सोमवार, 27 मार्च 2023

संविधान की रक्षा करने और संकट से बचाने की अपील 

संविधान की रक्षा करने और संकट से बचाने की अपील 

अकांशु उपाध्याय/मिनाक्षी लोढी 

नई दिल्ली/कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से देश के संविधान की रक्षा करने और इसे संकट से बचाने की अपील की। मुर्मू के स्वागत समारोह में यहां बनर्जी ने उनकी सराहना "गोल्डन लेडी" के रूप में की और कहा कि देश में विभिन्न समुदायों, जातियों तथा पंथों के लोगों की युगों से सद्भाव के साथ रहने की एक गौरवशाली विरासत रही है।

बनर्जी ने कहा, "मैडम राष्ट्रपति, आप इस देश की संवैधानिक प्रमुख हैं। मैं आपसे संविधान और इस देश के गरीब लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का अनुरोध करूंगी। हम आपसे इसे आपदा से बचाने का अनुरोध करेंगे।" मुर्मू पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को यहां पहुंचीं।

जरूरत से ज्यादा 'पानी' पीना बेहद हानिकारक 

जरूरत से ज्यादा 'पानी' पीना बेहद हानिकारक 

सरस्वती उपाध्याय 

पानी हमारे शरीर के लिए काफी जरूरी है। हमारे शरीर का लगभग 60 फीसदी हिस्सा पानी से ही भरा हुआ है। पानी पीने से हमारा शरीर हाइड्रेटेड रहता है और शरीर के सभी अपशिष्ट और टॉक्सिक पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं। इसके साथ ही शरीर के सभी अंगों को सही तरीके से काम करने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है। लेकिन जरूरत से ज्यादा पानी पीने से शरीर को कई तरह के नुकसानों का सामना करना पड़ता है, जिसे ओवरहाइड्रेशन के नाम से जाना जाता है।

जब आप जरूरत से ज्यादा पानी पीते हैं, तो इससे आपको वॉटर पॉइजनिंग, इन्टॉक्सिकेशन और दिमाग से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बहुत ज्यादा पानी पीने से दिमाग और शरीर की कोशिकाओं में सूजन आने लगती है। जब दिमाग की कोशिकाओं में सूजन आती है, तो इससे दिमाग पर प्रेशर पड़ता है, जिससे आपको कंफ्यूजन, नींद आना और सिरदर्द की समस्या से जूझना पड़ सकता है। दिमाग पर जब ये प्रेशर बढ़ता है, तो इससे हाइपरटेंशन और ब्रैडीकार्डिया (लो हार्ट रेट) जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

बहुत ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन करने से हमारे शरीर में मौजूद सोडियम पर काफी बुरा असर पड़ता हैं। सोडियम हमारे शरीर में मौजूद एक इलेक्ट्रोलाइट होता है, जो कोशिकाओं के अंदर और बाहर फ्लूइड को बैलेंस करता है। जरूरत से ज्यादा पानी पीने से हमारे शरीर में सोडियम का लेवल घटने लगता है, जिससे शरीर में मौजूद फ्लूइड कोशिकाओं के अंदर चला जाता है, इससे कोशिकाओं में सूजन आने लगती हैं और व्यक्ति कोमा में जा सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है।

हालांकि, इसे लेकर कोई भी गाइडलाइन सेट नहीं की गई है कि किसी भी व्यक्ति को एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए। आपके शरीर को पानी की जरूरत कितनी है ? वह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, आपका बॉडी वेट कितना है। साथ ही मौसम का भी इसमें काफी बड़ा रोल होता है। बीएलके-मैक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में यूरोलॉजी एंड यूरो ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. यजवेंद्र प्रताप सिंह राणा के मुताबिक, ‘नॉर्मल दिनों में 3 लीटर और गर्मियों में 3.5 लीटर तक पानी पीना सेफ माना जाता है।'

जरूरत से ज्यादा पानी पीने से ओवरहाइड्रेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है और ओवरहाइड्रेशन का सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। ऐसे बहुत से लोग जिन्हें लगता है कि किडनी को हेल्दी रखने के लिए ज्यादा पानी पीना जरूरी होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब आप बहुत ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन करते हैं, तो इससे आपकी किडनी को अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे हार्मोन रिएक्शन होता है, जिससे आप स्ट्रेस और थके हुए महसूस करने लगते हैं। अगर बहुत सारा पानी पीने के बाद भी आपको पेशाब नहीं आता, तो ये इस ओर इशारा करता है कि आपकी किडनी क्षमता से ज्यादा काम कर रही है।

'एनसीईआरटी' की नई पाठ्यपुस्तकें पेश, संभावना

'एनसीईआरटी' की नई पाठ्यपुस्तकें पेश, संभावना

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार संशोधित एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पेश किए जाने की संभावना है। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) के अनुसार तैयार किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "नयी पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से पेश किए जाने की संभावना है। यह एक लंबा काम है, लेकिन हम इसके लिए लक्ष्य बना रहे हैं। पाठ्यपुस्तकों को नयी एनसीएफ के अनुसार संशोधित किया जाएगा, जिस पर काम पहले से ही चल रहा है।"

उन्होंने कहा, "चूंकि कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि डिजिटल शिक्षा की मांग है, सभी नयी पाठ्य पुस्तकों को एक साथ डिजिटल रूप से उपलब्ध कराया जाएगा ताकि कोई भी उन्हें डाउनलोड कर सके।" यह उल्लेख करते हुए कि पाठ्य पुस्तकों में "ठहराव" नहीं होना चाहिए, अधिकारी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत ढांचा विकसित किया जाएगा, कि पाठ्यपुस्तकों को नियमित आधार पर अद्यतन किया जाए।

