गुरुवार, 10 नवंबर 2022

प्रभावी: जीपीए ने एससी के निर्णय का स्वागत किया 

प्रभावी: जीपीए ने एससी के निर्णय का स्वागत किया 

अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी 

नई दिल्ली/गाजियाबाद। जीपीए ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश शिक्षा कमाई का जरिया नही को प्रभावी बताते हुए निर्णय का स्वागत किया है। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने कहा कि यह निर्णय ऐसे समय मे आया है, जब देश के अधिकतर राज्यो में शिक्षा का बढ़ता व्यवसाईकरण अपनी चरम सीमा पर है। जिसकी वजह से शिक्षा आम आदमी की पहुँच से दूर होकर एक विशेष वर्ग के लोगो के लिए सीमित होने का संदेश दे रही है। शिक्षा के बढ़ते व्यवसाईकरण पर लगाम लगाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार चुप्पी साधे रखती है। सरकारो को देश के शिक्षण संस्थानों की फीस पर लगाम लगाने की चुप्पी का एक बड़ा कारण देश के बड़े-बड़े उधोगपतियों और नेताओं का पैसा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षण संस्थानों में निवेश करना भी हो सकता है।

देश के अधिकतर राज्यो में बड़े बड़े उधोगपतियों एवम व्यापारियों की शिक्षा के मंदिरों में घुसपैठ हो चुकी है। जिसके कारण देश मे शिक्षा का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। देश मे  निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा अभिभावकों से फीस के नाम पर की जा रही मोटी उगाही के खिलाफ अभिभावको एवम पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा लगातार आवाज उठाई जा रही है। लेकिन निजी शिक्षण संस्थानों की फीस नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारे गंभीर नही है।

इसका एक बड़ा उदाहरण हम सभी ने कोरोना काल के समय मे देखा जब पेरेंट्स द्वारा कोरोना में ऑन लाइन फीस की निर्धारित करने की मांग देश के प्रधानमंत्री और राज्यो के  मुख्यमंत्रियों से की गई, लेकिन सरकार ऑन लाइन क्लास की फीस निर्धारित करने की जायज मांग पर भी टस से मस नही हुई और देश के अभिभावकों को लगभग 100 साल बाद आई विपदा में भी शिक्षा जिसको समाज सेवा कहा जाता है, के नाम पर निजी स्कूलों द्वारा लूटने के लिये अकेला छोड़ दिया गया जो यह अत्यंत चिंतनीय है की फीस नियंत्रण का जो निर्णय केंद्र सरकार को लेना चाहिए। आज उस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट को लेने के लिए विवश होना पड़ा।

आपको जानकारी के लिए बताना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आंध्र प्रदेश के मेडिकल कॉलेजो में ट्यूशन फीस बढ़ाकर 24 लाख करने के राज्य सरकार के आदेश को रद्द करने के निर्णय को बरकरार रखते हुये कहा  कि शिक्षा कमाई का जरिया नही और ट्यूशन फीस हमेशा अफोर्डेबल यानी चुकाई जा सकने लायक होनी चाहिए यहां यह भी बताना जरूरी है कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ आंध्र प्रदेश सरकार और मेडिकल कॉलेज सुप्रीम कोर्ट पहुँचे थे जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख्त रुख अख्तियार करते हुये मेडिकल कॉलेज और आंध्र प्रदेश सरकार पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया साथ ही इस रकम को 6 हफ्ते के अंदर रजिस्ट्री में जमा कराने के आदेश दिए है।

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के सचिव अनिल सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय शिक्षा कमाई का जरिया नही, भविष्य में शिक्षण संस्थानों द्वारा की जा रही लूट पर लगाम लगाने के लिए बहुत प्रभावी साबित हो सकता है। केंद्र और राज्य सरकार शिक्षा के बढ़ते व्यवसाईकरण पर रोक लगाने में असफल है। इसलिये सुप्रीम कोर्ट को देश की शिक्षा व्यवस्था को अपने आधीन लेकर कोर्ट के निर्णयों को राज्य  राज्य सरकारों द्वारा प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये एक इम्पलीमेंटेशन बॉडी का गठन करना चाहिए। जिससे कि शिक्षा के बढ़ते व्यवसाईकरण पर रोक लग सके एवम शिक्षा  आम आदमी की पहुँच से दूर न जाने पाएं।

