शनिवार, 17 दिसंबर 2022

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-67, (वर्ष-06)

2. रविवार, दिसंबर 18, 2022

3. शक-1944, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दसमीं, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:44, सूर्यास्त: 05:24। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 11 डी.सै., अधिकतम- 19+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

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शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022

चुनाव के लिए बनाए गए मतदान केंद्रों का निरीक्षण 

चुनाव के लिए बनाए गए मतदान केंद्रों का निरीक्षण 

भानु प्रताप उपाध्याय 

मुजफ्फरनगर। आगामी निकाय चुनाव को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए पुलिस अभी से अपनी तैयारियों में जुटी हुई है। शुक्रवार को एसएसपी विनित जायसवाल ने शाहपुर थाना क्षेत्र में निकाय चुनाव के लिए बनाए गए मतदान केंद्रों का निरीक्षण किया। एसएसपी ने पुलिस को निरोधात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए है। एसएसपी ने चुनाव हेतु की गयी तैयारियों की समीक्षा भी की।

आगामी नगर निकाय चुनाव को जनपद में सकुशल सम्पन्न कराने व सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ रखने हेतु एसएसपी विनीत जायसवाल द्वारा पुलिस अधिकारियों के साथ थाना शाहपुर क्षेत्रान्तर्गत शाहपुर कन्या इंटर कॉलेज स्थित मतदान केन्द्र का निरीक्षण किया गया। इस दौरान थानाध्यक्ष शाहपुर कर्मवीर सिंह व अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। एसएसपी ने मतदान केन्द्र पर पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेेते हुए अपराधियों व हिस्ट्रीशीटर पर कार्रवाई के निर्देश दिए। निकाय चुनाव को लेकर पुलिस लगातार तैयारियों में जुटी हुई है।

कमजोर वर्गों के बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित, निर्देश

कमजोर वर्गों के बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित, निर्देश

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि यह इसके लिए उपयुक्त समय है, कि न्यायपालिका लोगों द्वारा उससे सम्पर्क करने का इंतजार किये बिना उन तक पहुंच बनाएं।

अदालत ने कहा कि इन बच्चों को शिक्षा के अपने मौलिक अधिकार का लाभ उठाने के लिए अदालत का रुख करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि संबंधित सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल यह सुनिश्चित करेंगे कि शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम में परिभाषित "कमजोर वर्गों" से संबंधित और शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा किसी शैक्षणिक सत्र में प्रवेश के लिए अनुशंसित किसी भी छात्र को प्रवेश से वंचित नहीं किया जाए या उनसे ऐसा व्यवहार नहीं किया जाए जो उनके लिए अप्रिय हो।

कई स्कूलों द्वारा प्रवेश से वंचित किए गए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से संबंधित बच्चों की ओर से पेश वकील ने बताया कि यहां तक कि चयनित छात्रों और उनके माता-पिता के लिए स्कूल के गेट बंद कर दिए गए। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने अपने फैसले में कहा, ‘‘कोई भी छोटे बच्चों और उनके माता-पिता द्वारा सामना किए गए अपमान की कल्पना कर सकता है।

यह अदालत, संविधान के संरक्षक के रूप में, शिक्षा प्रदान करने की महान सेवा में संलग्न संस्थाओं द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन पर मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती।’’ अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं से यह पता चलता है कि आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ डीओई द्वारा जारी निर्देशों या परिपत्रों का उल्लंघन किया जा रहा है। अदालत ने कहा, ‘‘इन बच्चों ने और कोई अपराध नहीं किया है, सिवाय इसके कि वे गरीबी में पैदा हुए हैं। इस अदालत की अंतरात्मा पर गरीब बच्चों और उनके माता-पिता के कष्टों का भार है। स्थिति भयावह और पीड़ादायक है। यह न्याय का उपहास और सरकार द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में पूरी तरह से विफलता है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘पूर्वोक्त विश्लेषण के साथ-साथ प्राथमिक शिक्षा स्तर पर आरटीई अधिनियम के कार्यान्वयन को लेकर दिल्ली एनसीटी में दयनीय स्थिति में सुधार करने के वास्ते कमजोर वर्ग से संबंधित गरीब बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित करने के संबंध में डीओई को निर्देश जारी करने को लेकर इस अदालत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करना उचित है।’’

