सोमवार, 24 अप्रैल 2023

ट्रैक्टर पर सामान लादकर ले जाने का आरोप 

ट्रैक्टर पर सामान लादकर ले जाने का आरोप 

विवेक चौबे

गढ़वा। जिले के कांडी थाना क्षेत्र अंतर्गत घटहुआं कला गांव निवासी संजय कुमार गुप्ता ने कांडी थाना में आवेदन देते हुए उसका मकान तोड़कर उसमें रखा गहना सहित सारा सामान ट्रैक्टर पर लादकर ले जाने का आरोप लगाया है। यह आरोप शिवरी गांव निवासी श्रवण पासवान व उसके पिता श्यामलाल पासवान व पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ लगाया गया है। आवेदन में लिखा है कि संजय गुप्ता ने जनवरी माह में शिवरी गांव निवासी श्यामलाल पासवान से कांडी गांव के खाता संख्या 51, प्लॉट संख्या- 822 में पौने चार डिसमिल जमीन खरीदने के लिए फाइनल किया था।

यह जमीन कांडी स्थित नवनीत मेहता के क्रेशर के पास है, उक्त जमीन चार लाख 80 हजार रुपए में तय हुआ था। जिसमें से संजय ने एक लाख रुपए ऑनलाइन एवं एक लाख रुपए नगद दे दिया था। संजय गुप्ता ने उस जमीन में  अपना घर भी बना दिया था। गुरुवार की रात में अपने बनाए घर के बाहर रखे बालू पर सो रहा था। इसी दौरान तकरीबन साढ़े दस बजे रात में श्यामलाल का पुत्र श्रवण राम मेरे पास पहुंचा।

उसके साथ श्यामलाल ने धमकी देते हुए कहा कि मैं अब जमीन तुम्हें नहीं दुंगा। मुझे जमीन की अधिक कीमत मिल रही है। आप अपना पैसा मुझसे वापस ले लीजिए। उसके पिता श्यामलाल पासवान सहित पांच से अधिक अन्य अज्ञात लोग भी थे। श्रवण ने मुझे उक्त निर्मित मकान से अलग ले गया। जहां उसने मेरी कनपटी में पिस्टल सटाकर कहा कि तुम अपना पैसा वापस क्यों नहीं ले रहे हो। मैं तुम्हारे बनाए घर को अभी तोड़वाता हूं। कनपटी पर सटाए गए पिस्टल के डर से मैं हल्ला नहीं कर सका। उसने अपने ट्रैक्टर से मेरा घर तोड़कर गिरा दिया। इसके साथ ही घर में रखी चौकी, अरहर, चावल, गेंहू, कपड़ा व बक्सा में रखा गहना सहित अन्य सामग्री ट्रैक्टर पर लादकर ले गया। इसके बाद मैं ने कांडी थाना को फोन किया। लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। पीड़ित संजय गुप्ता ने बताया कि उक्त जमीन के सौदे का कागजात भी स्टाम्प पेपर पर बना हुआ है। जो मेरे पास उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि श्यामलाल के पहचान का व्यक्ति कोदवड़िया गांव निवासी अनुज राम ने दो-तीन दिन पूर्व ही मुझसे बोला था कि उक्त जमीन में बने घर को तोड़ देंगे। पीड़ित व्यक्ति ने पुलिस प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। 

इधर, इस विषय में जमीन विक्रेता श्याम लाल पासवान के पुत्र श्रवण कुमार ने बताया कि उक्त जमीन की बिक्री की बात 4.80 लाख में हुई थी। संजय गुप्ता मात्र एक लाख रुपए देकर घर बनाने लगा। बाकी पैसे की मांग करने पर वह देने से इन्कार कर दिया। अभी वह जमीन हमारी है और संजय गुप्ता घर बनाने लगा। जिसे लेकर हमलोगों ने बनाए गए घर को ध्वस्त कर दिया। पिस्टल सटाने की बात निराधार है। संजय गुप्ता दो लाख रुपए देने का प्रमाण दिखाएं। इस संबंध में थाना प्रभारी योगेंद्र कुमार ने कहा कि जब जमीन ही नहीं लिखाया तो मकान कहां से आ गया। उन्होंने कहा कि संजय गुप्ता सहित दोनों पक्षों को थाना बुलाया गया है। पुछताछ के बाद ही कुछ स्पष्ट पता चल सकेगा।

'एडीआईएफ' की अर्जी पर 26 तक विचार करें आयोग

'एडीआईएफ' की अर्जी पर 26 तक विचार करें आयोग

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से गूगल की नई भुगतान नीति के खिलाफ दायर अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) की अर्जी पर 26 अप्रैल तक विचार करने को कहा है। न्यायमूर्ति तुषार राव गडेला ने एडीआईएफ की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया कि प्रतिस्पर्धा आयोग गूगल की ऐप डाउनलोड एवं भुगतान संबंधी नीति पर 26 अप्रैल तक या उसके पहले विचार करे।