परिवारवाद तक सिमट कर रही सपा, कसा तंज 

परिवारवाद तक सिमट कर रही सपा, कसा तंज 

संदीप मिश्र 

लखनऊ। बस्ती लोकसभा क्षेत्र से सासंद एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय मंत्री हरीश द्विवेदी ने तंज कसते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) परिवारवाद तक सिमट कर रह गई है। भाजपा नेता ने कहा कि अखिलेश यादव अब अपने पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव की बनायी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इसके बावजूद भी सपा कार्यकर्ता पूरी तरह से हताश और निराश है।

द्विवेदी ने गुरुवार को कहा कि सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव परिवारवाद में टूट गये हैं उन्हें अपने ही परिवार के सदस्यों पर विश्वास नहीं है। पार्टी परिवारवाद में सिमट गयी है। अखिलेश कहते कुछ और हैं करते कुछ और हैं। वह अपने पिता की बनी बनाई पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये है और सपा को परिवारवाद में समेट दिये है। उन्होंने कहा कि अपने चाचा शिवपाल को ही पार्टी में नहीं ला पा रहे हैं। कार्यकर्ताओं को कहा स्थापित करेंगे। सपा की जनाधार समाप्त हो रहा है उनकी पार्टी के कार्यकर्ता भी अब पार्टी छोड़ रहे है।

कांग्रेस सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना लागू होगी

कांग्रेस सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना लागू होगी

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली कांग्रेस ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी की सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाएगी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को फेसबुक पोस्ट में कहा कि पेंशन ,देश सेवा करने वाले हर सरकारी कर्मचारी का बुढ़ापे का सहारा है। पेंशन पाना हर सरकारी कर्मचारी का हक है जिसे भाजपा सरकार उनसे छीन रही है लेकिन कांग्रेस की सरकार बनी तो पेंशन योजना को लागू किया जाएगा।

उन्होंने कहा “ पेंशन कर्मचारियों का हक, कांग्रेस बहाल करेगी पुरानी पेंशन स्कीम। पुरानी पेंशन को खत्म कर भाजपा ने देश के बुजुर्गों से उनकी आर्थिक सुरक्षा छीन ली। जो देशवासी जीवन भर देश की सेवा करते हैं, आखिर बुढ़ापे में वे कहां जाएं। अपना गुजर-बसर कैसे करें। जब कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी में जाता है तो सोचता है कि जब वह रिटायर होगा तो उसे आर्थिक असुरक्षा का सामना नहीं करना पड़ेगा। पेंशन से उसका भरण-पोषण चलता रहेगा लेकिन भाजपा सिर्फ छीनना जानती है। हमारे जो सैनिक अपनी जान हथेली पर लेकर सरहदों पर देश की रक्षा करते हैं, उनकी भी आर्थिक सुरक्षा एक-एक करके छीनी जा रही है।”

उन्होंने कहा “ कांग्रेस मानती है कि देश के निर्माण में अपना योगदान देने वाले कर्मचारियों को पेंशन मिलनी चाहिए, ताकि वे बुढ़ापे में आत्म​निर्भर रह सकें। यह हर कर्मचारी का हक है। इसी को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कांग्रेस सरकारों ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू कर दी। ” पार्टी का संकल्प है कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी सरकार बनते ही पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाएगी।"

घर में नजरबंद रखने के अनुरोध को मंजूर किया 

घर में नजरबंद रखने के अनुरोध को मंजूर किया 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने घर में नजरबंद रखने के उनके अनुरोध को बृहस्पतिवार को मंजूर कर लिया और कहा कि प्रथम दृष्टया उनकी चिकित्सीय रिपोर्ट खारिज करने की कोई वजह नहीं है। न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि 70 वर्षीय नवलखा को घर में नजरबंद करने के आदेश को 48 घंटे के भीतर अमल में लाया जाए। इसके साथ ही अदालत ने कई शर्तें भी लगायीं।

पीठ ने कहा, मामले के निकट भविष्य में निस्तारण की ओर प्रगति करने के आसार नहीं हैं और आरोप तय नहीं किए जा रहे हैं। हमारा मानना है कि उन्हें एक महीने के लिए घर में नजरबंद करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने नवलखा को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को 2.4 लाख रुपये जमा कराने का भी निर्देश दिया। एनआईए ने पुलिस कर्मी उपलब्ध कराने के लिए यह खर्च आने का दावा किया था। न्यायालय ने यह भी कहा कि नवलखा को एक महीने के लिए घर में नजरबंद करने के दौरान कम्प्यूटर तथा इंटरनेट इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी।

पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता घर में नजरबंद रहने के दौरान कम्प्यूटर, इंटरनेट या संचार के किसी अन्य उपकरण का इस्तेमाल नहीं करेंगे। हालांकि, उन्हें पुलिस की मौजूदगी में दिन में एक बार 10 मिनट के लिए पुलिसकर्मियों द्वारा उपलब्ध कराए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी लेकिन बगैर इंटरनेट के।

शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि नवलखा को मुंबई छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी और वह घर में नजरबंद रहने के दौरान किसी भी तरीके से गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। उसने कहा कि टेलीविजन देखने और अखबार पढ़ने की अनुमति दी जाएगी लेकिन ये इंटरनेट आधारित नहीं होने चाहिए। पीठ ने कहा, हम याचिकाकर्ता तथा साथियों से सभी शर्तों का ईमानदारी से पालन करने की अपेक्षा करते हैं। किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा और आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जा सकता है।

अमेरिका की जनता ने फिर साबित किया, हम कौन हैं

अमेरिका की जनता ने फिर साबित किया, हम कौन हैं

अखिलेश पांडेय 

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि मतदान के जरिए अमेरिका की जनता ने एक बार फिर साबित कर दिए कि हम कौन हैं। बाइडेन ने उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के मध्यावधि चुनाव में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करने के बाद यह बयान दिया। रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी 100 सदस्य-अमेरिकी सीनेट में 48-48 सीट पर है, जबकि प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक पार्टी की 183 सीट के मुकाबले रिपब्लिकन पार्टी 207 सीट के साथ आगे है। रिपब्लिकन पार्टी के 218 का आंकड़ा पार करने की उम्मीद है, लेकिन मध्यावधि चुनाव में जीत हासिल करने के लिए 250 सीट पाने की उम्मीद बहुत कम है। कई दशकों में किसी भी मौजूदा राष्ट्रपति का मध्यावधि चुनाव में यह बेहतरीन प्रदर्शन है।

बाइडेन ने व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह अपनी नीतियों पर कायम रहेंगे जो ‘‘अभी तक कामयाब’’ साबित हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘ अभी तक पूरे परिणाम नहीं आए हैं… मीडिया व विशेषज्ञ रिपब्लिकन के बेहतरीन प्रदर्शन का पूर्वानुमान लगा रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुझे पता है कि आप मेरे निरंतर आशावादी रवैये से कुछ नाराज थे, लेकिन मैं इस पूरी प्रक्रिया के दौरान खुश था। मुझे लगता है कि हम अच्छा करेंगे।’’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ किसी भी सीट पर हार दुखद है, कई अच्छे डेमोक्रेटिक उम्मीदवार नहीं जीते… हालांकि पिछले 40 साल में किसी भी डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति के शासनकाल की तुलना में प्रतिनिधि सभा में हम कम सीट हारे.. आखिरी बार 1986 में मध्यावधि चुनाव में हमारा प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा था।

अमेरिकी संसद भवन (कैपिटल हिल) में छह जनवरी को हुए हमले पर बाइडेन ने कहा कि गृहयुद्ध के बाद से ऐसा कभी कुछ नहीं हुआ। गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तीन नवंबर 2020 को हुए राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार नहीं की थी और उन्होंने चुनाव में धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। ट्रंप के इन आरोपों के बीच उनके समर्थकों ने छह जनवरी को संसद भवन परिसर में कथित तौर पर हिंसा की थी। बाइडन ने कहा, ‘‘ गृहयुद्ध के बाद से ऐसा कभी कुछ नहीं हुआ। मैं ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बात नहीं करना चाहता, पर वास्तव में गृहयुद्ध (1861-1865) के बाद से ऐसा कभी कुछ नहीं हुआ।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


1. अंक-396, (वर्ष-05)

2. शुक्रवार, नवंबर 11, 2022

3. शक-1944, मार्गशीर्ष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-तीज, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 07:02, सूर्यास्त: 05:36। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 22 डी.सै., अधिकतम-33+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

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