रविवार, 5 फ़रवरी 2023

क्या आपने कभी देखा है तीन सींग वाला सांड ?

क्या आपने कभी देखा है तीन सींग वाला सांड ?

सरस्वती उपाध्याय 

सोशल मीडिया पर आए दिन ऐसे वीडियो वायरल होते रहते हैं, जिन्हे देखने के बाद हमें अपनी आंखों पर यकीन कर पाना मुश्किल होता है। इन दिनों एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक सांड के सिर पर दो नहीं, बल्कि तीन सींग दिखाई दे रहे हैं। वायरल हो रहे इस वीडियो को देखने के बाद आपका भी दिमाग चकरा जाएगा। सांड का यह वीडियो इंटरनेट पर तेजी से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहा है।

आमतौर पर गाय, भैंस, सांड और बकरी के सिर पर दो सींग होते हैं, जिससे वह अपना बचाव करते नजर आते हैं, लेकिन हाल ही में वायरल हो रहे इस वीडियो में एक काले रंग के सांड के सिर पर दो नहीं, बल्कि तीन सींग देखे जा सकते हैं, जिन्हें देखकर यूजर्स भी भौचक्का रह गए हैं। बताया जा रहा है कि, यह वीडियो बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के जटाशंकर धाम का है।

बता दें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर इस वीडियो को हैंडल से शेयर किया गया है। वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा गया है, 'कभी देखा है तीन सींग वाला सांड।' यूं तो इंटरनेट पर अक्सर जानवरों से जुड़े वीडियोज वायरल होते रहते हैं। लेकिन, हाल ही में वायरल यह वीडियो वाकई हैरान कर देने वाला है।

हिमाचल: अपने 10 चुनावी वादों को पूरा करेगी सरकार 

हिमाचल: अपने 10 चुनावी वादों को पूरा करेगी सरकार 

श्रीराम मौर्य 

शिमला/हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को लोगों को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार अपने सभी 10 चुनावी वादों को पूरा करेगी। सुक्खू ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा कार्यों में विश्वास करती है, खोखले वादों में नहीं। अपने गृह जिले हमीरपुर के तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन, मुख्यमंत्री ने लोगों की समस्याओं को सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में चार वर्ष लग जाएंगे क्योंकि पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार राज्य के खजाने पर 11 हजार करोड़ रुपये की देनदारी छोड़ कर गई है।

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हिमाचल की अर्थव्यवस्था को पटरी पर आ जाएगी। भाजपा और उसके नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा,“ पूर्ववर्ती भाजपा सरकार राज्य के खजाने पर 11 हजार करोड़ रुपये की देनदारी छोड़ कर गई है उस कर्ज को चुकाने में समय लगेगा। पांच वर्षों के लिए दस गारंटी दी गई है जिन्हें जल्द ही पूरा किया जाएगा।” सुक्खू ने कहा कि कर्मचारियों की सुविधा के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू की गयी है और कैबिनेट में लिए गए निर्णयों को लागू करना अनिवार्य होता है। उन्होंने कहा,“ ओपीएस को यह जानने के बावजूद लागू किया गया है कि केंद्र सरकार हमारी मदद नहीं करेगी।

सरकार ने इस बात पर विचार करने के बाद ओपीएस लागू किया है कि अगर सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार की ओर से पैसे नहीं मिलते हैं तो उन्हें आगे बढ़ना होगा।” उन्होंने कहा,“ हमीरपुर जिला मेरा गृह जिला है और पूरे जिले में अच्छा काम किया जाएगा। सरकार अभी केवल दो महीने से सत्ता में है और जल्द ही व्यवस्था बदली जाएगी।” मुख्यमंत्री आज सुबह गसोता महादेव और जिले के अन्य क्षेत्रों में गए, जहां लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। उन्होंने भगवान शिव के मंदिर में पूजा की और अपने परिवार और राज्य के लोगों के लिए भगवान का आशीर्वाद मांगा। उनके साथ मंदिर में स्थानीय विधायक आशीष शर्मा भी गए। हमीरपुर से नादौन तक आज लोग अपने मुख्यमंत्री का स्वागत करने के लिए घंटों कतार में खड़े रहे।

