सोमवार, 14 नवंबर 2022

चिंता करने की जरूरत नहीं, पीड़ा का निवारण होगा

चिंता करने की जरूरत नहीं, पीड़ा का निवारण होगा

संदीप मिश्र

लखनऊ/गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता दर्शन में आए फरियादियों को आश्वस्त किया कि किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। सबकी पीड़ा का निवारण होगा। यह सरकार की प्राथमिकता है। हर मामले में प्रभावी कार्रवाई होगी। जरूरत के मुताबिक मुकम्मल इलाज की व्यवस्था होगी। इलाज में धन की कमी आड़े नहीं आएगी। हर पीड़ित की समस्या का निस्तारण न्याय परक कराया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी ने सोमवार सुबह गोरखनाथ के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार के सामने कुर्सियों पर बैठे फरियादियों से मिले और उनकी पीड़ा को सुना। बड़े इत्मीनान से एक-एक कर उन्होंने सभी लोगों की समस्याएं सुनीं, उनके प्रार्थना पत्रों को अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिया। लोगों को परेशान न होने और समस्या समाधान के त्वरित व प्रभावी कार्रवाई के प्रति आश्वस्त किया।

इस दौरान इलाज के लिए मदद की गुहार करने आई एक महिला से उन्होंने आयुष्मान कार्ड के बारे में पूछा। इलाज के लिए इस्टीमेट की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूर्ण कर शासन में भेजने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। इस महिला समेत सभी जरूरतमंदों के आयुष्मान कार्ड बनवाने की नसीहत भी दी। पुलिस व राजस्व से संबंधित मामलों में समाधान जल्दी करने को कदम उठाने के प्रति आगाह किया। फरियादी को दोबारा परेशान न होने की हिदायत भी दी।

इस दौरान महिला फरियादियों के साथ आए बच्चों को मुख्यमंत्री ने प्यार-दुलार कर आशीर्वाद दिया। बच्चों को चॉकलेट देने के साथ ही उनकी माताओं को समझाया कि बच्चों को स्कूल जरूर भेजें। सरकार ने बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनके बैग, कॉपी-किताब, यूनिफॉर्म, जूता-मोजा आदि की नि:शुल्क व्यवस्था कर रखी है।

युंगाड़ा के पूर्वी भाग तक पहुंची महामारी 'इबोला'

युंगाड़ा के पूर्वी भाग तक पहुंची महामारी 'इबोला'

अखिलेश पांडेय 

कंपाला। पूर्वी अफ्रीकी राज्य युगांडा में बेहद घातक संक्रामक महामारी 'इबोला' का प्रकोप इसके पूर्वी भाग तक पहुंच गया है। युंगाड़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि संक्रामक महामारी इबोला देश के पूर्वी भाग तक फैल गयी है। स्वास्थ्य मंत्री रुथ एकेंग ने रविवार को ट्वीट किया कि देश के पूर्वी हिस्से में स्थित जिन्जा जिले में 45 वर्षीय पुरुष की मौत की पुष्टि हुई है। 

एकेंग ने ट्वीट किया कि युवक की मृत्यु दस नवंबर को उसके घर पर हुई। एकेंग के ट्वीट के अनुसार, उनके भाई की भी इस बीमारी की चपेट में आने के कारण इससे पहले तीन नवंबर को मौत हो चुकी है। उनके भाई राजधानी कंपाला से जिंजा गये थे जहां वे बीमार हो गए और दस दिनों तक बीमार रहने के बाद तीन नवंबर को उनकी मृत्यु हो गई थी। स्वास्थ्य मंत्रालय के छह नवंबर तक के आंकड़ों के अनुसार बीस सितंबर को महामारी की सूचना के बाद से देश में 135 पुष्ट मामले दर्ज किए गए हैं। 

भाजपा ने कभी भी 'ऑपरेशन लोटस' नहीं चलाया

भाजपा ने कभी भी 'ऑपरेशन लोटस' नहीं चलाया

मनोज सिंह ठाकुर 

भोपाल। मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सोमवार को कहा कि भाजपा ने कभी भी 'ऑपरेशन लोटस' नहीं चलाया, लेकिन देश भर में कांग्रेस के कुछ लोग स्वेच्छा से ही कांग्रेस छोड़ना चाहते हैं और मध्यप्रदेश में भी कई कांग्रेस सदस्य भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में हैं। 

