शनिवार, 17 दिसंबर 2022

किसी एक कदम को उपयुक्त मान लेना स्वीकार्य नहीं 

किसी एक कदम को उपयुक्त मान लेना स्वीकार्य नहीं 

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/ओटावा। कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के शिखर सम्मेलन में भारत ने कहा है कि जैव विविधता संरक्षण के लिए क्षेत्र आधारित लक्ष्य तय करना किसी एक कदम को सभी के लिए उपयुक्त मान लेने की तरह है, जो स्वीकार्य नहीं है। भारत ने कहा कि कृषि जैसे कमजोर क्षेत्रों के लिए आवश्यक सहायता को सब्सिडी नहीं कहा जा सकता और इसे समाप्त करने का लक्ष्य नहीं रखा जा सकता। 

भारत सहित 196 देशों के प्रतिनिधि सात दिसंबर से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता शिखर सम्मेलन (सीओपी15) में नयी वैश्विक जैवविविधता रूपरेखा (जीबीएफ) पर वार्ता को अंतिम रूप देने की उम्मीद से एकत्रित हुए हैं। जीबीएफ उन नए लक्ष्यों को निर्धारित करेगी, जो 2030 तक प्रकृति के संरक्षण के लिए वैश्विक कार्यों का मार्गदर्शन करेंगे। सीओपी-15 में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी, उनमें संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना करके और अन्य क्षेत्र आधारित संरक्षण के लिए कदम उठाकर पृथ्वी की 30 प्रतिशत भूमि एवं सागर को संरक्षित करना शामिल है, जिसे 30 गुणा 30 संरक्षण लक्ष्य नाम दिया गया है। 

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को सीओपी15 में कहा, हमारा अनुभव कहता है कि क्षेत्र-आधारित लक्ष्य निर्धारित करना ‘किसी एक कदम को सभी के लिए उपयुक्त मानने’ के दृष्टिकरण की तरह है, जो स्वीकार्य नहीं है।

पक्षकार जीवाश्म ईंधन उत्पादन, कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन के लिए सब्सिडी समेत पर्यावरण के लिए हानिकारक अन्य सब्सिडी को खत्म करने और इस धन का इस्तेमाल जैव विविधता संरक्षण के लिए करने पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत ने कहा कि कमजोर क्षेत्रों के लिए आवश्यक समर्थन को सब्सिडी नहीं कहा जा सकता है और उन्हें उन्मूलन के लिए लक्षित नहीं किया जा सकता, लेकिन उन्हें तर्कसंगत बनाया जा सकता है।

भारत ने सकारात्मक निवेश के माध्यम से जैव विविधता को बढ़ावा देने पर जोर दिया। यादव ने कहा, अन्य विकासशील देशों की तरह हमारी कृषि करोड़ों लोगों के जीवन, आजीविका और संस्कृति का स्रोत है। उनकी गतिविधियों के आधुनिकीकरण में मदद करते हुए उनकी खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। यादव शुक्रवार को मॉन्ट्रियल पहुंचे और वह अगले सप्ताह वार्ता के अंतिम चरण में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।

अमिताभ की छवि को प्रदर्शनी के माध्यम से पेश किया 

अमिताभ की छवि को प्रदर्शनी के माध्यम से पेश किया 

मिनाक्षी लोढी 

कोलकाता। भारतीय सिनेमा के एंग्री यंग मैन कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन की इस छवि को कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव (केआईएफएफ) में एक प्रदर्शनी के माध्यम से पेश किया गया। प्रदर्शनी में जंजीर (1973), दीवार (1975), शोले (1975), काला पत्थर (1979) और शक्ति (1982) जैसी फिल्मों में अमिताभ की उन भूमिकाओं को प्रमुखता से दिखाया गया, जिनके कारण उन्हें बॉलीवुड का एंग्री यंग मैन कहा जाता है।1970 और 1980 के दशक में बनी इन फिल्मों में नायक को बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, अपराध, सामाजिक उथल-पुथल और सरकारी तंत्र के खिलाफ लड़ते दिखाया गया था।

