सोमवार, 23 जनवरी 2023

चेयरमैन ने 'हिंदू युवा वाहिनी' को सम्मानित किया 

चेयरमैन ने 'हिंदू युवा वाहिनी' को सम्मानित किया 

भानु प्रताप उपाध्याय 

शामली। 'हिंदू युवा वाहिनी' जिला शामली के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को निवर्तमान चेयरमैन शामली ने गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। सेंट आरसी पब्लिक स्कूल में स्वागत समारोह आयोजित किया गया। जिसमें हिंदू युवा वाहिनी जिला शामली परिवार द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की सराहना करते हुए निवर्तमान चेयरमैन अरविंद संगल ने वाहिनी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को फूल माला व गोल्ड मेडल से सम्मानित किया।

इस अवसर पर चौधरी जुगमैंदर सिंह, बिट्टू कुमार, चौधरी रविंदर सिंह कालखंडे, अरविंद कौशिक, आशीष निरवाल, प्रदीप निर्वाल, अमित गर्ग, अनुराग गोयल, संत नरेश नाथ योगी, सतपाल बंसल, भानु प्रताप उपाध्याय, मनोज रुहेला, अंकित गर्ग, गौरव पटवारी, मांगेराम नामदेव, सुमित कौशिक पवन गोयल ,निल कौशिक, मणि कंबोज, डॉ राजेंद्र सिंह बालन, रिशपाल मोगा, योगेश रोहिल्ला ,राजेंद्र शर्मा, दीपक पाल, हर्ष वर्मा, दीपक वर्मा, अमित रोहिल्ला, वरुण भारद्वाज, अमरपाल सिंह ,नितिन शर्मा ,विपिन उर्फ वरुण, प्रवीण शर्मा, सुमित जांगिड़, संजीव जांगिड़, जगपाल चौहान, राजेश चौहान, डॉक्टर सौरभ चौहान, कुलदीप जांगिड, आशीष शर्मा आदि उपस्थित थे।

फाउंडेशन के तत्वाधान में बोस की जयंती मनाई

फाउंडेशन के तत्वाधान में बोस की 126वीं जयंती मनाई

गोपीचंद/भानु प्रताप उपाध्याय 

बागपत। सोमवार को सारथी वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वाधान में बिनोली रोड नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ नेताजी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर किया गया। इस मौके पर शिवानी जैन और सीमा अला हवत ने किसी भी महान व्यक्ति को याद करना तभी सार्थक होता है, जब हम उनके कदम पर चले। वंदना गुप्ता ने बच्चों को सम्मानित किया और समझाते हुए कहां हमारे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 126वीं जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई। उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और उनके जीवन गाथा पर चर्चा की गई और इनका जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती देवी था और पिता जी का नाम जानकीनाथ बोस था।

नेताजी ने अंग्रेजों के खिलाफ लडने के लिए जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज गठन किया गया था। नेताजी की विचारधारा देश भक्ति , स्वाभिमान और सहास की भावना बचपन से ही बड़ी प्रबल थी, वे अंग्रेजी शासन का विरोध करने के लिए अपने भारतीय सहपाठियों का भी मनोबल बढ़ाते थे। अपनी छोटी आयु में नेताजी ने यह मान लिया था कि जब तक सभी भारतवासियों को एक जुट होकर अंग्रेजो का विरोध नहीं करेंगे, जब तक हमारा देश आजाद नहीं होगा‌।

नेताजी ने आत्मविश्वास भाव‌ प्रवणता कल्पनाशीलता और नवजागरण के बल पर युवाओ में राष्ट्र के प्रति मुक्ती इतिहास की रचना का मंगल शंखनाद किया गया। नेताजी के लिए स्वाधीनता जीवन मरण का प्रश्न बन गया था। बस यही श्रद्धा, यही आत्मविश्वास, जिसमें ध्वनियां हो वही शक्ति वास्तविक सॄजक है। नेताजी ने पुणॅ स्वाधीनता को राष्ट्र के युवाओं के सामने एक मिशन के रूप में प्रस्तुत किया नेताजी ने युवाओं से आह्वान किया, कि जो इस मिशन में आस्था रखता है वह सच्चा भारतवासी हैं। बस उनके इसी आह्वान पर ध्वजा उठाए और आजादी के दिवानो की आज़ाद हिंद फौज बन गई।

संगीता गुप्ता, रेनू गीता और राकेश ने भी अपने विचार रखे और बच्चों पर सुभाष चंद्र बोस के नारे लगवाए और बाद में बच्चों को खाने का सामान भी वितरण किया। इस मौके पर सारथी वेलफेयर फाउंडेशन की अध्यक्ष वंदना गुप्ता, रेनू गुप्ता, संगीता गुप्ता, शिवानी जैन, राकेश, सीमा, गीता, विकास गुप्ता, अमित जैन, अनिल अरोरा आदि मौजूद रहे।

संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है 'सरकार'

संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है 'सरकार'

इकबाल अंसारी 

तिरुवनंतपुरम। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार वर्तमान में कई चुनौतियों का सामना कर रहे संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। विजयन ने यहां जारी विज्ञप्ति में कहा, हमारी राष्ट्रीय एकता की महत्वपूर्ण नींव और संविधान के मूल ढांचे के हिस्से लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, बहुल मूल्य और संघवाद की रक्षा के लिए हमें विशेष प्रयास करने की जरूरत है। धार्मिक, भाषाई और अन्य क्षेत्रों में आधिपत्य की प्रवृत्ति अपनी एकता को मजबूत करने के लिए विविधता का सम्मान करने वाले लोकतंत्र के निर्माण में बाधा डालती है।

उन्होंने कहा कि एक मजबूत राष्ट्र के लिए एक मजबूत केंद्र, सशक्त राज्यों और सक्रिय रूप से कार्यरत स्थानीय सरकारों की आवश्यकता होती है। राष्ट्र की राजनीति की काया को मजबूत बनाने के लिए ताकतवर अंगों की आवश्यकता होती है। मुख्यमंत्री ने सामाजिक क्षेत्रों में राज्यों की भारी जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होनी चाहिए। उन्हानें कहा कि राज्यों की उधार लेने की सीमा को कम करने के हाल के उपायों से स्वास्थ्य, शिक्षा और ढांचागत क्षेत्रों में उनके हस्तक्षेप का दायरा भी कम हो गया है। श्री विजयन ने कहा कि राजकोषीय अनुशासन को सही तरीके से लागू करने में राज्य सरकारों और केंद्र के लिए अलग-अलग मानदंड नहीं हो सकते हैं।

हमारे संविधान ने संघ और राज्यों के लिए विधायी स्थान प्रदान किया है। राज्यों के विधायी डोमेन में घुसपैठ एक सहकारी संघीय व्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि विधानसभाएं लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है, लिहाजा कानून की भावना और विधायिका की मंशा की रक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता हर मजबूत लोकतांत्रिक समाज की एक प्रमुख विशेषता है। स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया गतिविधियों की रक्षा की जानी है। देश के कुछ हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से प्रेस की आजादी पर अंकुश लगाने के कुछ उदाहरण सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, “मेरी सरकार हमेशा प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

व्यवस्था और पांबदियों से संबंधित परामर्श जारी 

व्यवस्था और पांबदियों से संबंधित परामर्श जारी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को गणतंत्र दिवस परेड के पूर्ण पूर्वाभ्यास (फुल ड्रेस रिहर्सल) और जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित मिलिट्री टैटू और ट्राइबल डांस कार्यक्रम की वजह से यातायात व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए की गई व्यवस्था और लगाई गई पांबदियों से संबंधित परामर्श जारी किया है। यातायात पुलिस के मुताबिक, परेड का पूर्वाभ्यास पूर्वाह्न 10 बजकर 30 मिनट पर विजय चौक से शुरू हुआ और यह कर्तव्य पथ, सी-हेक्सागन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रतिमा गोलचक्कर, तिलक मार्ग, बहादुरशाह जफर मार्ग और नेताजी सुभाष मार्ग होते हुए लाल किले पर संपन्न होगा। परामर्श के मुताबिक, परेड के सुचारु पूर्वाभ्यास के लिए कर्तव्यपथ पर विजय चौक से इंडिया गेट पर रविवार शाम छह बजे से सोमवार को परेड संपन्न होने तक वाहनों की आवाजाही पर रोक रहेगी।

इसमें कहा गया है कि रफी मार्ग, जनपथ और मानसिंह रोड से कर्तव्यपथ की ओर भी रविवार रात 11 बजे से लेकर सुबह परेड खत्म होने तक जाने की अनुमति नहीं है। इंडिया गेट सी-हेक्सागन भी सोमवार सुबह नौ बजकर 15 मिनट से परेड के तिलक मार्ग पर पहुंचने तक बंद है। तिलक मार्ग, बहादुरशाह जफर मार्ग और सुभाष मार्ग सोमवार सुबह 10 बजकर 30 मिनट से यातायात के लिए बंद है। इन मार्गों पर दोनों तरफ से वाहनों की आवाजाही के लिए अनुमति परेड के वहां से आगे बढ़ जाने पर निर्भर करेगी। 

