शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

'बिजली गिरने की वजह' एक रहस्य, जांच

'बिजली गिरने की वजह' एक रहस्य, जांच

सुनील श्रीवास्तव

एडिलेड। हर किसी ने बिजली देखी है और इसकी शक्ति पर आश्चर्य किया है। लेकिन इसकी आवृत्ति के बावजूद- दुनिया भर में हर दिन लगभग 86 लाख बार बिजली गिरती है। लेकिन इस बात को लेकर अब तक रहस्य बना हुआ था कि बिजली जब गरजते बादलों के बीच से धरती की तरफ गिरती है तो वह सीधी रेखा में नहीं बल्कि जिगजैड करते हुए आगे बढ़ती है। बिजली पर कुछ पाठ्यपुस्तकें हैं, लेकिन किसी में भी यह नहीं बताया गया है कि ये जिगजैग (जिन्हें सीढ़ियां कहा जाता है) कैसे बनते हैं, और कैसे बिजली किलोमीटर से अधिक यात्रा कर सकती है। 

मेरा नया शोध एक स्पष्टीकरण प्रदान करता है। गरजने वाले बादलों में तीव्र विद्युत क्षेत्र इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करते हैं ताकि एकल डेल्टा ऑक्सीजन अणु के रूप में जानी जाने वाली ऊर्जा का निर्माण किया जा सके। ये अणु और इलेक्ट्रॉन एक छोटे, अत्यधिक संवाहक कदम बनाने के लिए निर्मित होते हैं, जो एक सेकंड के दस लाखवें हिस्से के लिए तीव्रता से रोशनी करता है। कदम के अंत में, एक विराम होता है क्योंकि कदम का निर्माण फिर से होता है, उसके बाद एक और उज्ज्वल, चमकती छलांग होती है।

 प्रक्रिया को बार-बार दोहराया जाता है। चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि का मतलब है कि बिजली से सुरक्षा लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। बिजली गिरने की शुरुआत कैसे होती है, यह जानने का मतलब है कि हम यह पता लगा सकते हैं कि इमारतों, हवाई जहाजों और लोगों की बेहतर सुरक्षा कैसे की जाए। इसके अलावा, जबकि विमान में पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों के उपयोग से ईंधन दक्षता में सुधार हो रहा है, इन सामग्रियों से बिजली गिरने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए हमें अतिरिक्त सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। 

बिजली गिरने की वजह क्या है?
बिजली के हमले तब होते हैं जब लाखों वोल्ट की विद्युत क्षमता वाले गरजने वाले बादल पृथ्वी से जुड़ते हैं। जमीन और आसमान के बीच हज़ारों ऐम्पियर की धारा दसियों हज़ार डिग्री के तापमान के साथ बहती है। बिजली की तस्वीरें नग्न आंखों से न देखे गए कई विवरणों को प्रकट करती हैं। आमतौर पर बादल से बिजली की चार या पाँच आड़ी तिरछी रेखाएं धरती की ओर बढ़ती है। पृथ्वी पर पहुंचने वाली इन रेखाओं से सबसे पहले बिजली गिरने की शुरुआत होती है। इसके बाद अगली रेखाएं बनती हैं। 

पचास साल पहले, हाई-स्पीड फोटोग्राफी ने इस रहस्य से पर्दा हटाने में और भी मदद की। शुरूआती चमकीली रेखाएं लगभग 50 मीटर लंबे कदम भरती हुई बादल से नीचे की ओर बढ़ती हैं। प्रत्येक चरण एक सेकंड के दस लाखवें हिस्से के लिए चमकता है, लेकिन तब लगभग पूर्ण अंधकार होता है। एक सेकंड के 500 लाखवें हिस्से के बाद एक और चरण बनता है, पिछले चरण के अंत में, लेकिन पिछले चरण अंधेरे रहते हैं। 

ऐसे कदम क्यों बनते हैं? कदमों के बीच के अंधेरे काल में क्या हो रहा है?
कोई संपर्क दिखाई नहीं देता, फिर भी यह कदम विद्युत रूप से बादलों से कैसे जुड़े होते हैं। इन सवालों के जवाब यह समझने में निहित हैं कि क्या होता है जब एक ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन एक ऑक्सीजन अणु से टकराता है। यदि इलेक्ट्रॉन में पर्याप्त ऊर्जा है, तो यह अणु को एकल डेल्टा अवस्था में उत्तेजित करता है। यह एक मेटास्टेबल स्थिति है, जिसका अर्थ है कि यह पूरी तरह से स्थिर नहीं है - लेकिन यह आमतौर पर 45 मिनट के आसपास कम ऊर्जा की स्थिति में नहीं आती है। 

