शुक्रवार, 17 मार्च 2023

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-155, (वर्ष-06)

2. शनिवार, मार्च 18, 2023

3. शक-1944, चैत्र, कृष्ण-पक्ष, तिथि-एकादशी, विक्रमी सवंत-2079‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:40, सूर्यास्त: 06:23। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 17 डी.सै., अधिकतम- 28+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

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गुरुवार, 16 मार्च 2023

216 रिक्तियों के संबंध में कोई सिफारिशें नहीं मिलीं

216 रिक्तियों के संबंध में कोई सिफारिशें नहीं मिलीं

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 334 पद रिक्त हैं और कॉलेजियम द्वारा की गई 118 सिफारिशें प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं, वहीं 216 रिक्तियों के संबंध में अभी कोई सिफारिशें नहीं मिलीं हैं। विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने अपने जवाब में कहा, ‘‘ 10 मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार उच्चतम न्यायालय में कोई रिक्ति नहीं है। जहां तक उच्च न्यायालयों का संबंध है, 1,114 न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों के विरुद्ध, 780 न्यायाधीश कार्यरत है और न्यायाधीशों के 334 पद रिक्त हैं।’’ रीजीजू ने कहा, ‘‘ वर्तमान में, उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा 118 प्रस्तावों की सिफारिश की गई है, जो प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।

उच्च न्यायालय कॉलेजियम से उच्च न्यायालयों की 216 रिक्तियों के विरुद्ध सिफारिशें अभी तक प्राप्त नहीं हुई हैं।’’ उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों में रिक्तियों को भरना एक सतत, एकीकृत और सहयोगात्मक प्रक्रिया है, जिसके लिए विभिन्न संवैधानिक प्राधिकारियों से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति, पदत्याग या पदोन्नति के कारण रिक्तियां पैदा होती रहती हैं और सरकार रिक्तियों को समयबद्ध तरीके से शीघ्र भरने के लिए प्रतिबद्ध है।

रिजीजू ने कहा कि सरकार उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध करती रही है कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय, नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्प संख्यकों और महिलाओं के उपयुक्त अभ्यर्थियों पर उचित विचार किया जाए।

नेताओं को जेल में डालने हेतु एजेंसियों का दुरुपयोग 

नेताओं को जेल में डालने हेतु एजेंसियों का दुरुपयोग 

इकबाल अंसारी 

श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बृहस्पतिवार को कहा कि जिस तरह पाकिस्तान में सत्तारूढ़ पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है, उसी तरह यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को जेल में डालने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। यहां पार्टी मुख्यालय में संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि वह अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को रद्द करने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद लोगों को हो रही परेशानियों से चिंतित हैं। मुफ्ती ने पाकिस्तान में सत्तारुढ़ दल की पीटीआई प्रमुख की भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी की योजना को लेकर हालिया घटनाक्रम से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, "पाकिस्तान में कुछ भी नया नहीं हो रहा है.. यह यहां (भारत) भी हो रहा है।"

उन्होंने कहा, "भारत में भी स्थिति अलग नहीं है। यहां, वर्तमान मंत्री मनीष सिसोदिया (आप), के कविता (तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी) और पूर्व मंत्री लालू प्रसाद (राजद अध्यक्ष) भी जेल में बंद हैं और शिवसेना नेता और अन्य को निशाना बनाया जा रहा है। वहीं, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक शिव मंदिर की अपनी हालिया यात्रा और वहां एक अनुष्ठान का बचाव करते हुए कहा, "हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां गंगा-जमुनी तहज़ीब बसती है और इस पर चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।" गौरतलब है कि मंगलवार को पुंछ के मंडी-अजोटे में नवग्रह मंदिर के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा शिवलिंग पर जल चढ़ाने का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसकी कुछ लोगों ने आलोचना की थी।