लोगों ने मुख्यमंत्री को माला पहनाई और उन पर फूल बरसाए। मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उनके निर्वाचन क्षेत्र नादौन का पहला दौरा था, जहां पर वह दो दिन रहेंगे, लोगों से मिलेंगे और उनकी समस्या सुनेंगे।

कुछ अस्पतालों को 'इंट्रानेजल' की 3 लाख खुराक भेजी 

कुछ अस्पतालों को 'इंट्रानेजल' की 3 लाख खुराक भेजी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारत बायोटेक ने दो दिन पहले कुछ अस्पतालों को अपने ‘इंट्रानेजल’ (नाक से दिया जाने वाला) कोविड-रोधी टीके की तीन लाख खुराक भेजी हैं। कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष कृष्णा एल्ला ने रविवार को यह जानकारी दी। वह यहां एक कार्यक्रम के इतर बोल रहे थे, जिसमें बेंगलुरु में एक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के लिए विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय से संबद्ध ‘मेडिसन ग्लोबल हेल्थ इंस्टिट्यूट’ (जीएचआई) और एल्ला फाउंडेशन के बीच द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। नाक के जरिये दिये जा सकने वाले दुनिया के पहले टीके ‘इनकोवैक’ को 26 जनवरी को लांच किया गया था।

‘इनकोवैक’ की कीमत निजी क्षेत्र के लिए 800 रुपये और भारत सरकार तथा राज्य सरकारों को आपूर्ति के लिए 325 रुपये है। कृष्णा ने कहा, ‘‘हमने दो दिन पहले कुछ अस्पतालों को दुनिया के पहले इंट्रानेजल कोविड-रोधी टीके की तीन लाख खुराक भेजी हैं।’’ इस बीच, भारत बायोटेक के कार्यकारी अध्यक्ष ने भारतीय दवाओं के संबंध में ‘‘एक गुणवत्ता, एक मानक’’ सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य दवा नियामक निकायों को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के साथ विलय करने का भी सुझाव दिया। पिछले कुछ महीनों में भारतीय दवाओं की गुणवत्ता को लेकर उठाए जा रहे सवालों की पृष्ठभूमि में रविवार को उनकी यह टिप्पणी आई है।

ताजा उदाहरण शुक्रवार का है, जब तमिलनाडु स्थित ‘ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर’ ने अमेरिका में कथित रूप से आंख की रोशनी जाने से जुड़े मामले में अपने सभी ‘आई ड्रॉप’ को वापस लेने का कदम उठाया। इससे पहले, पिछले साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर भारत निर्मित ‘कफ सीरप’ पीने से बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। कृष्णा एल्ला ने कहा कि कुछ मामलों के लिए पूरे भारतीय दवा उद्योग को बदनाम नहीं किया जा सकता है।

'राष्ट्रपति' मुशर्रफ का पार्थिव शरीर पाक लाया जाएगा 

'राष्ट्रपति' मुशर्रफ का पार्थिव शरीर पाक लाया जाएगा 

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 

इस्लामाबाद/आबूधाबी। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ (सेवानिवृत्त) का पार्थिव शरीर पाकिस्तान लाया जाएगा। खबरों में यह जानकारी दी गई है। दुबई में देश के महावाणिज्य दूतावास ने रविवार को पूर्व सैन्य शासक का पार्थिव शरीर उनके देश वापस भेजने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किया। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध की साजिश रचने वाले मुशर्रफ का रविवार को एक लाइलाज बीमारी से वर्षों तक जूझने के बाद दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। मुशर्रफ पाकिस्तान में अपने खिलाफ आपराधिक आरोपों से बचने के लिए 2016 से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रह रहे थे। 

रिपोर्ट के अनुसार, मुशर्रफ के परिवार ने दुबई में पाकिस्तानी वाणिज्य दूतावास में एक आवेदन दायर कर उनके पार्थिव शरीर को दफनाने के लिए पाकिस्तान ले जाने की अनुमति मांगी थी। खबर के अनुसार, मुशर्रफ का पार्थिव शरीर पाकिस्तान लाने के लिए एक विशेष सैन्य विमान नूर खान एयरबेस से दुबई के लिए उड़ान भरेगा।