याचिकाएं प्राथमिक स्तर पर विभिन्न निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में आरटीई अधिनियम की धारा 2 (ई) के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित छात्रों के प्रवेश के लिए दायर की गईं थीं। ईडब्ल्यूएस श्रेणी के इन छात्रों को दिल्ली सरकार के डीओई द्वारा पत्र दिया गया है, जिसमें आरटीई अधिनियम की योजना के तहत राष्ट्रीय राजधानी में संबंधित स्कूलों में उनके प्रवेश की पुष्टि की गई है।

ये पत्र डीओई द्वारा आयोजित ड्रा के अनुसार जारी किए गए थे और परिणाम सभी स्कूलों के साथ-साथ ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित कुछ भाग्यशाली बच्चों को सूचित किए गए थे, जो इस तरह के ड्रॉ द्वारा चुने गए थे। बच्चों के पास डीओई से प्रवेश के लिए पत्र होने के बावजूद, स्कूलों ने उन्हें प्रवेश देने से मना कर दिया। 

पीएम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी, आलोचना 

पीएम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी, आलोचना 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो की आलोचना करते हुए शुक्रवार को कहा कि पड़ोसी देश के विदेश मंत्री ‘‘नैतिक, बौद्धिक और आर्थिक रूप से दिवालिया’’ देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और आतंकवाद को समर्थन देने के कारण, उसकी (पाकिस्तान की) कोई विश्वसनीयता नहीं है।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भुट्टो की यह टिप्पणी इस दिन भारत से मिली हार पर पाकिस्तान के दर्द का नतीजा हो सकती है। उनका इशारा 1971 के युद्ध में आज ही के दिन पाकिस्तान पर हुई भारत की जीत की ओर था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री का बयान बहुत ही घृणित और शर्मनाक है। उन्होंने कहा, ‘‘यह आज के ही दिन भारत से हारने के पाकिस्तान के दर्द का नतीजा हो सकता है। हार के बाद उनके नाना जोर-जोर से रोए। इसके बावजूद पाकिस्तान की धरती लगातार आतंकियों को संरक्षण देने की कोशिश कर रही है। चाहे वह जम्मू-कश्मीर में हो या भारत के विभिन्न हिस्सों में, यह दुनिया से छिपा नहीं है।’’

मोदी पर ‘‘गुजरात के कसाई’’ वाले बयान के लिए भुट्टो की आलोचना करते हुए विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि पाकिस्तान से इससे बेहतर की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि ये वे लोग हैं जिन्होंने बलूचिस्तान में लोगों की हत्या की है। उन्होंने कहा, ‘‘आम तौर पर किसी भी संप्रभु देश के विदेश मंत्री इस तरह से नहीं बोलते हैं। लेकिन यह पाकिस्तान है। आप इससे क्या उम्मीद कर सकते हैं? ये वो लोग हैं, जिन्होंने बलूचिस्तान में लोगों की हत्या की है। ये वे लोग हैं जिन्होंने कश्मीर में लोगों को मारा है। ये पंजाब के कसाई हैं। ये कराची के कसाई हैं।’’

भुट्टो ने यह टिप्पणी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में आतंकवाद को समर्थन देने को लेकर पाकिस्तान पर तीखा हमला करने के बाद की। भाजपा के विदेश मामलों से संबंधित विभाग के प्रमुख विजय चौथाईवाले ने कहा कि पाकिस्तान में भी भुट्टो की टिप्पणियों को कोई गंभीरता से नहीं लेता।

