रविवार, 2 अक्टूबर 2022

सार्वजनिक सूचनाएं एवं विज्ञापन

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-358, (वर्ष-05)

2. सोमवार, अक्टूबर 3, 2022

3. शक-1944, आश्विन, शुक्ल-पक्ष, तिथि-अष्टमी, विक्रमी सवंत-2079।

4. सूर्योदय प्रातः 06:20, सूर्यास्त: 06:25। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 23 डी.सै., अधिकतम-35+ डी.सै., उत्तर भारत में भारी बरसात की संभावना है।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु,(विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसेन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी। 

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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शनिवार, 1 अक्टूबर 2022

प्रेरणा: 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी 'गांधी जयंती'

प्रेरणा: 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी 'गांधी जयंती'

सरस्वती उपाध्याय 

महात्मा गांधी भारत ही नहीं विश्व की धरोहर हैं। लोग आज भी उनसे प्रेरणा लेते हैं। इसीलिए भारत सहित दुनिया के बहुत से देशों में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ाई में गांधी जी ने अहिंसा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया था। अंततः अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा तथा 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था। दक्षिण अफ्रीका में भी बापू ने ब्रिटिश सत्ता को झुकाया था। जिसकी बदौलत देश-दुनिया में उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना गया। एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे महात्मा की उपाधि दी थी। तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिए उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगीं थीं। देश की आजादी के बाद उन्होंने कोई भी सरकारी पद लेने से इनकार कर दिया था। इसलिए देशवासियों ने उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा दिया। महात्मा गांधी भारत में सबसे अधिक सम्मानित व लोकप्रिय नेता हैं। देश में किसी भी दल की सरकार हो, सभी महात्मा गांधी के प्रति पूरा सम्मान प्रकट करती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जनप्रियता के ही कारण आज देश के सभी सरकारी कार्यालयों में उनकी तस्वीर लगी होती है, जो हर एक को शांति व अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

देश की संसद में भी महात्मा गांधी की विशाल प्रतिमा स्थापित है। जिसके समक्ष बैठकर विभिन्न दलों के सांसद अहिंसात्मक तरीके से सरकारों के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन करते रहते हैं। भारत जैसे विशाल देश में जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे विचारधारा के क्रांतिकारियों के रहते महात्मा गांधी ने शांति के पथ पर चलकर अंग्रेजों से देश की आजादी के लिए संघर्ष करने के लिए पूरे देश को एकजुट किया, जो उनके करिश्माई व्यक्तित्व के कारण ही संभव हो पाया था। देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। उन्होंने अपनी पारंपरिक पोशाक को भी त्याग कर शरीर पर सिर्फ एक धोती, हाथ में एक लाठी और चश्मा पहनकर आजादी के संघर्ष में अपना योगदान देने के लिए देश की जनता को जगाने अकेले ही निकल पड़े थे।

देखते ही देखते पूरे देश के लोग उनके साथ जुड़ते गए। अंततः उन्होंने अपने ही तरीके से ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़कर जाने को मजबूर किया। आज महात्मा गांधी एक प्रेरणा एक प्रतीक बन चुके हैं। उनका बताया शांति का मार्ग आज पूरी दुनिया को अच्छा लग रहा है। बड़े-बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं। उनके सिद्धांतों पर चलने का प्रयास करते हैं। देश दुनिया से आने वाला हर बड़ा नेता दिल्ली में राजघाट स्थित उनकी समाधि पर जाकर उनको श्रद्धांजलि देना नहीं भूलता है। देश में महात्मा गांधी ही एकमात्र ऐसे नेता है जिनके पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों चाहने वाले मौजूद है। दुनिया में जब भी कहीं युद्ध की बात आती है तो लोग अक्सर महात्मा गांधी को याद करते हैं और उनके बताए सिद्धांतों पर चलकर युद्ध को टालने का प्रयास करते हैं। इसीलिए पूरी दुनिया महात्मा गांधी को शांति का पुजारी मानती है। 

