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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
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1. अंक-118, (वर्ष-06)
2. बुधवार, फरवरी 8, 2023
3. शक-1944, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-तीज, विक्रमी सवंत-2079।
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सोमवार, 6 फ़रवरी 2023
तुर्की-सीरिया में भूकंप, 2300 से अधिक लोगों की मौंत
तुर्की-सीरिया में भूकंप, 2300 से अधिक लोगों की मौंत
डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत
अंकारा/डमस्कस। दक्षिण-पूर्वी तुर्की और दक्षिणी सीरिया में सोमवार को आए 7.8 की तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप में 2300 से अधिक लोगों की मौंत हो गई। भूकंप से सैकड़ों इमारतों को नुकसान पहुंचा है। हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है, क्योंकि बचावकर्मी अब भी प्रभावित इलाकों में मलबे में फंसे लोगों की तलाश में जुटे हैं। सीमा के दोनों ओर भूंकप का झटका सूर्योदय से पहले महसूस हुआ और लोगों को सर्दी तथा बारिश के बावजूद बाहर आना पड़ा। भूकंप से कई इमारतें ध्वस्त हो गई हैं और भूकंप उपरांत झटके अब भी महसूस किए जा रहे हैं। विभिन्न शहरों में बचावकर्मी और निवासी ध्वस्त हुई इमारतों से जिंदा लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
भूकंप में ध्वस्त हुए तुर्किये के एक अस्पताल और सीरिया के गिने-चुने अस्पतालों से नवजातों सहित मरीजों को सुरक्षित बाहर निकालना पड़ा। तुर्किये के शहर अदाना के एक निवासी ने बताया कि उसके आसपास की तीन इमारतें ध्वस्त हो गई हैं। पत्रकारिता के छात्र मुहम्मद फतीह यवुज ने बताया कि मलबे में जिंदा फंसे एक व्यक्ति ने बचावकर्मियों द्वारा निकाले जाने की कोशिश के दौरान कहा, ‘‘अब मुझमें कोई ताकत नहीं बची है।’’
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने कहा, ‘‘भूकंप वाले क्षेत्र में कई इमारतों का मलबा को हटाने का काम जारी है, हम नहीं जानते कि मृतकों और घायलों की संख्या कितनी बढ़ेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि हम इस विपदा वाले दिन को हमारी एकता और देश के प्रति एकजुटता पीछे छोड़ देगी।’’ भूकंप का केंद्र तुर्किये का दक्षिण पूर्वी प्रांत कहरमनमारस था और झटके दूर काहिरा तक महसूस किए गए। दमिश्क में भी लोगों को भूकंप की वजह से सड़कों पर आना पड़ा और बेरूत में जब झटके महसूस हुए, तब लोग सो रहे थे। भूकंप सीरिया के उस क्षेत्र में आया, जहां एक दशक से अधिक समय से गृह युद्ध जारी है और प्रभावित इलाका सरकार और विद्रोहियों में बंटा हुआ तथा उनके चारों ओर रूस समर्थित सरकारी सेनाएं तैनात हैं।
वहीं, तुर्की वाले इलाके में संघर्ष की वजह से लाखों शरणार्थी बसे हुए हैं। विरोधियों के कब्जे वाले सीरियाई इलाके में लड़ाई की वजह से विस्थापित 40 लाख लोग रह रहे हैं। इनमें से कई उन इमारतों में रह रहे थे, जो पहले से ही बमबारी की वजह से क्षतिग्रस्त थे। व्हाइट हेलमेट नामक विपक्षी आपात संगठन ने एक बयान में कहा कि सैकड़ों परिवार मलबे में दबे हैं। बचावकर्मियों ने बताया कि पहले ही संसाधनों की किल्लत से जूझ रहे चिकित्सा केंद्र और अस्पताल जल्द घायलों से भर गए। एसएमएस चिकित्सा संगठन के मुताबिक सैन्य अस्पताल सहित कई अस्पतालों को खाली कराया गया है। यह इलाका प्रमुख भूकंप संभावित क्षेत्र में पड़ता है और वर्ष 1999 में उत्तर पश्चिमी तुर्की में आए इसी तरह के शक्तिशाली भूकंप में करीब 18 हजार लोगों की मौत हुई थी।
अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण के अनुसार, भूकंप का केंद्र गजियांतेप से करीब 33 किलोमीटर दूर 18 किलोमीटर की गहराई पर था। प्रांतों में इसके झटके महसूस किए गए। सर्वेक्षण के मुताबिक, कुछ घंटे के बाद 7.5 तीव्रता का एक और भूकंप महसूस किया गया, जिसका केंद्र पूर्व के केंद्र से महज 100 किलोमीटर दूर था। तुर्किये की आपदा प्रबंधन एजेंसी ने बताया कि यह अलग भूकंप था और झटके के बाद दर्जनों और झटके आने की आशंका है।
एजेंसी के ओरहान ततार ने संवाददाताओं को बताया कि दो झटकों के बाद सैकड़ों झटकों की आशंका है। सीरिया के अलेप्पो और हामा शहर से लेकर तुर्की के दियारबाकीर तक हजारों इमारतों के ध्वस्त होने की सूचना है। राष्ट्रपति ने बताया कि भूकंप से करीब 3000 इमारतें ध्वस्त हो गई हैं। उपराष्ट्रपति ने बताया कि भूमध्य सागरीय तटीय शहर इस्कानदेरोन में एक अस्पताल ध्वस्त हो गया, लेकिन हताहतों की संख्या की तत्काल जानकारी नहीं मिली है।