यातायात पुलिस ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे से दोपहर एक बजे तक परेड वाले रास्तों पर जाने से बचे। परेड के पूर्ण पूर्वाभ्यास के दौरान सभी मेट्रो स्टेशनों पर सेवा चालू है, लेकिन केंद्रीय सचिवालय और उद्योग भवन मेट्रो स्टेशनों पर सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक यात्रियों ट्रेन से उतरने या उसमें सवार होने की मनाही है। इस बीच, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में सोमवार और मंगलवार को आयोजित मिलिट्री टैटू एंड ट्राइबल डांस कार्यक्रम के मद्देनजर इन दो दिनों के लिए यातायात परामर्श जारी किया गया है।

परामर्श में कहा गया कि यातायात को सुचारु रखने और दर्शकों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए आयोजन स्थल पर कुछ यातायात पाबंदियां प्रस्तावित की जा रही है। बयान के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय स्वतंत्रता के 75वें साल में गणतंत्र दिवस समारोह के तहत जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में ‘मिलिट्री टैटू एंड ट्राइबल डांस’ उत्सव का सोमवार और मंगलवार को आयोजन कर रहा है। परामर्श में कहा गया कि कुछ पाबंदियों की वजह से लोधी रोड से एंड्रयूगंज फ्लाइओवर तक भीष्म पितामह मार्ग, लोधी रोड, मैक्स मूलर मार्ग, महर्षि रमण मार्ग, आर्चबिशप मार्ग, सुब्रमण्यम भारती मार्ग और लाला लाजपत राय मार्ग गलियारा प्रभावित है। 

पाबंदियों के मद्देनजर यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे इन मार्गों पर सोमवार और मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे से रात नौ बजे तक जाने से बचें। परामर्श में कहा गया कि दर्शकों और एससीओपीई कॉम्प्लेक्स, सीजीओ कॉम्प्लेक्स और आसपास के कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों सहित अन्य यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे सोमवार और मंगलवार को सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें क्योंकि जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम का अपना मेट्रो स्टेशन है, जो दिल्ली मेट्रो की वॉयलट लाइन पर पड़ता है। 

राष्ट्रीय राजधानी में 15 फरवरी तक पैराग्लाइडर, पैरामोटर, मानवरहित हवाई यान (ड्रोन), अत्यंत हल्के यान, रिमोट संचालित यान, हॉट एयर बलून, छोटे आकार के यान, क्वाडकॉप्टर (चार रोटार वाला मानवरहित हेलीकॉप्टर) या विमान से पैरा जंपिंग जैसी गैर पारंपरिक उड़ान गतिविधियों की अनुमति नहीं है।

जज के सामने गुटखा खाकर पेश हुआ वकील

जज के सामने गुटखा खाकर पेश हुआ वकील

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। लोकतंत्र में न्याय का मंदिर न्यायालय को कहा जाता है। जज की कुर्सी एक ऐसी कुर्सी होती है, जिसपर बैठा शख्स न्याय और अनुशासन की प्रतिमूर्ति होता है। उसके सामने हर व्यक्ति एक समान होता है। यहां तक कि प्रधानमंत्री भी, फिर छोटे-मोटे पदों पर बैठे अधिकारियों को तो छोड़ ही दीजिए। कोर्ट में दलील देने वाले वकीलों को भी जज के सामने अनुशासन में ही रहना पड़ता है और अगर कभी उनका अनुशासन डगमगाता है तो फिर जज साहब उन्हें कायदे से समझाते भी हैं और जरूरत पड़ने पर डांट-फटकार भी मिलती है।

फिलहाल सोशल मीडिया पर ऐसे ही एक वकील का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसने कोर्ट में जज साहब के सामने गुटखा खाकर जाने की गलती कर दी। फिर उसे जज साहब ने जो भरपूर डोज दिया, उसे सुनकर यकीनन आपके चेहरे पर मुस्कान बिखर जाएगी।

वीडियो में आप देख सकते हैं कि दो जज अपनी-अपनी कुर्सियों पर विराजमान हैं और सामने दो वकील खड़े होकर किसी केस के सिलसिले में उन्हें दलीलें दे रहे हैं। इसी बीच जज साहब की नजर अचानक एक वकील के दांतों पर पड़ी, तो उन्होंने झट से वकील को ब्रश करके आने की सलाह दे दी। इसपर वकील उन्हें सॉरी बोलता है, लेकिन जज साहब यहीं पर नहीं थमते, बल्कि वो वकील से पूछ ही लेते हैं कि क्या आप कोर्ट में पान खा रहे हैं? इसपर वकील कहता है कि जज साहब वो पान नहीं खा रहे बल्कि गुटखा चबा रहे हैं। फिर क्या, भड़के जज साहब ने उन्हें ऐसी-ऐसी बातें कही कि वो सॉरी-सॉरी की रट लगाने लगे ?

