बुधवार, 9 नवंबर 2022

टी-20 वर्ल्ड कप: रोहित के बाद कोहली भी चोटिल हुए

टी-20 वर्ल्ड कप: रोहित के बाद कोहली भी चोटिल हुए

मोमीन मलिक 

नई दिल्ली। आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप 2022 के सेमीफाइनल से ठीक पहले भारतीय क्रिकेटर्स एक के बाद एक चोटिल होते जा रहे हैं। कल कप्तान रोहित शर्मा थ्रो डाउन अभ्यास के दौरान चोटिल हो गए थे और आज विराट कोहली भी चोटिल हो गए। हर्षल पटेल के साथ प्रैक्टिस के दौरान गेंद इतनी जोर से लगी कि विराट कुछ देर अभ्यास पिच पर ही बैठे रहे।

घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। फैंस विराट के चोटिल अपडेट की बात कर रहे हैं। कोई इसे सामान्य घटना मान रहा है तो कोई चोट को गंभीर बता रहा है। हालांकि इसके बाद ये खबर आई है कि विराट कोहली फिलहाल ठीक हैं और उन्होंने फैन्स के साथ सेल्फी भी क्लिक की है।

इजरायल: नेतन्याहू ने आश्चर्यजनक रूप से वापसी की

इजरायल: नेतन्याहू ने आश्चर्यजनक रूप से वापसी की

अखिलेश पांडेय 

वाशिंगटन डीसी/जेरूसलम। इज़रायल के राजनीतिक जादूगर ने एक बार फिर कर दिखाया। 2021 में पद से हटाए गए नेतन्याहू इजरायल के पहले प्रधान मंत्री हैं, जिन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मुकदमे अभी भी चल रहे हैं। ऐसे में बेंजामिन नेतन्याहू ने आश्चर्यजनक रूप से वापसी की है। केवल चार वर्षों में चार अनिर्णायक चुनावों के बाद, एक नवंबर को पांचवें राष्ट्रीय चुनाव में इजरायल ने नेतन्याहू के दक्षिणपंथी दल को निर्णायक जीत दिलाई।

कुछ मायनों में यह एक बड़े आश्चर्य के रूप में नहीं आना चाहिए। नेतन्याहू वर्षों से उनके राजनीतिक जीवन को खत्म बताने वालों को धता बता रहे हैं। उन्होंने 1999 में अपनी हार के बाद जीत हासिल की, फिर 2006 के चुनावों में एक अपमानजनक हार के बाद वह फिर जीतकर आए। अब, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों नफ्ताली बेनेट और यायर लैपिड के लिए पिछले साल प्रीमियरशिप हारने के बाद नेतन्याहू के करियर को खत्म करने की घोषणा करने वाले पंडित एक बार फिर गलत साबित हुए हैं।

नेतन्याहू की जीत का मतलब है कि लगभग चार साल तक इजरायल को पंगु बनाने वाला गतिरोध आखिरकार खत्म हो सकता है, जिसे अब 64 सीटों का बहुमत दिया गया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी परेशानी खत्म हो जाएगी – बल्कि बढ़ भी सकती है। इजरायल की राजनीति के एक विद्वान के रूप में, मेरा मानना ​​​​है कि शासन से जुड़ा एक दु:स्वप्न इजरायल के सबसे लंबे समय तक प्रधान मंत्री रहे नेतन्याहू की प्रतीक्षा कर रहा है।

लिबरल, तुलनात्मक रूप से
नेतन्याहू इजरायल के इतिहास में सबसे दक्षिणपंथी और धार्मिक सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। उनकी दक्षिणपंथी लिकुद पार्टी अति-राष्ट्रवादी और अति-रूढ़िवादी सहयोगियों के साथ गठबंधन में शासन करेगी। इन पार्टियों में से एक, धुर दक्षिणपंथी रिलीजियस ज़ियोनिस्ट पार्टी के कट्टरपंथी एजेंडे में वेस्ट बैंक, जिसे वह इसराइल में शामिल करना चाहते हैं, में यहूदी बस्तियों का निरंकुश विस्तार करना; सैनिकों को अपने वरिष्ठ अधिकारियों से पूर्व अनुमति, जैसा कि फिलहाल नियम है, के बिना फिलिस्तीनी हमलावरों पर गोली चलाने में सक्षम बनाना; ‘‘वफादार’’ अरब नागरिकों को इज़राइल में उनके घरों से निष्कासित करना; और टेंपल माउंट पर यहूदी प्रार्थना की अनुमति देना शामिल है। दशकों से अल-अक्सा मस्जिद परिसर में प्रार्थना करने की अनुमति नहीं होने के चलते इस कार्य को मुसलमानों द्वारा एक उकसावे के रूप में देखा जाएगा पार्टी सामाजिक मुद्दों पर भी गहरी रूढ़िवादी है, उदाहरण के लिए पार्टी ने येरूशलम प्राइड परेड पर प्रतिबंध लगाकर समलैंगिक अधिकारों को वापस लेने का आह्वान किया है।

