शनिवार, 29 अक्टूबर 2022

रायपुर: 'दीपावली मिलन' कार्यक्रम धूमधाम से संपन्न 

रायपुर: 'दीपावली मिलन' कार्यक्रम धूमधाम से संपन्न 

दुष्यंत टीकम 

रायपुर। धरसींवा विधायक अनिता योगेन्द्र शर्मा द्वारा शनिवार को राजधानी से सटे ग्राम गुमा में आयोजित 'दीपावली मिलन' कार्यक्रम धूमधाम से संपन्न हुआ। इस मौके पर विधायक अनिता योगेंद्र शर्मा द्वारा क्षेत्र वासियो एवं सभी कार्यकर्ताओ एव उनके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए क्षेत्र के उन्नति और विकास की कामना की गई तथा कहा की इस तरह के कार्यक्रम सभी लोगो से सीधे मिलने-जुलने का, सभी के दुख सुख हाल-चाल जानने का बहुत अच्छा जरिया है। अपने उद्बोधन में विधायक ने कहा कि जब युवा पीढ़ी नशे के लत से बाहर निकल कर अपनी ऊर्जा को समाज के अच्छे कार्यो में लगाएगी, तभी सही मायनो में हर घर मे दीपावली आएगी।

अंत मे विधायक ने ग्राम गुमा के समस्त लोगों एवं क्षेत्र के सभी कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम सफल बनाने के लोए धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर अंचल के ही कलाकार चंदन बांधे के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। सैकड़ों की संख्या में लोगो की उपस्थिति के बीच कार्यक्रम बहुत ही सफल रूप से सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर धरसींवा क्षेत्रान्तर्गत समस्त बूथ सेक्टर जोन प्रभारी, ब्लॉक कॉंग्रेस से समस्त पदाधिकारीगण, निर्वाचित जनप्रतिनिगण ( सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य),  महिला कांग्रेस , युवा कांग्रेस, किसान कांग्रेस , मजदूर कांग्रेस, एन एस यू आई , सम्म्मनित वरिष्ठजन,राजीव युवा मितान क्लब से सदस्य गण ,गोठान समिति सदस्य  एवम समस्त कार्यकर्ता उपस्थित थे।

31 को 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' का दौरा करेंगे पीएम 

31 को 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' का दौरा करेंगे पीएम 

अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी 

नई दिल्ली/गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 31 अक्टूबर को सरदार पटेल जयंती के अवसर पर केवड़िया स्थित स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का दौरा करेंगे और सिविल सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करेंगे। मोदी इस अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और केवड़िया में आरंभ 2022 कार्यक्रम में मौजूद प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित भी करेंगे। यह आरंभ कार्यक्रम का चौथा संस्करण है और इस वर्ष की थीम है-‘अमृत काल में सुशासनः डिजिटल टेक्नोलॉजीज, फाउंडेशन टू फ्रंटियर्स। इस वर्ष आरंभ 2022 में ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज तथा रॉयल भूटान सिविल सर्विसेज के कुल 455 सिविल सेवा अधिकारी भाग ले रहे हैं।

आरंभ 2022 कार्यक्रम के अंतर्गत केवड़िया में 28 से 30 अक्टूबर के दौरान प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए विभिन्न सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। इन सत्रों के दौरान विशेषज्ञ विभिन्न विषयों पर संबोधित कर रहे हैं जिसमें भारत अपनी टेक्नोलॉजी के आधार को सुदृढ़ करने और सार्वजनिक सेवाओं की डिलिवरी में सुधार के लिए टेक्नोलॉजी की सीमाओं का पता लगाने के लिए अपनी क्षमता को किस तरह बढ़ाए तथा विभिन्न क्षेत्रों में और केंद्र सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में टेक्नोलॉजी का उपयोग कैसे हो जैसे विषयों का समावेश होता है। आरंभ कार्यक्रम की शुरुआत 2019 में हुई थी।