ब्याज दर के बारे में घोषणा कर सकता है 'ईपीएफओ'

ब्याज दर के बारे में घोषणा कर सकता है 'ईपीएफओ'

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) सोमवार से शुरू हो रही अपनी दो दिन की बैठक में 2022-23 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर ब्याज दर के बारे में घोषणा कर सकता है। ईपीएफओ मार्च, 2022 में 2021-22 के लिए अपने करीब पांच करोड़ अंशधारकों के ईपीएफ पर ब्याज दर को घटाकर चार दशक से भी अधिक समय के निचले स्तर 8.1 प्रतिशत पर ले आया था।

यह दर 1977-78 के बाद से सबसे कम थी, तब ईपीएफ पर ब्याज दर आठ प्रतिशत हुआ करती थी। 2020-21 में यह दर 8.5 प्रतिशत थी। एक सूत्र ने बताया, ‘‘कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) द्वारा 2022-23 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर के बारे में निर्णय सोमवार दोपहर से शुरू हो रही दो दिन की बैठक में लिया जा सकता है।’’

अधिक पेंशन की खातिर आवेदन देने के लिए उच्चतम न्यायालय ने चार महीने का वक्त देने संबंधी जो आदेश दिया था उस पर ईपीएफओ ने क्या कार्रवाई की है, इस बारे में भी बैठक में चर्चा हो सकती है। ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को तीन मई, 2023 तक का वक्त दिया है। मार्च, 2020 में ईपीएफओ ने भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को कम करके सात महीने के निचले स्तर 8.5 प्रतिशत पर ला दिया था। 2018-19 के लिए यह 8.65 प्रतिशत थी।

राज्यों के अधिकारों पर हमला कर रही है सरकार 

राज्यों के अधिकारों पर हमला कर रही है सरकार 

अमित शर्मा 

चंडीगढ़/जालंधर। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की। मान ने कहा कि देश के संघीय ढांचे को कमजोर कर केंद्र सरकार राज्यों के कानूनी अधिकारों पर हमला कर रही है और राज्यों के हितों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों की आवाज को दबाने के लिए मशीन की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के हितों पर हमला किया जा रहा है, जो लोकतंत्र और संघीय ढांचे के लिए हानिकारक है।

भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार का तानाशाही रवैया लोकतंत्र के ताने-बाने के लिए घातक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार जानबूझकर राज्यों को परेशान कर रही है।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास ग्रामीण विकास कोष (आरडीएफ) का 30 हजार करोड़ रुपये अभी भी बकाया है। मान ने कहा कि पंजाब सरकार ने सारी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली है लेकिन केंद्र सरकार ने आरडीएफ में अनावश्यक अड़ंगा लगाया है और जीएसटी का फंड रोक रहा है। उन्होंने कहा कि एक अन्य फैसले में पंजाब को आवंटित कोयला खदान से कोयला श्रीलंका के रास्ते लाने को कहा गया था जो किसी भी तरह से जायज नहीं था।

मान ने कहा कि इस तरह के फैसलों का केंद्र और राज्यों के संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अमृतपाल सिंह के मामले में कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पूरे पंजाब में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं। मान ने हर कीमत पर पंजाब में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे इस बात के समर्थक हैं कि विचारों और विचारों की भिन्नता वाला लोकतंत्र हमेशा सफल होता है।  मान ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों महत्वपूर्ण दल होते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज का हर कीमत पर सम्मान होना चाहिए। 

वित्त विधेयक 2023 को बिना चर्चा के लौटाया 

वित्त विधेयक 2023 को बिना चर्चा के लौटाया 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। राज्यसभा ने सोमवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सरकार द्वारा लाए गए संशोधनों के साथ वित्त विधेयक 2023 को बिना चर्चा के ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया। इसी के साथ ही आगामी वित्त वर्ष के बजट की प्रक्रिया उच्च सदन में पूरी हो गई। उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे शुरू हुई, तब सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सुबह जो आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर नहीं रखे जा सके थे, उन्हें रखा गया मान लिया जाए। इसी बीच कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के कई सदस्य अडाणी समूह से जुड़े आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित किए जाने की मांग को लेकर हंगामा करने लगे।

हंगामे के बीच ही वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के सामान्य बजट, अनुदान की अनुपूरक मांगें और उससे संबंधित विनियोग विधेयक सदन में पेश किया। सदन ने चर्चा के बिना जम्मू-कश्मीर के सामान्य बजट, अनुदान की अनुपूरक मांगें और उससे संबंधित विनियोग विधेयक को ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया। इसके बाद सभापति की अनुमति से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से वित्त विधेयक 2023 को सदन में पेश किया। इस दौरान सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी था।

हंगामे के बीच ही वित्त विधेयक 2023 को बिना चर्चा के, ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया गया। वित्त विधेयक को लोकसभा को लौटाए जाने के साथ ही सदन में वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की प्रक्रिया पूरी हो गई। सभापति धनखड़ ने वित्त विधेयक पर सदन में चर्चा के लिए निर्धारित 10 घंटे का सदस्यों द्वारा उपयोग नहीं करने को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया। लोकसभा में एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण द्वारा आम बजट 2023-24 पेश किए जाने के साथ ही बजट प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी। निचले सदन में यह विधेयक 24 मार्च को पारित हुआ था।

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