शुक्रवार, 20 जनवरी 2023

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


1. अंक-101, (वर्ष-06)

2. शनिवार, जनवरी 21, 2023

3. शक-1944, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-चतुर्दशी, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 07:28, सूर्यास्त: 05:40। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 11 डी.सै., अधिकतम- 20+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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गुरुवार, 19 जनवरी 2023

कौशाम्बी: समिति का उद्घाटन कार्यक्रम संपन्न

कौशाम्बी: समिति का उद्घाटन कार्यक्रम संपन्न


बैरमपुर CLF की समूह की  महिलााओं  के समृद्धि की ओर बढ़ते कदम

कौशाम्बी। विकासखंड सरसावां के ग्राम पंचायत बैरमपुर में 19 जनवरी को संघर्ष महिला प्रेरणा संकुल स्तरीय समिति (सीएलएफ) का उद्घाटन कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें मुख्य विकास अधिकारी डॉ रवि किशोर त्रिवेदी, खंड विकास अधिकारी सतीश कुमार सिंह, एडीओ आईएसबी सतीश कुमार पाण्डेय, ग्राम प्रधान अखिलेश यादव, NRLM से बीएमएम रमेश कुमार सिंह विनोद कुमार मिश्रा सुशील कुमार गुप्ता सुमित कुमार सिंह, ग्राम विकास अधिकारी राजीव कुमार पाल, जनपद फतेहपुर से आई हुई सीनियर आईसीआरपी श्रीमती कांति देवी व श्रीमती मिथिलेश देवी एवं समस्त ग्राम संगठन और समूह के पदाधिकारी व सदस्यों की उपस्थिति में संघर्ष महिला प्रेरणा संकुल स्तरीय संघ का उद्घाटन हर्षउल्लास के साथ किया गया।

CLF में ग्रामपंचायत बैरमपुर, पलरा, सेंगरहा, हटवा, चान्देराई बरुवा आदि से समूह की महिलाएं ने अपनी सहभागिता की। CDO सर द्वारा समूह की महिलाओं को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से आर्थिक एवं सामाजिक रूप से लाभान्वित होने सन्देश दिया गया। CLF के पदाधिकारी अध्यक्ष-श्रीमति प्रमिला सिंह, उपाध्यक्ष श्रीमती राधा देवी सचिव श्रीमती राजकुमारी उपसचिव श्रीमती रानी देवी कोषाध्यक्ष अल्पना देवी को चयनित किया गया है। अब CLF के माध्यम से समूह की दीदियाँ आजीविका संवर्धन का सतत कार्य करेंगी।

अरविंद कुमार मौर्य

बागपत: पुत्र ने बेल्ट से गला घोट कर मां की हत्या की

बागपत: पुत्र ने बेल्ट से गला घोट कर मां की हत्या की


संस्कार हीन बेटे ने मां को उतारा मौत के घाट

गोपीचंद 

बागपत। एक पुत्र ने बेल्ट से गला घोंट कर अपनी माँ की हत्या की। बचाने आए पिता पर भी हमला किया। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। बड़ौत नगर की आवास-विकास कॉलोनी में आपसी कहासुनी को लेकर हुए विवाद में रजत ने अपनी बेल्ट से गला घोट कर अपनी मां की हत्या कर दी और विरोध कर रहे पिता पर भी हमला कर दिया। घटना की सूचना पिता एडवोकेट जितेंद्र सोलंकी की चूकना पर बड़ौत थाना प्रभारी निरीक्षक ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और कातिल पुत्र को अग्रिम करवाही हेतु गिरफ्तार किया। 

आज की जीवनशैली में इस प्रकार की घटनाएं समाजी जीवन में हुए नैतिकता और सद संस्कारों के पतन का एक बहुत बड़ा कारण बना हुआ। आज की युवा पीढ़ी संस्कारहीन व अनैतिकता के दल-दल में धशी जा रही है। बिना संस्कारों के मानवता का विकास कैसे हो ? शिक्षा के साथ नैतिकता और संस्कार सामाजिक जीवन का मुख्य आधार है, जो वर्तमान में निराधार है।

व्यक्ति का जीवन मूल्य उसके व्यक्तित्व पर आधारी हैं और व्यक्तित्व का विकास उसके संस्कार और कर्म पर आधारित है। आज के समय में आपसी संबंधों में अपराधिक घटनाएं संस्कारहीनता और नैतिकता के पतन के कारण ही निरंतर बढ़ती जा रही हैं। एक मात्र संस्कार ही मानवता का ऐसा अहम एवं अमूल्य भाग है, जिसके जरिए मानव अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है। उसके साथ-साथ ही शिक्षा भी मानवता का ऐसा अहम भाग है, जो हमेशा सही राह पर चलने की सलाह देता है।

छुटकारा: विटामिन-ई की कमी के लक्षण, जानिए 

छुटकारा: विटामिन-ई की कमी के लक्षण, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई पोषक तत्वों की जरूर होती है। उनमें से एक विटामिन-ई भी शामिल है, जो त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने के लिए काफी अहम होता है। यह शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाता है। इस विटामिन की कमी होने पर बाल झड़ने की समस्या होने लगती है और त्वचा संबंधी परेशानी होने लगती है। यहां जानें विटामिन-ई की कमी के लक्षण और इसकी कमी को दूर करने के लिए किन बातों की सावधानी रखनी पड़ती है ?