ऐसी नीतियां न केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय और कई इजरायलियों और फिलिस्तीनियों के लिए खतरनाक हैं, बल्कि वे नेतन्याहू को उनके अगले कार्यकाल में अंतहीन सिरदर्द देने का भी दम रखती हैं। हालांकि लंबे समय से इज़राइल के प्रमुख दक्षिणपंथी नेता होने के बावजूद, नेतन्याहू अपने कुछ नए राजनीतिक सहयोगियों की धुर-दक्षिणपंथी, धार्मिक विचारधारा को साझा नहीं करते हैं। मेरी 2014 की किताब, ‘‘व्हाई हॉक्स बीकम डव्स’’ में, मैं पूर्व प्रधानमंत्रियों और नेतन्याहू के प्रतिद्वंद्वियों एरियल शेरोन और एहुद ओलमर्ट के एक पूर्व-शीर्ष सहयोगी को यह कहते हुए उद्धृत करता हूं कि नेतन्याहू हालांकि ‘‘दक्षिणपंथी लोगों से घिरे हुए हैं, फिर भी इस समूह के सबसे उदार व्यक्ति हैं ”।

एक अलग विचारधारा
निश्चित रूप से, नेतन्याहू के पास एक रूढ़िवादी विश्वदृष्टि है। फिर भी, वह एक धर्मनिरपेक्ष, व्यावहारिक और जोखिम से बचने वाले राजनेता भी हैं। उनका लचीलापन वर्षों से कई मौकों पर प्रदर्शित होता रहा है। अपने पहले कार्यकाल में, उन्होंने ओस्लो शांति प्रक्रिया को जारी रखा, जिसकी उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में तीखी आलोचना की थी, हेब्रोन प्रोटोकॉल और वाई रिवर मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर किए, जिसके कारण वेस्ट बैंक के क्षेत्रों से इजरायल की वापसी हुई। गाजा पट्टी से 2005 के एकतरफा विघटन के लिए उन्होंने तीन बार वोट किया – फिर वापसी के विरोध में इस्तीफा दे दिया। और जून 2009 में, उन्होंने द्वि-राज्य समाधान का सार्वजनिक रूप से समर्थन करके एक फ़िलिस्तीनी राज्य के लिए अपने आजीवन विरोध को त्याग दिया।

फिर, उन्होंने बाद में अपनी स्थिति उलट दी। नेतन्याहू ने 2009 में राष्ट्रपति बराक ओबामा की मांग को भी स्वीकार कर लिया, ताकि शांति वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए यहूदी बस्ती के निर्माण में 10 महीने की रोक लग सके – बातचीत जो अंततः किसी अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। इसी तरह, अतीत में, नेतन्याहू ने चरमपंथियों के प्रभाव को कम करने के लिए मध्यमार्गी घटकों के साथ व्यापक-आधार वाले गठबंधन बनाने का प्रयास किया। लेकिन अब नेतन्याहू समर्थक और विरोधी गुट इजरायल की राजनीति में मजबूती से शामिल हो गए हैं और ऐसे में नेतन्याहू के पास वैचारिक रूप से संकीर्ण, धुर दक्षिणपंथी गठबंधन बनाने के अलावा कोई वास्तविक विकल्प नहीं है।

