शनिवार, 17 दिसंबर 2022

जीएसटी काउंसिल की 48वीं बैठक, कई मुद्दों पर चर्चा 

जीएसटी काउंसिल की 48वीं बैठक, कई मुद्दों पर चर्चा 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शनिवार को शुरू हुई जीएसटी काउंसिल की 48वीं बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। GST कानून के तहत गैर-अपराधीकरण, अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना और पान मसाला-गुटखा के बिजनेस में हो रहे टैक्स चोरी को रोकने लिए सिस्टम बनाने जैसे तमाम मुद्दों को जीएसटी परिषद की बैठक में शामिल किया गया। लेकिन इस पर विस्तार से चर्चा नहीं हो सकी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में समय की कमी के कारण तंबाकू और गुटखा पर टैक्स को लेकर चर्चा नहीं हो सकी‌। वित्त मंत्री ने कहा कि GST एक्ट में डिक्रिमिनलाइजेशन पर फैसला लिया गया। मतलब ये कि गलतियों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, GST परिषद ने कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने पर सहमति जताई है। जीएसटी कानून के तहत किसी भी मामले में अभियोजन शुरू करने की सीमा दोगुनी होकर 2 करोड़ रुपये करने पर सहमति जताई है‌। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने इस बात की जानकारी दी है।

जीएसटी परिषद की बैठक के बाद राजस्व सचिव ने कहा कि दालों की भूसी पर टैक्स की दर 5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दी गई है। रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने कहा कि GST काउंसिल की 48वीं बैठक में 15 एजेंडे थे। इसमें से सिर्फ 8 एजेंडे पर ही विचार हुआ। इसके अलावा ऑनलाइन गेमिंग और कैसीनो पर जीएसटी परिषद की बैठक में विचार-विमर्श के लिए आ सकता है। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अध्यक्षता में पिछले साल इस मुद्दे पर गठित मंत्रियों के समूह (GoM) ने गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके अलावा परिषद अधिकारियों की एक रिपोर्ट पर भी विचार करेगी।

कानून समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि जीएसटी अपराधों के कंपाउंडिंग के लिए टैक्सपेयर्स की ओर से दिए जाने वाले शुल्क को टैक्स राशि का 25 फीसदी तक कम किया जाना चाहिए। फिलहाल ये 150 फीसदी तक है। समिति ने वर्तमान में 5 करोड़ रुपये से अभियोजन शुरू करने की सीमा को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया है। सूत्रों ने कहा कि पान मसाला और गुटखा कंपनियों द्वारा कर चोरी पर जीओएम की रिपोर्ट पर परिषद में चर्चा होने की संभावना है।

बिजनेस स्ट्रैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) ने एक ‘विशिष्ट टैक्स आधारित लेवी’ का प्रस्ताव दिया है। पैनल ने कुल 38 आइटम्स पर विशिष्ट टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है। इसमें पान-मसाला, हुक्का, चिलम, चबाने वाले तंबाकु जैसे आइटम्स शामिल हैं। इन आइटम्स के खुदरा बिक्री प्राइस पर 12 फीसदी से लेकर 69 फीसदी तक अतिरिक्त टैक्स लगाने का प्रस्ताव है। फिलहाल इनपर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है।

ट्रांसजेंडर समुदाय को सरकारी नौकरियों में आरक्षण 

ट्रांसजेंडर समुदाय को सरकारी नौकरियों में आरक्षण 

अकांशु उपाध्याय/मनोज सिंह ठाकुर 

नई दिल्ली/इंदौर। देश की पहली ट्रांसजेंडर जज जोइता मंडल ने एमपी में एक कार्यक्रम में कहा, ट्रांसजेंडर समुदाय को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग आरक्षण के जरिए पुलिस और रेलवे जैसी सरकारी नौकरियों में आएंगे तो न सिर्फ यह समुदाय आगे बढ़ेगा। बल्कि समुदाय के प्रति समाज की सोच भी बदलेगी।

देश की पहली ट्रांसजेंडर न्यायाधीश जोयिता मंडल ने तीसरे लिंग के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की जरूरत पर शुक्रवार को बल दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस और रेलवे जैसे सरकारी महकमों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों की नियुक्तियों से समाज में काफी सकारात्मक बदलाव होगा।

