार्रवाई न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन करते हुए की गई और आदेश में प्रशासनिक प्राधिकरण द्वारा कारण बताए जाना आवश्यक है।
न्यायाधीश ने कहा, अदालत 10 मार्च 2023 के आक्षेपित आदेश को बनाए रखने में असमर्थ है। आदेश रद्द किया जाता है। याचिकाकर्ता का दाखिला बहाल किया जाता है।विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने याचिका का विरोध किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि न्याय के सिद्धांत का पालन न करने के कारण निष्कासित करने के आदेश को खारिज किया जा रहा है । विश्वविद्यालय कानून के अनुसार याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने रखा। गौरतलब है कि गुजरात में वर्ष 2002 के दौरान हुए दंगों पर बीबीसी के वृत्तचित्र इंडिया : द मोदी क्वेश्चन- रिलेटेड टू द गोधरा राइट्स को प्रदर्शित करने में कथित तौर पर संलिप्त होने पर एक साल के लिए निष्कासित किए जाने के विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौती देते हुए चुग ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय का रुख किया था।