खुद का बनाया राक्षस
वास्तव में, धुर दक्षिणपंथ का उदय, जिसे वह तैयार कर रहे हैं, बड़े पैमाने पर नेतन्याहू का अपना खुद का बनाया एक राक्षस है। जैसे-जैसे इजरायली समाज दक्षिणपंथ की ओर जा रहा है, वह अधिक धार्मिक और रूढ़िवादी बन गया है, नेतन्याहू ने अपने आधार का विस्तार करने के लिए दक्षिण और वाम के बीच विवाद को बढ़ाया। पिछले एक दशक में नेतन्याहू ने खुद अपने देश में लोकलुभावन राष्ट्रवाद की लहर दौड़ाई है। उन्होंने और उनके वफादारों ने आलोचकों को – चाहे वे मीडिया के सदस्य हों, सुरक्षा प्रतिष्ठान के पूर्व वरिष्ठ सदस्य, राजनीतिक मध्यमार्गी या फिर चाहे रूढ़िवादी समर्थक से प्रतिद्वंद्वी बने साथी – वामपंथी, आउट-ऑफ-टच अभिजात्य बताकर उनकी आलोचना की।

एक चुनौती बहुत दूर?
संभावित कलह के अग्रदूत के रूप में, नेतन्याहू पहले ही संकेत दे चुके हैं कि उनकी सरकार रिलीजियस जिओनिस्ट पार्टी के होमोफोबिक एजेंडे को समायोजित करने के लिए एलजीबीटीक्यू अधिकारों के संबंध में यथास्थिति में बदलाव नहीं करेगी। पिछली मिसाल को देखते हुए, मेरा मानना ​​​​है कि यह भी संभव है कि वह टेंपल माउंट पर यहूदियों को प्रार्थना करने से रोककर यथास्थिति बनाए रखेंगे – एक ऐसी स्थिति जिसका उन्होंने अतीत में पालन किया है। हालांकि टेंपल माउंट पर यहूदी उपासकों की चढ़ाई को नियंत्रित करना उनके लिए मुश्किल हो सकता है, जो हाल के वर्षों में काफी बढ़ गया है।

नए गठबंधन की प्राथमिकताओं में शीर्ष पर रहना, हालांकि, एक ऐसा मुद्दा है जिससे नेतन्याहू को व्यक्तिगत रूप से लाभ होगा: न्यायपालिका में सुधार जैसे परिवर्तनों का व्यावहारिक प्रभाव अदालतों और अटॉर्नी जनरल के अधिकार को कमजोर करना होगा। नेतन्याहू के मुकदमे को रद्द करने वाला कानून पारित करना भी कार्ड में हो सकता है। अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत हितों का पीछा करते हुए इजरायल के नाजुक लोकतंत्र को संरक्षित करना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है – जिसपर पार पाना नेतन्याहू जैसे राजनीतिक जादूगर को भी दुर्गम लग सकता है।

सुधारों को आधे-अधूरे बताने वाली टिप्पणी, कटाक्ष 

सुधारों को आधे-अधूरे बताने वाली टिप्पणी, कटाक्ष 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ‘तारीफ’ करने पर कहा है, गडकरी ने…मनमोहन के 1991 के…आर्थिक सुधारों की…भरपूर प्रशंसा की। रमेश ने कहा, वित्त मंत्री महोदया (निर्मला सीतारमण) ने कहा था कि…आर्थिक सुधार अधपके थे…कल मास्टरशेफ गडकरी ने उन्हें पका दिया…मुझे लगता है…अब वह इसे पचा पाएंगी।

कांग्रेस ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1991 के सुधारों को आधे-अधूरे बताने वाली उनकी टिप्पणी के लिए बुधवार को कटाक्ष किया और कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की प्रशंसा करके खुद ही सब कुछ स्पष्ट कर दिया है। केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आर्थिक सुधारों के जरिये देश को नई दिशा देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री सिंह की मंगलवार को प्रशंसा करते हुए कहा था कि इसके लिए देश उनका ऋणी है।

वहीं गत सितंबर में सीतारमण ने एक कार्यक्रम में 1991 की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों को आधे-अधूरे सुधार’ करार दिया था और कहा था कि उस समय अर्थव्यवस्था सही तरीके से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा थोपी गई बाध्यताओं के कारण खोली गई थी।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 16 सितंबर को वित्त मंत्री महोदया ने कहा था कि 1991 के आर्थिक सुधार आधे-अधूरे (अधपका) थे। कल, मास्टरशेफ गड़करी ने खुद ही सब कुछ स्पष्ट कर दिया और डॉ. मनमोहन सिंह के 1991 के आर्थिक सुधारों की भरपूर प्रशंसा की। मुझे लगता है कि अब वह इसे पचा पाएंगी।