भूपेंद्र सिंह ने संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि पार्टी ने कभी भी ऑपरेशन लोटस नहीं चलाया और न ही इसकी आवश्यकता है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि पूरे देश में कांग्रेस के नेता स्वेच्छा से कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं। ऐसी परिस्थितियां मध्य प्रदेश में भी है, उनके कई लोग भाजपा के संपर्क में हैं। कांग्रेस भयभीत है और अपने विधायकों को बंधक बनाने की कोशिश कर रही है। कोई स्वेच्छा से भाजपा में आना चाहता है तो भाजपा इस पर विचार करेगी। 

दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' 20 नवंबर को मध्य प्रदेश में प्रवेश कर रही है। कांग्रेस ने इस दौरान अपने विधायकों को एक साथ रहने को कहा है। श्री सिंह इसी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। वहीं एक अन्य सवाल के जवाब में श्री सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है और कांग्रेस के नेता एवं विधायक अफवाहों और गुंडागर्दी से अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो किसान कांग्रेस के झूठे वादे के कारण डिफॉल्टर हो गए थे, उनको खाद खरीदने में थोड़ी बहुत परेशानी हुई थी, लेकिन उनको भी खाद उपलब्ध कराई गई है।

जबरन धर्मांतरण को बहुत गंभीर मुद्दा करार दिया 

जबरन धर्मांतरण को बहुत गंभीर मुद्दा करार दिया 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने जबरन धर्मांतरण को बहुत गंभीर मुद्दा करार देते हुए सोमवार को केंद्र से कहा कि वह इसे रोकने के लिए कदम उठाए और इस दिशा में गंभीर प्रयास करे। अदालत ने चेताया कि यदि जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो एक बहुत मुश्किल स्थिति पैदा होगी।न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिये उठाए गए कदमों के बारे में बताए। पीठ ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मामला है। केंद्र द्वारा जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए। अन्यथा बहुत मुश्किल स्थिति सामने आएगी। हमें बताएं कि आप क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखते हैं... आपको हस्तक्षेप करना होगा।

अदालत ने कहा कि यह बेहद गंभीर मुद्दा है, जो राष्ट्र की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। इसलिए, बेहतर होगा कि केंद्र सरकार अपना रुख स्पष्ट करे और इस तरह के जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर जवाबी हलफनामा दाखिल करे। उच्चतम न्यायालय अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्र और राज्यों को डरा-धमकाकर, प्रलोभन देकर और पैसे का लालच देकर धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

'आप' ने मान सरकार के फैसले का स्वागत किया

'आप' ने मान सरकार के फैसले का स्वागत किया

अमित शर्मा 

चंडीगढ़/जालंधर। हथियारों के लाइसेंस की समीक्षा करने और गैर जरूरी लाइसेंस रद्द करने के मान सरकार के फैसले का आम आदमी पार्टी (आप) ने स्वागत किया है। आप पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने सोमवार को कहा कि पिछली बादल और कांग्रेस सरकार ने बड़ी संख्या में गैर जरूरी लोगों को हथियार के लाइसेंस बांटे, जिससे पंजाब में गन कल्चर को बढ़ावा मिला और समाज का माहौल खराब हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं सामने आईं जिनमें शादी-विवाह जैसे शुभ कार्यक्रम में हथियार लहराने के कारण लोगों की जान चली गईं।

समीक्षा कराने से सही और गलत लोगों का पता चलेगा और सिर्फ जरूरत वाले लोगों को ही हथियार के लाइसेंस मिल सकेंगे। प्रवक्ता ने कहा कि मान सरकार का यह फैसला राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब की छवि को बेहतर बनाएगी। नौजवानों को गलत रास्ते पर जाने से रोकेगा और समाज में शांति-सौहार्द का वातावरण स्थापित करेगा। 

क्रिप्टोकरेंसी में बड़ी गिरावट, अफरा-तफरी का माहौल

क्रिप्टोकरेंसी में बड़ी गिरावट, अफरा-तफरी का माहौल

अकांशु उपाध्याय

नई दिल्ली। विश्व में क्रिप्टोकरेंसी में आई बड़ी गिरावट से चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है, वहीं भारत में इसका ख़ास असर नहीं हुआ है। इसका श्रेय सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सतर्क रुख को जाता है। आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने से बार-बार इनकार करता रहा है और उसने इसमें लेनदेन को लेकर आगाह भी किया है।

