सीएम रेड्डी ने पीएम मोदी से मुलाकात की, अनुरोध
अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी
नई दिल्ली/अमरावती। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और उनसे राज्य के विभाजन के नौ साल बाद भी लंबित कई मुद्दों पर काम में तेजी लाने का अनुरोध किया। बाद में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की और उनके साथ लंबित मुद्दों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में रेड्डी ने उन्हें याद दिलाया कि केंद्रीय वित्त सचिव की अध्यक्षता में गठित विशेष समिति द्वारा कई दौर की चर्चा के बावजूद कुछ प्रमुख मुद्दे अनसुलझे हैं।
समिति का गठन आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में उल्लिखित विभिन्न मुद्दों पर ध्यान देने के लिए किया गया था। एक आधिकारिक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री रेड्डी ने वित्त वर्ष 2014-15 के लिए रिसोर्स गैप फंडिंग के तहत लंबित 36,625 करोड़ रुपये को जल्द जारी करने और पोलावरम परियोजना पर राज्य सरकार द्वारा किए गए 2,600.74 करोड़ रुपये के बकाया की प्रतिपूर्ति के अलावा 17,923 करोड़ रुपये की क्रेडिट सीमा बढ़ाने की मांग की।
उन्होंने मोदी से पोलावरम परियोजना पर तकनीकी सलाहकार समिति के 55,548 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान को स्वीकार करने, पेयजल आपूर्ति घटक को इसका हिस्सा मानने और निर्माण में तेजी लाने के लिए तदर्थ आधार पर तत्काल 10,000 करोड़ रुपये जारी करने की भी अपील की। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की कि तेलंगाना 2014 और 2017 के बीच बिजली आपूर्ति के लिए टीएस डिस्कॉम से एपीजीईएनसीओ को 7,058 करोड़ रुपये के अपने बकाया का भुगतान करे।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों के तर्कहीन चयन के कारण पीएमजीकेएवाई के तहत 56 लाख परिवारों को राशन की आपूर्ति पर राज्य पर अब तक 5,527 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘इसकी भरपाई के लिए, नीति आयोग की सिफारिश के अनुसार आंध्र प्रदेश को अप्रयुक्त राशन स्टॉक आवंटित किया जाना चाहिए।’’ अन्य मांगों के अलावा, मुख्यमंत्री ने मोदी से राज्य के 12 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की अनुमति देने, वाईएसआर कडप्पा जिले में इस्पात संयंत्र की कच्चे माल की जरूरतों को पूरा करने के लिए एपीएमडीसी को आवश्यक खदानें आवंटित करने और आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की अपील की, जैसा कि केंद्र ने संसद में वादा किया था।