इस एकल डेल्टा स्थिति में ऑक्सीजन नकारात्मक ऑक्सीजन आयनों से इलेक्ट्रॉनों (बिजली के प्रवाह के लिए आवश्यक) को अलग करती है। इन आयनों को लगभग तुरंत इलेक्ट्रॉनों (जो एक नकारात्मक चार्ज लेते हैं) द्वारा फिर से ऑक्सीजन के अणुओं से जोड़कर बदल दिया जाता है। जब हवा में एक प्रतिशत से अधिक ऑक्सीजन मेटास्टेबल अवस्था में होती है, तो हवा बिजली का संचालन कर सकती है। तो बिजली डग भरते हुए इसलिए गिरती है क्योंकि महत्वपूर्ण संख्या में इलेक्ट्रॉनों को अलग करने के लिए पर्याप्त मेटास्टेबल स्थितियां बनाई जाती हैं।

चरण के अंधेरे भाग के दौरान, मेटास्टेबल स्थितियों और इलेक्ट्रॉनों का घनत्व बढ़ रहा है। एक सेकंड के 500 लाखवें हिस्से के बाद, कदम बिजली का संचालन कर सकता है - और कदम की नोक पर विद्युत क्षमता लगभग बादल की क्षमता तक बढ़ जाती है, और एक और कदम उत्पन्न करती है। पिछले चरणों में बनाए गए उत्तेजित अणु बादल तक एक स्तंभ बनाते हैं। पूरा स्तंभ तब विद्युत रूप से संचालित होता है, जिसमें विद्युत क्षेत्र की आवश्यकता नहीं होती है और प्रकाश का थोड़ा उत्सर्जन होता है। 

लोगों और संपत्ति की रक्षा करना
इमारतों, विमानों और लोगों के लिए भी सुरक्षा के डिजाइन के लिए तड़ित निर्माण की समझ महत्वपूर्ण है। हालांकि लोगों पर बिजली गिरना दुर्लभ है, इमारतों पर कई बार चोट लगती है - विशेष रूप से लंबी और अलग-थलग इमारतों पर। जब बिजली किसी पेड़ से टकराती है, तो पेड़ के अंदर का रस उबल जाता है और परिणामस्वरूप भाप दबाव पैदा करती है, जिससे तना फट जाता है। इसी तरह, जब बिजली किसी इमारत के कोने से टकराती है, तो बारिश का पानी जो कंक्रीट में रिसता है, उबलने लगता है। 

दबाव इमारत के पूरे कोने को उड़ा देता है, जिससे इमारत गिरने का खतरा पैदा हो जाता है। 1752 में बेंजामिन फ्रैंकलिन द्वारा ईजाद की गई एक बिजली की छड़ मूल रूप से एक इमारत के शीर्ष से जुड़ी और जमीन से जुड़ी एक मोटी बाड़ लगाने वाली तार है। इसे तड़ित को आकर्षित करने और विद्युत आवेश को पृथ्वी से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है। तार के माध्यम से प्रवाह को निर्देशित करके, यह भवन को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। ये फ्रैंकलिन छड़ें आज ऊंची इमारतों और चर्चों के लिए आवश्यक हैं, लेकिन यह तय करना मुश्किल है कि प्रत्येक संरचना पर कितने की आवश्यकता है।

महाराष्ट्र में जीका वायरस से संक्रमित मिला एक व्यक्ति 

महाराष्ट्र में जीका वायरस से संक्रमित मिला एक व्यक्ति 

कविता गर्ग 

पुणे। महाराष्ट्र के पुणे शहर में 67 वर्षीय एक व्यक्ति जीका वायरस से संक्रमित पाया गया, लेकिन अब वह इससे पूरी तरह उबर चुका है और उसमें इस रोग के कोई लक्षण नहीं हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन में कहा गया कि नासिक निवासी इस व्यक्ति को पिछले महीने संक्रमित पाया गया था, लेकिन इसके पहले उसने पड़ोसी राज्य गुजरात के सूरत शहर की यात्रा की थी। इसमें कहा गया है, ‘‘वह गत छह नवंबर को पुणे के बावधान इलाके में आया और बाद में सूरत चला गया।

वह 16 नवंबर को बुखार, कफ, जोड़ों में दर्द और थकावट के चलते इलाज के लिए जहांगीर अस्पताल पहुंचा। एक निजी प्रयोगशाला में 18 नवंबर को उसकी जांच कराई गई तो उसके जीका वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई।’’ पुणे स्थित राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान (एनआईवी) में की गई जांच में भी जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई।

