नवरात्रि का सातवां दिन मां 'कालरात्रि' को समर्पित
सरस्वती उपाध्याय
चैत्र मास में पड़ने वाली नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप, यानि मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां कालरात्रि की पूजा से भक्तों के सभी प्रकार के भय दूर होते हैं। मां कालरात्रि के आशीर्वाद से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है। उसे अग्नि, जल, शत्रु, रात्रि आदि किसी प्रकार का भय कभी नहीं होता। भगवती के इस भव्य स्वरूप के शुभ प्रभाव से साधक के पास भूल से भी नकारात्मक शक्तियां या बलाएं नहीं फटकती हैं। आईए, जानते हैं देवी कालरात्रि की पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन से जुड़े नियम...
पूजा का महत्व...
मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से भय दूर होता है, संकटों से रक्षा होती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। शुभफल प्रदान करने के कारण इनका एक नाम शुभंकरी भी है। इस देवी की आराधना से अकाल मृत्यु का डर भी भाग जाता है, रोग और दोष भी दूर होते हैं। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इसलिए इस देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव भी कम होते हैं।
माता कालरात्रि का स्वरूप...
देवी कालरात्रि कृष्ण वर्ण की हैं। गले में विद्युत की माला और बाल बिखरे हुए हैं। देवी की चार भुजाएँ हैं, दोनों दाहिने हाथ क्रमशः अभय और वर मुद्रा में हैं, जबकि बाएँ तरफ दोनों हाथ में क्रमशः खडग और वज्र हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी के इस रूप की पूजा करने से दुष्टों का विनाश होता है।
नवरात्र का सातवां दिन है। इस दिन आदिशक्ति देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। भक्तों के लिए मां कालरात्रि सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इस कारण मां का नाम ‘शुभंकारी’ भी है।
माता का मंत्र...
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति...
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पूजा का शुभ मुहूर्त...
चैत्र शुक्ल सप्तमी तिथि - 27 मार्च, शाम 05.27 बजे से 28 मार्च, रात 07.02 बजे तक
द्विपुष्कर योग -28 मार्च, सुबह 06.16 बजे से शाम 05.32 बजे तक
सौभाग्य योग - 27 मार्च, रात 11.20 बजे से 28 मार्च, रात 11.36 बजे तक
निशिता काल मुहूर्त - 28 मार्च, मध्यरात्रि 12.03 बजे से प्रात: 12.49 बजे तक
मां कालरात्रि की पूजा विधि...
काल का नाश करने वाली मां कालरात्रि की पूजा मध्यरात्रि (निशिता काल मुहूर्त) में शुभ फलदायी मानी गई है। अगर रात्रि में ना हो सके, तो सुबह के समय भी पूजा को शुभ माना जाता है। सप्तमी तिथि दिन वाले सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान ध्यान करने के बाद मां कालरात्रि की पूजा एवं व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें। इसके बाद मां कालरात्रि फोटो या प्रतिमा पर गंगाजल अर्पित करें और फिर उसके बाद देवी का आह्वान करें। फिरमां कालरात्रि की रोली, अक्षत, फल, फूल, मिष्ठान, वस्त्र, सिंदूर, धूप, दीप, आदि को अर्पित करके उनकी पूजा करें।
मां कालरात्रि को प्रिय...
इस देवी को लाल रंग प्रिय है, इसलिए इनकी पूजा में लाल गुलाब या लाल गुड़हल का फूल अर्पित करना चाहिए। हालांकि इनको रातरानी का फूल भी चढ़ाना शुभ होता है। देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए साधक को उनकी पूजा में गुड़ और हलवे का भोग जरूर लगाना चाहिए। इससे देवी कालरात्रि प्रसन्न होती हैं। देवी को भोग लगाने के बाद माता को विशेष रूप से पान और सुपारी भी चढ़ाएं।