प्रदर्शनी की क्यूरेटर और केआईएफएफ की अधिकारी सुदेशना रॉय ने एक एजेंसी से कहा, सबसे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिग बी (अमिताभ बच्चन) को सम्मानित करने के लिए कुछ विशेष करने का विचार रखा था, जिसके बाद केआईएफएफ अध्यक्ष राज चक्रवर्ती और अन्य ने प्रदर्शनी आयोजित करने का फैसला किया।

अमिताभ ने बृहस्पतिवार को 28वें केआईएफएफ का उद्घाटन किया था। उन्होंने इस अवसर पर अपने भाषण में कहा था, शुरुआती दौर से लेकर अब तक सिनेमा की विषय-वस्तु में कई बदलाव आए हैं, पौराणिक फिल्मों और समाजवादी सिनेमा से लेकर एंग्री यंग मैन के आगमन तक। अब ऐतिहासिक विषयों पर बनने वाली मौजूदा फिल्में काल्पनिक अंधराष्ट्रवाद में डूबी हुई हैं। केआईएफएफ ने पहली बार किसी जीवित दिग्गज के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इससे पहले सत्यजीत रे, सौमित्र चटर्जी, इंगमार बर्गमैन और अकिरा कुरोसावा जैसे दिग्गजों के लिए इस प्रकार की प्रदर्शनियां आयोजित की जा चुकी हैं।

गगनेंद्र प्रदर्शनीशाला और नजरूल तीर्थ में आयोजित यह प्रदर्शनी 22 दिसंबर तक लगेगी। इस प्रदर्शनी में अमिताभ के बचपन, कोलकाता में बर्ड एंड कंपनी के कार्यकारी के तौर पर कॉरपोरेट जगत में किए उनके काम, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ उनके परिवार के संबंधों, 1984 में राजनीति में उनके प्रवेश, 1987 तक उनके राजनीतिक जीवन में आए उतार-चढ़ाव और फिल्म जगत में उनकी वापसी एवं उसके बाद से उन्हें मिल रही सफलता को दर्शाया गया है। 

भोपाल: कबाड़ से 50 क्विंटल वजनी वीणा बनाई 

भोपाल: कबाड़ से 50 क्विंटल वजनी वीणा बनाई 

मनोज सिंह ठाकुर 

भोपाल। भारत की संस्कृति में संगीत का एक विशेष महत्व रहा है। वहीं शास्त्रीय संगीत जगत में वीणा सुर ध्वनियों के लिये भारतीय संगीत में प्रयुक्त सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र है। वीणा प्राचीन काल से ही भारतीय संगीत की धरोहर रही है।

इस ही क्रम भोपाल में कबाड़ से 50 क्विंटल वजनी वीणा बनाई गई है। इसको लेकर दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी वीणा है। कहा जा रहा है कि इस वीणा को बनाने में 12 से 15 लाख रुपये का खर्च आया है और निर्माण में 480 घंटे का समय लगा है। 

कबाड़ से जुगाड़ 
कबाड़ से कंचन थीम पर पवन देश पांडे और देवेन्द्र शाक्य की टीम ने इसे  तैयार किया है। कबाड़ से बनी इस वीणा की लंबी 28 फीट है और ऊंचाई 12 फीट है वही इस की चौड़ी 10 फीट है। इस वीणा को बनाने में कबाड़ का स्तेमाल किया गया है। जैसे चैन, गियर, बैयरिंग और वायर आदि  इस वीणा को  ऐसी जगह इंस्टॉल किया जाएगा जहां इस के सात सेल्फी ले सकें।

