शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

गांधी का जन्मदिन तथा सरकार बनने की खुशी मनाई 

गांधी का जन्मदिन तथा सरकार बनने की खुशी मनाई 


शामली जिला शहर कांग्रेसियों ने दोहरी खुशियां मनाई... दीपक सैनी 

भानु प्रताप उपाध्याय 

शामली। कांग्रेस के शामली जिला अध्यक्ष दीपक सैनी के नेतृत्व में त्याग तथा बलिदान की मूर्ति कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी का जन्मदिन तथा हिमाचल प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सरकार बनने की खुशी धूमधाम से मनाई गई। जिला अध्यक्ष ने सोनिया गांधी को प्रतीकात्मक तौर पर मिठाई खिलाकर जन्मदिन की शुभकामनाएं दी तथा उनके संघर्ष तथा जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सोनिया गांधी भले ही पाश्चात्य संस्कृति में पली-बढ़ी और शिक्षा ग्रहण की। लेकिन जब वे भारत में आई तब वे भारत की होकर रह गई।

उन्हें भारत की परंपरा, भारत की संस्कृति, भारत की कला से बेहद लगाव रहा और उन्होंने इन चीजों को अपने जीवन में सदैव सादगी के रूप में अपनाया। जिला उपाध्यक्ष प्रवीण तरार जी ने सोनिया गांधी के जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि 2004 में सोनिया गांधी के पास मौका था, देश का प्रधानमंत्री बनने का। लेकिन उन्हें सत्ता की लालच ना होने की वजह से उन्होंने प्रधानमंत्री पद ग्रहण नहीं किया और एक विद्वान तथा सूझबूझ वाले व्यक्ति डॉ मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमंत्री बनाया। उन्होंने सुषमा स्वराज की उस मंतव्य का भी लाज रखा जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनेगी तो मैं अपने सर का बाल मुंडवा लूंगी और आजीवन जमीन पर सोऊंगी। शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव असिस्टेंट प्रोफेसर निर्भय सिंह ने सोनिया गांधी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जब देश की राजनीति सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की तरफ बढ़ रहा था।

उस समय राजनीति की अनिच्छुक सोनिया गांधी ने भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए पार्टी की बागडोर संभाली और उन्होंने आम जनमानस में बने एक सर्वमान्य नेता के तौर पर अटल बिहारी वाजपेई को सत्ता से बेदखल किया, तथा उन्हीं के नेतृत्व में नागरिकों को अधिकार देने वाले ऐतिहासिक कानून पास किए गए। गरीबों, मजदूरों, महिलाओं,  शोषित के लिए हमेशा चिंतित रही और उनके हितों के लिए अनेकों कानूनों का निर्माण कराया। चाहे वह सूचना का हो, लड़कियों को पिता में संपत्ति का अधिकार हो, फूड सिक्योरिटी बिल हो, सिटीजन चार्टर हो, मनरेगा हो ऐसी तमाम लोक कल्याणकारी नीतियों में सोनिया गांधी की छाप दिखाई देती है।

उत्तर प्रदेश पिछड़े वर्ग के प्रदेश महासचिव शेखर पाल ने भी हिमाचल प्रदेश की जीत की बधाई और सोनिया गांधी के जन्मदिन की शुभकामनाएं दी तथा उन्होंने सोनिया गांधी के व्यक्तित्व और व्यवहार को लोगों के लिए प्रेरक बताया। दीपक सैनी कांग्रेस जिलाध्यक्ष, प्रवीण तरार जिला उपाध्यक्ष,  शैखरपाल प्रदेश महासचिव, अनुज गोतम शहर अध्यक्ष, निर्भय सिंह प्रोफेसर प्रदेश महासचिव, सुरेंद्र सरोहा संदीप शर्मा जिला सचिव, रामशरण नामदेव, प्रमोद कश्यप, रामपाल पांचाल, महाबीर सैनी, आदि मौजूद रहे।

36 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मान दिया: राष्ट्रपति

36 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मान दिया: राष्ट्रपति 

अकांशु उपाध्याय/पंकज कपूर

नई दिल्ली/देहरादून। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने शुक्रवार को दून विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में 36 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। समारोह में वर्ष 2021 के स्नातक, परास्नातक एवं पी.एच.डी के 669 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 36 विद्यार्थियों में 24 छात्राएं शामिल थीं। जिन्होंने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की थीम ‘उभरती नारी शक्ति’ को चरितार्थ किया।