उन्होंने कहा, ‘‘वह पाकिस्तान के पप्पू हैं और एक ही हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान नैतिक, बौद्धिक और आर्थिक रूप से दिवालिया देश है। अपने स्वयं के कृत्यों के कारण, जिसमें आतंकवादियों को समर्थन देना और सीमा पार आतंकवाद को एक नीति बनाना शामिल है, उन्होंने सभी प्रकार की विश्वसनीयता खो दी है, जो उनके पास हो सकती थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भुट्टो की टिप्पणी स्पष्ट रूप से निंदनीय है। लेकिन विश्व मंच पर उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं है और उनसे इससे बेहतर की उम्मीद नहीं की जा सकती।’’ लेखी ने कहा कि पाकिस्तानी मंत्री की टिप्पणी उनकी खुद की ‘‘मानसिक कमी और दिवालियेपन’’ को दर्शाती है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत स्टार्टअप और इनक्यूबेशन पर काम कर रहा है, जबकि पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए इनक्यूबेटर के रूप में जाना जाता है। एक दिवालिया देश का प्रतिनिधित्व बौद्धिक रूप से दिवालिया लोगों द्वारा किया जाता है, जो यह भी नहीं जानते कि पाकिस्तान कितनी बार वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची में शामिल रहा है।’’

चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर पाबंदी, प्रस्ताव विचाराधीन नहीं 

चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर पाबंदी, प्रस्ताव विचाराधीन नहीं 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों (ओपिनियन पोल) पर पाबंदी का कोई प्रस्ताव उसके विचाराधीन नहीं है। गौरतलब है कि चुनावों की घोषणा के बाद ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध लगाने की मांग कई वर्ग करते आ रहे हैं। क्या सरकार चुनाव की घोषणा होने और आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद ओपिनियन पोल और एक्जिट पोल पर रोक लगाने पर विचार कर रही है, इस प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि ओपिनियन पोल पर पाबंदी के संबंध में ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

निर्वाचन आयोग ने चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा और मतदान के अंतिम चरण के बीच ओपिनियन पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की थी।रीजीजू ने अपने जवाब में कहा कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में मतदान शुरू होने से लेकर मतदान समाप्त होने के आधे घंटे बाद तक की अवधि में किसी तरह का एक्जिट पोल करने और इसके नतीजे किसी भी माध्यम से प्रकाशित और प्रसारित करने पर पाबंदी है।

'सीयूईटी-यूजी' के दूसरे संस्करण का आयोजन होगा 

'सीयूईटी-यूजी' के दूसरे संस्करण का आयोजन होगा 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। विश्वविद्यालयीन सामान्य प्रवेश परीक्षा-स्नातक (सीयूईटी-यूजी) के दूसरे संस्करण का आयोजन 21 से 31 मई 2023 के बीच किया जाएगा। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने शुक्रवार को यह घोषणा की। एनटीए ने बताया कि विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले की प्रक्रिया जुलाई 2023 तक पूरी कर ली जाएगी और नया शैक्षणिक सत्र एक अगस्त से शुरू हो सकता है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पिछले साल मार्च में घोषणा की थी कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों दाखिले एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से किए जाएंगे, न कि कक्षा 12 के अंकों के आधार पर। यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार के मुताबिक, सीयूईटी-यूजी के लिए आवेदन प्रक्रिया फरवरी 2023 के पहले सप्ताह में शुरू होगी। उन्होंने बताया, “विषयों की संख्या और प्रश्न पत्रों का पैटर्न समान रहेगा।

एक अभ्यर्थी सामान्य परीक्षा के अलावा छह डोमेन विषयों और एक या दो भाषाओं की परीक्षा दे सकता है। परीक्षा निम्नलिखित भाषाओं में आयोजित की जाएगी-असमिया, बांग्ला, अंग्रेजी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू।” कुमार के अनुसार, एनटीए देशभर में 1,000 परीक्षा केंद्र तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है, जिनमें से 450 से 500 केंद्रों पर रोजाना परीक्षा होगी।