बयान में कहा गया कि जांच रिपोर्ट के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने पुणे शहर और बावधान इलाके में गहन सर्वेक्षण किया। इससे पहले, इस साल जुलाई में मुंबई के पास पालघर जिले में सात साल की एक बच्ची जीका वायरस से संक्रमित पाई गई थी। मलेरिया और डेंगू की तरह जीका वायरस भी एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। इस वायरस की सबसे पहले पहचान अफ्रीकी देश युगांडा में 1947 में हुई थी।

गांव-गांव ढाणी तक पहुंचेगी 'जन आक्रोश रथ' यात्रा 

गांव-गांव ढाणी तक पहुंचेगी 'जन आक्रोश रथ' यात्रा 

नरेश राघानी 

अलवर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री और राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार के खिलाफ पार्टी की निकाली जाने वाली जन आक्रोश रथ यात्रा गांव-गांव ढाणी तक पहुंचेगी और इसको हर नागरिक से जोड़ा जाएगा। सिंह ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस जन आक्रोश यात्रा के तहत पीड़ित परिवारों से भी मिलने का काम होगा उनके दुख दर्द बांटे जाएंगे। वह आज अलवर में जनाक्रोश रथ यात्रा का शुभारंभ करने आए थे। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं ने माइक्रो लेवल पर पार्टी को घर-घर तक पहुंचने की प्लानिंग की है।

उन्होंने बताया कि जन आक्रोश यात्रा के दौरान सरकार की विफलताओं को बताया जाएगा। किस तरह अपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि इससे ज्यादा क्या हो सकता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी कुर्सी को बचाने के लिए अपने ही पार्टी के नेता को गद्दार तक बोल रहे हैं। जबकि उस नेता के दम पर ही कांग्रेस सरकार वापसी हुई थी। भाजपा द्वारा कोई बड़ा आंदोलन नहीं करने के सवाल पर श्री सिंह ने कहा कि भाजपा हर बात को लेकर आंदोलन करती है।

रीट एग्जाम को लेकर बड़ा आंदोलन किया विधानसभा में भी आंदोलन किया। अपराधिक घटनाओं को लेकर आंदोलन किया लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार का ध्यान जनता की ओर नहीं है बस कुर्सी बचाने में लगी हुई है। राजस्थान में मुख्यमंत्री के चेहरे पर सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा का कोई भी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री बन सकता है। मोदी के चेहरे पर ही सभी राज्यों में चुनाव लड़े जाएंगे। ई आरसीपी के मुद्दे पर उन्होंने बताया कि जब राजस्थान सरकार छोटे-छोटे मामलों का समाधान नहीं कर पा रही तो इतने बड़ी परियोजना को कैसे समाधान करेगी कि ईआरसीपी योजना तो भाजपा ही दूर करेगी।

बराड़ को प्रत्यक्ष स्पष्टीकरण देने का निर्देश: शिअद

बराड़ को प्रत्यक्ष स्पष्टीकरण देने का निर्देश: शिअद

अमित शर्मा 

चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पूर्व सांसद जगमीत बराड़ को मंगलवार, छह दिसंबर को कथित पार्टी विरोधी बयानों को लेकर पार्टी मुख्यालय में आकर प्रत्यक्ष स्पष्टीकरण देने का निर्देश जारी किया है। पार्टी के आज यहां जारी बयान के अनुसार पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष सिकंदर सिंह मलूका ने बराड़ को एक पत्र भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है।

इससे पहले पार्टी ने एक कारण बताओ नोटिस बराड़ को जारी किया था, जिसका उन्होंने जवाब दिया था लेकिन जवाब पर कमेटी असंतोष व्यक्त कर चुकी है। आरोप है कि श्री बराड़ पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के अलावा अपनी कमेटी के गठन की प्रक्रिया जारी रखे हुए हैं। कांग्रेस से शिअद में आये श्री बराड़ कुछ समय से पार्टी में बगावती तेवर अपनाये हुए हैं।

21 द्वीपों के नाम 'सम्मानित सैनिकों' के नाम पर रखें

21 द्वीपों के नाम 'सम्मानित सैनिकों' के नाम पर रखें

अश्वनी उपाध्याय 

पोर्ट ब्लेयर। केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार में 21 निर्जन द्वीपों के नाम, देश के सबसे बड़े युद्धकालीन वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों के नाम पर रखे गए हैं। इन 21 द्वीपों में से 16 उत्तर और मध्य अंडमान जिले में स्थित हैं, जबकि पांच द्वीप दक्षिण अंडमान में हैं।

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सांसद कुलदीप राय शर्मा ने इस कदम का स्वागत किया। केंद्र सरकार ने रक्षा और स्थानीय अधिकारियों की सहायता से इन 21 द्वीप के नाम अलंकृत सैनिकों के नाम पर रखे हैं। उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि केंद्र ने हमारे बहादुर सैनिकों को सम्मानित करने के लिए अंडमान के 21 द्वीपों को चुना है। मैं प्रशासन से स्कूली बच्चों के लिए एक छोटी पुस्तिका प्रकाशित करने का भी अनुरोध करना चाहता हूं ताकि वे हमारी मातृभूमि के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान के बारे में अधिक जान सकें।

कुलदीप राय शर्मा ने कहा, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के कारण एक तीर्थ स्थान रहा है और अब परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों का इस तरह सम्मान किया जाना हमारे लिए गर्व की बात है। उत्तर और मध्य अंडमान में निर्जन द्वीप संख्या 'आईएनएएन 370' का नाम मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर रखा गया है। अब आईएनएएन 370' को 'सोमनाथ द्वीप' के नाम से जाना जाएगा। वह परमवीर चक्र से सम्मानित पहले सैनिक थे। शर्मा तीन नवंबर 1947 को श्रीनगर हवाई अड्डे के पास पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के दौरान शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। 

इसके अलावा सूबेदार और मानद कैप्टन करम सिंह, मेजर रामा राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत, कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा मागर, सूबेदार जोगिंदर सिंह सहनन, मेजर शैतान सिंह भाटी, कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, कर्नल होशियार सिंह दहिया, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, कैप्टन बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय और सूबेदार मेजर संजय कुमार के नाम पर भी द्वीपों के नाम रखे गए हैं।

21 द्वीपों में से कुछ आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, जबकि कुछ में जल क्रीड़ा, क्रीक पर्यटन और मछली पकड़ने की काफी संभावनाएं हैं। आम तौर पर अंडमान और विशेष रूप से सेलुलर जेल ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। 1857 के विद्रोह, वहाबी आंदोलन और बर्मी विद्रोह जैसे विभिन्न ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों में भाग लेने वाले लोगों को अंडमान भेज दिया गया था जहां उन्हें बर्बर परिस्थितियों में रखा जाता था। स्वतंत्रता संग्राम के महान दिग्गजों को सेल्युलर जेल की एकान्त कोठरी में कैद कर दिया गया था।

करगिल युद्ध के पराक्रमी कर्नल दीप्तांगशु चौधरी ने कहा, आज की तेजी से बदलती दुनिया और कठिन प्रतिस्पर्धी जीवन में, युवाओं को हमारी समृद्ध विरासत और अतीत को याद करने का समय नहीं मिलता है। यह पहल भारतीय सेना के जवानों द्वारा किए गए बलिदान का एक प्रमाण है और इससे युवा उनके वीरतापूर्ण कार्यों से अवगत होंगे। ऐसे समय में यह सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है जब देश आजादी का अमृत महोत्सव (भारतीय स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने का स्मरणोत्सव) मना रहा है।

नौसेना तथा बल को मजबूत व ताकतवर बनाना जारी 

नौसेना तथा बल को मजबूत व ताकतवर बनाना जारी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए नौसेना तथा तटरक्षक बल को अत्याधुनिक युद्धपोतों और हथियारों से लैस किया जा रहा है। सिंह ने शुक्रवार को मुंबई में रक्षा मंत्रालय से संबद्ध संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसीलिए नौसेना तथा तटरक्षक बल को मजबूत तथा ताकतवर बनाया जा रहा है।

नौसेना की मारक क्षमता बढ़ाने में शिपयार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए श्री सिंह ने कहा कि सभी शिपयार्ड ने समय रहते गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की आपूर्ति की है जिससे देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों का भी उन्होंने उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए सर्जन पोर्टल को शुरू किए जाने के बाद से शिपयार्ड के 783 उपकरण इस पोर्टल पर उपलब्ध है पहले इनका विदेशों से आयात किया जाता था। रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि शिपयार्ड घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बाद जल्द ही निर्यात करना भी शुरू कर देंगे।

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'समाधान दिवस' में फरियादियों की समस्याएं सुनीं

'समाधान दिवस' में फरियादियों की समस्याएं सुनीं  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर थाना खालापार पर आय...