मंगलवार, 28 मार्च 2023

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-166, (वर्ष-06)

2. बुधवार, मार्च 29, 2023

3. शक-1944, चैत्र, शुक्ल-पक्ष, तिथि-अष्टमी, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:40, सूर्यास्त: 06:23। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 16 डी.सै., अधिकतम- 24+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

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सोमवार, 27 मार्च 2023

नवरात्रि का सातवां दिन मां 'कालरात्रि' को समर्पित 

नवरात्रि का सातवां दिन मां 'कालरात्रि' को समर्पित 

सरस्वती उपाध्याय 

चैत्र मास में पड़ने वाली नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप, यानि मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां कालरात्रि की पूजा से भक्तों के सभी प्रकार के भय दूर होते हैं। मां कालरात्रि के आशीर्वाद से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है। उसे अग्नि, जल, शत्रु, रात्रि आदि किसी प्रकार का भय कभी नहीं होता। भगवती के इस भव्य स्वरूप के शुभ प्रभाव से साधक के पास भूल से भी नकारात्मक शक्तियां या बलाएं नहीं फटकती हैं। आईए, जानते हैं देवी कालरात्रि की पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन से जुड़े नियम...

पूजा का महत्व...

मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से भय दूर होता है, संकटों से रक्षा होती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। शुभफल प्रदान करने के कारण इनका एक नाम शुभंकरी भी है। इस देवी की आराधना से अकाल मृत्यु का डर भी भाग जाता है, रोग और दोष भी दूर होते हैं। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इसलिए इस देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव भी कम होते हैं।

माता कालरात्रि का स्वरूप...

देवी कालरात्रि कृष्ण वर्ण की हैं। गले में विद्युत की माला और बाल बिखरे हुए हैं। देवी की चार भुजाएँ हैं, दोनों दाहिने हाथ क्रमशः अभय और वर मुद्रा में हैं, जबकि बाएँ तरफ दोनों हाथ में क्रमशः खडग और वज्र हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी के इस रूप की पूजा करने से दुष्टों का विनाश होता है।

नवरात्र का सातवां दिन है। इस दिन आदिशक्ति देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। भक्तों के लिए मां कालरात्रि सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इस कारण मां का नाम ‘शुभंकारी’ भी है। 

माता का मंत्र...

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

स्तुति...

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

पूजा का शुभ मुहूर्त...

चैत्र शुक्ल सप्तमी तिथि - 27 मार्च, शाम 05.27 बजे से 28 मार्च, रात 07.02 बजे तक

द्विपुष्कर योग -28 मार्च, सुबह 06.16 बजे से शाम 05.32 बजे तक

सौभाग्य योग - 27 मार्च, रात 11.20 बजे से 28 मार्च, रात 11.36 बजे तक

निशिता काल मुहूर्त - 28 मार्च, मध्यरात्रि 12.03 बजे से प्रात: 12.49 बजे तक

मां कालरात्रि की पूजा विधि...

काल का नाश करने वाली मां कालरात्रि की पूजा मध्यरात्रि (निशिता काल मुहूर्त) में शुभ फलदायी मानी गई है। अगर रात्रि में ना हो सके, तो सुबह के समय भी पूजा को शुभ माना जाता है। सप्तमी तिथि दिन वाले सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान ध्यान करने के बाद मां कालरात्रि की पूजा एवं व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें। इसके बाद मां कालरात्रि फोटो या प्रतिमा पर गंगाजल अर्पित करें और फिर उसके बाद देवी का आह्वान करें। फिरमां कालरात्रि की रोली, अक्षत, फल, फूल, मिष्ठान, वस्त्र, सिंदूर, धूप, दीप, आदि को अर्पित करके उनकी पूजा करें।

मां कालरात्रि को प्रिय...

