आस्ट्रेलियाई व्यक्ति का दुर्लभ रोबोटिक ऑपरेशन
अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय
नई दिल्ली/सिडनी। निजी क्षेत्र की अस्पताल श्रृंखला सी के बिरला अस्पताल में दो साल से सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस से पीड़ित 175 किलोग्राम और साढ़े छह फुट के 33 वर्षीय आस्ट्रेलियाई व्यक्ति का दुर्लभ रोबोटिक ऑपरेशन किया है। ऑपरेशन करने वाले डाक्टर समूह के प्रमुख डॉ अश्विनी मैचंद ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि यह मरीज पिछले दो सालों से सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस से पीड़ित था।
बिगड़े संतुलन की वजह से वह बैसाखी के बिना 50 कदम भी नहीं चल पाता था। मरीज दाहिने पैर में अत्यधिक दर्द और दोनों पैरों के सुन्न पड़ जाने की शिकायत लेकर अस्पताल आया था। ऑस्ट्रेलिया में उसका त्रुटिपूर्ण इलाज हुआ था, जिसमें उसे रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में नसें दब जाने के कारण लंबर स्पाइन सर्जरी (पीठ के निचले हिस्से की सर्जरी) कराने का परामर्श दिया गया था।
परीक्षण करने के बाद डॉ मैचंद ने मरीज में सर्वाइकल स्पाइनल स्टेनोसिस का सही-सही निदान कर लिया। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब रीढ़ की हड्डी के अंदर का स्थान बहुत छोटा होता है। इस ऑपरेशन के लिए हीरे की नोक वाले न्यूरोसर्जिकल बर (चाकू)का उपयोग किया गया ताकि यह बिल्कुल शुद्ध और सटीक रहे।
उन्होंने कहा कि मरीज का वजन ज्यादा होने के कारण यह अत्यधिक जोखिमपूर्ण ऑपरेशन था, जिसमें लकवा, आँतों और ब्लैडर पर नियंत्रण खोने और खड़े होने या चलने में असमर्थ होने का खतरा था। मरीज को खून चढ़ाए जाने या फिर आईसीयू में रखे जाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। ऑपरेशन के दो दिन बाद ही मरीज सीढ़ियों पर चढ़ सकता था और उसे नसों की कमजोरी की कोई शिकायत नहीं थी। पैरों के सुन्न होने में भी 50 प्रतिशत की कमी आ गई।