प्रतिदिन आठ घंटे इस पर किया काम
पवन देशपांडे और देवेंद्र शाक्य ने बताया वीणा को बनाने में 10 कलाकार ने काम किया है। जिनमें सैयद फारुख, शानिली देशपांडे, गुलफाम कुरैशी, गजेन्द्र शाक्य, संतोष मुआसी, फैजान अंसारी, फरहान कुरैशी और अरविंद पिछले छह महीने से जुटे थे। इसके निर्माण की शुरुआत बीते दो महीने पहले की गई थी। साठ दिन में हर रोज लगभग आठ घंटे इस वीणा के निर्माण के लिए काम किया गया।पवन देशपांडे और देवेंद्र शाक्य के अनुसार उनका और उनकी टीम का यह पांचवा प्रोजेक्ट है। इससे पहले भी उनकी टीम कबाड़ से रेडियो, गिटार, रोजा भोज और कोरोना वैक्सीन बना चुकी है। यह सामग्री शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थापित है. अब उनकी टीम द्वारा भोपाल का यह पांचवां सबसे बड़ा प्रोजेक्ट वीणा के रूप में तैयार किया है।

50 क्विंटल लोहे से बनी है वीणा
इस वीणा को बनाने में 50 क्विंटल लोहा लगा है। जिनमें कबाड़ से चैन, गियर बॉक्स, बैयरिंग, वायर, लोहे की बड़ी चैन सहित अन्य सामान शामिल है। जबकि वीणा को खूबसूरती देने के लिए लगभग 20 लीटर कलर का उपयोग किया गया है। बता दें कि अयोध्या में बनी कांस्य की वीणा में लगभग आठ करोड़ रुपए खर्च करने की बात सामने आई है, जबकि भोपाल बनी इस वीणा में 15 लाख रुपए खर्च आया है।

एससी के लिए कोई केस छोटा नहीं होता: चंद्रचूड़

एससी के लिए कोई केस छोटा नहीं होता: चंद्रचूड़ 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कानून मंत्री किरण रिजिजू के 'सुप्रीम कोर्ट को ज़मानत याचिकाओं व निरर्थक जनहित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। बयान के बाद सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई केस छोटा नहीं होता। उन्होंने कहा, अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में कार्रवाई कर राहत नहीं देते तो हम यहां क्या कर रहे हैं? चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई मामला बहुत छोटा नहीं है। उन्होंने आगे कहा, अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं और राहत नहीं देते हैं तो हम यहां क्या कर रहे हैं? संयोग से केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को संसद में टिप्पणी की थी कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए, बल्कि संवैधानिक मामलों की सुनवाई करनी चाहिए।

सीजेआई की टिप्पणी, जो कानून मंत्री के बयान की संभावित प्रतिक्रिया के रूप में सामने आ सकती है, एक मामले की सुनवाई के दौरान आई, जिसमें व्यक्ति को बिजली की चोरी के लिए कुल 18 साल की लगातार सजा काटने का आदेश दिया गया। आरोपी ने प्ली बार्गेनिंग स्वीकार कर ली और उसे नौ मामलों में से प्रत्येक में दो साल की सजा सुनाई गई। अधिकारियों ने माना कि सजाएं समवर्ती के बजाय लगातार चलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुल 18 साल की सजा होती है। सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने जैसे ही मामला लिया, कहा, बिल्कुल चौंकाने वाला मामला। खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ता पहले ही 7 साल की सजा काट चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यह आदेश देने से इनकार करने के बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उसकी सजा समवर्ती रूप से चलनी चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "अगर सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना है तो हम यहां किस लिए हैं? अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और हम इस व्यक्ति की रिहाई का आदेश नहीं देते हैं तो हम यहां किस लिए हैं। तब हम संविधान के अनुच्छेद 136 का उल्लंघन कर रहे हैं।

पीठ ने सीनियर एडवोकेट और मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस नागामुथु की सहायता मांगी, जो संयोग से अन्य मामले के लिए अदालत में थे, जिसे उन्होंने असाधारण स्थिति कहा था। नागमुथु ने हाईकोर्ट के आदेश को गलत बताते हुए कहा, यह आजीवन कारावास बन जाता है। सीजेआई का तुरंत जवाब आया, "इसलिए सुप्रीम कोर्ट की जरूरत है। सीजेआई ने कहा, जब आप यहां बैठते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई भी मामला छोटा नहीं होता और कोई मामला बहुत बड़ा नहीं होता। क्योंकि हम यहां अंतरात्मा की पुकार और नागरिकों की स्वतंत्रता की पुकार का जवाब देने के लिए हैं। यही यहां कारण है। यह बंद मामला नहीं हैं। जब आप यहां बैठते हैं और आधी रात को रौशनी जलाते हैं तो आपको एहसास होता है कि हर रोज कोई न कोई मामला ऐसा ही होता है।