मंडल ने इंदौर में संस्कृति और साहित्य महोत्सव लिट चौक में शामिल होने के बाद संवाददाताओं से कहा, ट्रांसजेंडर समुदाय को सरकारी रोजगारों में आरक्षण दिया जाना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर मेरे पास काम नहीं होगा, तो मुझे खाना कैसे मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगर ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग आरक्षण के जरिये पुलिस और रेलवे जैसे सरकारी महकमों में आएंगे तो न केवल यह समुदाय आगे बढ़ेगा, बल्कि समुदाय के प्रति समाज की सोच भी बदलेगी।

मंडल ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए देश भर में पर्याप्त संख्या में आश्रय स्थलों की आवश्यकता है और समुदाय के भले के लिए केंद्रीय स्तर पर बेहतर योजनाएं शुरू होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है। गौरतलब है कि मंडल को वर्ष 2017 के दौरान पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर की लोक अदालत में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

परियोजनाओं के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण नहीं 

परियोजनाओं के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण नहीं 

इकबाल अंसारी 

चेन्नई। तमिलनाडु में किसानों और विपक्षी दलों के विरोध के बीच राज्य सरकार ने भरोसा दिलाया है कि कोयंबटूर जिले में अन्नूर और मेट्टुपालयम औद्योगिक पार्क परियोजनाओं के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन परियोजनाओं का निर्माण बंजर भूमि पर किया जाएगा। सरकार ने कहा कि किसानों की मांग को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक पार्क की स्थापना के लिए कृषि भूमि के बजाय निजी कंपनियों के स्वामित्व वाली केवल 1,630 एकड़ बंजर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा।

औद्योगिक विभाग की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, इसके अलावा, अपनी जमीन बिना किसी मजबूरी के स्वेच्छा से देने के लिए आगे आने वाले किसानों को संतोषजनक मुआवजा प्रदान किया जाएगा। अन्नूर और मेट्टुपालयम तालुक के कई गांवों के किसानों ने औद्योगिक पार्क परियोजनाओं के लिए उनकी खेती योग्य भूमि के अधिग्रहण का विरोध किया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आठ दिसंबर को अन्नूर में विरोध-प्रदर्शन किया था। पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के अन्नामलाई ने कहा था कि परियोजनाओं के लिए एक मुट्ठी जमीन भी नहीं दी जाएगी। उन्होंने नयी घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए इस मामले में किसानों और भाजपा की मांग स्वीकार करने के लिए राज्य सरकार का आभार जताया।

अगली सुनवाई के लिए 22 दिसंबर की तारीख तय की

अगली सुनवाई के लिए 22 दिसंबर की तारीख तय की

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की गला घोंटकर हत्या करने और उसके शव के टुकड़े करने के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला ने शनिवार को दिल्ली की अदालत को सूचित किया कि उसने वकालतनामा पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन उसे जानकारी नहीं थी कि उसकी ओर से जमानत याचिका दायर की जाएगी।

आफताब अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वृंदा कुमारी की अदालत के समक्ष वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुआ था। न्यायाधीश द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या वह जमानत याचिका वापस लेना चाहता है, पूनावाला ने कहा, मैं चाहता हूं कि वकील मुझसे बात करें और फिर उसने जमानत याचिका वापस ले ली।

न्यायाधीश ने कहा कि जमानत याचिका लंबित रहेगी और जब आरोपी वकील से मिल लेगा, तभी यह फैसला होगा कि जमानत याचिका पेश की जाएगी या नहीं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 दिसंबर की तारीख तय की है। 

किसी एक कदम को उपयुक्त मान लेना स्वीकार्य नहीं 

किसी एक कदम को उपयुक्त मान लेना स्वीकार्य नहीं 

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/ओटावा। कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के शिखर सम्मेलन में भारत ने कहा है कि जैव विविधता संरक्षण के लिए क्षेत्र आधारित लक्ष्य तय करना किसी एक कदम को सभी के लिए उपयुक्त मान लेने की तरह है, जो स्वीकार्य नहीं है। भारत ने कहा कि कृषि जैसे कमजोर क्षेत्रों के लिए आवश्यक सहायता को सब्सिडी नहीं कहा जा सकता और इसे समाप्त करने का लक्ष्य नहीं रखा जा सकता। 