देश में नवाचारी स्टार्टअप कंपनियों के प्रतिनिधि संगठन एडीआईएफ ने कमीशन के आधार पर ऐप में खरीद की छूट और डाउनलोड की सुविधा देने की गूगल की नीति को चुनौती दी है। इस याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा, ‘‘प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 42 के तहत सीसीआई को आवेदनों पर विचार करने के लिए निर्देश देने में कानूनी या अन्यथा कोई भी बाधा नहीं है।’’ याचिका के मुताबिक, प्रतिस्पर्धा आयोग ने कोरम के अभाव का हवाला देते हुए गूगल की तीसरा पक्ष ऐप डाउनलोड नीति के खिलाफ दायर आवेदन पर विचार करने से मना कर दिया था।

'लेखक' फतह का 73 साल की उम्र में निधन 

'लेखक' फतह का 73 साल की उम्र में निधन 

अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय 

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। पाकिस्तान में जन्मे जाने-माने स्तंभकार और लेखक तारेक फतह का 73 साल की उम्र में निधन हो गया। उनकी बेटी नताशा फतह ने सोमवार को इसकी पुष्टि की। वह कैंसर से पीड़ित थे। पाकिस्तान के मशहूर लेखक तारिक फ़तेह जो भारत में एक लंबे वक्त से रह रहे थे। उनका आज निधन हो गया है। उनकी बेटी नताशा फतह ने इसकी जानकारी ट्विटर पर साझा की है। आपको बता दें कि तारिक फतह बीते कई दिनों से कैंसर की बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थे।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि पाकिस्तान के मशहूर लेखक तारेक फतह 20 नवंबर 1949 को आजादी के बाद बने पाकिस्तान के कराची में पैदा हुए थे। वह 1960 और 1970 के दशक के अंत में वामपंथी छात्र आंदोलन के नेता बने रहे। यही वो समय था जब उन्हें पाकिस्तान सरकार द्वारा 2 बार गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद जनरल जिया-उल हक ने 1977 में उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया और उन्हें देश में एक पत्रकार के रूप में काम करने से रोका। वह 1987 में कनाडा गए और तब से एक पत्रकार के रूप में काम में जुटे रहे।

तारेक फतह के बारे में सबसे खास बात ये थी कि उन्होंने हमेशा अपने भारतीय मूल से संबंधित होने पर गर्व किया। उन्होंने अक्सर अपने साक्षात्कारों में बताया कि वह एक राजपूत परिवार से थे, जिसे 1840 के दशक में जबरन इस्लाम में कन्वर्ट कर दिया गया था। उन्होंने हमेशा ही खुद को पाकिस्तान में पैदा हुए हिंदुस्तानी के रूप में पहचाना। वे इस्लामी कट्टरता के घोर आलोचक थे। इसलिए, वह अक्सर दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा हमला किया गया था। हालांकि, उन्होंने निडर होकर अपने विचारों को विभिन्न मीडिया, ब्लॉग और पुस्तकों के लिए अपने लेखन के माध्यम से रखा। जिसके चलते देश में वो तमाम लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे।

67 आरोपियों को बरी करने का फैसला, चुनौती 

67 आरोपियों को बरी करने का फैसला, चुनौती 

इकबाल अंसारी 

अहमदाबाद। उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच टीम (एसआईटी) 2002 के नरोदा गाम दंगा मामले में हाल में सभी 67 आरोपियों को एक विशेष अदालत द्वारा बरी किए जाने के फैसले को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती देगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी। एसआईटी के मामलों पर सुनवाई से संबंधित विशेष न्यायाधीश एस.के. बक्शी की अहमदाबाद स्थित अदालत ने गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित 67 आरोपियों को 20 अप्रैल को बरी कर दिया था। 

गोधरा कांड के बाद अहमदाबाद के नरोदा गाम इलाके में हुए दंगों के दौरान 11 लोगों की हत्या किये जाने के दो दशक बाद अदालत का यह फैसला आया था। विशेष जांच टीम के एक सूत्र ने कहा, ‘‘एसआईटी नरोदा गाम मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में निश्चित रूप से अपील दायर करेगी। एसआईटी को अदालत के फैसले की प्रति मिलने का इंतजार है और फैसले का अध्ययन करने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।’’ 

नरोदा गाम में हुआ नरसंहार, 2002 के नौ बड़े साम्प्रदायिक दंगों के मामलों में शामिल है, जिनकी विशेष अदालतों द्वारा सुनवाई की गई है। एसआईटी ने 2008 में गुजरात पुलिस से जांच अपने हाथों में ले ली थी और मामले में 30 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की मौत सुनवाई के दौरान हो गई, जबकि एक को अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 169 के तहत साक्ष्य के आभाव में आरोपमुक्त कर दिया था। 

उल्लेखनीय है कि पीड़ित परिवारों के वकीलों ने कहा था कि वे विशेष अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। गोधरा स्टेशन के पास भीड़ द्वारा साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में आग लगाए जाने के एक दिन बाद आहूत बंद के दौरान 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा गाम इलाके में दंगे भड़क गए थे। गोधरा घटना में कम से कम 58 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर लोग अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे। 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह सितंबर 2017 में कोडनानी के लिए बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर निचली अदालत में पेश हुए थे। कोडनानी ने अदालत से अनुरोध किया था कि शाह को यह साबित करने के लिए बुलाया जाए कि वह गुजरात विधानसभा में और बाद में अहमदाबाद के सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं, न कि नरोदा गाम में, जहां नरसंहार हुआ था। वर्ष 2010 में सुनवाई शुरू होने के बाद से छह अलग-अलग न्यायाधीशों ने मामले की सुनवाई की। 

