गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

सम्मानजनक मानदेय दिलाने के लिए बोर्ड गठित होगा 

सम्मानजनक मानदेय दिलाने के लिए बोर्ड गठित होगा 

संदीप मिश्र 

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती नगर विस्तार स्थित विशाखा सभागार में आयोजित किए गए कार्यक्रम के दौरान 8754 करोड़ की लागत की 2042 परियोजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास एवं पुस्तक विमोचन करते हुए कहा कि राज्य में सफाई मित्रों को सम्मानजनक मानदेय दिलाने के लिए एक बोर्ड गठित किया जाएगा। बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 8754 करोड़ रुपए की लागत की 2042 परियोजनाओं का विशाखा सभागार में आयोजित कार्यक्रम में लोकार्पण एवं शिलान्यास तथा पुस्तक विमोचन करते हुए टेंपो टिपर एवं अमृत कार्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को चाबी वितरित करने के साथ ही सफाई मित्रों को सुरक्षा किट भी प्रदान की।

इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आज शहरों में स्वच्छता नए सिरे से देखने को मिल रही है। इसे लेकर लोगों के मन में एक उत्साह दिखाई दे रहा है।इसमें सबसे बड़ा योगदान हमारे सफाई मित्रों का है। उन्होंने नगर विकास मंत्री के आह्वान पर सवेरे 5:00 बजे सफाई व्यवस्था की कमान संभाली जो पहले सवेरे 10:00 बजे शुरू की जाती थी। यह प्रयोग काफी सराहनीय रहा है। हमें इस दिशा में और अधिक प्रयास करने हैं। इसे लेकर नगर विकास विभाग एवं प्रदेश सरकार द्वारा चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई है, ताकि सफाई मित्रों को अच्छा मानदेय मिल सके।

विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा किया

विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा किया

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत ने व्यापक उपयोग वाला एक विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा किया है, जो दूसरे देशों के लिए भी अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन में बदलाव लाने का सबक हो सकता है। डिजिटल सार्वजनिक ढांचे के तहत विशिष्ट पहचान (आधार), यूपीआई और आधार-समर्थित भुगतान सेवा के साथ डिजिलॉकर एवं खाता एग्रिगेटर जैसे डेटा विनिमय की व्यवस्था शामिल है।

आईएमएफ के एक कार्य-पत्र में कहा गया है कि भारत में तीनों तरह के डिजिटल सार्वजनिक ढांचे मिलकर तमाम सार्वजनिक एवं निजी सेवाओं तक ऑनलाइन, कागज-रहित, नकदी-रहित और निजता को अहमियत देने वाली डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करते हैं। आईएमएफ के मुताबिक, इस ढांचे में किए गए निवेश के लाभ देशभर में महसूस किए जा रहे हैं और इसने महामारी के दौर में भारत को खासी मदद पहुंचाई।

आधार ने सरकारी खजाने से सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी राशि पहुंचाकर सरकारी धन की बर्बादी रोकी, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई और अधिक परिवारों तक पहुंच बनाने का एक जरिया बना। भारत सरकार का अनुमान है कि मार्च, 2021 तक डिजिटल सार्वजनिक ढांचे की वजह से सकल घरेलू उत्पाद के करीब 1.1 प्रतिशत व्यय की बचत हो पाई। आईएमएफ कार्य-पत्र कहता है कि महामारी के शुरुआती दिनों में करीब 87 प्रतिशत परिवारों को कम-से-कम एक लाभ मिला था। इसके अलावा खाता एग्रिगेटर के जरिये वित्तीय सेवाओं तक पहुंच आसान होने से करीब 45 लाख लोगों एवं कंपनियों को भी लाभ पहुंचा है। इसके मुताबिक, डिजिटलीकरण की प्रक्रिया ने अर्थव्यवस्था संगठित बनाने में मदद की है।

जुलाई, 2017 से लेकर मार्च, 2022 के दौरान करीब 88 लाख नए करदाताओं के पंजीकृत होने से सरकारी राजस्व में भी वृद्धि हुई। इन तमाम खूबियों के बावजूद आईएमएफ का कार्य-पत्र भारत में डेटा सुरक्षा के बारे में एक समग्र कानून के अभाव का जिक्र करते हुए कहता है कि नागरिकों की निजता के संरक्षण और डेटा सेंधमारी की स्थिति में सरकार एवं कंपनियों को जवाबदेह ठहराने वाली एक सशक्त डेटा संरक्षण व्यवस्था जरूरी है।

फडणवीस को ‘असफल’ गृह मंत्री करार दिया: शिवसेना 

फडणवीस को ‘असफल’ गृह मंत्री करार दिया: शिवसेना 

कविता गर्ग 

मुंबई। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ‘‘असफल’’ गृह मंत्री करार देते हुए दावा किया कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है और किसान आत्महत्या कर रहे हैं। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नाम बदलने की चीन की हरकत पर चेतावनी तक नहीं जारी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी निशाना साधा गया।

सामना में कहा गया कि पाकिस्तान को खोखली धमकियां दी जा रही हैं, लेकिन चीन का क्या जिसने भारतीय क्षेत्र में ‘‘घुसपैठ’’ की है। इस सप्ताह की शुरुआत में उद्धव ठाकरे ने पार्टी की एक महिला कार्यकर्ता पर कथित रूप से ठाणे में प्रतिद्वंद्वी शिवसेना के कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किए जाने के बाद फडणवीस को ‘‘बेकार’’ गृह मंत्री कहा था। फडणवीस ने तब पलटवार करते हुए कहा था कि वह एक ‘‘कारतूस’’ हैं, जबकि ठाकरे एक ‘‘कमजोर’’ मुख्यमंत्री थे जिन्होंने सत्ता के लिए अपनी विचारधारा को छोड़ दिया।

उन्हें महत्व देने की जरूरत नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में एक अवमानना ​​याचिका की सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी की थी। इस याचिका में महाराष्ट्र सहित कई राज्य प्राधिकारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी, जो कथित रूप से नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में नाकाम रहे। न्यायालय ने कहा था, ‘‘ हम इस अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं। क्योंकि कई राज्य समय पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि राज्य पौरुषहीन, शक्तिहीन हो गए हैं और समय पर कार्रवाई नहीं करते हैं। अगर राज्य मौन है तो उसका मतलब ही क्या है? शीर्ष अदालत ने याचिका पर महाराष्ट्र से जवाब तलब करते हुए उसे 28 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दिया था।

‘सामना’ में उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा गया, ‘‘ महाराष्ट्र को पौरुषहीन बनाने वाले को बेकार नहीं तो और क्या कहा जाए।’’ संपादकीय में दावा किया गया कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है। राज्य में कानून-व्यवस्था चरमरा रही है। मराठी समाचारपत्र में कहा गया, ‘‘ आप बेकार हैं या नहीं इसका फैसला आप खुद करें, लेकिन आप एक असफल गृह मंत्री हैं।

शासन का मतलब प्रतिशोध लेना नहीं है।’’ संपादकीय में कहा गया है ''आप केंद्रीय एजेंसियों की मदद के बिना कुछ नहीं हैं.. जो आपको बारूद देते हैं।’’ संपादकीय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट से धनुष और बाण का चुनाव चिह्न ‘‘छीनने’’ का आरोप भी लगाया गया। निर्वाचन आयोग ने इस साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाले गुट को धनुष और बाण का चुनाव चिह्न दे दिया था।

103 घंटे और 30 मिनट का समय हंगामे की भेंट चढ़ा 

103 घंटे और 30 मिनट का समय हंगामे की भेंट चढ़ा 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध के चलते राज्यसभा में बजट सत्र के दौरान कुल 103 घंटे और 30 मिनट का समय हंगामे की भेंट चढ गया तथा दूसरे चरण में सदन की उत्पादकता केवल 6.4 प्रतिशत रही। बजट सत्र के पहले चरण में राज्यसभा की उत्पादकता 56.3 प्रतिशत रही थी और इस तरह दोनों सत्रों की उत्पादकता मात्र 24.4 प्रतिशत रही। सभापति जगदीप धनखड़ ने बजट सत्र के दूसरे चरण के अंतिम दिन गुरूवार को हंगामे के बीच ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जिसके साथ ही राज्यसभा का 259 वां सत्र संपन्न हो गया। श्री धनखड़ ने कार्यवाही स्थगित करने से पहले अपनी टिप्पणी की शुरूआत में ही सदन में हंगामे तथा शोर शराबे के कारण व्यवधान की प्रवृति पर चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र की प्रहरी है और लोग हमारे प्रहरी तथा ‘सुप्रीम मास्टर’ हैं। उन्होंने कहा कि संसद का पहला दायित्व लोगों की सेवा करना है। संसद लोगों की भलाई के लिए चर्चा , विचार विमर्श और निर्णय लेने का मंच है। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि संसद में बहस, संवाद , विचार विमर्श और चर्चा की जगह अव्यवस्था और व्यवधान ने ले ली है। सभापति ने कहा कि बजट सत्र के पहले चरण में उत्पादकता 56.3 प्रतिशत रही, जबकि दूसरे सत्र में यह केवल 6.4 प्रतिशत तक पहुंच गई। दोनों सत्रों की कुल उत्पादकता 24.4 प्रतिशत रही। बजट सत्र में राज्यसभा में 103 घंटे 30 मिनट का समय बर्बाद हुआ। अपने वक्तव्य के बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।

विज्ञान की किताब से कुछ संदर्भों को हटाया, आरोप

विज्ञान की किताब से कुछ संदर्भों को हटाया, आरोप

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद बिनय विश्वम ने 12वीं कक्षा की राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की राजनीतिक विज्ञान की किताब से कुछ संदर्भों को हटाए जाने को लेकर बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि यह इतिहास, राजनीतिक व्यवस्था और समाज को विकृत करने एवं इनका सांप्रदायीकरण करने का प्रयास है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में भाकपा नेता ने कहा है कि इतिहास के कुछ संदर्भों को हटाया जाना बहुत गंभीर विषय है। 

उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम इस बात का संकेत है कि ‘सरकार हमारे समाज, राजनीतिक व्यवस्था और इतिहास के आलोचनात्मक विश्लेषण पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रही है। विश्वम ने यह आरोप भी लगाया, यह इतिहास, राजनीतिक व्यवस्था और समाज को विकृत एवं सांप्रदायीकरण करने का प्रयास है।

उल्लेखनीय है कि एनसीईआरटी की नये शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में महात्मा गांधी की मौत का देश में सांप्रदायिक स्थिति पर प्रभाव, गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिन्दू कट्टरपंथियों को उकसाया, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध सहित कई पाठ्य अंश नहीं हैं। एनसीईआरटी ने हालांकि यह दावा किया है कि इस वर्ष पाठ्यक्रम में कोई काट-छांट नहीं की गई है और पाठ्यक्रम को पिछले वर्ष जून में युक्तिसंगत बनाया गया था।

'आप' सरकार की याचिका पर 14 को सुनवाई: एससी 

'आप' सरकार की याचिका पर 14 को सुनवाई: एससी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने की दिल्ली के उपराज्यपाल की सशर्त मंजूरी के खिलाफ दायर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की याचिका पर 14 अप्रैल को सुनवाई करेगा। ‘आप’ सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और इस पर तत्काल सुनवाई की मांग की। 

ए एम सिंघवी ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल यह तय कर रहे हैं कि किन शिक्षकों को भेजना है, कैसे भेजना है और कब भेजना है। यह मामला शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित है।’’ शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम इस मामले पर 14 अप्रैल 2023 को सुनवाई करेंगे।’’ दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने सरकारी विद्यालयों में प्राथमिक कक्षाओं के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को कुछ शर्तों के साथ मार्च में सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। 

उपराज्यपाल ने अपनी मंजूरी देते हुए यह उल्लेख किया था कि अतीत में विदेशों में संचालित किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आकलन के प्रभाव को रिकार्ड में लाने से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नीत सरकार ने इनकार कर दिया। उपराज्यपाल कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा था, ‘‘उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने प्राथमिक (विद्यालय) प्रभारियों को फिनलैंड में प्रशिक्षण दिलाने के शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।’’ 

उन्होंने कहा था, ‘‘सभी को समतापूर्ण लाभ पहुंचाने के रुख को आगे बढ़ाते हुए उपराज्यपाल ने प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड जाने वाले प्राथमिक शिक्षकों की संख्या 52 से बढ़ा कर 87 कर दी है, ताकि शिक्षा विभाग के सभी 29 प्रशासनिक जोन के प्राथमिक (विद्यालय) प्रभारियों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 29 प्रशासनिक जोन में प्रत्येक से तीन प्रभारियों (कुल 87) का चयन किया जाएगा, जबकि सरकार ने मनमाने तरीके से यह (कुल) संख्या 52 तय की थी।’’ इस मामले को लेकर उपराज्यपाल के कार्यालय और ‘आप’ सरकार के बीच विवाद पैदा हो गया है। ‘आप’ ने सक्सेना पर सरकार के काम में ‘‘दखल’’ देने का आरोप लगाया है।

एक वेब पोर्टल विकसित करने की घोषणा: आरबीआई 

एक वेब पोर्टल विकसित करने की घोषणा: आरबीआई 

अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग 

नई दिल्ली/मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों में पड़े अनक्लेम्ड जमा राशि के बारे में एक ही स्थान पर पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक वेब पोर्टल विकसित करने की घोषणा की है। मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को यहां यह घोषणा करते हुए कहा कि सभी बैंकों में जमा अनक्‍लेम्‍ड राशि की जानकारी एक ही जगह मिलेगी। आरबीआई इसके लिए एक वेब पोर्टल बनाएगा जो एआई आधारित होगा।

इस वेब पोर्टल पर खाताधारक कुछ जानकारियां डालकर यह पता लगा सकेंगे कि कहीं उनका पैसा तो किसी बैंक के खाते में नहीं पड़ा है, जिसे अनक्‍लेम्‍ड घोषित किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि सरकारी बैंकों में फरवरी 2023 तक 35,000 करोड़ रुपए ऐसे पड़े थे जिनका कोई दावेदार नहीं है। रिजर्व बैंक के अनुसार, अगर कोई उपभोक्ता अपने खाते से 10 साल तक कोई लेनदेन नहीं करता है तो उस खाते में जमा रकम अनक्लेम्ड हो जाती है।

जिस खाते से लेनदेन नहीं किया जा रहा है, वह निष्क्रिय हो जाता है। रिजर्व बैंक लावारिस डिपॉजिट को डिपॉजिटर्स एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में डाल देता है। सरकारी बैंकों के 10.24 करोड़ खातों में 35,012 करोड़ रुपये फरवरी 2023 तक जमा थे, जिनको पिछले 10 साल से ऑपरेट नहीं किया गया है। अनक्लेम्‍ड राशि बचत खाता, चालू खाता, फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट खाते में हो सकती है। 

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