अपीलकर्ता को राहत देते हुए पारित आदेश में पीठ ने कहा कि यह प्रतीत होता है कि छोटे नियमित मामलों में है कि न्यायशास्त्रीय और संवैधानिक दोनों दृष्टियों से पल-पल के मुद्दे सामने आते हैं। पीठ ने आदेश में कहा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अहस्तांतरणीय अधिकार है। ऐसी शिकायतों पर ध्यान देने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपना कर्तव्य निभाता है, न अधिक और न ही कम। खंडपीठ ने आदेश में कहा, वर्तमान मामले के तथ्य एक और उदाहरण प्रदान करते हैं कि इस न्यायालय के लिए इस औचित्य का संकेत देता है कि वह जीवन के मौलिक अधिकार और प्रत्येक नागरिक में निहित व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रक्षक के रूप में अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करे। यदि अदालत ऐसा नहीं करती हैं तो वर्तमान मामले में सामने आई प्रकृति के न्याय के गंभीर गर्भपात को जारी रहने दिया जाएगा और जिस नागरिक की स्वतंत्रता को निरस्त कर दिया गया है, उसकी आवाज पर कोई ध्यान नहीं दिया जाएगा।

पीठ ने आदेश में जोड़ा, इस अदालत का इतिहास इंगित करता है कि यह नागरिकों की शिकायतों से जुड़े प्रतीत होने वाले छोटे और नियमित मामलों में है, जो न्यायशास्त्रीय और संवैधानिक दोनों दृष्टियों से पल-पल के मुद्दे सामने आते हैं। नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए इस अदालत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 136 में सन्निहित ध्वनि संवैधानिक सिद्धांतों पर हस्तक्षेप इसलिए स्थापित किया गया। व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त अनमोल और अविच्छेद्य अधिकार है। ऐसी शिकायतों पर ध्यान देने में सुप्रीम कोर्ट सादा संवैधानिक कर्तव्य, दायित्व और कार्य करता है। इससे अधिक और कुछ नहीं कम नहीं है। पीठ ने यह आदेश देकर अपील स्वीकार कर ली कि अपीलकर्ता के खिलाफ नौ मामलों में सजा साथ-साथ चलनी चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने आदेश लिखने के बाद टिप्पणी की, "सभी ने कहा और किया, आप बिजली की चोरी के अपराध को हत्या के अपराध की सजा तक नहीं बढ़ा सकते, जबकि हाईकोर्ट को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए था।

उत्पादों की बिक्री से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा 

उत्पादों की बिक्री से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा 

नरेश राघानी 

कोटा। राजस्थान में कोटा के जिला कलक्टर ओपी बुनकर ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह की ओर से उत्पादित हथकरघा उत्पादों की बिक्री से निश्चित रूप से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। बुनकर ने शुक्रवार को संभाग स्तरीय अमृता हाट मेले का उद्घाटन शुक्रवार को दशहरा मैदान स्थित श्रीराम रंगमंच में किरते हुये यह बात कही। मेले में प्रदेश भर के महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा उत्कृष्ट हस्तनिर्मित उत्पादों की 110 दुकानें लगाई गई है।

जिला कलक्टर ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह के उत्पाद गुणवत्ता के साथ महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेहतर होते हैं। स्थानीय स्तर पर महिला समूह द्वारा एकता एवं मनोभाव से घरेलू उत्पादों का निर्माण किया जाता है।आज के बाजारीकरण के युग में महिला स्वयं सहायता समूह के उत्पादों का भली-भांति प्रचार-प्रसार हो तो निश्चित रूप से महिला सशक्तिकरण की दिशा में कारगर कदम होगा। बुनकर ने कोटा संभाग स्तर पर आयोजित मेले में प्रदेश भर के उत्कृष्ट विशेषताओं के उत्पादों का प्रदर्शन देखने खरीद के लिए अधिक से अधिक लोगों को आमंत्रित करने का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा कि सभी विभागों के कार्मिक भी शनिवार, रविवार के अवकाश में अमृत आहट मेले में आएंगे। उन्होंने मेले में भ्रमण कर प्रत्येक दुकान का अवलोकन भी किया। महापौर राजीव अग्रवाल ने कहा कि महिला समूह द्वारा आवश्यकता पड़ने पर समय-समय पर उत्कृष्ट उत्पादन के माध्यम से समाज की सेवा की है।