हर साल अक्टूबर-दिसंबर महीने के दौरान, देश की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षा को पास करने वाले युवा सिविल अधिकारी मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में अपना फाउंडेशन कोर्स करते हैं। युवा दिमाग के लिए यह फाउंडेशन कोर्स इस विशाल और विविधतापूर्ण देश में शासन के विचार, चुनौतियां और जिम्मेदारियों के साथ प्रथम परिचय कराता है।इस अकादमी में फाउंडेशन कोर्स में भाग लेने वालों को नेतृत्व, सिविल सेवकों के कौशल, प्रशासन और देश के लिए व्यक्तिगत कौशल एवं विजन का पाठ पढ़ाया जाता है। इन सभी का उद्देश्य प्रशासन को लोगों की जरूरतों के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाने का है। साढ़े तीन महीने के इस कोर्स के दौरान बड़ी संख्या में देश और दुनिया के वक्ता, विशेषज्ञ और प्रेरणादायक व्यक्ति लोक प्रशासक के रूप में प्रशिक्षु अधिकारियों के विजन को आकार देने के लिए उनके साथ वार्तालाप करते हैं।

अकादमी की सीमित क्षमता के कारण फाउंडेशन कोर्स अब तक मसूरी सहित दो से तीन अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में एक साथ चलाया जाता था। फाउंडेशन कोर्स के दौरान सभी सेवाओं को एक साथ लाने तथा सिविल सेवकों के करियर क शुरुआत से ही सभी विभागों एवं सेवाओं को एकीकृत करने के विजन के साथ, ऑल इंडिया सिविल सर्विस, ग्रुप-ए सेंट्रल सर्विस और फॉरेन सर्विस के सभी प्रशिक्षुओं के लिए 2019 में पहली बार कॉमन फाउंडेशन कोर्स (सीएफसी) शुरू किया गया था।

इस पहल को आरंभ नाम दिया गया था। आरंभ नामक यह कॉमन फाउंडेशन कोर्स वर्ष 2019 में फाउंडेशन कोर्स के एक भाग के रूप में सिविल सेवकों को परिवर्तन का नेतृत्व करने और विभागों एवं क्षेत्रों में एकीकृत तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाने के विजन के साथ प्रारंभ किया गया था। इस कार्यक्रम में विश्वस्तरीय संस्थानों के विशेषज्ञों की मदद से बदलती तकनीक और शासन के लिए इसकी संभावनाओं को समझने के लिए गुजरात के केवड़िया में 425 प्रशिक्षु अधिकारी एक सप्ताह के लिए शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम की थीम ‘सिविल सेवकों को भविष्य के लिए तैयार करना पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ना’ थी। इस पूरे प्रयोग का प्रधानमंत्री के समक्ष प्रेजेंटेशन किया गया। इसके बाद श्री मोदी ने प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया और उनके साथ बातचीत भी की थी।

इस्लामिया ने अपनी स्थापना के 102 साल पूरे किए 

इस्लामिया ने अपनी स्थापना के 102 साल पूरे किए 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। स्वतंत्रता संग्राम और असहयोग आंदोलन से जन्मी संस्था जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने शनिवार को अपनी स्थापना के 102 साल पूरे कर लियें। विश्वविद्यालय के एनसीसी कैडेट्स ने समारोह के मुख्य अतिथि डॉ सुभाष सरकार, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार, जामिया की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर और समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ उपेंद्र गिरि, संस्थापक और सीईओ, अपबिल्ड ग्लोबल इंक, कैलिफ़ोर्निया, यूएसए को एक शानदार गार्ड ऑफ ऑनर दिया।

स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन समारोह आज विश्वविद्यालय के डॉ. एम ए अंसारी सभागार के लॉन में कुलपति प्रो. नजमा अख्तर द्वारा जामिया का झंडा फहराने के साथ शुरू हुआ और छात्रों द्वारा 'ये जामिया का परचम' गीत गाया गया। डॉ. सुभाष सरकार ने अपने संबोधन की शुरुआत टीचिंग और नॉन-टीचिंग बिरादरी, छात्रों, पूर्व छात्रों और सभी हितधारकों को बधाई देकर की। “अपनी स्थापना के बाद से, विश्वविद्यालय ने बेशुमार उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जो देश के लिए यादगार और महत्वपूर्ण रहेंगी। मैं आप सभी को बधाई देता हूं, यह बहुत गर्व की बात है कि संस्थान ने एक और उपलब्धि हासिल है”, उन्होंने कहा।