इस मजेदार वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर शेयर किया गया है और कैप्शन में लिखा है, बिन अनुशासन रे मना, सफल न होते काम! जीवन स्तर गिरने लगे, सके न कोई थाम! जगह कोई भी हो, अनुशासन बनाए रखना चाहिए। इसके साथ-साथ वकील साहब पर 5000 का जुर्माना भी लगा दिया।

राज्यपाल कोश्यारी ने पद छोड़ने की इच्छा जताई 

राज्यपाल कोश्यारी ने पद छोड़ने की इच्छा जताई 

अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग 

नई दिल्ली/मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष पद छोड़ने की इच्छा जताई है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपने जीवन का बाकी समय पढ़ने-लिखने समेत अन्य गतिविधियों में बिताना चाहेंगे।

कोश्यारी ने कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री के हालिया मुंबई दौरे के दौरान मैंने सभी राजनीतिक दायित्यों से मुक्त होने और बाकी जीवन पढ़ने-लिखने एवं अन्य गतिविधियों में बिताने की अपनी इच्छा से उन्हें अवगत कराया।’’ राजभवन की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, राज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री से उन्हें हमेशा प्यार और स्नेह मिला तथा वह उम्मीद करते हैं इस संबंध में भी उन्हें वही स्नेह मिलेगा। प्रधानमंत्री गत 19 जनवरी को कई परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्धाटन के लिए मुंबई में थे।

कोश्यारी ने कहा, ‘‘राज्य सेवक या राज्यपाल के रूप में संतों, समाज सुधारकों और बहादुर सेनानियों की धरती महाराष्ट्र जैसे महान राज्य की सेवा करना मेरे लिए पूर्ण सम्मान और सौभाग्य की बात है।’’

महिला का अधिकार, गर्भपात कराना या नहीं ?

महिला का अधिकार, गर्भपात कराना या नहीं ?

कविता गर्ग 

मुंबई। बंबई हाई कोर्ट ने 32 सप्ताह की गर्भवती एक महिला को भ्रूण में गंभीर विसंगतियों का पता लगने के बाद गर्भपात की अनुमति देते हुए कहा है कि महिला को यह तय करने का अधिकार है कि वह गर्भावस्था को जारी रखना चाहती है या नहीं ? न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति एस जी दिगे की खंडपीठ ने 20 जनवरी के अपने आदेश में चिकित्सकीय बोर्ड की इस राय को मानने से इनकार कर दिया कि भले ही भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं, लेकिन गर्भपात नहीं कराया जाना चाहिए, क्योंकि इस मामले में गर्भावस्था का अंतिम चरण है। 

आदेश के प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई। सोनोग्राफी के बाद पता चला था कि भ्रूण में गंभीर विसंगतियां हैं और शिशु शारीरिक एवं मानसिक अक्षमताओं के साथ पैदा होगा, जिसके बाद महिला ने अपना गर्भपात कराने के लिए उच्च न्यायालय से अनुमति मांगी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा, भ्रूण में गंभीर विसंगतियों के मद्देनजर गर्भधारण की अवधि मायने नहीं रखती। याचिकाकर्ता ने सोच-समझकर फैसला किया है। यह आसान निर्णय नहीं है, लेकिन यह फैसला उसका (याचिकाकर्ता का), केवल उसका है। यह चयन करने का अधिकार केवल याचिकाकर्ता को है। यह चिकित्सकीय बोर्ड का अधिकार नहीं है।

अदालत ने कहा कि केवल देर हो जाने के आधार पर गर्भपात की अनुमति देने से इनकार करना न केवल होने वाले शिशु के लिए कष्टकारी होगा, बल्कि उस भावी मां के लिए भी कष्टदायक होगा, और इसकी वजह से कारण मातृत्व का हर सकारात्मक पहलू छिन जाएगा। अदालत ने कहा, कानून को बिना सोचे समझे लागू करने के लिए महिला के अधिकारों से कभी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि चिकित्सकीय बोर्ड ने दंपति की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर गौर नहीं किया। उसने कहा, बोर्ड वास्तव में केवल एक चीज करता है, क्योंकि देर हो गई, इसलिए अनुमति नहीं दी जा सकती। यह पूरी तरह गलत है, जैसा कि हमने पाया है। पीठ ने यह भी कहा कि भ्रूण में विसंगतियों और उनके स्तर का पता भी बाद में चला।

यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई

यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई  संदीप मिश्र  लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन को लेकर उत्तर प्रदेश में भी 7 दिनों के...