यहां एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा था, उदार अर्थव्यवस्था के कारण देश को नयी दिशा मिली। उसके लिए देश मनमोहन सिंह का ऋणी है। गडकरी ने मनमोहन की नीतियों से नब्बे के दशक में महाराष्ट्र की सड़कों के लिए पैसे जुटाने में मिली मदद का भी जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि सिंह की तरफ से शुरू किए गए आर्थिक सुधारों की वजह से वह महाराष्ट्र का मंत्री रहने के दौरान इन सड़क परियोजनाओं के लिए धन जुटा पाए थे।

शिक्षा विभाग में फेरबदल, निदेशक तिवारी को हटाया 

शिक्षा विभाग में फेरबदल, निदेशक तिवारी को हटाया 

संदीप मिश्र 

लखनऊ। शासन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में बड़ा फेरबदल करते हुए, निदेशक सरिता तिवारी को हटा दिया है। अब उनकी जगह पर डॉक्टर महेंद्र देव को अग्रिम आदेश तक निदेशक बनाया गया है। प्रमुख सचिव माध्यमिक दीपक कुमार ने बताया डॉ महेंद्र देव मौजूदा समय में प्रयागराज में अपर शिक्षा निदेशक के पद पर तैनात हैं। उनको निदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इसके एवज में उनको अलग से कोई भत्ता नहीं दिया जाएगा।

बता दे बीते अप्रैल माह में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडे को भ्रष्टाचार के आरोप में हटाया गया था, उनकी जगह पर डॉक्टर सरिता तिवारी को माध्यमिक शिक्षा निदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।

राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 12 घोषणाएं की

राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 12 घोषणाएं की

पंकज कपूर 

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पुलिस लाईन देहरादून में 12 घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तय किया है कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को वर्ष 2027 तक दोगुना किया जाएगा। राज्य के संशाधनों के समुचित उपयोग और आय के स्रोतों का चिन्हीकरण करते हुए सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने के लिए सुझाव देने हेतु शीघ्र ही एक सलाहकार फ़र्म का भी चयन किया जाएगा।

प्रदेश में ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने हेतु और निवेशकों को आकर्षित करने हेतु तीन माह के भीतर सरलीकृत लघु जल विद्युत नीति और सौर ऊर्जा नीति बनायी जाएगी। विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत विद्यालयों की अवस्थापना सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार करने तथा शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने हेतु रूपांतरण कार्यक्रम के तहत प्रति वर्ष दो सौ विद्यालयों को रूपांतरित किया जाएगा तथा अगले पाँच वर्षों में एक हज़ार विद्यालयों को सुदृढ़ किया जाएगा। यह कार्य अन्य विद्यालयों में चलाए जा रहे अन्य कार्यक्रम से अतिरिक्त रूप में किया जाएगा।

जम्मू-कश्मीर एवं हिमांचल प्रदेश की तर्ज़ पर उत्तराखंड में भी कम मूल्य वाली फसलों के स्थान पर उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि फसल उत्पादकों की आय को बढ़ाया जा सके। पर्यटन के क्षेत्र में निवेश को को आकर्षित करने के लिए नई पर्यटन नीति तीन माह के भीतर बनायी जाएगी।

राज्य में पशु पालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाएगा। इसके लिए राज्य पशु धन मिशन की शुरुआत की जाएगी। प्रदेश में आगामी पाँच वर्षों में दस हज़ार महिला तथा महिला समूहों को उद्यमी बनाने का लक्ष्य हमने तय किया है। इसके तहत कोई भी महिला तथा महिला समूह ग्रामीण क्षेत्र में उद्योग लगा सकेगा। प्रदेश की महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए ’गौरा शक्ति’ एप शीघ्र लांच किया जायेगा। इसके माध्यम से हमारी बहन-बेटियाँ अपना ऑनलाइन पंजीकरण कर सकेंगी और पुलिस सुरक्षा के घेरे में आ जाएँगी।

राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बेहतर विपणन व्यवस्था और सुविधा के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफार्म शीघ्र उपलब्ध कराया जाएगा। जिसमें विभिन्न विभागों के ब्रैंड्स जैसे हिमाद्रि, हिलांश इत्यादि को बिक्री हेतु एक मंच मिल सकेगा।प्रदेश की क़ानून व्यवस्था को चुस्त करने के लिए इनामी बदमाशों को पकड़वाने वाले लोगों को पुरस्कृत किया जाएगा। इस हेतु पुलिस विभाग के अंतर्गत एक करोड़ रूपए का कोष गठित किया जाएगा। राज्य में ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि उत्तराखंड के आंदोलन का इतिहास तथा लोक संस्कृति के विभिन्न आयामों को हमारी पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जा सके।

प्रदेश की तहसील स्तर तक की समस्याओं के समाधान के लिए ’’मुख्यमंत्री चौपाल’’ कार्यक्रम आरंभ किया जाएगा। यह योजना ’’हमारी सरकार, जनता के द्वार’’ कार्यक्रम को धरातल पर उतारेगी। यह चौपाल विभिन्न विभागों के सचिवों, प्रमुख सचिवों व जिलाधिकारियों द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाएगी। इस योजना द्वारा लोगों की समस्याओं का शीघ्र निस्तारण करने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य निर्माण में अपना योगदान देने वाले सभी अमर शहीदों एवं राज्य आंदोलनकारियों एवं को नमन करते हुए कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के सपने के अनुरूप राज्य के विकास के लिए सरकार कृत संकल्पित है। उन्होंने विगत दिनों राज्य में आई आपदाओं में सभी मृत आत्माओं के प्रति अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त की। देश के पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न परम स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी मुख्यमंत्री ने स्मरण किया। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में उत्तराखंड राज्य का सपना साकार हुआ था। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में प्रभावी प्रशासन के लिए प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन का जो मंत्र दिया था, हमारी सरकार उसी को अपना मूलमंत्र मानकर कार्य कर रही है। आज उत्तराखंड में हर जगह विकास के कार्य देखने को मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा लगभग एक लाख करोड़ रूपए से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं की स्वीकृति इसका मुख्य कारण है। इनमें से बहुत सी परियोजनाओं पर काम हो गया है और अन्य पर काम तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 21 अक्टूबर 2022 को देश के प्रथम गांव माणा में हमारे राज्य के उत्पादों की सराहना करते हुए देशवासियों से अपील की कि वे अपनी यात्रा में जितना व्यय करते हैं, उसका कम से कम 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों को क्रय करने पर व्यय करें। इसका निश्चित रूप से लाभ हमारे प्रदेश को मिलेगा।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि वे पिछले डेढ साल से मुख्य सेवक के दायित्व का निर्वहन पूरी क्षमता से करने की कोशिश कर रहे हैं। कोई ऐसा वर्ग नहीं है जिसके लिए राज्य सरकार ने योजना न बनाई हो या कार्य न किया हो। सरकार विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जनता के प्रति जवाबदेह है, भरोसेमंद है तथा अपने कार्य में दक्षता से कार्य कर रही है। राज्य सरकार का प्रयास है कि जहां संभव हो सरकारी नौकरियों द्वारा या युवाओं की स्किल में बढोत्तरी कर प्राइवेट सेक्टर में उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर या फिर स्वरोजगार सम्बंधी नीतियों को सरल बनाकर अधिक से अधिक युवाओं को भली प्रकार जीवन यापन के संसाधन मुहैया कराए जा सकें। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के युवा हमारा भविष्य हैं और हम युवाओं साथ धोखा करने वालों के खिलाफ किसी भी सख्त कार्यवाही को करने से पीछे नहीं हटेंगे।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


1. अंक-395, (वर्ष-05)

2. बृहस्पतिवार, नवंबर 10, 2022

3. शक-1944, मार्गशीर्ष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दूज, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 07:02, सूर्यास्त: 05:36। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 23 डी.सै., अधिकतम-34+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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संपर्क सूत्र :- +919350302745--केवल व्हाट्सएप पर संपर्क करें, 9718339011 फोन करें।

(सर्वाधिकार सुरक्षित)

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