खबर में हालांकि इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। इस बीच खबर के अनुसार, दुबई में पाकिस्तान के महावाणिज्य दूतावास ने उनके पार्थिव शरीर को पाकिस्तान वापस भेजने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया है। समाचार एजेंसी ने महावाणिज्यदूत हसन अफजल खान के हवाले से खबर में कहा, ‘‘हम परिवार के संपर्क में हैं और वाणिज्य दूतावास हर संभव मदद करेगा। वाणिज्य दूतावास ने अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी कर दिया है।’’

पाकिस्तान के पूर्व 'राष्ट्रपति' मुशर्रफ का निधन

पाकिस्तान के पूर्व 'राष्ट्रपति' मुशर्रफ का निधन

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 

इस्लामाबाद/आबूधाबी। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को निधन हो गया। वे 79 साल के थे। पाकिस्तान मीडिया ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। मुशर्रफ लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दुबई के अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था, वहीं उनका निधन हो गया।

लंबे समय से अमाइलॉइडोसिस बीमारी से परेशान थे

मुशर्रफ कई महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उनके परिवार ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए कहा था कि वे अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया है। अब रिकवरी की भी कोई गुंजाइश बाकी नहीं है। मुशर्रफ के परिवार ने 8 महीने पहले मुशर्रफ की यह तस्वीर जारी की थी, तब वे दुबई के अस्पताल में भर्ती थे। मुशर्रफ के परिवार ने 8 महीने पहले मुशर्रफ की एक तस्वीर जारी की थी, तब वे दुबई के अस्पताल में भर्ती थे।

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के मुताबिक, अमाइलॉइडोसिस दुर्लभ और गंभीर बीमारियों का समूह है। इसमें इंसान के शरीर में अमाइलॉइड नाम का असामान्य प्रोटीन बनने लगता है। यह दिल, किडनी, लिवर, नर्वस सिस्टम, दिमाग आदि अंगों में जमा होने लगता है, जिस वजह से इन अंगों के टिशूज ठीक से काम नहीं कर पाते।

सेना में जुड़े मुशर्रफ, 1965 में भारत से लड़े थे युद्ध, पाकिस्तान ने माना वीर

कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 21 साल की उम्र परवेज मुशर्रफ ने बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी जॉइन कर ली। उन्होंने 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ाई लड़ी। ये युद्ध पाकिस्तान हार गया। बावजूद इसके बहादुरी से लड़ने के लिए पाक सरकार की ओर से मुशर्रफ को मेडल दिया गया। 1971 के युद्ध में भी मुशर्रफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिसे देखते हुए सरकार ने उन्हें कई बार प्रमोट किया। 1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने। उन्होंने भारत के खिलाफ़ कारगिल की साजिश रची। लेकिन बुरी तरह से असफल रहे। अपनी जीवनी ‘ ‘इन द लाइन ऑफ फायर – अ मेमॉयर’ में जनरल मुशर्रफ ने लिखा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी। लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए।

जिस नवाज शरीफ ने बनाया सेनाध्यक्ष, उन्हें ही सत्ता से बाहर किया

1998 में तत्कालीन पाक पीएम नवाज शरीफ ने परवेज मुशर्रफ पर भरोसा करके उन्हें पाकिस्तानी सेना का प्रमुख बनाया। लेकिन एक साल बाद ही 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर दिया और पाकिस्तान के तानाशाह बन गए। उनके सत्ता संभालते ही नवाज शरीफ को परिवार समेत पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था।

सत्ता में रहते हुए जनरल मुशर्रफ ने बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वालों के साथ काफी बुरा सुलूक किया। सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी गई। यही कारण है कि सत्ता जाने के बाद में बलूच महिलाओं ने अमेरिका से जनरल मुशर्रफ को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की थी।

राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू 

राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू 

इकबाल अंसारी 

कोलकाता। बीरभूम जिले के मारग्राम में हुए बम विस्फोट में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक कार्यकर्ता की मौत और सत्तारूढ़ पार्टी के पंचायत प्रमुख के भाई के घायल होने के बाद रविवार को राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। घटना में मारे गए न्यूटन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि शनिवार को हुए हमले के लिए कांग्रेस समर्थक जिम्मेदार थे। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मारग्राम में पार्टी की सांगठनिक ताकत बहुत कम है और पार्टी किसी हमले में शामिल नहीं है। बम हमले में न्यूटन शेख की मौत हो गई, जबकि घायल लाल्टू शेख को इलाज के लिए कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल लाया गया।