माननीय मंत्री ने आगे कहा कि जामिया भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक है। छात्र, शोधार्थी और शिक्षक अध्ययन, शिक्षण, अनुसंधान और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में लगातार उत्कृष्ट रहे हैं। उन्होंने कहा, "मैं इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर के प्रयासों की सराहना करता हूं, जो विश्वविद्यालय की बेहतरी और उत्कृष्टता के लिए कुशलतापूर्वक काम कर रही हैं।"

जामिया की कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सरकार से अपील करता है कि एक मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज की स्थापना के लिए मंजूरी दी जाए जो न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि नोएडा जैसे आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी उपयोगी होगा। जामिया ने हमेशा प्रगतिशीलता, ज्ञान, विविधता में एकता की शिक्षा दी है। विश्वविद्यालय हमेशा सहअस्तित्व और देशभक्ति की बात करता है। हम राष्ट्र निर्माण और समाज पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार और सम्मेलन आयोजित करते रहे हैं और हमने इन सपनों को साकार करने में हमेशा अपनी विशिष्ट भूमिका निभाई है। ”कुलपति ने कहा।

सभागार के अंदर जामिया तराना के गायन के साथ समारोह की शुरुआत हुई, जिसके बाद मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का अभिनंदन किया गया। प्रो. फरहत नसरीन, इतिहास और संस्कृति विभाग, जामिया, सुश्री मिर्जा शाइना बेग और श्री नवी हसन, विश्वविद्यालय के छात्रों ने शानदार इतिहास और जामिया की 102 साल की यात्रा पर अपने ओजपूर्ण भाषणों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

माननीय मंत्री और कुलपति ने विश्वविद्यालय के 21 शोधकर्ताओं को सम्मानित किया, जिन्हें स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित वैश्विक सूची में शामिल किया गया था। इस अवसर पर हाल ही में प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) के लिए चयनित विश्वविद्यालय के बारह शोध विद्वानों, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले आवासीय कोचिंग अकादमी (आरसीए), जेएमआई के सफल छात्रों और हाल ही में विज़िटर पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रो जाहिद अशरफ को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।

समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ उपेंद्र गिरि ने कहा, "पिछले 102 वर्षों में जामिया की उपलब्धियों के बारे में जानकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है और मैं इस संस्थान का पूर्व छात्र होने के कारण पुरानी यादों में भी जा रहा हूं।" अपने ऊर्जावान संबोधन से उन्होंने सभी को विश्वविद्यालय को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।

प्रो. नाजिम हुसैन जाफरी, रजिस्ट्रार, जामिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया और इसके बाद सभा द्वारा राष्ट्रगान गाया गया। दूसरे हाफ में सभागार में कई सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया गया। श्री रामचंदर जांगड़ा, राज्यसभा सांसद, हरियाणा और प्रो. असीम अली खान, महानिदेशक, सीसीआरयूएम, भारत सरकार, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। डीन छात्र कल्याण प्रो. इब्राहिम और उनकी टीम, एनएसएस स्वयंसेवकों और एनसीसी कैडेटों ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की।

अटैचमेंट के बगैर फसलों की कटाई नहीं की जाएगी

अटैचमेंट के बगैर फसलों की कटाई नहीं की जाएगी


डीएम ने फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के प्रयोग के संबंध में दिया आवश्यक निर्देश

फसल अवशेष/पराली को जलाये जाने वाली घटनाओं के रोकथाम हेतु तहसीलवार एवं विकास खण्डवार उडनदस्तों का किया गठन