उन्होंने कहा, "हम एक धर्मनिरपेक्ष देश में रहते हैं जहां गंगा-जमुनी तहज़ीब बसती है। मंदिर का निर्माण यशपाल शर्मा (पीडीपी के पूर्व नेता जिनका पिछले साल निधन हो गया) ने करवाया था और उनके बेटे चाहते हैं कि मैं उस मंदिर का दौरा करूं। मैं अंदर गई और किसी ने मुझे बहुत विश्वास और प्यार के साथ जल से भरा एक छोटा बर्तन दिया। महबूबा मुफ्ती ने पत्रकारों से कहा, "मैं (शिवलिंग पर) जल चढ़ाने से इनकार करके उनका दिल नहीं तोड़ना चाहती। इसलिए मैंने उनके सम्मान में यह किया।" 

देश में अगर लोकतंत्र बरकरार है, अपनी बात रखें 

देश में अगर लोकतंत्र बरकरार है, अपनी बात रखें 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ब्रिटेन में दिए अपने एक बयान को लेकर संसद में जारी गतिरोध पर बृहस्पतिवार को कहा कि देश में अगर लोकतंत्र बरकरार है, तो उन्हें संसद में अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। क्योंकि, उनके खिलाफ सरकार के चार मंत्रियों ने सदन के भीतर आरोप लगाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह भारतीय जनतंत्र के लिए एक इम्तहान भी होगा कि उन्हें भी चार मंत्रियों की तरह ही सदन में बोलने का पूरा अवसर मिलता है या फिर चुप होने के लिए कहा जाता है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अडाणी समूह से जुड़े मामले से ध्यान भटकाने के लिए सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से संसद में पूरा तमाशा खड़ा किया गया है।

दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी ने बृहस्पतिवार को फिर कहा कि कांग्रेस नेता को अपने बयानों के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए। अपने ब्रिटेन दौरे से बुधवार को स्वदेश लौटने के बाद राहुल गांधी बृहस्पतिवार को संसद पहुंचे और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर आग्रह किया कि उन्हें सदन में बोलने का मौका दिया जाए।बाद में उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज मैं संसद गया और लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि मैं संसद में बोलना चाहता हूं, सरकार के चार मंत्रियों ने मेरे ऊपर आरोप लगाये हैं तो मेरा हक है कि मैं सदन में अपनी बात रखूं।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष का कहना था, ‘‘मुझे नहीं लगता कि बोलने दिया जाएगा। फिर भी मैं आशा करता हूं कि कल मुझे बोलने का मौका मिलेगा।’’

उन्होंने दावा किया कि जब वह संसद पहुंचे थे तो तत्काल लोकसभा को स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस नेता ने इस संक्षिप्त प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘मैं एक सांसद हूं और संसद में चार मंत्रियों ने मेरे खिलाफ आरोप लगाए हैं। ऐसे में संसद के भीतर इन आरोपों का जवाब देना, यह मेरा लोकतांत्रिक अधिकार है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘अगर भारत में लोकतंत्र बरकरार है तो मैं संसद में अपनी बात रख पाऊंगा। हम जो देख रहे हैं वह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक परीक्षा है।’’

राहुल गांधी के मुताबिक, ‘‘भाजपा के नेताओं ने एक सांसद के खिलाफ आरोप लगाए हैं, इसके बाद यह देखना होगा कि क्या इस सांसद को भी वही अवसर मिलेगा जो चार मंत्रियों को मिला था, या उनसे कहा जाएगा कि चुप हो जाओ।’’ उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल तथा कुछ अन्य मंत्रियों और सत्तापक्ष के नेताओं ने राहुल गांधी के बयान का उल्लेख करते हुए उन पर विदेशी धरती पर भारत को बदनाम करने का आरोप लगाया था और माफी की मांग की थी।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मैंने संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और अडाणी जी के रिश्ते के बारे में सवाल पूछे थे। उस भाषण को पूरी तरह कार्यवाही से हटा दिया गया। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरा मामला (गतिरोध) ध्यान भटकाने का है। सरकार और प्रधानमंत्री, अडाणी के मुद्दे से डरे हुए हैं। इसलिए उन्होंने पूरा तमाशा खड़ा किया है। ऐसा लगता है कि वो मुझे संसद में नहीं बोलने देंगे।’’