बीरभूम जिले की सीमा झारखंड से लगे होने के मद्देनजर हमले में माओवादियों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फरहाद हाकिम ने कहा कि पुलिस को सभी पहलुओं की जांच करनी चाहिए। मारग्राम में टीएमसी पंचायत प्रमुख के भाई घायल लाल्टू से मिलने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक बड़ी साजिश है और इन बमों को बनाने के लिए सामग्री के स्रोत की जांच की जानी चाहिए।’’

उन्होंने इस बात से इनकार किया कि घटना टीएमसी में फूट का परिणाम हो सकती है, जैसा कि विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस आरोप लगा रही है। अधीर चौधरी ने कहा कि मारग्राम में कांग्रेस के पास कोई सांगठनिक ताकत नहीं है, यह जानते हुए भी अगर कोई पार्टी को चर्चा में लाना चाहता है तो उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है। चौधरी ने कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि हमलावर और पीड़ित दोनों टीएमसी के हैं।’’

अपने पीछे एक ‘विवादित विरासत’ छोड़ गए है राष्ट्रपति 

अपने पीछे एक ‘विवादित विरासत’ छोड़ गए है राष्ट्रपति 

अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय 

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ अपने पीछे एक ‘‘विवादित विरासत’’ छोड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ 1999 के करगिल युद्ध के सूत्रधार थे। हालांकि, बाद में मुशर्रफ को एहसास हुआ, कि उन्हें अपने देश की स्थिरता के लिए भारत के साथ अच्छे संबंध रखने की जरूरत है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ का रविवार को दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। मुशर्रफ ने 1999 में सैन्य तख्तापलट कर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को गिरा दिया और नौ साल तक देश पर शासन किया।

पाकिस्तान में तैनात रहे पूर्व भारतीय उच्चायुक्त जी. पार्थसारथी और टी.सी.ए. राघवन ने मुशर्रफ की विरासत को ‘‘विवादित’’ बताया और कहा कि उन्होंने करगिल युद्ध के बाद महसूस किया कि अगर भारत के साथ अच्छे संबंध नहीं रखे गए तो पाकिस्तान में कुछ भी बदलाव नहीं आएगा। राघवन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंधों का दौर 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शुरू हुआ था और यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले तक जारी रहा।

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी के अपनी किताब ‘नाइदर ए हॉक, नॉर ए डव’ में किए गए इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि भारत और पाकिस्तान वाजपेयी और मुशर्रफ के बीच 2001 के आगरा शिखर सम्मेलन के दौरान कश्मीर समस्या का समाधान खोजने के करीब थे, राघवन ने कहा, ‘‘ऐसा था और इसमें थोड़ी सच्चाई है।’’ उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि मुशर्रफ के कार्यकाल में भारत-पाकिस्तान संबंधों में उतार-चढ़ाव दोनों देखे गए।

राघवन ने कहा, ‘‘मुशर्रफ करगिल युद्ध के सूत्रधार थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने यह भी महसूस किया कि उन्हें भारत के साथ अच्छे संबंध रखने की जरूरत है और उन्होंने इस संबंध में अच्छी प्रगति की। विशेष रूप से नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करके तथा सीमा पार व्यापार और लोगों की आवाजाही की शुरुआत करके कुछ सकारात्मक कदम उठाए गए। तो यह एक दोहरे प्रकार की विरासत है।’’

पार्थसारथी ने कहा, ‘‘जब मैं उच्चायुक्त था, मैं मुशर्रफ को व्यक्तिगत रूप से जानता था। वह करगिल युद्ध के सूत्रधार थे और उन्हें विश्वास था कि वह करगिल में पूरे पहाड़ी क्षेत्रों पर नियंत्रण करने में सफल होंगे और हमारे संचार तंत्र को प्रभावित कर सकेंगे।’’ उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध में हार के बाद मुशर्रफ को अपने देश में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। पार्थसारथी ने  कहा, ‘‘इस बात को लेकर कुछ संदेह था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को युद्ध के बारे में पूरी जानकारी थी या नहीं।’’

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

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