हरिशंकर त्रिपाठी

देवरिया। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया है कि फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अथवा स्ट्रारीपर, स्ट्रारेक व बेलर, मल्चर, सुपर सीडर, पैडी स्ट्रा चापर, श्रव मास्टर, रोटरी श्लेसर रिवर्सिबुल एम०बी०प्लाउ का भी उपयोग कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ किया जाना अनिवार्य होगा, तथा यदि कोई भी कम्बाईन हार्वेस्टर सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम, स्ट्रारीपर अथवा स्ट्रारेक एवं बैलर के बिना चलती हुई पायी जाती है तो उसे तत्काल सीज (जब्त) की कार्यवाही की जायेगी तथा कम्बाईन स्वामी के व्यय पर ही सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम लगवाने के उपरान्त ही छोड़ी जाएं।

जिलाधिकारी ने कम्बाईन स्वामियों को निर्देशित किया है कि एक सप्ताह के अन्दर उप कृषि निदेशक देवरिया के कार्यालय में उपस्थित होकर इस आशय का लिखित शपथ पत्र (मय फोटोग्राफ) प्रस्तुत करते हुये कृषि विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर लें कि उनके द्वारा अपने कम्बाईन हार्वेस्टर में उपरोक्तानुसार आपेक्षित अटैचमेंट लगवा लिया है तथा उपरोक्त अटैचमेंट के बगैर फसलों की कटाई नहीं की जाएगी। यदि निर्धारित अवधि सक्षम अधिकारी/उप कृषि निदेशक देवरिया के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो यह माना जायेगा कि वर्तमान में कम्बाईन हार्वेस्टर का प्रयोग नही कर रहे है। ऐसी स्थिति में यदि अपेक्षित अटैयमेन्ट के बगैर ही कम्बाइन हार्वेस्टर से फसलों की कटाई करते हुये पाया जाता है तो कम्बाइन हार्वेस्टर को सीज (जब्त करते हुये तहसील / थाना द्वारा तदविषयक प्राथमिकी दर्ज कराते हुए मा० राष्ट्रीय हरित अभिकरण की गाइडलाइन के अनुसार विधिक एवं दण्डात्मक कार्यवाही हेतु न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया जाएगा।

जिलाधिकारी ने तहसीलवार एवं विकास खण्डवार उडनदस्तों का किया गठन

जिलाधिकारी ने फसल अवशेष/पराली को जलाये जाने वाली घटनाओं के रोकथाम हेतु प्रत्येक विकास खण्ड/तहसील स्तर पर उडन दस्ता गठित किया है। तहसील स्तरीय सचल दस्ता हेतु संबंधित तहसील के उप जिलाधिकारी को पर्यवेक्षीय अधिकारी नामित किया गया है। सचल दस्ते हेतु संबंधित तहसील के तहसीलदार, उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी तथा थानाध्यक्ष (संबंधित तहसील मुख्यालय) को अधिकारी नामित किया गया है। विकास खण्ड स्तरीय सचल दस्ते हेतु संबंधित विकास खंड के खंड विकास अधिकारी को पर्यवेक्षीय अधिकारी नामित किया गया है। नायब तहसीलदार/कानूनगो, सहायक विकास अधिकारी(कृषि) एवं थानाध्यक्ष को सचल दस्ते हेतु अधिकारी नामित किया गया है।

