आज मनाया जाएगा 'होली' का त्यौहार, जानिए
सरस्वती उपाध्याय
होली का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष 7 मार्च को होलिका दहन होगा और 8 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी। जब भी रंगों के त्योहार होली के धार्मिक महत्व की बात आती है, तो सबसे पहले मन में भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका का जिक्र किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार से जुड़ी और भी कई पौराणिक कथाएं हैं। आज हम आपको देवलोक पर खेली गई पहली होली के बारे में बताते हैं।
संसार की पहली होली...
होली के त्योहार की पौराणिकता भगवान शंकर और भगवान विष्णु दोनों से जुड़ी है। हरिहर पुराण की कथा कहती है कि संसार की पहली होली देवाधिदेव महादेव ने खेली थी, जिसमें प्रेम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति थीं। यह कहानी कहती है कि जब भगवान शंकर कैलाश पर अपनी समाधि में लीन थे तब तारकासुर के वध के लिए कामदेव और रति ने शिव को ध्यान से जगाने के लिए नृत्य किया था।
रति और कामदेव के नृत्य से भगवान शिव की समाधि भंग हुई तो भगवान शंकर ने अपनी क्रोध की अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया। रति ने प्रायश्चित में विलाप किया तो अति दयालु भगवान शंकर ने कामदेव को पुन: जीवित कर दिया। इससे प्रसन्न होकर रति और कामदेव ने ब्रजमंडल में ब्रह्म भोज का आयोजन किया जिसमें सभी देवी देवताओं ने हिस्सेदारी की। रति ने चंदन की टीका लगाकर खुशी मनाई थी। कहते हैं कि ये फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था।
ऐसे खेलें होली...
यदि आप दिशाओं को ध्यान में रखकर रंग खेलेंगे तो ये आपके लिए बहुत लाभकारी हो सकता है। आपका घर पूर्वमुखी है और आप इस दिशा में होली खेल रहे हैं तो घर में सौहार्दपूर्ण वातावरण के विकास एवं मान-सम्मान में वृद्धि के लिए सात्विक और ऊर्जा प्रदान करने वाले रंग जैसे लाल,पीला,हरा,गुलाबी,नारंगी आदि का इस्तेमाल समृद्धि को बढ़ाता है। उत्तर मुखी घर के लिए पीले,हरे,आसमानी और नीले रंगों का प्रयोग इस दिशा में होली खेलने के लिए बहुत शुभ माने गए है। ऐसा करने से आप अपने जीवन में स्पष्टता और उन्नति के नए अवसरों को आमंत्रित कर सकते हैं। दक्षिण मुखी घर मेंआप गहरा लाल,नारंगी,गुलाबी एवं बैंगनी रंगों का प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकार से खेली गई होली आपके जीवन में सुरक्षा, यश एवं आत्मविश्वास को बढ़ाने में मददगार साबित होगी। और यदि आपका घर पश्चिम मुखी है तो सुनहरे, हल्के नीले एवं सफ़ेद रंगों का इस्तेमाल करआप अपने जीवन में लाभ एवं प्राप्तियों को आमंत्रित कर सकते हैं।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त...
होलिका दहन तिथि- 07 मार्च 2023, मंगलवार
होलिका दहन शुभ मुहूर्त- 06 मार्च, 2023 को शाम 04 बजकर 17 मिनट से 07 मार्च, 2023 को शाम 06 बजकर 09 मिनट तक।
कैसे किया जाता है होलिका दहन...
होलिका दहन में किसी पेड़ की शाखा को जमीन में गाड़कर उसे चारों तरफ से लकड़ी, कंडे या उपले से ढक दिया जाता है। इन सारी चीजों को शुभ मुहूर्त में जलाया जाता है। इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेंहू की नई बालियां और उबटन डाले जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे साल भर व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति हो और सारी बुरी बलाएं इस अग्नि में भस्म हो जाती हैं।होलिका दहन पर लकड़ी की राख को घर में लाकर उससे तिलक करने की परंपरा भी है। होलिका दहन को कई जगह छोटी होली भी कहते हैं।