एससी ने 'एपी' सरकार की याचिका पर जवाब मांगा
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर केंद्र और तेलंगाना सरकार से जवाब मांगा है। जिसमें दोनों राज्यों के बीच संपत्तियों और देनदारियों के समान और त्वरित बंटवारे का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने केंद्र सरकार और तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी किया। आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि उसने उच्चतम न्यायालय से ‘‘राष्ट्र के अभिभावक’’ के रूप में संपर्क किया है। आंध्र सरकार का दावा है कि संपत्ति का बंटवारा नहीं होने से तेलंगाना को लाभ हुआ है क्योंकि करीब 91 प्रतिशत संपत्ति हैदराबाद में स्थित हैं।
याचिका के अनुसार संपत्ति का विभाजन नहीं होने से कई मुद्दे पैदा हुए हैं। जिनसे आंध्र प्रदेश के लोगों के मौलिक और अन्य संवैधानिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।इसमें दावा किया गया है कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून, 2014 के तहत किए गए बंटवारे के संदर्भ में पर्याप्त धन और संपत्ति के वास्तविक बंटवारे के बिना, आंध्र प्रदेश राज्य के विभिन्न संस्थानों के कामकाज में गंभीर रूप से ठहराव आया है। वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश को विभाजित कर एक नए राज्य तेलंगाना का गठन किया गया था।
याचिका में कहा गया है कि राज्य के विभिन्न संस्थानों में कार्यरत (1,59,096) कर्मचारी 2014 से ही अधर में लटके हुए हैं क्योंकि उचित विभाजन नहीं किया गया है। आंध्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य के विभाजन के बाद सेवानिवृत्त हुए पेंशन योग्य कर्मचारियों की स्थिति दयनीय है और उनमें से कई को अंतिम लाभ नहीं मिल पाया है। इसलिए, जरूरी है कि इन संपत्तियों का जल्द से जल्द बंटवारा किया जाए और इस मुद्दे का हल किया जाए।