राष्ट्रपति ने देवभूमि उत्तराखंड को नमन करते हुए कहा कि आज दून विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेकर उन्हें बहुत खुशी हो रही है। डिग्री और मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस दिन की स्मृति इन विद्यार्थियों के जीवन-यात्रा के सबसे यादगार अनुभव में से एक रहेगी। आज इन विद्यार्थियों का एक सपना साकार हो रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा के विभिन्न मानकों पर एक उत्कृष्ट संस्थान के रूप में अपनी पहचान बनाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति, उसके मानव संसाधन की गुणवत्ता पर निर्भर होती है। मानव संसाधन की गुणवत्ता, शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। आज का युवा, कल का भविष्य है, इस सूत्र वाक्य को अंगीकार करते हुए, दून विश्वविद्यालय को सिर्फ राज्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्तापरक मानव संसाधन तैयार करने की दिशा में कार्यरत रहना है।

उन्होंने कहा कि दून विश्वविद्यालय युवाओं को सक्षम बनाने हेतु उन्हें कौशल प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है। विश्वविद्यालय द्वारा पांच विदेशी भाषाओं और तीन स्थानीय भाषाओं का भी अध्ययन व अध्यापन कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करना हमारी लोक संस्कृति की संरक्षण का सराहनीय प्रयास है। हमारी लोक भाषाएं हमारी संस्कृति की अमूर्त धरोहर हैं। विश्वविद्यालय ने वर्तमान सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है। भारत को नॉलेज सुपर पावर बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में यह उपयोगी कदम है। उन्होंने कहा कि हम स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य है कि देश को अगले पच्चीस वर्षो के अमृत- काल में विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल करें। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए युवा शक्ति का सहयोग अधिक महत्वपूर्ण होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में ’सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी चेयर स्थापित की गई है, जो राज्य के विकास के लिए नीति-निर्माण और क्षमता विकास के लिए समर्पित है। डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध एवं अध्ययन केन्द्र भी स्थापित किया गया है, जिसमें राज्य के भौगोलिक, ईकोलॉजिकल, आर्थिक और सामाजिक विकास से जुड़े विभिन्न विषयों में शोध और अध्ययन को प्रोत्साहित किया जायेगा। उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय स्तर के अनेक संस्थान भारतीय सैन्य अकादमी, भारतीय वन्य जीव संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री अकादमी, वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय पेट्रोलियम अनुसंधान संस्थान तथा गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय विद्यमान हैं जिनकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दून विश्व विद्यालय भी इन संस्थानों की तरह ख्याति प्राप्त करेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जो पूरे राष्ट्र में बदलाव ला सकता है। शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि छात्र तकनीकी कौशल से और अधिक सम्पन्न हां और स्वयं रोजगार की तलाश करने के बजाए दूसरों को रोजगार उपलब्ध करवाएं। विश्वविद्यालय में डेमोग्राफिक रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किये गये डाटा सेंटर से राज्य की डेमोग्राफिक इंफोर्मेशन सहज उपलब्ध होगी, और डेमोग्राफिक रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि हमारी बेटिया जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर रही हैं। इसका साक्षात उदाहरण आज के इस दीक्षांत समारोह में देखने को मिला 36 गोल्ड मेडल्स में से 24 मेडल छात्राओं को प्राप्त हुए हैं, जबकि सोलह शोधार्थियों में से आठ बेटियों को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई है। इससे यह सिद्ध होता है कि संस्थान में महिलाओं को शिक्षा के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं और उनको प्रोत्साहित करने के लिए संस्थान प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय में तकनीकी शिक्षा को विशेष रूप से बढ़ावा देने के लिए, तीन तकनीकी स्कूल- स्कूल ऑफ बायोलोजिकल साइंस, स्कूल ऑफ डिजाइन और स्कूल आफ एनवायरमेंट एंड नेचुरल रिसोर्सेज कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हमारी बेटियां विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करेंगी तो महिला सशक्तीकरण को और अधिक बल मिलेगा। आज उपाधि और पदक प्राप्त करने के बाद, इन विद्यार्थियों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि ये विद्यार्थी जिस भी क्षेत्र में जाएं, उस कार्य को बहुत निष्ठा से और सर्वोत्तम रूप से करें, तभी शिक्षा कारगर और सार्थक होगी।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि आज एक सुखद अनुभूति रही है। आज दून विश्वविद्यालय में सर्वोच्च मातृशक्ति के रूप में राष्ट्रपति हम सभी को आशीर्वाद प्रदान करने हेतु उपस्थित हुई हैं। विश्वविद्यालय ने पूरे वर्ष के लिए ‘उभरती नारी शक्ति’ थीम को आत्मसात किया है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे सामने है, आज विश्वविद्यालय की मीडिया एवं एन.सी.सी की टीम में बड़ी तादात में हमारी बेटियां भाग ले रही हैं। राज्यपाल ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन इन विद्यार्थियों के लिए एक उत्सव का दिन है, लेकिन आज का दिन मनन का भी है। कुछ साल पहले जब इन विद्यार्थियों ने इस ज्ञान के मन्दिर के अन्दर कदम रखा था, तो इनके ज्ञान के सच्चे साधक होने का प्रशिक्षण, आपके आलोचनात्मक सोच के क्षितिज को व्यापक बनाने का प्रशिक्षण शुरु हुआ था। दीक्षांत समारोह औपचारिक रूप से उस दीक्षा के पूरा होने का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि डिग्री हासिल करने का यह अर्थ नहीं है कि हमारी सीखने एवं ज्ञान अर्जन की प्रक्रिया पूरी हो गयी, उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये विद्यार्थी पूरे जीवन ज्ञान और विद्या के शिक्षार्थी बनें रहेंगे। राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि ये विद्यार्थी अपनी शिक्षा और ज्ञान का उपयोग न केवल अपनी भौतिक समृद्धि के लिए करेंगे, बल्कि अपनी आध्यात्मिक समृद्धि के लिए भी करेंगे। जीवन की सफलताओं में विनम्र बने रहेंगे,एक जिम्मेदार नागरिक बनेंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के संघर्षमय जीवन का फलक अत्यंत व्यापक रहा है। उनकी प्रगतिशील चेतना ही थी जिसने इन भीषण संघर्षों की ज्वाला में तपाकर उनको विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की राष्ट्रपति होने का गरिमामय आसन प्रदान किया। राष्ट्रपति जी का जीवन संघर्ष के साथ साथ महिला सशक्तिकरण की भी प्रेरणादाई मिसाल है। उनका सरल स्वभाव, धैर्यशीलता एवं विनम्र आचरण सभी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा राज्य प्राचीन काल से ही धर्म, आध्यात्म और संस्कृति की महान परम्परा का ध्वजवाहक रहा है। देवभूमि उत्तराखंड सच्चे अर्थों में वसुधैव कुटुम्बकम की समृद्ध विचारधारा का पुण्य स्त्रोत है, जहां से “चिपको“ जैसा जनआंदोलन प्रारंभ हुआ जिसने प्रकृति की महत्ता को विश्व पटल पर पुनः रेखांकित किया और विश्व को गौरा देवी जी जैसी जुझारू महिला के व्यक्तित्व से परिचित होने का मौका दिया।