तुर्की के टेलीविजन स्टेशन ने तस्वीरें प्रसारित की हैं, जिनमें उनके स्टूडियो में रखी टीवी की स्क्रीन चार या पांच टुकड़ों में बट गई। कहरमनमारस शहर में बचाव कर्मियों ने दो बच्चों को जिंदा मलबे से निकाला है और तस्वीरों में दिख रहा है कि बर्फ से ढके मैदान में उन्हें स्ट्रेचर पर लिटाया गया है। अब तक तुर्किये की मदद के लिए दर्जनों देशों के अलावा यूरोपीय संघ और नाटो ने पेशकश की है और तलाशी व बचाव दल से लेकर चिकित्सा और धन भेज रहे हैं।
नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी में प्राकृतिक खतरे के विशेषज्ञ डॉ. स्टीवन गॉडबाई ने कहा कि प्रभावित इलाकों से जो तस्वीरें आ रही हैं, उससे प्रतीत होता है कि उल्लेखनीय जान की हानि हुई है, इलाके में सर्दी और गृह युद्ध ने बचाव कार्य में लगे कर्मियों की जटिलता बढ़ा दी है। तुर्किये में लोग भूकंप प्रभावित इलाकों को छोड़कर बाहर जाना चाहते हैं जिसकी वजह से यातायात जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है और आपात टीम को घटनास्थलों पर पहुंचने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकारियों ने लोगों से सड़कों पर नहीं आने की अपील की है। इलाके की मस्जिदों को उन लोगों के लिए खोल दिया गया है जिनके घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं, क्योंकि इलाके में तापमान शून्य के करीब है। भूकंप की वजह से गैजियांतेप की पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक कैसल को नुकसान पहुंचा है। किले की दीवार और निगरानी स्तंभों को भारी नुकसान पहुंचा है। वहीं, उत्तर-पश्चिमी सीरिया में कब्जे वाले इदलिब प्रांत में भूकंप ने एक नया संकट खड़ा कर दिया, जो पहले ही कई वर्षों से रूसी और सरकार के हवाई हमलों को झेल रहा है।
यह क्षेत्र भोजन से लेकर चिकित्सकीय आपूर्ति तक हर चीज के लिए तुर्की पर निर्भर है। सभी राहत सामग्री तुर्किये के रास्ते ही इदलिब पहुंचती है। उत्तर पश्चिमी सीरिया में विपक्ष के ‘सीरियन सिविल डिफेंस’ ने विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्र में स्थिति को ‘‘विनाशकारी’’ बताते हुए कहा कि इमारतें ढहने से कई लोग मलबे में दब गए हैं। तुर्किये की सीमा के नजदीक सीरियाई विद्रोहियों के कब्जे वाले छोटे शहर अजमरिन में कई बच्चों के शव कंबल में लपेटकर अस्पताल लाए गए हैं।
सीरिया के पुरातत्व व संग्रहालय महानिदेशक ने बताया कि भूकंप की वजह से ईसाई धर्मयोद्धाओं द्वारा निर्मित मरकब या निगरानी दुर्ग की दीवारें, मीनार और कुछ अन्य दीवारें ध्वस्त हो गईं, जिनसे प्राचीन काल में भूमध्य सागर पर नजर रखी जाती थी। तुर्किये के मुताबिक, भूकंप से देश के 10 प्रांतों में 1500 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 8500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। सीरिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, सीरिया में भूकंप से मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 430 हो गई है और करीब 1280 अन्य घायल हुए हैं। व्हाइट हेलमेट के मुताबिक, सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके में कम से 380 लोगों की मौत हुई है।
हालांकि, एसएएमएस ने मृतकों की संख्या 135 बताई है। दोनों संगठनों ने घायलों की संख्या सैकड़ों बताई है। सीरिया की राजधानी दमिश्क में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए और लोग भय के चलते सड़कों पर आ गए। लेबनान में भी लोगों ने करीब 40 सेकंड तक कंपन महसूस किया। लेबनान की राजधानी बेरूत में कई लोग घरों से बाहर निकल आए और कार की मदद से इमारतों से दूर चले गए। तुर्किये के हतय प्रांत के विधायक हुसैन यायमन ने बताया कि उनके परिवार के कई सदस्य ध्वस्त मकान के मलबे में दब गए हैं। उन्होंने हबेरतुर्क टेलीविजन चैनल को बताया, ‘‘कई लोग मलबे में दबे हैं। कई इमारतें ध्वस्त हो गई हैं। और लोग बारिश व सर्दी के बीच सड़कों पर हैं।’’
कालातीत ऋणों की वसूली के लिए योजना लागू
कालातीत ऋणों की वसूली के लिए योजना लागू
पूर्ववर्ती जिला सहकारी कृषि एवं विकास बैंक द्वारा वितरित कालातीत ऋणों के लिए एकमुश्त समझौता योजना लागू
जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित किया, प्रयास हुआ सफल
दुष्यंत टीकम