उन्होंने बताया कि सीयूईटी-पीजी परीक्षा की तारीखें भी अगले हफ्ते घोषित की जा सकती हैं। कुमार ने कहा, “सीयूईटी-पीजी परीक्षा जून 2023 के पहले या दूसरे सप्ताह में होने की संभावना है। सीयूईटी-यूजी परीक्षा के नतीजे जून 2023 के तीसरे सप्ताह में घोषित करने की योजना है। वहीं, सीयूईटी-पीजी के परिणाम जुलाई 2023 के पहले हफ्ते में घोषित किए जा सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “सीयूईटी-यूजी और सीयूईटी-पीजी के निर्धारित परीक्षा कार्यक्रम के साथ विश्वविद्यालय जुलाई 2023 के अंत तक अपनी प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं और एक अगस्त 2023 तक नया शैक्षणिक सत्र शुरू किया जा सकता है।” सीयूईटी-यूजी के पहले संस्करण का आयोजन इस साल जुलाई में किया गया था और इसमें कई खामियां व शिकायतें सामने आने के बाद एनटीए को विभिन्न केंद्रों पर परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी।

कई अभ्यर्थियों को परीक्षा से एक रात पहले उसे रद्द किए जाने की जानकारी दी गई थी, जबकि कई को परीक्षा केंद्रों से लौटा दिया गया था। सीयूईटी-यूजी औसत 14.9 लाख पंजीकरण के साथ अब देश में होने वाली दूसरी सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा है। इसने जेईई-मेन को पीछे छोड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की, जिसमें हर साल औसतन नौ लाख पंजीकरण होते हैं। नीट-यूजी (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक) भारत की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा है, जिसमें हर साल औसतन 18 लाख पंजीकरण होते हैं।

जहरीली शराब त्रासदी, डीजीपी को नोटिस जारी 

जहरीली शराब त्रासदी, डीजीपी को नोटिस जारी 

अकांशु उपाध्याय/अविनाश श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/पटना। बिहार में जहरीली शराब त्रासदी को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बिहार सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नोटिस जारी किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। गौरतलब है कि जहरीली शराब पीने से बिहार में 30 लोगों की मौत हो गई है। आयोग ने अपने बयान में कहा कि बिहार में अप्रैल, 2016 से शराब के सेवन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है, हालांकि इसका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हुआ है।

सारण जहरीली शराब त्रासदी मामले में मृतकों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 30 हो गई, जो बिहार में छह साल पहले लागू मद्य निषेध की नीति के बाद से जहरीली शराब से मरने वालों की सर्वाधिक संख्या है। इस घटना का असर राज्य विधानसभा में भी दिखना जारी है, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने राजभवन भवन मार्च से पहले दोनों सदन की कार्यवाही को बाधित किया। हालांकि, अपुष्ट खबरों में दावा किया गया है कि अवैध रूप से तैयार देशी शराब पीकर मरने वालों की संख्या करीब 50 है। आयोग ने मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि बिहार के सारण जिले में कथित रूप से जहरीली शराब पीने के कारण कई लोगों की मौत हो गई।

आयोग ने कहा कि यदि मीडिया में आई खबरें सही हैं, तो इससे मानवाधिकार को लेकर चिंता पैदा होती है। आयोग के बयान के मुताबिक, उसने बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी करके विस्तृत ब्योरा तलब किया है, जिसके तहत पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी, अस्पताल में भर्ती पीड़ितों का चिकित्सा उपचार और पीड़ित परिजनों को दी गई क्षतिपूर्ति (यदि की गई है तो) की जानकारी मांगी गई है।

आयोग ने यह भी जानना चाहा कि इस त्रासदी को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। आयोग ने सरकार से इस बारे में यथा शीघ्र जवाब मांगा है, लेकिन यह जवाब आदेश जारी होने के बाद से चार हफ्ते के अंदर देना होगा। पंद्रह दिसंबर को जारी चिकित्सा रिपोर्ट के मुताबिक, छपरा इलाके में मरौढ़ा थाना अंतर्गत मशरख, इशुआपुर और अमनौर गांवों में ये मौतें हुईं।

बयान में कहा गया है कि पुलिस को संदेह है कि ग्रामीणों ने आस-पास के इलाकों में एक सामान्य दुकान से शराब खरीदी होगी। मृतकों के परिजनों ने कथित तौर पर कहा है कि 50 से अधिक लोगों ने देशी शराब पी थी। 

फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी

फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भविष्यवाणी क...