इस देवी को लाल रंग प्रिय है, इसलिए इनकी पूजा में लाल गुलाब या लाल गुड़हल का फूल अर्पित करना चाहिए। हालांकि इनको रातरानी का फूल भी चढ़ाना शुभ होता है। देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए साधक को उनकी पूजा में गुड़ और हलवे का भोग जरूर लगाना चाहिए। इससे देवी कालरात्रि प्रसन्न होती हैं। देवी को भोग लगाने के बाद माता को विशेष रूप से पान और सुपारी भी चढ़ाएं।

रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समूह को बढ़ावा 

रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समूह को बढ़ावा 


समूह को निशुल्क दी गई मशीनें

कौशाम्बी। जिला ग्रामोद्योग कार्यालय के अन्तर्गत लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समूह को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में जिले के एक समूह को निशुल्क मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। कार्यक्रम का आयोजन सरस हाल विकास भवन मंझनपुर में किया गया है। जहां तमाम अधिकारी कर्मचारियों और ग्रामीण लोग मौजूद रहे।

उत्तरप्रदेश माटी कला बोर्ड के सदस्य अजीत प्रजापति द्वारा एक समूह को 8 मोटराईज़्ड दोना पत्तल मेकिंग मशीनें एवं 01 दीया मशीन का निशुल्क वितरण किया गया है। 11 सदस्यो का एक समूह बनाकर विजय कुमार पुत्र केशन लाल ग्राम चकसई गंज पोस्ट कसिया ने योजना में आवेदन किया था। जिस पर उन्हें चयन कर योजना के अंतर्गत 8 मोटराईज़्ड दोना पत्तल मेकिंग मशीनें एवं 01 दीया मशीन उपलब्ध कराई गई है।

गणेश साहू 

संविधान की रक्षा करने और संकट से बचाने की अपील 

संविधान की रक्षा करने और संकट से बचाने की अपील 

अकांशु उपाध्याय/मिनाक्षी लोढी 

नई दिल्ली/कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से देश के संविधान की रक्षा करने और इसे संकट से बचाने की अपील की। मुर्मू के स्वागत समारोह में यहां बनर्जी ने उनकी सराहना "गोल्डन लेडी" के रूप में की और कहा कि देश में विभिन्न समुदायों, जातियों तथा पंथों के लोगों की युगों से सद्भाव के साथ रहने की एक गौरवशाली विरासत रही है।

बनर्जी ने कहा, "मैडम राष्ट्रपति, आप इस देश की संवैधानिक प्रमुख हैं। मैं आपसे संविधान और इस देश के गरीब लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का अनुरोध करूंगी। हम आपसे इसे आपदा से बचाने का अनुरोध करेंगे।" मुर्मू पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को यहां पहुंचीं।

जरूरत से ज्यादा 'पानी' पीना बेहद हानिकारक 

जरूरत से ज्यादा 'पानी' पीना बेहद हानिकारक 

सरस्वती उपाध्याय 

पानी हमारे शरीर के लिए काफी जरूरी है। हमारे शरीर का लगभग 60 फीसदी हिस्सा पानी से ही भरा हुआ है। पानी पीने से हमारा शरीर हाइड्रेटेड रहता है और शरीर के सभी अपशिष्ट और टॉक्सिक पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं। इसके साथ ही शरीर के सभी अंगों को सही तरीके से काम करने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है। लेकिन जरूरत से ज्यादा पानी पीने से शरीर को कई तरह के नुकसानों का सामना करना पड़ता है, जिसे ओवरहाइड्रेशन के नाम से जाना जाता है।

जब आप जरूरत से ज्यादा पानी पीते हैं, तो इससे आपको वॉटर पॉइजनिंग, इन्टॉक्सिकेशन और दिमाग से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बहुत ज्यादा पानी पीने से दिमाग और शरीर की कोशिकाओं में सूजन आने लगती है। जब दिमाग की कोशिकाओं में सूजन आती है, तो इससे दिमाग पर प्रेशर पड़ता है, जिससे आपको कंफ्यूजन, नींद आना और सिरदर्द की समस्या से जूझना पड़ सकता है। दिमाग पर जब ये प्रेशर बढ़ता है, तो इससे हाइपरटेंशन और ब्रैडीकार्डिया (लो हार्ट रेट) जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

बहुत ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन करने से हमारे शरीर में मौजूद सोडियम पर काफी बुरा असर पड़ता हैं। सोडियम हमारे शरीर में मौजूद एक इलेक्ट्रोलाइट होता है, जो कोशिकाओं के अंदर और बाहर फ्लूइड को बैलेंस करता है। जरूरत से ज्यादा पानी पीने से हमारे शरीर में सोडियम का लेवल घटने लगता है, जिससे शरीर में मौजूद फ्लूइड कोशिकाओं के अंदर चला जाता है, इससे कोशिकाओं में सूजन आने लगती हैं और व्यक्ति कोमा में जा सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है।