रायपुर। पूर्ववर्ती जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक द्वारा वितरित कालातीत ऋणों की वसूली के लिए एकमुश्त समझौता योजना लागू की गई है। यह योजना रायपुर जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष पंकज शर्मा के प्रयासों से लागू हो पाई है। उनके साथ-साथ ग्रामीण विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा एवं अपेक्स बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री पंकज शर्मा अध्यक्ष बनने के पूर्व से ही इस योजना को लागू करने प्रयासरत थे। उन्होंने योजना को लागू कराने बार-बार पंजीयक को पत्र लिखा एवं मुख्यमंत्री से भी मुलाकात के दौरान गुजारिश की, जिसमें उन्हें सफलता मिली है। उन्होंने योजना को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं सहकारिता मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को धन्यवाद ज्ञापित किया है। आपको बता दें कि जिला सहकारी बैंक में 2014 से जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक मर्ज हो गया है।
वहीं, ग्रामीण विकास बैंक में लगभग रायपुर जिला सहकारी बैंक के अंतर्गत धमतरी ,बालौदा बाजार, महासमुंद, रायपुर, गरियाबंद, सारंगढ़ में 3 हजार किसानों के ऋण बकाया है। यह ऋण किसानों द्वारा ट्रैक्टर खरीदने या फिर मोटर पंप खरीदने के लिए लिया गया था। ऋण प्रावधान के अंतर्गत चक्रवृद्धि ब्याज के साथ हर वर्ष बढ़ रहा था और किसानों के ऊपर बोझ भी बढ़ रहा था। इसके चलते 3 हजार किसान ना तो सोसाइटी से खाद खरीद पा रहे हैं और नहीं सोसाइटी में अपना धान बेच पा रहे हैं। किसानों को डर है कि यदि वह सोसाइटी में धान बेचेंगे तो उनके ऋण का पैसा कट जाएगा वही किसानों पर बोझ कम करने और ऋण भी किसानों द्वारा पटाया जा सके। इसके लिए जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष पंकज शर्मा द्वारा वन टाइम सेटेलमेंट योजना लागू करने सरकार से मांग की गई, जिसे सरकार ने लागू करने की सहमति दे दी है।
अब इससे किसान आसानी से पुराने कर्ज को पटा पाएंगे। उन्हें 6% के हिसाब से ही पुराने कर्ज का ब्याज पटाना होगा। इसके साथ ही किसान यदि ऋण एक किस्त में भुगतान नहीं कर सकता तो उसे समझौता के अंतर्गत 15 दिवस के भीतर कम से कम 25% राशि तथा शेष राशि 10 माह के भीतर 10 समान किस्तों में जमा करना होगा।
एससी: चंद्रचूड़ ने 5 न्यायाधीशों को शपथ दिलाई
एससी: चंद्रचूड़ ने 5 न्यायाधीशों को शपथ दिलाई
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को पांच न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शीर्ष अदालत सभागार में आयोजित एक समारोह में उच्च न्यायालयों के तीन मुख्य न्यायाधीशों और दो न्यायाधीशों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज मिथल, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी वी संजय कुमार, पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा को शपथ दिलाई गई।
इन पांचों न्यायाधीशों के पदभार ग्रहण करने के साथ ही शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 32 हो गई है। इस अदालत के लिए स्वीकृत न्यायाधीशों की संख्या 34 है। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 13 दिसंबर 2022 को न्यायमूर्ति मिथल, न्यायमूर्ति करोल, न्यायमूर्ति कुमार, न्यायमूर्ति अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति मिश्रा को पदोन्नत कर शीर्ष अदालत में न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति के बाद केंद्र सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय ने शनिवार को पांचों न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित अधिसूचनाएं जारी की थीं। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की ओर से दो अन्य उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने की सिफारिशें केंद्र सरकार के समक्ष लंबित हैं। कॉलेजियम ने 31 जनवरी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की भी सिफारिश की थी।
गंगा नदी का पानी स्नान के लिए उपयुक्त बनाना 'लक्ष्य'
गंगा नदी का पानी स्नान के लिए उपयुक्त बनाना 'लक्ष्य'
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के पानी को स्नान के लिए उपयुक्त बनाना है, पीने के लिए नहीं। जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडु ने कहा कि नदी संरक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य खुले में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता को लेकर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित मानदंडों को पूरा करना है न कि पेयजल की गुणवत्ता को।