'केपीसीसी' के उपाध्यक्ष व बेटे के आवास पर छापा 

'केपीसीसी' के उपाध्यक्ष व बेटे के आवास पर छापा 

इकबाल अंसारी 

बेंगलुरू। राज्य के दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलथांगडी तालुक में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति (केपीसीसी) के उपाध्यक्ष गंगाधर गौड़ा और उनके बेटे रंजन गौड़ा के आवास पर आयकर अधिकारियों ने सोमवार को छापा मारा। पुलिस ने बताया कि कांग्रेस नेता के बेलथांगडी तालुक अस्पताल के पास स्थित आवास, लैला में प्रसन्ना एजुकेशन ट्रस्ट संस्थान और इंदबेट्टू के एक अन्य आवास पर एक साथ छापेमारी की जा रही है।

उन्होंने बताया कि कर अधिकारी पुलिस के साथ सुबह करीब साढ़े छह बजे पहुंचे और परिसर में मिले दस्तावेजों की जांच जारी है। पूर्व मंत्री गौड़ा हाल ही में बेलथांगडी निर्वाचन क्षेत्र के रक्षित शिवराम से कांग्रेस का निकट न मिलने के बाद राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। 

'भाजपा' को जीरो पर लाने के लिए मिलकर काम करेंगे

'भाजपा' को जीरो पर लाने के लिए मिलकर काम करेंगे

मिनाक्षी लोढी 

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि विपक्षी दल आगामी आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीरो पर लाने के लिए मिलकर काम करेंगे। बनर्जी ने जनता दल (यूनाइटेड ) नेता एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के साथ यहां बैठक के बाद संवाददाताओं से यह बात कही।

उन्होंने कहा , “ भाजपा एक बड़ी हीरो बन गयी है। हमें उसे जीरो पर लाना होगा। हम सब एक साथ हैं।” उन्होंने भाजपा पर झूठ और गुंडागर्दी जैसी आपराधिक गतिविधियों का सहारा लेने का आरोप लगाया और कहा, “हम सभी सामूहिक रूप से मिलकर काम करेंगे। यदि विचार, दृष्टि और मिशन स्पष्ट हैं, तो कोई समस्या नहीं होगी।” इस मौके पर श्री कुमार ने कहा कि तीनों नेताओं के बीच बहुत सकारात्मक चर्चा हुई और वे आने वाले चुनावों से पहले सभी तैयारियां कर लेंगे। उन्होंने जोर दिया कि केंद्र की मौजूदा सरकार के पास अपने प्रचार के अलावा कुछ नहीं है और देश के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है।

गौरतलब है कि कुमार आगामी आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ अधिक से अधिक विपक्षी दलों को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने की अपनी योजना को आगे बढ़ाते हुए बनर्जी से मुलाकात करने आज यहां पहुंचे। वह अपने मिशन-2024 के तहत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई शीर्ष विपक्षी नेताओं से पहले ही मिल चुके हैं।

इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने भी बनर्जी से मुलाकात का देश की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की है। इसी क्रम में बनर्जी ने कुछ दिन पहले अपने ओडिशा दौरे में बीजू जनता दल प्रमुख एवं मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की थी। उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के साथ आने वाले चुनावों में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा संख्या में विपक्षी दलों की एकजुटता सुनिश्चित करने की संभावनाओं को लेकर चर्चा की है।

गांधी की टिप्पणी को लेकर मुकदमा, सुनवाई पर रोक 

गांधी की टिप्पणी को लेकर मुकदमा, सुनवाई पर रोक 

अविनाश श्रीवास्तव 

पटना। पटना उच्च न्यायालय ने ‘मोदी उपनाम’ के संबंध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ यहां की एक अदालत में चल रही मुकदमे की सुनवाई पर सोमवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने गांधी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाही पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया है कि चूंकि उन्हें पहले ही गुजरात की एक अदालत द्वारा इसी तरह के मामले में दोषी ठहराया जा चुका है, इसलिए उनपर उसी अपराध के लिए फिर से मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के वकील एस डी संजय ने बताया, “उच्च न्यायालय ने 15 मई तक मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी है। उसी तारीख पर हम याचिका पर अपना जवाब दाखिल करेंगे।” साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक चुनावी रैली में राहुल गांधी के भाषण देने के कुछ दिनों बाद सुशील मोदी ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

यहां की सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामले की सुनवाई के लिये गठित विशेष अदालत ने हाल के एक आदेश में गांधी को याचिका के संबंध में 25 अप्रैल को उसके समक्ष पेश होने को कहा था। गौरतलब है गांधी को ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ दायर मानहानि के मामले में सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया था और दो साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

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