भारत सहित 196 देशों के प्रतिनिधि सात दिसंबर से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता शिखर सम्मेलन (सीओपी15) में नयी वैश्विक जैवविविधता रूपरेखा (जीबीएफ) पर वार्ता को अंतिम रूप देने की उम्मीद से एकत्रित हुए हैं। जीबीएफ उन नए लक्ष्यों को निर्धारित करेगी, जो 2030 तक प्रकृति के संरक्षण के लिए वैश्विक कार्यों का मार्गदर्शन करेंगे। सीओपी-15 में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी, उनमें संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना करके और अन्य क्षेत्र आधारित संरक्षण के लिए कदम उठाकर पृथ्वी की 30 प्रतिशत भूमि एवं सागर को संरक्षित करना शामिल है, जिसे 30 गुणा 30 संरक्षण लक्ष्य नाम दिया गया है। 

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को सीओपी15 में कहा, हमारा अनुभव कहता है कि क्षेत्र-आधारित लक्ष्य निर्धारित करना ‘किसी एक कदम को सभी के लिए उपयुक्त मानने’ के दृष्टिकरण की तरह है, जो स्वीकार्य नहीं है।

पक्षकार जीवाश्म ईंधन उत्पादन, कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन के लिए सब्सिडी समेत पर्यावरण के लिए हानिकारक अन्य सब्सिडी को खत्म करने और इस धन का इस्तेमाल जैव विविधता संरक्षण के लिए करने पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत ने कहा कि कमजोर क्षेत्रों के लिए आवश्यक समर्थन को सब्सिडी नहीं कहा जा सकता है और उन्हें उन्मूलन के लिए लक्षित नहीं किया जा सकता, लेकिन उन्हें तर्कसंगत बनाया जा सकता है।

भारत ने सकारात्मक निवेश के माध्यम से जैव विविधता को बढ़ावा देने पर जोर दिया। यादव ने कहा, अन्य विकासशील देशों की तरह हमारी कृषि करोड़ों लोगों के जीवन, आजीविका और संस्कृति का स्रोत है। उनकी गतिविधियों के आधुनिकीकरण में मदद करते हुए उनकी खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। यादव शुक्रवार को मॉन्ट्रियल पहुंचे और वह अगले सप्ताह वार्ता के अंतिम चरण में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।

अमिताभ की छवि को प्रदर्शनी के माध्यम से पेश किया 

अमिताभ की छवि को प्रदर्शनी के माध्यम से पेश किया 

मिनाक्षी लोढी 

कोलकाता। भारतीय सिनेमा के एंग्री यंग मैन कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन की इस छवि को कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव (केआईएफएफ) में एक प्रदर्शनी के माध्यम से पेश किया गया। प्रदर्शनी में जंजीर (1973), दीवार (1975), शोले (1975), काला पत्थर (1979) और शक्ति (1982) जैसी फिल्मों में अमिताभ की उन भूमिकाओं को प्रमुखता से दिखाया गया, जिनके कारण उन्हें बॉलीवुड का एंग्री यंग मैन कहा जाता है।1970 और 1980 के दशक में बनी इन फिल्मों में नायक को बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, अपराध, सामाजिक उथल-पुथल और सरकारी तंत्र के खिलाफ लड़ते दिखाया गया था।

प्रदर्शनी की क्यूरेटर और केआईएफएफ की अधिकारी सुदेशना रॉय ने एक एजेंसी से कहा, सबसे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिग बी (अमिताभ बच्चन) को सम्मानित करने के लिए कुछ विशेष करने का विचार रखा था, जिसके बाद केआईएफएफ अध्यक्ष राज चक्रवर्ती और अन्य ने प्रदर्शनी आयोजित करने का फैसला किया।

अमिताभ ने बृहस्पतिवार को 28वें केआईएफएफ का उद्घाटन किया था। उन्होंने इस अवसर पर अपने भाषण में कहा था, शुरुआती दौर से लेकर अब तक सिनेमा की विषय-वस्तु में कई बदलाव आए हैं, पौराणिक फिल्मों और समाजवादी सिनेमा से लेकर एंग्री यंग मैन के आगमन तक। अब ऐतिहासिक विषयों पर बनने वाली मौजूदा फिल्में काल्पनिक अंधराष्ट्रवाद में डूबी हुई हैं। केआईएफएफ ने पहली बार किसी जीवित दिग्गज के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इससे पहले सत्यजीत रे, सौमित्र चटर्जी, इंगमार बर्गमैन और अकिरा कुरोसावा जैसे दिग्गजों के लिए इस प्रकार की प्रदर्शनियां आयोजित की जा चुकी हैं।