उन्होंने कहा, ‘‘सतही जल को, जिसमें नदियों का जल भी शामिल है; पीने योग्य या मानव उपभोग के लिए उपयुक्त बनाने के लिए आवश्यक उपचार व शुद्धिकरण से गुजारा जाना अपेक्षित है।’’ उन्होंने कहा कि गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों को फिर से जीवंत करने की खातिर 31 मार्च, 2021 तक की अवधि के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम जून 2014 में शुरू किया गया था।
कार्यक्रम को बाद में 31 मार्च, 2026 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। मंत्री ने कहा कि 2014-15 से 31 दिसंबर 2022 तक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को कुल 13,709.72 करोड़ रुपये जारी किए गए थे, जिनमें 13,245.68 करोड़ रुपये राज्य सरकारों, स्वच्छ गंगा राज्य मिशनों और अन्य एजेंसियों को गंगा संरक्षण से संबंधित परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए वितरित किए गए हैं।
समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान और जनता दल (यू) के रामनाथ ठाकुर ने सवाल किया था कि हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी गंगा नदी का पानी ‘‘पीने योग्य या नहाने योग्य’’ नहीं होने के क्या कारण हैं? मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो के जरिए पांच राज्यों में 97 स्थानों पर गंगा नदी के जल की गुणवत्ता का आकलन कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ 2022 (जनवरी से अक्टूबर) के लिए सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, गंगा नदी की जल गुणवता इंगित करती है कि घुलित ऑक्सीजन (डीओ)जो नदी के स्वास्थ्य का एक संकेतक है, को अधिसूचित प्राथमिक स्नान जल गुणवत्ता मानदंड की स्वीकार्य सीमा के भीतर पाया गया है।
अडानी समूह के मुद्दे पर राहुल का तीखा हमला
अडानी समूह के मुद्दे पर राहुल का तीखा हमला
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को अडानी समूह के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया और कहा कि श्री मोदी इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होने देने की अपनी ओर से हर संभव कोशिश करेंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गांधी ने यहां कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से अलग से बातचीत में कहा, “ मैं पिछले कुछ सालों से ‘हम दो, हमारे दो’ का मुद्दा उठाता आ रहा हूं।
सरकार 'डर गई' है और संसद में अडानी जी पर चर्चा नहीं चाहती है। ” गौरतलब है कि संसद में विपक्ष हर काम छोड़ कर सबसे पहले अडानी समूह के खिलाफ अमेरिका की एक मंदडिया फर्म हिंडनबर्ग की प्रतिकूल रिपोर्ट के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहा है। केरल के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे गांधी मोदी सरकार की आलोचना में बार-बार कहते रहते हैं 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों का पक्ष ले रहे हैं। उन्होंने कहा, “ मोदी पूरी कोशिश करेंगे कि संसद में अडानी पर चर्चा न हो। इसका कारण सभी जानते हैं।
” उन्होंने कहा, “ मैं पिछले कुछ सालों से इस मुद्दे को उठा रहा हूं। यह लाखों करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार है। इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए।” उन्होंने कहा,“ देश को पता होना चाहिए कि अडानी जी के पीछे कौन सी ताकत है और सब साफ होना चाहिए। ” उल्लेखनीय है कि अडानी मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बीच संसद के दोनों सदनों में आज लगातार तीसरे दिन भी कोई काम नहीं हुआ।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी सत्तारूढ़ भाजपा पर अडानी को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “ हम इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब चाहते हैं। हम (विपक्ष) तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक नरेंद्र मोदी जी चर्चा के लिए सहमत नहीं हो जाते। इस मामले पर सदन में चर्चा होनी चाहिए।
” इससे पहले दिन में, राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सहित विपक्षी सांसदों ने इसी मुद्दे पर संसद भवन में गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया और अडानी मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से या उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यता में जांच कराने की मांग की। प्रदर्शनकारी सदस्य बैनर और तख्तियां लिए थे और मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। इस मुद्दे पर संसद भवन में श्री खड़गे के कार्यालय में विपक्षी दलों की एक बैठक भी हुई।
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