जिलाधिकारी ने उक्त प्रयोजनार्थ प्रत्येक तहसील एंव विकास खण्ड के समस्त लेखपाल, कृषि विभाग के क्षेत्रीय कार्मिक एवं ग्राम प्रधानों को सम्मिलित करते हुए एक व्हाटसअप ग्रुप बनाने का निर्देश दिया है तथा उस क्षेत्र में कही भी फसल अवशेष जलाये जाने की घटना होने पर अथवा घटना की सूचना मिलने पर सम्बन्धित लेखपाल / ग्राम प्रधान व्हाटसअप ग्रुप एवं दूरभाष के माध्यम से सम्बन्धित तहसील / विकास खण्ड स्तर पर गठित उडन दस्ते को तत्काल इसकी सूचना दी जाय। पराली / कृषि अपशिष्ट जलाये जाने की घटना की पुष्टि होने पर सम्बन्धित कृषक को दण्डित करने तथा क्षतिपूर्ति की वसूली के सम्बन्ध में त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाय, प्रत्येक गाँव में ग्राम प्रधान एवं क्षेत्रिय लेखपाल को यह भी निर्देशित किया जाय कि किसी भी दशा में उनके क्षेत्र में पराली / फसल अवशेष जलाया न जाय किसी भी क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने की घटना प्रकाश में आने पर सम्बन्धित लेखपाल जिम्मेदार होगें। यह भी सुनिश्चित किया जाय कि फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर/ स्ट्रा रेक / बेलर / मल्चर / पैडी स्ट्रा चापर / रोस्टरी स्लेशर / रिवर्सिबल एम0बी0 प्लाऊ या सुपर सीडर का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाय तथा ऐसा न करने सम्बन्धित कम्बाईन हार्वेस्टर को सीज (जब्त कर लिया जाए। सहायक विकास अधिकारी (कृषि) / कृषि रक्षा द्वारा खण्ड विकास अधिकारी तथा सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) के माध्यम से ग्राम प्रधानों से समन्वय करके प्रत्येक ग्राम पंचायत की खुली बैठक आयोजित कराकर फसल अवशेष प्रबन्धन के उपायों फसल अवशेष प्रबन्धन से सम्बन्धित कृषि यत्रं व उन पर अनुमन्य अनुदान तथा पराली जलाने माननीय राष्ट्रिय हरित अभिकरण द्वारा निर्धारित दण्डात्मक प्राविधानों पर चर्चा करके कृषकों को पराली जलाने के स्थान पर फसल अवशेष के लाभकारी उपयोग के उपायों को अपनाने हेतु प्रेरित किया जायेगा तथा कृत कार्यवाही की सूचना जिला कृषि अधिकारी को प्रेषित किया जाएगा।

एडीएम वित्त की अध्यक्षता में पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का आरोपण एवं वसूली की प्रक्रिया के संबंध में हुई समीक्षा बैठक

अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की अध्यक्षता में जनपद स्तर पर कृषि अपशिष्टों को जलाये जाने पर निषेध के उलंघन पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का आरोपण एवं वसूली की प्रक्रिया के संबंध में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया , जिसमें राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन में कृषि अपशिष्ट को जलाए जाने पर निषेध के उल्लंघन पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का आरोप एवं वसूली की प्रक्रिया के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश देते हुए अपर जिला अधिकारी नागेंद्र कुमार सिंह ने स्पष्ट दिशा निर्देश देते हुए बताया कि यदि किसी कृषकों द्वारा फसल के अपशिष्ट को जलाया जाएगा तो उसके खिलाफ नियमों के तहत विधिक कार्यवाही की जाएगी । जिसमें कृषकों द्वारा 2 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को 2500 रुपये प्रति घटना एवं 2 से 5 एकड़ भूमि रखने वाले लघु कृषकों के लिए 5000 प्रति घटना तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले बड़े कृषकों के लिए ₹15000 प्रति घटना के हिसाब से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में दंडित किया जाएगा।

कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग के ग्राम पंचायत एवं न्याय पंचायत पर कार्यरत कर्मचारियों को निर्देशित किया गया कि वह अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमण कर नियमित रिपोर्ट तहसील के माध्यम से जनपद स्तर पर उपलब्ध कराएंगे की किन-किन गांव में पर्यावरणीय क्षति का कृत्य किया गया है । उन्होंने प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को जागरूक करने हेतु कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए बताया कि गांव गांव में प्रचार-प्रसार व्यापक रूप से कराया जाए कि कोई भी व्यक्ति फसल का अपशिष्ट न जलाये जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहे एवं जनजीवन प्रभावित न हो। बैठक में मुख्य रूप से डीडी एग्रीकल्चर एवं कृषि विभाग के अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।