गगनेंद्र प्रदर्शनीशाला और नजरूल तीर्थ में आयोजित यह प्रदर्शनी 22 दिसंबर तक लगेगी। इस प्रदर्शनी में अमिताभ के बचपन, कोलकाता में बर्ड एंड कंपनी के कार्यकारी के तौर पर कॉरपोरेट जगत में किए उनके काम, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ उनके परिवार के संबंधों, 1984 में राजनीति में उनके प्रवेश, 1987 तक उनके राजनीतिक जीवन में आए उतार-चढ़ाव और फिल्म जगत में उनकी वापसी एवं उसके बाद से उन्हें मिल रही सफलता को दर्शाया गया है। 

भोपाल: कबाड़ से 50 क्विंटल वजनी वीणा बनाई 

भोपाल: कबाड़ से 50 क्विंटल वजनी वीणा बनाई 

मनोज सिंह ठाकुर 

भोपाल। भारत की संस्कृति में संगीत का एक विशेष महत्व रहा है। वहीं शास्त्रीय संगीत जगत में वीणा सुर ध्वनियों के लिये भारतीय संगीत में प्रयुक्त सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र है। वीणा प्राचीन काल से ही भारतीय संगीत की धरोहर रही है।

इस ही क्रम भोपाल में कबाड़ से 50 क्विंटल वजनी वीणा बनाई गई है। इसको लेकर दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी वीणा है। कहा जा रहा है कि इस वीणा को बनाने में 12 से 15 लाख रुपये का खर्च आया है और निर्माण में 480 घंटे का समय लगा है। 

कबाड़ से जुगाड़ 
कबाड़ से कंचन थीम पर पवन देश पांडे और देवेन्द्र शाक्य की टीम ने इसे  तैयार किया है। कबाड़ से बनी इस वीणा की लंबी 28 फीट है और ऊंचाई 12 फीट है वही इस की चौड़ी 10 फीट है। इस वीणा को बनाने में कबाड़ का स्तेमाल किया गया है। जैसे चैन, गियर, बैयरिंग और वायर आदि  इस वीणा को  ऐसी जगह इंस्टॉल किया जाएगा जहां इस के सात सेल्फी ले सकें।

प्रतिदिन आठ घंटे इस पर किया काम
पवन देशपांडे और देवेंद्र शाक्य ने बताया वीणा को बनाने में 10 कलाकार ने काम किया है। जिनमें सैयद फारुख, शानिली देशपांडे, गुलफाम कुरैशी, गजेन्द्र शाक्य, संतोष मुआसी, फैजान अंसारी, फरहान कुरैशी और अरविंद पिछले छह महीने से जुटे थे। इसके निर्माण की शुरुआत बीते दो महीने पहले की गई थी। साठ दिन में हर रोज लगभग आठ घंटे इस वीणा के निर्माण के लिए काम किया गया।पवन देशपांडे और देवेंद्र शाक्य के अनुसार उनका और उनकी टीम का यह पांचवा प्रोजेक्ट है। इससे पहले भी उनकी टीम कबाड़ से रेडियो, गिटार, रोजा भोज और कोरोना वैक्सीन बना चुकी है। यह सामग्री शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थापित है. अब उनकी टीम द्वारा भोपाल का यह पांचवां सबसे बड़ा प्रोजेक्ट वीणा के रूप में तैयार किया है।

50 क्विंटल लोहे से बनी है वीणा
इस वीणा को बनाने में 50 क्विंटल लोहा लगा है। जिनमें कबाड़ से चैन, गियर बॉक्स, बैयरिंग, वायर, लोहे की बड़ी चैन सहित अन्य सामान शामिल है। जबकि वीणा को खूबसूरती देने के लिए लगभग 20 लीटर कलर का उपयोग किया गया है। बता दें कि अयोध्या में बनी कांस्य की वीणा में लगभग आठ करोड़ रुपए खर्च करने की बात सामने आई है, जबकि भोपाल बनी इस वीणा में 15 लाख रुपए खर्च आया है।

'पीएम' मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला

'पीएम' मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला  इकबाल अंसारी  नई दिल्ली। संसद सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर...