शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

नगर निगम के चुनाव पर रोक, याचिका खारिज 

नगर निगम के चुनाव पर रोक, याचिका खारिज 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय की 2 सदस्यीय खंडपीठ ने राजधानी दिल्ली में हो रहे नगर निगम के चुनाव पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज करते हुए रोक लगाने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। अदालत की ओर से कहा गया है कि समय बीतने के साथ दाखिल की गई यह याचिका निरर्थक हो गई है। दरअसल राजधानी दिल्ली में हो रहे नगर निगम चुनाव पर रोक लगाले को लेकर नेशनल यूथ पार्टी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

जिस पर अदालत द्वारा सुनवाई की जा रही थी। राजधानी दिल्ली में नगर निगम के लिए हो रहे चुनाव के अंतर्गत 4 दिसंबर को मतदान होना है, जबकि 7 दिसंबर को मतगणना कर चुनाव लड़े प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला डिक्लेअर कर दिया जाएगा। नेशनल यूथ पार्टी की ओर से दाखिल की गई याचिका में चुनाव के लिए वार्डो के परिसीमन को चुनौती दी गई थी और इलेक्शन पर रोक लगाने की मांग उठाई थी।

जस्टिस संजय किशन कौल एवं अभय एस ओका की दो सदस्यीय खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि नगर निगम चुनाव के अंतर्गत रविवार को मतदान होना है, ऐसे हालातों में वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।

पालिका परिषद मुजफ्फरनगर का वार्ड आरक्षण जारी 

पालिका परिषद मुजफ्फरनगर का वार्ड आरक्षण जारी 

भानु प्रताप उपाध्याय 

मुजफ्फरनगर। नगर विकास अनुभाग की और से पालिका परिषद मुजफ्फरनगर का वार्ड आरक्षण जारी कर दिया गया है। सीमा विस्तार के बाद वजूद में आए नगर के 55 वार्डों में नियमानुसार आरक्षण की घोषणा करते हुए नगर विकास अनुभाग प्रमुख सचिव अमृत अभिजात की और से जारी अधिसूचना में पालिका परिषद मुजफ्फरनगर में 24 वार्डों को अनारक्षित रखा गया है।

मुजफ्फरनगर पालिका परिषद का सीमा विस्तार कर नगर निगम बनाए जाने की कवायद शुरू होने के बाद से नगर वासियों का उत्साह बढ़ता जा रहा था। लेकिन शासनादेश जारी कर नगर से सटे 15 गांव में से 11 गांव काे आबादी सहित और 4 गांव के रकबे को नगर पालिका सीमा में शामिल कर शहर का सीमा विस्तार किया गया था। जिसके बाद शहर के वार्डों का परिसीमन का कार्य शुरू हो गया था। परिसीमन का काम करते हुए शुरुआत में सीमा विस्तार कर बढाए गए नगर पालिका परिषद मुजफ्फरनगर के रकबे में 60 वार्ड बना दिये गए थे। लेकिन नियमानुसार नगर पालिका में 55 से अधिक वार्ड न होने की बाध्यता के चलते परिसीमन फिर से किया गया था। जिसके उपरांत 55 वार्डों का सीमांकन कर आपत्तियां दूर करने के बाद अधिसूचना जारी की गई। जिसके लिए आरक्षण का खाका खींचा जाना था। शुक्रवार को नगर विकास अनुभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात की और से नगर पालिका परिषद मुजफ्फरनगर के सभी 55 वार्ड का आरक्षण जारी कर दिया गया। इनमें 24 वार्डों को अनारक्षित रखते हुए बाकी को अलग-अलग वर्ग के लिए आरक्षित रखा गया है।

नगर विकास अनुभाग लखनऊ की और जारी वार्ड आरक्षण संबंधी अधिसूचना के अनुसार मुजफ्फरनगर पालिका परिषद के वार्ड नंबर 1 अलमासपुर प्रथम और वार्ड नंबर 2 अलमासपुर द्वितीय अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित किया गया है। वार्ड नंबर 3 खालापार सप्तम और वार्ड नंबर 4 वहलना और वार्ड नंबर 5 कुकड़ा तृतीय को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। वार्ड नंबर 6 उत्तरी सिविल लाइन को महिला, वार्ड नंबर 7 रैदासपुरी को अनारक्षित रखा गया है। जबकि वार्ड नंबर 8 लद्धावाला प्रथम काे पिछड़ा वर्ग महिला तथा वार्ड नंबर 9 आबकारी को महिला के लिए आरक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 10 आर्यपुरी को भी महिला और वार्ड नंबर11 प्रेमपुरी द्वितीय को पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रखा गया है। जबकि वार्ड नंबर 12 रामलीला टिल्ला को अनारक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 13 सरवट द्वितीय को पिछड़ा वर्ग, वार्ड नंबर 14 कंबल वाला बाग को महिला तथा वार्ड नंबर 15 शाहबुद्दीन पुर को महिला के लिए आरक्षित रखा गया है।

 वार्ड नंबर 16 गांधी कॉलोनी प्रथम और वार्ड नंबर 17 कुकड़ा द्वितीय को अनारक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 18 कंबल वाला बाग-दक्षिणी आंशिक को पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रखा गा है। वार्ड नंबर 19 प्रेमपुरी प्रथम और वार्ड नंबर 20 लद्धावाला तृतीय को अनारक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 21 रामपुरी दक्षिणी को पिछड़ा वर्ग, वार्ड नंबर 22 शांति नगर को पिछड़ा वर्ग की महिला तथा वार्ड नंबर 23 गाजा वाली को अनारक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 24 सिविल लाइन दक्षिणी द्वितीय, वार्ड नंबर 25 दक्षिणी कृष्णापुरी और वार्ड नंबर 26 ब्रह्मपुरी को भी अनारक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 27 खालापार प्रथम और वार्ड नंबर 28 गौशाला को भी अनारक्षित रखा गया है। जबकि वार्ड नंबर 29 सूजड़ु प्रथम को पिछड़ा वर्ग वार्ड के लिए आरक्षित रखा गया है। 

वार्ड नंबर 30 गांधीनगर को अनारक्षित और वार्ड नंबर 31 वर्मा पार्क को महिला के लिए आरक्षित किया गया है। वार्ड नंबर 32 जनकपुरी को महिला और वार्ड नंबर 33 दक्षिणी भोपा रोड संजय मार्ग आंशिक द्वितीय को महिला के लिए आरक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 37 गांधी कॉलोनी द्वितीय को अनारक्षित जबकि वार्ड नंबर 38 सरवट प्रथम को महिला के लिए आरक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 39 इंदिरा कॉलोनी को अनारक्षित और वार्ड नंबर 40 मल्हुूपुरा द्वितीय को पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 41 आदर्श कॉलोनी और वार्ड नंबर 42 सिविल लाइन दक्षिणी प्रथम को अनारक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 43 खालापार द्वितीय को महिला के लिए आरक्षित रखा गया है। जबकि वार्ड नंबर 44 लद्धावाला द्वितीय अनारक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 45 किदवई नगर और वार्ड नंबर 46 सूजड़ु द्वितीय को पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 47 सुथराशाही पिछड़ा वर्ग और वार्ड नंबर 48 लद्धावाला चतुर्थ को अनारक्षित रखा गया है। 

वार्ड नंबर 49 बंजारान को पिछड़ा वर्ग और वार्ड नंबर 50 खालापार अष्टम को अनारक्षित रखा गया है। वार्ड नंबर 51 खालापार चतुर्थ को अनारक्षित, वार्ड नंबर 52 महमूदनगर को पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित किया गया है। वार्ड नंबर 53 खालापार षष्टम और वार्ड नंबर 54 खालापार पंचम को अनारक्षित रखा गया है। जबकि वार्ड नंबर 55 खालापार तृतीय काे पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रखा गया है।

सिंह ने पार्टी के सांसद को गद्दार की उपाधि दी

सिंह ने पार्टी के सांसद को गद्दार की उपाधि दी

संदीप मिश्र 

सिद्धार्थनगर। भारतीय जनता पार्टी के विधायक रह चुके राघवेंद्र प्रताप सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान अपनी ही पार्टी के सांसद जगदंबिका पाल के खिलाफ जमकर अपशब्द कहे और उन्हें गद्दार की उपाधि दे डाली। पूर्व एमएलए ने मौजूदा सांसद को दो-दो हाथ करने की भी चुनौती दी है और सामने आकर निपटने का चैलेंज दिया है। दरअसल शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी के साथ वायरल हो रहा है, जिसे डुमरियागंज विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के एमएलए रहे राघवेंद्र प्रताप सिंह का होना बताया जा रहा है।

बीजेपी के पूर्व एमएलए आयोजित किए गए कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करने के लिए जब माइक अपने हाथ में थामते हैं तो उनकी भाषा एकदम से बदल जाती है और वह गद्दारों का बखान करते हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद जगदंबिका पाल को अपने भाषण में खींच लेते हैं।

अमरगढ़ महोत्सव के समापन के मौके पर वह बीजेपी सांसद के खिलाफ जमकर अपनी भड़ास निकालते हैं और अंत तक आते-आते उन्हें गद्दार की उपाधि दे डालते हैं। अमरगढ़ महोत्सव का समापन भाषण सांसद जगदंबिका पाल के इर्द-गिर्द की सिमटा रहा। इस दौरान बीजेपी के पूर्व एमएलए ने 1 दिन के मुख्यमंत्री रहे सांसद जगदंबिका पाल को दो-दो हाथ करने की चुनौती दी और सामने आकर निपटने का खुला चैलेंज भी दे दिया।

घोड़ी पर सवार हुईं दुल्हन, तोड़ी परंपराएं 

घोड़ी पर सवार हुईं दुल्हन, तोड़ी परंपराएं 

अश्वनी उपाध्याय 

साहिबाबाद। आज तक आपने यही देखा और सुना होगा कि लड़का घोड़ी पर सवार होकार बारात ले जाता है, लेकिन आपने कभी घोड़ी पर सवार दुल्हन को नहीं देखा और न ही सुना होगा। सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें घोड़ी पर दूल्हा की जगह दुल्हन सवार है। यह वीडियो उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद का है। दुल्हन पुरानी परांपराओं को तोड़ती हुई घोड़ी पर सवार है।

वीडियो में देखा जा सकता है। दुल्हन के साथ साथ उसके परिवार वाले और ससुराल वाले सभी खुश नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है दुल्हन का बचपन से ही सपना था कि अपनी शादी में वह घोड़ी पर सवार हो और उसका सपना अब जाकर पूरा हुआ है।

पार्टी में 'गुलामी की मानसिकता' आ गई: पीएम 

पार्टी में 'गुलामी की मानसिकता' आ गई: पीएम 

इकबाल अंसारी 

अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कांग्रेस पर सरदार वल्लभभाई पटेल को सम्मान नहीं देने का आरोप लगाया और कहा कि आजादी से पहले अंग्रेजों के साथ काम करने के बाद उस पार्टी में "गुलामी की मानसिकता" आ गई। प्रघानमंत्री मोदी गुजरात के आणंद जिले के सोजित्रा कस्बे में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे जहां राज्य विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में पांच दिसंबर को मतदान होना है।

उन्होंने कहा, "कांग्रेस को सिर्फ सरदार पटेल से ही नहींबल्कि भारत की एकता से भी परेशानी हैक्योंकि उनकी राजनीति फूट डालो और राज करो’ की नीति पर आधारित है जबकि पटेल सब को एकजुट करने में विश्वास करते थे। इस भारी अंतर के कारण कांग्रेस ने सरदार पटेल को कभी अपना नहीं माना।’’ मोदी ने कहा कि एक समुदायजाति या धर्म को दूसरे के खिलाफ भड़काने की कांग्रेस की 'नीतिने गुजरात को कमजोर बना दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा, "कांग्रेस के लोगों ने कई वर्षों तक अंग्रेजों के साथ (आजादी से पहले) काम किया था। इसके फलस्वरूप पार्टी में अंग्रेजों की सभी बुरी आदतें आ गईं जैसे कि बांटो और राज करो’ की नीति और गुलामी की मानसिकता।" मोदी ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल के नेता नर्मदा जिले में पटेल की प्रतिमा और स्मारक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर जाने से बचते हैं। उन्होंने कहा, "मोदी ने मूर्ति बनवाई हैसिर्फ इसलिए पटेल आपके लिए अछूत हो गएमुझे भरोसा है कि आणंद जिले के लोग सरदार पटेल का अपमान करने के लिए कांग्रेस को दंडित करेंगे।

नए पुलिस कमिश्नर शर्मा ने कार्यभार ग्रहण किया

नए पुलिस कमिश्नर शर्मा ने कार्यभार ग्रहण किया

बृजेश केसरवानी 
प्रयागराज। प्रयागराज के नए पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने शुक्रवार को सुबह कार्यालय पहुंचकर कार्यभार ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने विधिवत अपना कामकाज शुरू कर दिया और मातहतों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। जिले के नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा का कहना है कि उनके कार्यकाल में हर शख्स को इंसाफ मिले। यही उनकी प्राथमिकता होगी। वह प्रयागराज में पहले भी रह चुके हैं। इस कार्यकाल में उस अनुभव का लाभ मिलेगा। रमित शर्मा बृहस्पतिवार को देर रात प्रयागराज पहुंचे। 
पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने बताया कि जिले को एक बेहतर पुलिस तंत्र की जरूरत है। इस पर अधिकारियों से मिलकर काम किया जाएगा। अभी तक वह बरेली में बतौर आईजी तैनात थे। 1999 बैच के आईपीएस रमित शर्मा कई जिलों में पुलिस कप्तान के रूप में काम कर चुके हैं। प्रयागराज में वे बतौर आईजी तैनात रहे हैं। मेरठ में तैनाती के दौरान ड्रोन के इस्तेमाल पर उन्होंने प्रदेश भर में काफी प्रशंसा बटोरी थी। आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा ज्वाइन किया। इस मौके पर आईपीएस अधिकारी सौरभ दीक्षित, एसपी क्राइम सतीश चन्द्र सहित कई पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।

'बिजली गिरने की वजह' एक रहस्य, जांच

'बिजली गिरने की वजह' एक रहस्य, जांच

सुनील श्रीवास्तव

एडिलेड। हर किसी ने बिजली देखी है और इसकी शक्ति पर आश्चर्य किया है। लेकिन इसकी आवृत्ति के बावजूद- दुनिया भर में हर दिन लगभग 86 लाख बार बिजली गिरती है। लेकिन इस बात को लेकर अब तक रहस्य बना हुआ था कि बिजली जब गरजते बादलों के बीच से धरती की तरफ गिरती है तो वह सीधी रेखा में नहीं बल्कि जिगजैड करते हुए आगे बढ़ती है। बिजली पर कुछ पाठ्यपुस्तकें हैं, लेकिन किसी में भी यह नहीं बताया गया है कि ये जिगजैग (जिन्हें सीढ़ियां कहा जाता है) कैसे बनते हैं, और कैसे बिजली किलोमीटर से अधिक यात्रा कर सकती है। 

मेरा नया शोध एक स्पष्टीकरण प्रदान करता है। गरजने वाले बादलों में तीव्र विद्युत क्षेत्र इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करते हैं ताकि एकल डेल्टा ऑक्सीजन अणु के रूप में जानी जाने वाली ऊर्जा का निर्माण किया जा सके। ये अणु और इलेक्ट्रॉन एक छोटे, अत्यधिक संवाहक कदम बनाने के लिए निर्मित होते हैं, जो एक सेकंड के दस लाखवें हिस्से के लिए तीव्रता से रोशनी करता है। कदम के अंत में, एक विराम होता है क्योंकि कदम का निर्माण फिर से होता है, उसके बाद एक और उज्ज्वल, चमकती छलांग होती है।

 प्रक्रिया को बार-बार दोहराया जाता है। चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि का मतलब है कि बिजली से सुरक्षा लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। बिजली गिरने की शुरुआत कैसे होती है, यह जानने का मतलब है कि हम यह पता लगा सकते हैं कि इमारतों, हवाई जहाजों और लोगों की बेहतर सुरक्षा कैसे की जाए। इसके अलावा, जबकि विमान में पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों के उपयोग से ईंधन दक्षता में सुधार हो रहा है, इन सामग्रियों से बिजली गिरने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए हमें अतिरिक्त सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। 

बिजली गिरने की वजह क्या है?
बिजली के हमले तब होते हैं जब लाखों वोल्ट की विद्युत क्षमता वाले गरजने वाले बादल पृथ्वी से जुड़ते हैं। जमीन और आसमान के बीच हज़ारों ऐम्पियर की धारा दसियों हज़ार डिग्री के तापमान के साथ बहती है। बिजली की तस्वीरें नग्न आंखों से न देखे गए कई विवरणों को प्रकट करती हैं। आमतौर पर बादल से बिजली की चार या पाँच आड़ी तिरछी रेखाएं धरती की ओर बढ़ती है। पृथ्वी पर पहुंचने वाली इन रेखाओं से सबसे पहले बिजली गिरने की शुरुआत होती है। इसके बाद अगली रेखाएं बनती हैं। 