उत्तराखण्ड के शैक्षणिक संस्थान भारत ही नहीं अपितु विश्वभर में विद्या के प्रचार प्रसार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उत्तराखंड की समृद्ध ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हुये दून विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को राज्य में लागू करने का निर्णय लिया जा चुका है। दून विश्वविद्यालय के लिये नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसलिये भी प्रासंगिक हो जाती है क्योंकि दून विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड का एकमात्र विश्वविद्यालय है जहाँ विदेशी भाषाओं जैसे जापानी, फ्रेंच, जर्मन, चीनी तथा स्पेनिश में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट एवं पीएच०डी० कोर्स संचालित किये जा रहे हैं, जिससे छात्रों को न केवल अंतराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की भाषा एवं संस्कृति को समझने में मदद मिल रही है बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को शुभकामना देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करना वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। राज्य में उच्च शिक्षा में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य में 05 लाख से अधिक विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिसमें से 65 प्रतिशत बालिकाएं हैं। 2025 तक राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने, क्षय रोग मुक्त उत्तराखण्ड, नशा मुक्त उत्तराखण्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर वैज्ञानिक, पद्मविभूषण डॉ० के. कस्तूरीरंगन, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया।

विज्ञापनों को लेकर मुआवजे की मांग, याचिका खारिज 

विज्ञापनों को लेकर मुआवजे की मांग, याचिका खारिज 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यू-ट्यूब पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों को लेकर गूगल इंडिया से 75 लाख रुपये के मुआवजे की मांग वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के निवासी द्वारा दायर याचिका को उदंडतापूर्ण’ बताया। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि विज्ञापनों के कारण उसका ध्यान भटक गया और वह एक प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सका। गूगल के स्वामित्व वाला यू-ट्यूब वीडियो प्रसारित करने वाला सोशल मीडिया मंच है।

न्यायमूर्ति संजय के. कौल और न्यायमूर्ति ए. एस. ओका ने पीठ के समक्ष पेश हुए याचिकाकर्ता से पूछा किया, ‘‘आप मुआवजा इसलिए चाहते हैं क्योंकि आपने इंटरनेट पर विज्ञापन देखे और आपका कहना है कि ध्यान भटकने के कारण आप परीक्षा पास नहीं कर सके?’’