देवोत्थानी एकादशी: शादियों का मुहूर्त 24 से शुरू होगा

देवोत्थानी एकादशी: शादियों का मुहूर्त 24 से शुरू होगा

सरस्वती उपाध्याय 

10 जुलाई को हरि शयनी एकादशी से बंद चल रही शादियां एक बार फिर शुरू होंगी। 4 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी के साथ ही सहालग शुरू हो जाएगी, लेकिन शादियों का मुहूर्त 24 नवंबर से शुरू होगा। इसे लेकर बाजार में भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि देवताओं के जागने के बाद ही शादियां होंगी। 20 तक शुक्रास्त के चलते शादियां नहीं होंगी। 24 से शुरुआत होगी। ऐसा शायद ही कोई इलाका बचेगा जहां बैंड बाजे की धुन पर बराती थिरकते नजर न आएं।

शहर के होटल व रेस्टोरेंट, शादी घरों की बुकिंग फुल हो चुकी है। सहालग के लिए शहर के छोटे बैंड वालों के पास दो से पांच और बड़े बैंड वालों के पास छह से आठ बुकिंग है। अशोक मार्ग के बैंड मास्टर गौरव ने बताया कि लखनऊ में करीब 300 से 400 छोटे बड़े बैंड वाले हैं। सभी के पास बुकिंग है। दो साल के कोरोना काल के बाद बुकिंग में तेजी आएगी।

होटल रेस्टोरेंट की बुकिंग फुलः शहर के करीब 150 बड़े होटल व रेस्टोरेंट में बुकिंग हुई है। इलाकाई शादी घर भी बुक हो चुके हैं। लखनऊ होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष श्याम कृष्नानी ने बताया कि सहालग में इसबार अच्छा कारोबार होने की उम्मीद है।

एक टेंट वाले के पास चार से पांच बुकिंगः ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर शादियों की धूम होगी। आदर्श कैटर्स लाइल डेकाेरोरेटर एसाेसिएशन के अध्यक्ष विजय कुमार ने बताया कि सहालग में सभी टेंट हाउस के पास कई बुकिंग है। हनुमान सेतु के फूल के कारोबारी कल्लू ने बताया कि सजावट के लिए बुकिंग मिल गईं हैं। शादी के वाहन के साथ ही मंडप सजाने वालों के चेहरे भी खिल उठे हैं। इस बार पूरे शहर में शादियों की धूम है।

खास मुहूर्त पर शादी करने का चलनः आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि शुक्रास्त की मान्यता के चलते लोगों ने शादियां नहीं कीं। शुभ कार्य भी नहीं हुए। सात जन्मों तक रिश्तों को जोड़ने की शादी की मान्यता होने और सुख वैवाहिक जीवन के लिए लोग अच्छे दिनों में ही शादियों का प्लान बनाते हैं। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि शादियों का शुभ मुहूर्त है। शुभ लग्न होने के कारण शादियों की धूम होगी।

चमगादड़ों का गायब होना कुछ समय के लिए होता है

चमगादड़ों का गायब होना कुछ समय के लिए होता है 

सुनील श्रीवास्तव 

बर्नाबी/ओटावा आगामी महीनों में शाम के समय आकाश में केवल कुछ चमगादड़ ही घूमते दिखेंगे। सालभर में यही वह समय होता है, जब चमगादड़ों की कुछ प्रजातियां नजरों से ओझल हो जाती हैं। सर्दी के इस मौसम में वे चट्टानों की संकरी दरारों या गुफाओं में आराम करते हैं। अच्छी बात यह है कि चमगादड़ों का इस तरह गायब होना कुछ समय के लिए होता है।

चमगादड़ स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। वे पर्यावरण में पोषक तत्वों के प्रसार और पौधों के परागण में मददगार साबित होते हैं। वे कीटों को भी खाते हैं, जिससे खेती में कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है। चमगादड़ हमारे पारिस्थितिक तंत्र को बहुत अधिक फायदा पहुंचाते हैं। चूंकि वे अंधेरे में अपनी गतिविधियां करते हैं, इसलिए हम उनकी तरफ से मिलने वाली मदद से अकसर अवगत नहीं होते।