विटामिन-ई की कमी होने पर दिखते हैं ये संकेत...

इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, कई बीमारियों से परेशान हो सकते हैं।
मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। चलने-फिरने, उठने-बैठने में परेशानी होती है।
हाथ-पैर सुन्न होने की समस्या होती है और पैरों में झनझनाहट होती है।
आंखों से संबंधित समस्या हो सकती है।
स्किन और स्कैल्प संबंधित समस्या।

विटामिन-ई की कमी दूर करने के लिए ये चीजें खाएं
केला में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम पोटेशियम, विटामिन-ई जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से विटामिन-ई की कमी को दूर किया जा सकता है।

सूरजमुखी के बीज में विटामिन-ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन-ई की कमी को पूरा कर सकते हैं।

बादाम में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है। खाने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं। शरीर में विटामिन-E की कमी को दूर करने के लिए कच्चे बादाम का सेवन कर सकते हैं।

पालक भी आयरन से काफी भरपूर होता है। यदि आपके शरीर में भी विटामिन ई की कमी है तो...

एवोकाडो में विटामिन-ई काफी मात्रा में पाया जाता है। विटामिन की कमी को दूर करने के लिए एवोकाडो को शामिल किया जा सकता है, हालांकि ये फल आसानी से भारतीय बाजारों में उपलब्ध नहीं होता है।

भारतीय टीम ने दूसरे वनडे में 12 रनों से जीत दर्ज की

भारतीय टीम ने दूसरे वनडे में 12 रनों से जीत दर्ज की

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारतीय टीम ने दूसरे वनडे में रोमांचक अंदाज में 12 रनों से जीत दर्ज कर की। इसी के साथ टीम इंडिया ने सीरीज में 1-0 की बढ़त ली‌। ऐसे में भारतीय टीम दूसरा वनडे मैच जीतकर सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त लेना चाहेगी। इसके लिए कप्तान रोहित शर्मा टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में बदलाव कर सकते हैं। वह खराब प्रदर्शन करने वाले एक प्लेयर को टीम से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। आइए जानते हैं, इस खिलाड़ी के बारे में...

न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले वनडे मैच में शार्दुल ठाकुर गेंद और बल्ले से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। गेंदबाजी में उन्होंने खूब रन लुटाए. विरोधी बल्लेबाजों ने उनके खिलाफ खूब रन लुटाए। उन्होंने अपने 10 ओवर में 54 रन देकर 2 विकेट हासिल किए। अपने खेल से वह प्रभावित करने में नाकाम साबित हुए। वहीं, बल्ले से वह सिर्फ 3 रन बना सके। ऐसे में कप्तान रोहित शर्मा दूसरे वनडे मैच की प्लेइंग इलेवन से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं।

दूसरे वनडे मैच में शार्दुल ठाकुर की जगह कप्तान रोहित शर्मा उमरान मलिक को मौका दे सकते हैं। उमरान ने श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उमरान मिडिल ओवर्स में बहुत ही खतरनाक गेंदबाजी करते हैं। उनके पास वह काबिलियत है कि वो किसी बल्लेबाज का विकेट चटका सकें। स्पीड ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने अपने छोटे से करियर में सभी को प्रभावित किया है।

उमरान मलिक वनडे क्रिकेट में भारत की तरफ से सबसे तेज गेंद फेंकने वाले बॉलर हैं‌। सुनील गावस्कर से लेकर इरफान पठान तक उनकी तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने टीम इंडिया के लिए 7 ODI मैचों में 12 विकेट हासिल किए हैं। वहीं, 6 टी20 मैचों में 9 विकेट चटकाए हैं‌। आईपीएल में उन्होंने सनराइजर्स हैदराबाद के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उनके पास भारतीय पिचों पर खेलने का खूब अनुभव है।


