जन स्वास्थ्य के प्रति प्रशासनिक उदारता गंभीर
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। जनपद में स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त कार्यरत अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, जिसके कारण बड़ी लापरवाही का संलिप्त होना स्वाभाविक है। इसी कारण जनता के स्वास्थ्य से चरम सीमा तक खिलवाड़ किया जा रहा है। इस प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख पदों पर कार्यरत चिकित्सा अधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जनपद स्थित तहसील लोनी में भारतीय चिकित्सा अधिनियम के विरुद्ध सैकड़ों चिकित्सा संस्थानों का संचालन किया जा रहा है। विधानसभा क्षेत्र में कुल 5 प्रतिशत चिकित्सा संबंधी संस्थान ही अधिनियम अनुरूप संचालित किए जा रहे है। शेष 95 प्रतिशत चिकित्सा संबंधी स्थानों का संचालन स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों एवं स्थानीय पुलिस की सांठ-गांठ से किया जा रहा है। अधिकतर चिकित्सा संबंधी संस्थानों पर पंजीकृत चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहते हैं, जिनकी अनुपस्थिति में अयोग्य व्यक्तियों के द्वारा चिकित्सा परीक्षण किया जाता है।
सूत्रों की मानें, तो क्षेत्र में 20 से अधिक डायग्नोस्टिक सेंटर एवं कई लैबों पर पंजीकृत चिकित्सक के स्थान पर अयोग्य व्यक्ति के द्वारा चिकित्सा परीक्षण किया जाता है। संभवत: अयोग्य व्यक्ति त्रुटिपुक्त मिथ्या अथवा भ्रामक परिणाम ही प्रेषित करता है। स्वाभाविक रूप से गलत रिपोर्ट के कारण पीड़ित का उपचार प्रभावित होगा। हो सकता है, यह छोटी-सी गलती पीड़ित की जान भी ले सकती है। लेकिन, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। क्योंकि, अनाधिकृत रूप से चिकित्सा संबंधी संस्थान के संचालक के द्वारा संबंधित अधिकारी को कुछ पैसे देकर खरीद लिया जाता है। यदि कोई तीमारदार मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से शिकायत करता है, तो संचालक संबंधित अधिकारी और स्थानीय पुलिस सांठ-गांठ कर उसको झूठे मुकदमे में फंसाने का काम करते हैं। इस कारण विधि विरुद्ध संचालित चिकित्सा संस्थान बदस्तूर संचालित है।
अयोग्य चिकित्सा परीक्षण के परिणाम स्वरूप कई लोग अपने जीवन को भेट चढ़ा चुके हैं। संविधान के अधिनियम के साथ इसस घिनौना मजाक नहीं हो सकता है। परंतु, घूर्त अधिकारियों को इस बात का इल्म नहीं है, कि सच को दबाया जा सकता है, छिपाया जा सकता है। किंतु, नष्ट नहीं किया जा सकता है। पर्दे के पीछे का सच कब कैंसर बन जाएगा ? संभवत: इसका आभास भी नहीं होगा।
आखिरकार, जिला प्रशासन जनता के स्वास्थ्य से होने वाले इस खिलवाड़ के प्रति संवेदनशील क्यों नहीं है ? जिला अधिकारी को मामलें की गंभीरता पर संज्ञान लेने की सख्त आवश्यकता है।जनता के स्वास्थ्य के साथ खेले जाने वाले इस खतरनाक खेल पर लगाम कसने की जरूरत है।