चमगादड़ों के आश्रय स्थान पर खतरा
मौसमी तौर पर चमगादड़ों के गायब होने से ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि दशकों से उत्तरी अमेरिका में चमगादड़ों की आबादी में गिरावट देखी जा रही है। वनों की कटाई से उनका आश्रय स्थल घटना, शहरीकरण और कृषि भूमि के विस्तार से चमगादड़ों के लिए उपयुक्त जगह की कमी होती जा रही है। साथ ही, फसलों पर कीटनाशकों के छिड़काव के कारण बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौत भी हो जाती है।

हालांकि, चमगादड़ों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि फंगस (कवक) और ‘स्यूडोगाइमनोस्कस’ के कारण ‘व्हाइट नोज सिंड्रोम’ फैलता है। इस घातक फंगस के कारण उत्तर अमेरिका में 60 लाख से अधिक चमगादड़ों की जान जा चुकी है। पूर्वी कनाडा में ‘व्हाइट नोज सिंड्रोम’ विशेष रूप से विनाशकारी साबित हुआ है, जहां इसके कारण भूरे रंग के छोटे मायोटिस (मायोटिस ल्यूसिफुगस) और नॉर्दर्न मायोटिस (मायोटिस सेप्टेंट्रियोनालिस) की आबादी में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।

फंगस का प्रकोप पश्चिमी देशों में भी बढ़ रहा है, जहां जुलाई में सस्केचेवान में इसका पहला मामला सामने आया था। ‘व्हाइट नोज सिंड्रोम’ ब्रिटिश कोलंबिया में नहीं पाया गया है, लेकिन इसका खतरा मंडरा रहा है। हमारी शोध टीम कनाडाई वन्यजीव स्वास्थ्य सहकारी विभाग की ब्रिटिश कोलंबिया इकाई में एक दशक से अधिक समय से वन्यजीव स्वास्थ्य पर काम कर रही है।

ब्रिटिश कोलंबिया में रहने वाले चमगादड़ों की 15 प्रजातियों के सामने आने वाले खतरों को समझने के लिए, हमने 2015 और 2020 के बीच मारे गए 275 चमगादड़ों पर अध्ययन किया। हमने पाया कि मृत्यु के सबसे सामान्य कारण मानव गतिविधि से जुड़ा है। यह जानकारी इस समय शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के बीच चमगादड़ों की आबादी का पता लगाने में हमारी मदद कर सकती है। चमगादड़ की जान बचाने के लिए हमें यह जानना होगा कि उनकी मौत कैसे होती है।

जानलेवा बिल्लियां
हमने जिन चमगादड़ों पर अध्ययन किया, उनमें से एक चौथाई की जान बिल्लियों ने ली थी। यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है- पालतू बिल्लियां वन्यजीवों की जान लेने के मामले में कुख्यात होती हैं। ऑस्ट्रेलिया में, एक अनुमान के मुताबिक आजाद घूमती पालतू बिल्लियां हर साल 39 करोड़ जंतुओं को मार डालती हैं। ये बिल्लियां न केवल चमगादड़ों के लिए बल्कि जैव विविधता के लिए भी खतरा पैदा करती हैं। आइसलैंड के कुछ शहरों ने अपने यहां पक्षियों की घटती आबादी को बचाने के लिए ‘कैट कर्फ्यू’ लागू किया है। ऐसे में चमगादड़ों और अन्य पक्षियों की जान बचाने का सबसे आसान उपाय पालतू बिल्लियों को घर के अंदर रखना और उनके बाहर घूमने पर नजर रखना है। बिल्लियां अपने शिकार का लगभग 20 प्रतिशत ही घर लाती हैं, इसलिए मालिकों को अपनी बिल्ली द्वारा किये जाने वाले शिकार की आदतों के बारे में पता नहीं होता।

हालिया शोध बताते हैं कि वन क्षेत्रों के पास ये क्रियाएं सबसे महत्वपूर्ण हैं। शोध में पाया गया है कि बिल्लियां जंगलों में 500 मीटर में ही वन्यजीवों का शिकार करती हैं। वन्य क्षेत्रों के पास रहने वाली बिल्लियों पर ध्यान केंद्रित करके वन्यजीवों पर मंडराने वाले खतरे को कम किया जा सकता है। बिल्लियों को घरों के अंदर रखना खुद उनके लिए भी फायदेमंद होता है। घर के अंदर रहने वाली बिल्लियों का जीवनकाल बाहर विचरण करने वाली बिल्लियों की तुलना में कहीं अधिक होता है।