उन्होंने इस प्रकार के मेले हर 3 माह में आयोजित करने का सुझाव दिया। अतिरिक्त आयुक्त अंबा लाल मीणा ने कहा कि नगर निगम मेला आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाएगा। उन्होंने प्लास्टिक पर प्रतिबंध को देखते हुए महिला समूह को कपड़े के थैले भी तैयार कर जागरूकता लाने का आह्वान किया। 

महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक मनोज मीणा ने बताया कि अमृता हाट मेला प्रतिवर्ष संभाग स्तर पर आयोजित किया जाता है। इस बार 110 दुकाने इस मेले में विभिन्न जिलों के महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा लगाई गई है। उन्होंने कहा कि मेले में प्रत्येक जिले के उत्कृष्ट उत्पादों का प्रदर्शन, खरीद का अवसर कोटा के नागरिकों को मिलेगा। प्रत्येक दिन 200 रूपये की खरीद पर प्रत्येक उपभोक्ता को एक कूपन दिया जाएगा जिसका सांय के समय लकी ड्रॉ निकाला जाएगा।

जिसमें प्रथम 3 उपभोक्ताओं को चांदी का सिक्का तथा 7 उपभोक्ताओं को सांत्वना पुरस्कार दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मेले में प्रत्येक दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी जिनमें कोई भी नागरिक भाग ले सकता है।

..बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओश् अभियान की ब्रांड एंबेसडर हेमलता गांधी ने बताया कि महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित उत्पादों की डिमांड अब बाजार में बढ़ने लगी है। उन्होंने शहरी राजीविका मिशन के तहत समूह के गतिविधियों के बारे में बताया। समारोह में कुमारी नेहा पांचाल ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।

'एकीकृत औषधि’ के लिए अलग इकाई बनाने पर कार्य 

'एकीकृत औषधि’ के लिए अलग इकाई बनाने पर कार्य 

इकबाल अंसारी 

हैदराबाद। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार सभी चिकित्सा कॉलेज और अस्पतालों में ‘‘एकीकृत औषधि’’ के लिए एक अलग इकाई बनाने पर काम कर रही है। पारंपरिक औषधि को पूरक उपचार से जोड़ने वाली पद्धति को एकीकृत औषधि कहा जाता है। मांडविया ने ‘हार्टफुलनेस’ द्वारा आयोजित ‘इंटरनेशनल इंटीग्रेटिव हेल्थ एंड वेलबीइंग’ (आईएचडब्ल्यू) कांफ्रेंस, 2022 में दिए अहम संबोधन में कहा कि सरकार ने ऐसे मंचों पर 1,50,000 स्वास्थ्य और वेलनेस केंद्र स्थापित किए हैं, जो ध्यान, योग तथा एकीकृत स्वास्थ्य से जुड़ी सभी गतिविधियिों को बढ़ावा देते हैं।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आने वाले दिनों में हम सभी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एकीकृत औषधि के लिए अलग शाखा बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के मकसद से हम सभी के लिए संस्थाओं के दरवाजे खोल रहे हैं।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एकीकृत औषधि वक्त की जरूरत है और अनुसंधान सरकारी प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए। मांडविया ने कहा कि भारत ने कोविड-19 के दौरान कीमतों में वृद्धि किए बिना 150 देशों को दवाएं भेजीं। उन्होंने कहा, ‘‘संकट के समय में मानव जाति की मदद करने के कारण दुनिया भारत पर विश्वास करने लगी है।’’

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फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी

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