समिति ने रेपो रेट को 6.50% करने का फैसला किया
अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग
नई दिल्ली/मुंबई। भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.50% करने का फैसला किया है। मई 2022 के बाद से रेपो रेट में यह लगातार छठी बढ़ोतरी है। गौरतलब है कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई, बैंकों को कर्ज़ देता है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, वित्त वर्ष 2023-2024 में रियल GDP ग्रोथ 6.4% की संभावना है। उन्होंने कहा, 2023-24 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति औसतन 5.6% रहने की उम्मीद है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुख्य रूप से महंगाई को काबू में लाने के उद्देश्य से बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार फिर नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इससे मुख्य नीतिगत दर बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो गई है।
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है। वहीं अगले वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है।आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। रेपो दर वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इसमें वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल माध्यम से प्रसारित बयान में कहा, मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।
उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया। हालांकि, रेपो दर में वृद्धि की यह गति पिछली पांच बार की वृद्धि के मुकाबले कम है और बाजार इसकी उम्मीद कर रहा था। आरबीआई मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस साल मई से लेकर अबतक कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।
इससे पहले, मई में रेपो दर 0.40 प्रतिशत तथा जून, अगस्त तथा सितंबर में 0.50-0.50 प्रतिशत तथा दिसंबर में 0.35 प्रतिशत बढ़ायी गयी थी। केंद्रीय बैंक नीतिगत दर पर निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर गौर करता है।
नीतिगत दरों में छठवीं बार वृद्धि, घर-कार ऋण होगा महंगा
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने महंगाई को लक्षित दायरे में रखने के उद्देश्य से आज लगातार छठवीं बार नीतिगत दरों में बढोतरी की जिससे घर, कार और अन्य ऋण अब और महंगे हो जायेंगे। आरबीआई ने गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति की बुधवार को समाप्त हुयी तीन दिवसीय बैठक के बाद यह घोषणा की।दास ने घोषणा करते हुये कहा कि अक्टूबर 2022 के बाद दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई में तेजी से नरमी आयी है, जो विशेषकर खाद्य पदार्थों की कीमतों के घटने से हुआ है। उन्होंने कहा कि छह सदस्यीय समिति में से चार सदस्यों ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढोतरी किये जाने के पक्ष में मतदान किया जबकि दो ने इसके विरोध में। इस तरह से बहुमत के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही समिति ने विकास को गति देने तथा महंगाई को लक्षित दायरे में बनाये रखने के पक्ष में ये निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि मध्यावधि में विकास को गति देते हुये खुदरा महंगाई को चार प्रतिशत के लक्षित दायरे में रखने के उद्देश्य निर्णय लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि उनके साथ ही डॉ. शशांक भिड़े, डॉ राजीव रंजन और डॉ. माइकल देबब्रत ने रेपो दर में बढोतरी और समायोजन की नीति को वापस लेने का पक्ष लिया जबकि डॉ. असीमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने इसके विरोध में मतदान किया।
कोरोना महामारी के बाद रिजर्व बैंक ने महंगाई को काबू में करने के उद्देश्य से लगातार छठवीं बैठक में रेपो दर में बढोतरी की है। इससे आम लोगों के लिए घर, कार और अन्य प्रकार के ऋण अब महंगें हो जायेंगे क्योंकि अब तक जितनी बार रेपो दर में बढोतरी की गई है। बैंकों ने इसका भार उपभोक्ताओं पर डाला है।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की बुधवार को पेश द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक की मुख्य बातें इस प्रकार हैं...
प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत किया गया। मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मत दिया। चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर के सात प्रतिशत रहने का अनुमान। 2023-24 में वृद्धि दर घटकर 6.4 प्रतिशत रहेगी। मौद्रिक नीति समिति उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान देने के पक्ष में। ...खुदरा मुद्रास्फीति चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान।
चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत पर रहेगी। अगले वित्त वर्ष में इसके घटकर 5.3 प्रतिशत पर आने का अनुमान। बीते साल और इस वर्ष अभी तक अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना में रुपये में कम उतार-चढ़ाव। ....चालू खाते का घाटा 2022-23 की दूसरी छमाही में नीचे आएगा। दुकानों पर भुगतान के लिए भारत आने वाले यात्रियों को भी यूपीआई सुविधा देने का प्रस्ताव। शुरुआत में यह सुविधा जी20 देशों के यात्रियों को मिलेगी।