हमारे अध्ययन के अनुसार आधे चमगादड़ों की मौत मानव गतिविधियों के कारण हुई। हमारे अध्ययन में शामिल अधिकांश चमगादड़ (90 प्रतिशत) ‘सिनथ्रोपिक प्रजाति’ के थे, जो मनुष्य के बीच रहते हैं। अध्ययन में पता चला है कि 25 प्रतिशत चमगादड़ों की मौत इंसान के इस्तेमाल में आने वाली चीजों जैसे कारों या इमारतों से टकराने के कारण हुईं। दिलचस्प बात यह है कि इस तरह से मरने वाले चमगादड़ों में ज्यादातर के नर होने की संभावना है। पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि ऐसा क्यों है, लेकिन शोध से पता चलता है कि नर चमगादड़ मादा चमगादड़ों की तुलना में दूर तक उड़ान भर सकते हैं, जिससे इनके वाहन या इमारतों से टकराने की आशंका बढ़ जाती है।

एक अधूरी तस्वीर
वन्य जीवन का अध्ययन आसान नहीं है। गुफाओं से लेकर खलिहान और खलिहान से लेकर अटारी तक कई अलग-अलग जगहों पर चमगादड़ रहते हैं, और वैज्ञानिक हर समय सभी जगहों पर चमगादड़ों की निगरानी नहीं कर सकते। लोगों की तरफ से मिली सूचना चमगादड़ों के बारे में जानकारी एकत्र करने और इनकी स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य को समझने में हमारी मदद करती है।

देश-प्रदेश में मोदी व योगी के आने से परिवर्तन: शर्मा 

देश-प्रदेश में मोदी व योगी के आने से परिवर्तन: शर्मा 

भानु प्रताप उपाध्याय 

मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर जिले के खतौली के गांव शाहपुर में हुए संत सम्मेलन में शनिवार को प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं विधान परिषद के सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि देश और प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व योगी आदित्यनाथ के आने से परिवर्तन हो रहा है। खेत खलियान से लेकर बहन बेटियों की सुरक्षा व किसान भी समृद्धशाली बन रहा है।

हिंदू धर्म को मानने वाले प्रत्येक व्यक्ति की सदा भावना सबको साथ जोड़कर चलने की रही है। यही हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान भी है। हमारा काम काटो और बांटो वाली पछताए संस्कृति का नहीं है। प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि संतों ने सदा देश को नई दिशा देने का काम किया है। उन्होंने अपने संबोधन में मुजफ्फरनगर दंगा का भी जिक्र कर लोगों को भावनात्मक रूप से जोडकर सरकार की उपलब्धियां और कानून सुरक्षा का अहसास दिलाया। कहां की सड़क बिजली पानी और खेत खलियान भी समृद्ध साली बनकर देश प्रदेश की उन्नति में भागीदार बन रहे हैं।

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने देश प्रदेश की सरकार की उपलब्धि के साथ सद्भावना व एकता के नारे को भी बुलंद किया कहां की वर्तमान की सरकार सबका साथ सबका विकास वाले नारे को केवल जुबान से बोलती ही नहीं उसे साकार भी करती हैं। कहा कि प्रत्येक हिंदुत्व की भावना रखने वाले व्यक्ति को यह हमेशा ध्यान रखना होगा, कि वह आरती करने वाले हाथों के साथ पांच वक्त की अजान देने वाले मौलवी का भी अपने धर्म के जितना ही सम्मान करें। प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश ने कहा कि देश में अग्निवीर भर्ती से युवाओं को रोजगार मिला है वहीं प्रदेश सरकार ने भी एक उत्पाद एक जनपद के तहत लगभग पांच लाख से अधिक युवाओं को रोजगार देने का काम किया है।

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