राहुल गांधी ने संसद में उठाए सवालों को फिर से सामने रखा और कहा, ‘‘मुख्य मुद्दा है कि नरेंद्र मोदी जी और अडाणी जी के बीच का क्या रिश्ता है और शेल कंपनियों में किसका पैसा है?’’ उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री उनके सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार चौथे दिन हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, प्रह्लाद जोशी, अनुराग ठाकुर और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने एक बार फिर से राहुल गांधी को निशाने पर लिया और कहा कि कांग्रेस नेता को देश से माफी मांगनी चाहिए।

हाल ही में लंदन में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि भारतीय लोकतंत्र के ढांचे पर ‘‘बर्बर हमला’’ हो रहा है। उन्होंने अफसोस जताया था कि अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के लोकतांत्रिक हिस्से इस पर ध्यान देने में नाकाम रहे हैं। राहुल ने अपने व्याख्यान में यह आरोप भी लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को नष्ट कर रहे हैं। ज्ञात हो कि संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत से ही सत्ता पक्ष के सदस्य लंदन में राहुल गांधी द्वारा भारतीय लोकतंत्र के संबंध में की गई टिप्पणी को लेकर उनसे माफी की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने कहा है कि राहुल गांधी के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता है। क्योंकि उन्होंने भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ नहीं, बल्कि इसे मजबूत बनाने वाले बयान दिए हैं।

सिसोदिया के खिलाफ ‘झूठे मामलें चलाने’ की योजना 

सिसोदिया के खिलाफ ‘झूठे मामलें चलाने’ की योजना 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को लंबे समय तक जेल में रखने के लिए उनके खिलाफ ‘‘कई झूठे मामलें चलाने’’ की योजना बना रहे हैं। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के दिल्ली सरकार की फीडबैक इकाई (एफबीयू) से जुड़े एक मामले में दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद केजरीवाल ने यह बात कही। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘ प्रधानमंत्री की योजना मनीष के खिलाफ कई झूठे मामले चलाने और उन्हें लंबे समय तक हिरासत में रखने की है।’’

सीबीआई के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों, स्वायत्त निकायों, संस्थानों के कामकाज के बारे में प्रासंगिक जानकारी तथा कार्रवाई योग्य प्रतिक्रिया एकत्र करने और किसी को ‘‘फंसाने की मंशा’ से 2015 में फीडबैक इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था। एजेंसी ने कहा कि वर्ष 2016 में गोपनीय सेवाओं पर होने वाले खर्च के मद से एक करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में मंत्रिमंडल की एक बैठक में प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन इसका मकसद उसमें स्पष्ट नहीं किया गया।

फीडबैक इकाई में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी। सीबीआई ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के एक खुलासे पर जांच शुरू की। सतर्कता विभाग ने फीडबैक इकाई में अनियमितताओं का पता लगाया था।