प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। पूरी दुनिया को शांति का सन्देश देने वाले महात्मा गाँधी को कभी भी शांति का नोबेल पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ। हालांकि उनको 1937 से 1948 के बीच पांच बार नोबेल पुरस्कार के लिये मनोनीत किया गया था। दशकों उपरांत नोबेल समिति ने सार्वजानिक रूप से स्वीकार किया कि उन्हें अपनी इस भूल पर खेद है और यह स्वीकार किया कि पुरस्कार न देने की वजह विभाजित राष्ट्रीय विचार थे। महात्मा गांधी को यह पुरस्कार 1948 में दिया जाना था परन्तु उनकी हत्या के कारण इसे रोक देना पड़ा था। उस साल दो नए राष्ट्र भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ जाना भी एक जटिल कारण था। महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। महात्मा गांधी ने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता। 

तभी तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती को 'विश्व अहिंसा दिवस' के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है। गांधी जी के बारे में प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इंसान भी धरती पर कभी आया था। विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शांति और अहिंसा का प्रतीक हैं। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गांधी जी एक निष्काम कर्मयोगी थे। 

उन्होंने सदैव लोगों को सद्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित किया। उनका मत था बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो तथा बुरा मत देखो। गांधी जी समाज में फैली छुआछूत के कट्टर विरोधी थे। गांधी जी सच्चे अर्थों में युगपुरुष थे। सत्य और अहिंसा का जो पाठ उन्होंने सिखाया वह पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है। उनके महान कृत्यों के कारण आज भी पूरा विश्व उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करता है। आजादी के लिए चलाए जा रहे संघर्ष काल मे महात्मा गांधी की जितनी बड़ी आवश्यकता और उपयोगिता थी वह आज भी कम नहीं हुयी है। यह इसलिए कि आज भी राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत सी ऐसी समस्याएं हैं जिनका समाधान अस्त्र-शस्त्र से नहीं, अपितु बातचीत से ही सम्भव हो सकता है।

संस्थान के तत्वधान में बैठक का आयोजन: बागपत 

संस्थान के तत्वधान में बैठक का आयोजन: बागपत 


सामाजिक सहभागिता हेतु "हमारा आजाद नगर मौहल्ला कमेटी बड़ौत" का किया गठन

गोपीचंद 

बागपत। कल्याण भारती सेवा संस्थान के तत्वधान में एक बैठक का आयोजन संस्थान के कार्यालय आजाद नगर बड़ौत पर किया गया। बैठक में संस्थान के प्रबंध निदेशक गोपी चन्द सैनी ने हमारा आजाद नगर मौहल्ला कमेटी बड़ौत का गठन किया। कमेटी का प्रभारी कल्याण भारती सेवा संस्थान का निदेशक मण्डल निश्चित किया गया और अध्यक्ष पद के लिए बैठक में उपस्थित सभी सदस्यगणों की सर्वसम्मति से श्री सतेन्द्र उज्ज्वल को न्युक्त किया गया, और महासचिव मा. राजीव कुमार, सचिव श्री नरेंद्र कुमार, संगठन मंत्री श्री सुशील कुमार शर्मा, प्रचार मंत्री श्री लोकेंद्र को न्युक्त किया गया, और महामंत्री वह मीडिया प्रभारी का दायित्व कोई योग्य व्यक्ति मिलने तक सर्व सम्मति से गोपी सैनी को दिया गया।  

कमेटी के संरक्षक के रूप में और कमेटी के संरक्षक के रूप में मा. सहंरपाल, श्री राजकुमार रुहेला, श्री रामकिशन कश्यप को संरक्षक के साथ कोषाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया।हमारा आजाद नगर मौहल्ला कमेटी बड़ौत मौहल्ले की सभी सामाजिक वह धार्मिक अन्य व्यवस्थाओं में अपनी भागेदारी सुनिश्चित करेगी।