पचास साल पहले, हाई-स्पीड फोटोग्राफी ने इस रहस्य से पर्दा हटाने में और भी मदद की। शुरूआती चमकीली रेखाएं लगभग 50 मीटर लंबे कदम भरती हुई बादल से नीचे की ओर बढ़ती हैं। प्रत्येक चरण एक सेकंड के दस लाखवें हिस्से के लिए चमकता है, लेकिन तब लगभग पूर्ण अंधकार होता है। एक सेकंड के 500 लाखवें हिस्से के बाद एक और चरण बनता है, पिछले चरण के अंत में, लेकिन पिछले चरण अंधेरे रहते हैं। 

ऐसे कदम क्यों बनते हैं? कदमों के बीच के अंधेरे काल में क्या हो रहा है?
कोई संपर्क दिखाई नहीं देता, फिर भी यह कदम विद्युत रूप से बादलों से कैसे जुड़े होते हैं। इन सवालों के जवाब यह समझने में निहित हैं कि क्या होता है जब एक ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन एक ऑक्सीजन अणु से टकराता है। यदि इलेक्ट्रॉन में पर्याप्त ऊर्जा है, तो यह अणु को एकल डेल्टा अवस्था में उत्तेजित करता है। यह एक मेटास्टेबल स्थिति है, जिसका अर्थ है कि यह पूरी तरह से स्थिर नहीं है - लेकिन यह आमतौर पर 45 मिनट के आसपास कम ऊर्जा की स्थिति में नहीं आती है। 

इस एकल डेल्टा स्थिति में ऑक्सीजन नकारात्मक ऑक्सीजन आयनों से इलेक्ट्रॉनों (बिजली के प्रवाह के लिए आवश्यक) को अलग करती है। इन आयनों को लगभग तुरंत इलेक्ट्रॉनों (जो एक नकारात्मक चार्ज लेते हैं) द्वारा फिर से ऑक्सीजन के अणुओं से जोड़कर बदल दिया जाता है। जब हवा में एक प्रतिशत से अधिक ऑक्सीजन मेटास्टेबल अवस्था में होती है, तो हवा बिजली का संचालन कर सकती है। तो बिजली डग भरते हुए इसलिए गिरती है क्योंकि महत्वपूर्ण संख्या में इलेक्ट्रॉनों को अलग करने के लिए पर्याप्त मेटास्टेबल स्थितियां बनाई जाती हैं।

चरण के अंधेरे भाग के दौरान, मेटास्टेबल स्थितियों और इलेक्ट्रॉनों का घनत्व बढ़ रहा है। एक सेकंड के 500 लाखवें हिस्से के बाद, कदम बिजली का संचालन कर सकता है - और कदम की नोक पर विद्युत क्षमता लगभग बादल की क्षमता तक बढ़ जाती है, और एक और कदम उत्पन्न करती है। पिछले चरणों में बनाए गए उत्तेजित अणु बादल तक एक स्तंभ बनाते हैं। पूरा स्तंभ तब विद्युत रूप से संचालित होता है, जिसमें विद्युत क्षेत्र की आवश्यकता नहीं होती है और प्रकाश का थोड़ा उत्सर्जन होता है। 

लोगों और संपत्ति की रक्षा करना
इमारतों, विमानों और लोगों के लिए भी सुरक्षा के डिजाइन के लिए तड़ित निर्माण की समझ महत्वपूर्ण है। हालांकि लोगों पर बिजली गिरना दुर्लभ है, इमारतों पर कई बार चोट लगती है - विशेष रूप से लंबी और अलग-थलग इमारतों पर। जब बिजली किसी पेड़ से टकराती है, तो पेड़ के अंदर का रस उबल जाता है और परिणामस्वरूप भाप दबाव पैदा करती है, जिससे तना फट जाता है। इसी तरह, जब बिजली किसी इमारत के कोने से टकराती है, तो बारिश का पानी जो कंक्रीट में रिसता है, उबलने लगता है। 

दबाव इमारत के पूरे कोने को उड़ा देता है, जिससे इमारत गिरने का खतरा पैदा हो जाता है। 1752 में बेंजामिन फ्रैंकलिन द्वारा ईजाद की गई एक बिजली की छड़ मूल रूप से एक इमारत के शीर्ष से जुड़ी और जमीन से जुड़ी एक मोटी बाड़ लगाने वाली तार है। इसे तड़ित को आकर्षित करने और विद्युत आवेश को पृथ्वी से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है। तार के माध्यम से प्रवाह को निर्देशित करके, यह भवन को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। ये फ्रैंकलिन छड़ें आज ऊंची इमारतों और चर्चों के लिए आवश्यक हैं, लेकिन यह तय करना मुश्किल है कि प्रत्येक संरचना पर कितने की आवश्यकता है।

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यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...