पीठ ने कहा, ‘‘(संविधान के) अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिकाओं में यह सबसे उदंडतापूर्ण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की याचिकाएं न्यायिक समय की बर्बादी हैं।’’ याचिकाकर्ता ने सोशल मीडिया मंच पर नग्नता को भी प्रतिबंधित करने की मांग की। पीठ ने संज्ञान लिया कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वह परीक्षा की तैयारी कर रहा था और उसने यू-ट्यूब सब्सक्राइब किया हुआ हैजहां उसने कथित रूप से अश्लील सामग्री वाले विज्ञापन देखे। पीठ ने कहा, ‘‘अगर आपको विज्ञापन पसंद नहीं आया तोउसे नहीं देखें।’’

उसने कहा, ‘‘उन्होंने अपने विवेकाधिकार से विज्ञापन देखना क्यों चुना?’’ शुरूआत में पीठ ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। बाद में याचिकाकर्ता के अनुरोध करने पर न्यायालय ने उसे माफ कर दिया और जुर्माना हटा दिया। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि वह बेरोजगार है। पीठ ने कहा कि वह यूं ही न्यायालय आकर सिर्फ पब्लिसिटी (प्रचार) के लिए ऐसी याचिका दायर नहीं कर सकता है। पीठ ने जुर्माने का राशि को एक लाख रुपये से घटाते हुए कहा, ‘‘इसे 25,000 रुपये कर दें।’’

एसबीआई: ऑफिसर के पदों पर भर्ती, नोटिफिकेशन 

एसबीआई: ऑफिसर के पदों पर भर्ती, नोटिफिकेशन 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने स्पेशलिस्ट कैडर ऑफिसर के पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके तहत, कुल 54 SCO के पदों पर नियुक्तियां की जाएगी। इन पदों पर आवेदन प्रक्रिया आज, 9 दिसंबर से शुरू हुई है। वहीं, इन पदों पर आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 29 दिसंबर, 2022 है। अभ्यर्थी ध्यान रखें कि लास्ट डेट बीतने के बाद कोई एप्लीकेशन फॉर्म स्वीकार नहीं किए जाएंगे। आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को आधिकारिक वेबसाइट sbi.co.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे आवेदन करने से पहले सैलरी, वैकेंसी डिटेल्स, पात्रता मानदंड, आयु सीमा, शैक्षिक योग्यता और अन्य डिटेल्स की जांच कर लें। इसके बाद ही ओवदन करें, क्योंकि अगर एप्लीकेशन फॉर्म में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो वे आवेदन पत्र रिजेक्ट कर दिया जाएगा।

एसबीआई स्पेशलिस्ट कैडर ऑफिसर के पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को SBI के करियर पेज sbi.co.in/web/careers पर जाना होगा। इसके बाद, होमपेज पर, “SPECIALIST CADRE OFFICERS” Post की भर्ती” पोस्ट पर क्लिक करें। अब ऑनलाइन आवेदन करें” लिंक पर क्लिक करें। अब रजिस्टर करें और आवेदन प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ें। अब फॉर्म भरें, दस्तावेज अपलोड करें और शुल्क का भुगतान करें। इसके बाद फॉर्म जमा करें और भविष्य के संदर्भ के लिए एक प्रिंटआउट लेकर रख लें।

स्पेशलिस्ट कैडर ऑफिसर के पदों पर आवेदन करने वाले सामान्य/ईडब्ल्यूएस/ओबीसी श्रेणी के आवेदकों को 750 रुपये का शुल्क देना होगा, जबकि एससी/एसटी/पीडब्ल्यूडी श्रेणी के उम्मीदवारों को शुल्क के भुगतान से छूट दी गई है। वहीं, इस भर्ती से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए उम्मीदवारों को आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करना होगा।