वित्त वर्ष 2023-24 में अर्थव्यवस्था के बढ़ने की उम्मीद 

वित्त वर्ष 2023-24 में अर्थव्यवस्था के बढ़ने की उम्मीद 

अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग 

नई दिल्ली/मुंबई। देश की अर्थव्यवस्था के अगले वित्त वर्ष 2023-24 में छह प्रतिशत की धीमी रफ्तार से बढ़ने का उम्मीद है। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने बृहस्पतिवार को यह अनुमान लगाया है। क्रिसिल का यह अनुमान अर्थव्यवस्था की वृद्धि के बारे में लगाए गए अन्य आकलन के समान है। एजेंसी का मानना है कि अगले पांच वित्त वर्ष में भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहेगी। क्रिसिल ने आगे कहा कि अगले वित्त वर्ष में कंपनियों की आय में दो अंकीय वृद्धि हो सकती है। वहीं राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने की संभावना जताई है। ज्यादातर विश्लेषक इसे एक महत्वाकांक्षी आंकड़ा मान रहे हैं। सात प्रतिशत की कुल वृद्धि दर के लिए अर्थव्यवस्था को चालू वित्त वर्ष की मौजूदा तिमाही में 4.5 से अधिक की दर से बढ़ना होगा।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने अपने वार्षिक वृद्धि अनुमान में कहा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, लगातार ऊंची मुद्रास्फीति और इसका मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी ने वैश्विक परिवेश को और अधिक निराशाजनक बना दिया है। उन्होंने कहा कि मई, 2022 से नीतिगत दर रेपो में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि का प्रभाव अगले वित्त वर्ष में अधिक देखने को मिलेगा। ऊंचे आधार प्रभाव की वजह से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अगले वित्त वर्ष में औसतन पांच प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में यह करीब 6.8 प्रतिशत रहेगी। हालांकि, रबी की अच्छी फसल से खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी, जबकि धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था से मुख्य मुद्रास्फीति नरम होगी।

एजेंसी के प्रबंध निदेशक अमीश मेहता ने कहा कि देश की मध्यम अवधि की वृद्धि संभावनाएं बेहतर हैं। हमें उम्मीद है कि अगले पांच वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसतन सालाना वृद्धि दर 6.8 रहेगी।

कंपनी 'पीएफएल' के प्रवर्तकों के शेयरों पर रोक

कंपनी 'पीएफएल' के प्रवर्तकों के शेयरों पर रोक

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। शेयर बाजार एनएसई और बीएसई ने बाबा रामदेव की अगुवाई वाले पतंजलि समूह की कंपनी पतंजलि फूड्स लिमिटेड (पीएफएल) के प्रवर्तकों के शेयरों पर रोक लगा दी है। हालांकि कंपनी ने कहा कि इस फैसले का उसके कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पतंजलि फूड्स लिमिटेड (जो पहले रुचि सोया इंडस्ट्रीज थी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि कंपनी में उसके प्रवर्तकों की शेयरधारित पर रोक लगाने से उसकी वित्तीय स्थिति और कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

पीएफएल ने बृहस्पतिवार को बताया कि बीएसई और एनएसई ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, आचार्य बालकृष्ण, पतंजलि परिवहन और पतंजलि ग्रामोद्योग न्यास समेत समेत उसकी 21 प्रवर्तक इकाइयों के शेयरों के लेनदेन पर न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों का पालन नहीं करने की वजह से रोक लगा दी है। प्रतिभूति संविदा (विनियमन) नियम, 1957 का नियम 19ए(5) एक सूचीबद्ध इकाई के लिए 25 प्रतिशत की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) रखने को अनिवार्य बनाता है। पतंजलि फूड्स ने बताया कि उसके प्रवर्तक न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारित को हासिल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और इस बारे में विचार-विमर्श किया जा रहा है।

उसने कहा कि कंपनी के प्रवर्तकों को पूरा भरोसा है कि वे अगले कुछ महीनों में अनिवार्य एमपीएस प्राप्त कर लेंगे। मौजूदा समय में कंपनी के 19.18 प्रतिशत शेयर सार्वजनिक शेयरधारकों के पास हैं और एमपीए को हासिल करने के लिए सार्वजनिक शेयरधारिता में 5.82 प्रतिशत की बढ़ोतरी उसे करनी होगी। शेयरों पर रोक के इस आदेश से कुल 29,25,76,299 इक्विटी शेयर प्रभावित होंगे। 

'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ

'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ  गणेश साहू  कौशाम्बी। मुख्य विकास अधिकारी अजीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बुधवार को जिल...