हालांकि, इसे लेकर कोई भी गाइडलाइन सेट नहीं की गई है कि किसी भी व्यक्ति को एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए। आपके शरीर को पानी की जरूरत कितनी है ? वह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, आपका बॉडी वेट कितना है। साथ ही मौसम का भी इसमें काफी बड़ा रोल होता है। बीएलके-मैक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में यूरोलॉजी एंड यूरो ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. यजवेंद्र प्रताप सिंह राणा के मुताबिक, ‘नॉर्मल दिनों में 3 लीटर और गर्मियों में 3.5 लीटर तक पानी पीना सेफ माना जाता है।'

जरूरत से ज्यादा पानी पीने से ओवरहाइड्रेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है और ओवरहाइड्रेशन का सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। ऐसे बहुत से लोग जिन्हें लगता है कि किडनी को हेल्दी रखने के लिए ज्यादा पानी पीना जरूरी होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब आप बहुत ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन करते हैं, तो इससे आपकी किडनी को अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे हार्मोन रिएक्शन होता है, जिससे आप स्ट्रेस और थके हुए महसूस करने लगते हैं। अगर बहुत सारा पानी पीने के बाद भी आपको पेशाब नहीं आता, तो ये इस ओर इशारा करता है कि आपकी किडनी क्षमता से ज्यादा काम कर रही है।

'एनसीईआरटी' की नई पाठ्यपुस्तकें पेश, संभावना

'एनसीईआरटी' की नई पाठ्यपुस्तकें पेश, संभावना

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार संशोधित एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पेश किए जाने की संभावना है। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) के अनुसार तैयार किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "नयी पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से पेश किए जाने की संभावना है। यह एक लंबा काम है, लेकिन हम इसके लिए लक्ष्य बना रहे हैं। पाठ्यपुस्तकों को नयी एनसीएफ के अनुसार संशोधित किया जाएगा, जिस पर काम पहले से ही चल रहा है।"

उन्होंने कहा, "चूंकि कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि डिजिटल शिक्षा की मांग है, सभी नयी पाठ्य पुस्तकों को एक साथ डिजिटल रूप से उपलब्ध कराया जाएगा ताकि कोई भी उन्हें डाउनलोड कर सके।" यह उल्लेख करते हुए कि पाठ्य पुस्तकों में "ठहराव" नहीं होना चाहिए, अधिकारी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत ढांचा विकसित किया जाएगा, कि पाठ्यपुस्तकों को नियमित आधार पर अद्यतन किया जाए।

ब्याज दर के बारे में घोषणा कर सकता है 'ईपीएफओ'

ब्याज दर के बारे में घोषणा कर सकता है 'ईपीएफओ'

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) सोमवार से शुरू हो रही अपनी दो दिन की बैठक में 2022-23 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर ब्याज दर के बारे में घोषणा कर सकता है। ईपीएफओ मार्च, 2022 में 2021-22 के लिए अपने करीब पांच करोड़ अंशधारकों के ईपीएफ पर ब्याज दर को घटाकर चार दशक से भी अधिक समय के निचले स्तर 8.1 प्रतिशत पर ले आया था।

यह दर 1977-78 के बाद से सबसे कम थी, तब ईपीएफ पर ब्याज दर आठ प्रतिशत हुआ करती थी। 2020-21 में यह दर 8.5 प्रतिशत थी। एक सूत्र ने बताया, ‘‘कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) द्वारा 2022-23 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर के बारे में निर्णय सोमवार दोपहर से शुरू हो रही दो दिन की बैठक में लिया जा सकता है।’’

अधिक पेंशन की खातिर आवेदन देने के लिए उच्चतम न्यायालय ने चार महीने का वक्त देने संबंधी जो आदेश दिया था उस पर ईपीएफओ ने क्या कार्रवाई की है, इस बारे में भी बैठक में चर्चा हो सकती है। ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को तीन मई, 2023 तक का वक्त दिया है। मार्च, 2020 में ईपीएफओ ने भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को कम करके सात महीने के निचले स्तर 8.5 प्रतिशत पर ला दिया था। 2018-19 के लिए यह 8.65 प्रतिशत थी।

27 वर्ष बाद दुष्कर्मी को 10 साल की सजा

27 वर्ष बाद दुष्कर्मी को 10 साल की सजा  गणेश साहू  कौशाम्बी। सैनी कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में खेत से लौट रही बालिका के साथ 27 वर्ष पहले स...