अल्जाइमर रोग, साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित 

अल्जाइमर रोग, साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित 

सरस्वती उपाध्याय 

अल्जाइमर रोग से दुनिया भर में साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हैं, फिर भी इसका कोई इलाज नहीं है- और उपचार के विकल्प सीमित हैं। जबकि बीमारी का इलाज खोजने के प्रयासों में हाल में कुछ प्रगति हुई है और इस दौरान दो दवाओं के विकास में मदद मिली है जो रोग की प्रगति में देरी कर सकते हैं, उनके लाभों पर बहस हो रही है।

ऐसे में यह बताना जरूरी नहीं है कि अधिकांश नैदानिक ​​​​परीक्षणों में, इन दवाओं की प्रभावशीलता को देखते हुए लक्षणों के उत्पन्न होने के बाद ही उपचार शुरू होता है। इसका मतलब है कि बीमारी से नुकसान पहले ही हो चुका होता है। ऐसा माना जाता है कि यदि इलाज पहले शुरू कर दिया जाता है - लक्षणों के शुरू होने से पहले - तो इससे होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। लेकिन समस्या यह है कि नैदानिक ​​​​लक्षण, जो डॉक्टर अल्जाइमर रोग के रोगी का निदान करने के लिए देखते हैं, न्यूरोडीजेनेरेशन होने के बाद ही दिखाई देते हैं। 

हमारा हालिया अध्ययन अल्जाइमर के निदान के लिए वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले बायोमार्कर की तुलना में एक अलग बायोमार्कर का उपयोग करने का तर्क देता है। हमने पाया कि यह बायोमार्कर, जो किसी व्यक्ति के रक्त में पाया जा सकता है, बीमारी के लक्षण शुरू होने से दस साल पहले ही इनका पता लगा सकता है। यह शरीर में बीमारी के लक्षणों के अभरने से पहले ही इसकी आमद को रोकने का एक अवसर प्रदान करता है। 

रक्त प्रोटीन

हमारा अध्ययन स्वीडिश परिवारों के डेटा का उपयोग करके किया गया था, जिन्हें एक ऐसे तरह का अल्जाइमर रोग था जो आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण हुआ था। जबकि ऑटोसोमल डोमिनेंट अल्जाइमर डिजीज (एडीएडी) में विकीर्ण अल्जाइमर रोग (अल्जाइमर का सबसे सामान्य रूप, जो आनुवंशिक, जीवन शैली और पर्यावरणीय कारकों का एक संयोजन है) के समान लक्षण होते हैं और ये लक्षण बहुत पहले होते हैं - आमतौर पर किसी व्यक्ति की उम्र के 40 या 50 के दशक में। चूंकि म्यूटेशन विरासत में मिलता है, अगर माता-पिता में एडीएडी है तो उनके बच्चे में म्यूटेशन विरासत में मिलने की 50 प्रतिशत संभावना होगी।

यद्यपि अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित सभी लोगों में से एक प्रतिशत से भी कम लोगों में यह रूप होता है, इन परिवारों में शोध अध्ययन इस बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करते हैं कि अल्ज़ाइमर रोग सामान्य रूप से कैसे बढ़ता है। हमारे अध्ययन में तीन अलग-अलग परिवारों के 75 लोगों को देखा गया, जिनका एडीएडी का इतिहास था। प्रतिभागियों ने कुल 164 रक्त के नमूने प्रदान दिए, सभी 1994 और 2018 के बीच एकत्र किए गए। अल्जाइमर रोग के ज्ञात लिंक वाले चार अलग-अलग रक्त-आधारित बायोमार्कर के स्तरों का विश्लेषण किया गया। 

हमने बीमारी के लक्षण देखने के लिए एमआरआई इमेजिंग और संज्ञानात्मक परीक्षण जैसे अन्य परीक्षण भी किए। हमारी मुख्य खोज यह थी कि एक विशेष प्रोटीन का स्तर, जिसे जीएफएपी कहा जाता है, अध्ययन में अन्य ज्ञात रोग-संबंधी रक्त-आधारित बायोमार्कर के विश्लेषण से पहले बढ़ गया। यह वृद्धि अल्जाइमर रोग के पहले ध्यान देने योग्य संकेतों से दस साल पहले ही शुरू हो गई थी। जीएफएपी एक प्रोटीन है जो मस्तिष्क के एस्ट्रोसाइट्स द्वारा जारी किया जाता है। यह विशेष कोशिकाएं होती हैं, जो अन्य कार्यों के साथ मस्तिष्क की प्रतिरक्षा प्रणाली में भाग लेती हैं। जबकि हम जानते हैं कि जीएफएपी मस्तिष्क की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रक्रियाओं में शामिल है, हम इसके सटीक कार्य को नहीं जानते हैं। 