वहीं सरकार ने क्रिप्टो लेनदेन की मांग को कम करने के लिए कर का रास्ता चुना है। क्रिप्टोकरेंसी का बाजार 2021 में तीन हजार अरब डॉलर था, जिसका कुल बाजार मूल्य अब एक हजार अरब डॉलर से भी कम रह गया है। हालांकि, भारतीय निवेशक इससे काफी हद तक बचे रहे हैं जबकि बहामास का एफटीएक्स बाजार लोगों द्वारा बिकवाली के बाद दिवालिया हो गया है। भारत में आरबीआई पहले दिन से ही क्रिप्टोकरेंसी का विरोध कर रहा है, जबकि सरकार शुरू में एक कानून लाकर ऐसे माध्यमों को विनियमित करने का विचार कर रही थी। हालांकि, सरकार बहुत विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वर्चुअल मुद्राओं के संबंध में वैश्विक सहमति की आवश्यकता है क्योंकि ये सीमाहीन हैं और इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक हैं।

आरबीआई के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली से बचकर निकल जाने के लिए विकसित किया गया है और यह उनके साथ सावधानी बरतने के लिए पर्याप्त कारण होना चाहिए। उद्योग का अनुमान है कि भारतीय निवेशकों का क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों में निवेश केवल तीन प्रतिशत है। वैश्विक क्रिप्टो बाजार में गिरावट के बावजूद, भारत की क्रिप्टोकरेंसी कंपनियां अभी तक किसी जल्दबाजी में नहीं हैं।

भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स और जेबपे का परिचालन जारी है। सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ केंद्रीय बैंक के सतर्क रुख की वजह से भारत में क्रिप्टो का बड़ा बाजार नहीं खड़ा हो सका। अगर भारतीय संस्थाएं क्रिप्टो में शामिल हो गई होतीं, तो देश में कई लोगों के पैसे डूब जाते।

एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह के अनुसार, आरबीआई और सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देने के लिए उठाए गए कदम इस समय उचित हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी जून में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी को ‘स्पष्ट खतरा’ बताया था।

हलफनामा दायर करने हेतु 12 दिसंबर तक का समय 

हलफनामा दायर करने हेतु 12 दिसंबर तक का समय 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को वर्ष 1991 के उस कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक व्यापक हलफनामा दायर करने के लिए 12 दिसंबर तक का समय दिया, जो पूजा स्थल पर फिर से दावा करने या 15 अगस्त 1947 तक मौजूद उसके स्वरूप में बदलाव की मांग करने के लिए मुकदमा दायर करने पर रोक लगाता है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इन दलीलों को स्वीकार कर लिया कि जवाब दाखिल नहीं किया जा सका है और मामले में बाद में सुनवाई की जा सकती है। मेहता ने कहा, “एक विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए मुझे सरकार के साथ विचार-विमर्श करने की जरूरत है। क्या कुछ समय दिया जा सकता है।”

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल की इन दलीलों को स्वीकार करते हुए याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी कि सरकारी अधिकारियों के साथ उचित विचार-विमर्श किए जाने की जरूरत है। पीठ ने केंद्र को 12 दिसंबर या उससे पहले एक ‘व्यापक’ हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

उसने केंद्र से संबंधित पक्षों के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा करने को कहा और याचिकाओं पर जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में सुनवाई करने का निर्णय लिया। राज्यसभा सदस्य और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि उन्होंने अपनी याचिका में अधिनियम को रद्द करने की मांग नहीं की है।

उन्होंने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर विवाद की तरह ही काशी और मथुरा में कथित विवादित स्थलों से संबंधित मामलों को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-1991 के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। स्वामी ने कहा, “मैं अधिनियम को रद्द करने की मांग नहीं कर रहा हूं। लेकिन दो मंदिरों को शामिल किया जाए और अधिनियम अपने स्वरूप में रह सकता है।” पीठ ने कहा कि वह मामले की अगली सुनवाई पर स्वामी की याचिका पर विचार करेगी। इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया था।

शीर्ष अदालत अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उपाध्याय ने दलील दी है कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-1991 की धारा 2, 3, 4 को इस आधार पर रद्द कर दिया जाना चाहिए कि ये प्रावधान पूजा स्थल पर फिर से दावा करने के किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के न्यायिक अधिकार को छीन लेते हैं।

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न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जनपद के टाउन हॉल में मंगलवार को सामाजिक न्याय क्रांति मोर्चा ...