नगर निगम में 640 बूथों पर ईवीएम से चुनाव होगा 

नगर निगम में 640 बूथों पर ईवीएम से चुनाव होगा 

संदीप मिश्र 

बरेली। नगर निकाय चुनाव को लेकर तैयारियां लगातार चल रही हैं। सरकारी मशीनरी तैयारियों को मुकम्मल करने में जुटी है। इस बार नगर निगम में 640 बूथों पर ईवीएम से चुनाव कराए जाएंगे। जबकि नगर पालिका, नगर पंचायतों में मतपत्रों से चुनाव होगा। इस तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसको लेकर दिन बढ़ने के साथ भी सरगर्मी तेज होती जा रही हैं। इस महीने कभी भी आचार संहिता लागू हो सकती है। चुनाव का समय करीब देख तैयारियों ने तेजी पकड़ ली है।जिले में कुल 1183 बूथों पर इस बार नगर निकाय का चुनाव होना है, इसमें नगर निगम के 640 बूथ हैं, जबकि नगर पालिका, नगर पंचायतों में 543 बूथ बनाए गए हैं।

नगर निगम के सभी 640 बूथों पर ईवीएम से चुनाव होगा, जबकि नगर पालिका, नगर पंचायतों के 543 बूथों पर मतदाता मतपत्रों को मतपेटियों में डालकर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। इसकी पूरी रूपरेखा बनाई जा चुकी है। प्रभारी सहायक निर्वाचन अधिकारी अंजनी प्रताप सिंह ने बताया कि, नगर निगम के जिन बूथाें पर ईवीएम से चुनाव हाेगा, वहां पर दो-दो सीयू (कंट्रोल यूनिट) ईवीएम, एक बीयू (बैलेट यूनिट) की व्यवस्था की जाएगी।

एक बूथ पर 15 से अधिक प्रत्याशी होने पर बैलेट यूनिट दो हो जाएंगी। एक बैलेट यूनिट 15 कॉलम ही होते हैं। 16 वां कॉलम नोटा होता है। ऐसे में प्रत्याशी की संख्या बढ़ने पर ईवीएम की संख्या बढ़ा दी जाएगी। वहीं, 10 प्रतिशत ईवीएम को रिजर्व में भी रखा जाएगा, जिससे जरूरत पड़ने पर तत्काल में उसका इस्तेमाल किया जा सके।

नागरिकों को भोजन कराना 'सरकार की जिम्मेदारी'

नागरिकों को भोजन कराना 'सरकार की जिम्मेदारी'

नरेश राघानी 

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि सभी नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराना हर सरकार की जिम्मेदारी है। गहलोत ने इस बारे में एक खबर साझा करते हुए ट्वीट किया, सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का हम स्वागत करते हैं। हमारी केन्द्र सरकार से निरंतर मांग रही है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का दायरा वर्तमान जनसंख्या के आधार पर बढ़ाया जाना चाहिए।

सभी नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराना हर सरकार की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान "कोई भूखा ना सोए" के संकल्प के साथ सभी को भोजन उपलब्ध कराया। उन्होंने लिखा, आज भी राज्य में करीब 900 इंदिरा रसोई संचालित हैं जहां आठ रुपये में भरपेट भोजन मिलता है जिसमें राज्य सरकार 17 रुपये प्रति थाली अनुदान देती है।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा था कि हमारी संस्कृति है कि किसी को भूखा नहीं सोना चाहिए। उसने केंद्र सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएसएफएस) के तहत खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। न्यायालय ने कहा था, यह सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि एनएफएसए के तहत खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। हम ऐसा नहीं कह रहे कि केंद्र कुछ नहीं कर रहा। केंद्र सरकार ने कोविड के दौरान लोगों तक अनाज पहुंचाया है। हमें यह भी देखना होगा कि यह जारी रहे। हमारी संस्कृति है कि कोई खाली पेट नहीं सोए।

दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों से 14 को मुलाकात करेंगे शाह

दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों से 14 को मुलाकात करेंगे शाह

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से 14 दिसंबर को मुलाकात करेंगे। राकांपा के एक नेता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अमोल कोल्हे ने यहां महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ शाह से मुलाकात करने के बाद पत्रकारों से यह बात कही।

महाराष्ट्र के शिरुर से लोकसभा के सदस्य कोल्हे ने पत्रकारों से कहा कि बैठक के दौरान एमवीए प्रतिनिधिमंडल ने शाह को बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद अब उस स्तर पर पहुंच गया है कि उससे हिंसा भड़क सकती है। कोल्हे ने कहा कि शाह ने 14 दिसंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की बैठक बुलाई है। 

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...