हमारे परिणाम अल्ज़ाइमर के अनुवांशिक रूपों पर हाल के अन्य अध्ययनों के अनुरूप हैं, जिन्होंने बीमारी की शुरुआत से पहले उच्च जीएफएपी स्तर दिखाए हैं। शोध से यह भी पता चला है कि जीएफएपी का स्तर उन लोगों में अधिक होता है जिन्हें बिना किसी आनुवंशिक कारण के प्रीक्लिनिकल अल्ज़ाइमर रोग होता है, जिनमें अल्ज़ाइमर विकृति के अन्य लक्षण होते हैं लेकिन अभी तक लक्षण प्रकट नहीं हो रहे हैं। इससे पता चलता है कि हमारे निष्कर्ष अल्जाइमर रोग के अधिक सामान्य रूपों पर भी लागू हो सकते हैं। 

हमारे अध्ययन के परिणाम अल्जाइमर रोग की हमारी सामान्य समझ का समर्थन करने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं - विशेष रूप से मस्तिष्क में शुरुआती रोग प्रक्रियाएं। हाल के अन्य निष्कर्षों के साथ, यह स्पष्ट है कि जीएफएपी और मस्तिष्क में इसके कार्य - अल्जाइमर रोग की प्रगति सहित - के बारे में और अधिक जांच की आवश्यकता है। शायद अल्जाइमर रोग के लिए भविष्य के उपचार अधिक सफल होंगे यदि वे मस्तिष्क के एस्ट्रोसाइट्स और अल्जाइमर रोग के अन्य सामान्य हॉलमार्क दोनों को लक्षित करना चाहते हैं - जैसे कि मस्तिष्क में बीटा-एमिलॉइड का संचय।

अगले 48 घंटों में बारिश के साथ बर्फबारी की संभावना

अगले 48 घंटों में बारिश के साथ बर्फबारी की संभावना

पंकज कपूर 

देहरादून। उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से एक बार फिर मौसम का मिजाज बदल गया है। जहां एक ओर चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ में अगले 48 घंटों में कहीं-कहीं बारिश के साथ ही बर्फबारी की संभावना है। वहीं दूसरी ओर मैदान से लेकर पहाड़ तक ठंड भी बढ़ सकती है।
मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक मुक्तेश्वर में न्यूनतम पारा एक डिग्री दर्ज किया गया। वहीं, पंतनगर में न्यूनतम पारा दो डिग्री पर पहुंच गया। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरावट के चलते मैदान से लेकर पहाड़ तक जबरदस्त ठंड पड़ रही है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना है। पर्वतीय इलाकों में बारिश और बर्फबारी का असर मैदानी क्षेत्रों में भी दिखाई देगा।

उन्होंने बताया कि टिहरी में अधिकतम तापमान 12.9 डिग्री और न्यूनतम तापमान 1.8 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं, राजधानी दून में अधिकतम तापमान 20 डिग्री और न्यूनतम तापमान 4.8 डिग्री दर्ज किया गया। जिसके चलते बुधवार को लोगों को दिनभर ठंडक का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि 23 से 26 जनवरी तक मैदान से लेकर पहाड़ तक तेज गर्जना के साथ जोरदार बारिश देखने को मिल सकती है। बढ़ती ठंड के साथ कोल्ड डायरिया का हमला
बढ़ती ठंड में सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, अस्थमा और वायरल बुखार के साथ कोल्ड डायरिया ने भी हमला बोल दिया है। दून अस्पताल, कोरोनेशन, गांधी शताब्दी के साथ निजी अस्पतालों में काफी संख्या में कोल्ड डायरिया से पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं।

चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक कोल्ड डायरिया से पीड़ित मरीजों में बच्चों की संख्या ज्यादा है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर एवं बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक कुमार ने बताया कि आजकल बेहद छोटी उम्र के बच्चों में कोल्ड डायरिया ज्यादा देखने को मिल रहा है। दूसरी ओर कोरोनेशन अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट ने बताया कि ओपीडी में तमाम ऐसे मरीज आ रहे हैं जो कोल्ड डायरिया से पीड़ित हैं।

कोल्ड डायरिया होने की वजह से मरीजों में गंभीर कमजोरी के साथ ही उन्हें चलने में भी दिक्कत हो रही है। उन्होंने बताया कि कोल्ड डायरिया होने पर शरीर में बहुत अधिक निर्जलीकरण होने की वजह से कई बार गंभीर दिक्कत खड़ी हो जाती है। संक्रमण बहुत अधिक होने के चलते कई मरीजों को मल के साथ खून भी निकल रहा है। ऐसे में कई मरीजों को अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ा है।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  1. अंक-374, (वर्ष-11) पंजीकरण संख्या:- UPHIN/2014/57254 2. शुक्रवार, दिसंबर 27, 2024 3. शक-1945, पौष, कृष्ण-पक्ष, त...