पाकिस्तान के ट्विटर हैंडल पर भारत में रोक

पाकिस्तान के ट्विटर हैंडल पर भारत में रोक

अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय 

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। ट्विटर ने पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भारत में रोक लगा दी है। ट्विटर के मुताबिक, उसने सरकार की कानूनी मांग के बाद यह कार्रवाई की है। इससे पहले जुलाई, 2022 में ट्विटर ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन), तुर्किये, ईरान व मिस्त्र स्थित पाकिस्तान के दूतावासों के आधाकारिक अकाउंट्स पर भारत में प्रतिबंध लगाया था। भारत में पाकिस्तान सरकार के ट्विटर अकाउंट को 25 दिन के भीतर दूसरी बार बंद कर दिया गया है। इससे पहले सात सितंबर को भी पाकिस्तान सरकार के ट्विटर अकाउंट पर रोक लगा दी गई थी।

बता दें कि पाकिस्तान सरकार का ट्विटर हैंडल @GovtofPakistan नाम से है। फिलहाल इसपर भारत में रोक लगा दी गई है। मतलब इसपर लिखी जा रही चीजें फिलहाल भारत में नहीं देखी जा सकतीं। भारत, अमेरिका समेत कई देशों में ऐसे कानून हैं जो ट्वीट्स या ट्विटर अकाउंट की सामग्री पर लागू हो सकते हैं। अगर ट्विटर को किसी देश या संस्थान से कानूनी अनुरोध प्राप्त होता है, तो समय-समय पर किसी विशेष देश में कुछ सामग्री तक पहुंच को रोक दिया जाता है।

दिव्यांगों को बसों में निशुल्क यात्रा सुविधा मुहैया, कार्ड 

दिव्यांगों को बसों में निशुल्क यात्रा सुविधा मुहैया, कार्ड 

संदीप मिश्र 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों में दिव्यांगों के लिए निशुल्क यात्रा के फर्जी पास बनवाने वालों पर नकेल कसने के लिए विभाग अब दिव्यांगों को स्मार्ट यात्रा कार्ड देगा। सूत्रों ने शनिवार को बताया कि दिव्यांगों को परिवहन निगम की बसों में निशुल्क यात्रा सुविधा मुहैया कराने के लिए स्मार्ट कार्ड दिया जाएगा। इसका मकसद रोडवेज बसों में फर्जी प्रमाण-पत्र के सहारे मुफ्त में सफर करने वालों पर नकेल कसना है।

एक अधिकारी ने बताया कि इस पहल के तहत परिवहन निगम पहले चरण में प्रदेश के 11 लाख दिव्यांग यात्रियों को निशुल्क स्मार्ट कार्ड देगा। परिवहन निगम ने दिव्यांग निदेशालय से पूरे प्रदेश में पंजीकृत दिव्यांग जनों का ब्योरा मांगा है। दिव्यांग निदेशालय में पंजीकृत दिव्यांगजनों को ही स्मार्ट बस यात्रा कार्ड मिलेगा।

'आईबीसी' की चमक फीकी नहीं पड़नी चाहिए 

'आईबीसी' की चमक फीकी नहीं पड़नी चाहिए 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा, कि कर्ज के बोझ तले दबी कंपनियों के लिए लाए गए ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) की चमक फीकी नहीं पड़नी चाहिए। कर्ज समाधान प्रक्रिया के नियामक संस्थान भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) के छठें वार्षिक दिवस के अवसर पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में सीतारमण ने आईबीसी कानून के बीते छह वर्ष और आगे की राह के बारे में बात की। यह कानून वर्ष 2016 में लागू किया गया था।

सीतारमण ने कहा, हम इस राह में उभरने वाले तनाव के संकेतों को नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। आईबीसी कानून के ही तहत आईबीबीआई का गठन किया गया था। इस मौके पर वित्त मंत्री ने मौजूदा आर्थिक हालात का जिक्र करते हुए कहा कि देश आर्थिक गतिविधियों में मजबूती के दौर में हैं। उन्होंने मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने के मुद्दे पर कहा कि अब भी यह स्तर संभाले जाने लायक है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश रामलिंगम सुधाकर और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष अशोक कुमार गुप्ता भी मौजूद थे। आईबीबीआई के मुताबिक इस वर्ष जून तक 1,934 कॉरपोरेट देनदारों को आईबीसी कानून के तहत राहत मुहैया कराई गई है।

यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई

यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई  संदीप मिश्र  लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन को लेकर उत्तर प्रदेश में भी 7 दिनों के...