सोमवार, 26 सितंबर 2022

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 


1. अंक-352, (वर्ष-05)

2. मंगलवार, सितंबर 27, 2022

3. शक-1944, आश्विन, शुक्ल-पक्ष, तिथि-दूज, विक्रमी सवंत-2079।

4. सूर्योदय प्रातः 06:20, सूर्यास्त: 06:25। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 22 डी.सै., अधिकतम-34+ डी.सै., उत्तर भारत में भारी बरसात की संभावना है।

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रविवार, 25 सितंबर 2022

राष्ट्रीय सेमिनार में सहभागिता की जा रही है: मंडल 

राष्ट्रीय सेमिनार में सहभागिता की जा रही है: मंडल 


छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

दुष्यंत टीकम 

रायपुर। 27 सितंबर 1970 को विश्व पर्यटन संगठन का संविधान स्वीकार किया गया था। पर्यटन के महत्व और लोकप्रियता को देखते हुए ही संयुक्त राष्ट संघ ने 1980 से 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। तब से प्रतिवर्ष विश्व पर्यटन दिवस मनाया जा रहा है। देश की आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि और पर्यटकों के लिए अधोसंरचनाओं को विकसित करने के साथ ही किसी भी देश की कला, संस्कृति, परंपरा, जीवन शैली का दर्शन कराना, पर्यटन का मुख्य उद्देश्य है।

विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) प्रतिवर्ष विश्व पर्यटन दिवस की एक थीम निर्धारित करता है। इस वर्ष की थीम है 'Rethinking Tourism' अर्थात पर्यटन को एक नई सोच के साथ नई दृष्टि के साथ और उसके नए आयामों को प्रमोट करना जो सस्टेनेबल भी हो और जिन्हें पर्यटक अपनी रिस्पांसिबिलिटी समझकर आगे बढ़ाते रहें। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पर्यटन को मास टूरिज्म से अलग हटकर स्पेशल इंटरेस्ट के रूप में देखते हैं, जैसे- वाइल्डलाइफ टूरिज्म, एस्ट्रो टूरिज्म, रूरल टूरिज्म, गोल्फ टूरिज्म, हेरिटेज, कल्चर एण्ड फिल्म टूरिज्म आदि।

छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा इस वर्ष दिनांक 27 सितम्बर 2022 (मंगलवार) को होटल बेबीलॉन इंटरनेशनल, व्ही.आई.पी. रोड, रायपुर में प्रातः 10:00 बजे से आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में प्लेटिनम प्रायोजक के रूप में सहभागिता की जा रही है। जिसमें भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से प्रसिद्ध विशेषज्ञ स्पीकर्स शामिल होंगे तथा 'Rethinking Tourism Them पर विचार विमर्श करेंगे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ पर्यटन एवं पड़ोसी राज्यों के पर्यटन से संबंधित स्टेकहोल्डर्स भी शामिल होंगे। इनके अतिरिक्त इस इवेंट में सांस्कृतिक कार्यक्रम, छत्तीसगढ़ पर्यटन पर आधारित कॉफी टेबल बुक का विमोचन एवं पर्यटन स्थलों पर आधारित राज्यगीत का लोकार्पण तथा फोटोग्राफी कॉन्टेस्ट के विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। विश्व पर्यटन दिवस के पहले आयोजित कार रैली के प्रतिभागियों को भी प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया जाएगा।

इस अवसर पर राष्ट्रीय सेमीनार के मुख्य अतिथि माननीय मुख्यमंत्री भुपेश बघेल होंगे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय पर्यटन मंत्री  ताम्रध्वज साहू करेंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में माननीय अध्यक्ष,छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड अटल श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष चित्ररेखा साहू सदस्य संचालक मंडल निखिल द्विवेदी, नरेश ठाकुर एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहेंगे। छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्यों से भी इस कार्यक्रम में सहभागिता रहेगी।

सीएम के रूप में पायलट, इंतजार खत्म होगा

सीएम के रूप में पायलट, इंतजार खत्म होगा

नरेश राघानी 

जयपुर/जोधपुर। लगभग चार साल के इंतजार के बाद सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक में कांग्रेसियों और अन्य लोगों में उम्मीद जगी है कि उन्हें पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में देखने का लंबा इंतजार बहुत जल्द खत्म हो जाएगा। वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर जोधपुर में कई लोग चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर पदोन्नत होने पर भी वह मुख्यमंत्री पद पर बने रहें। उन्हें विश्वास है कि गहलोत को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा, तो भी वह पार्टी अध्यक्ष के रूप में एक प्रमुख शक्ति केंद्र होंगे।

इस बीच रविवार की शाम जयपुर में होने वाली राजस्थान कांग्रेस विधायक दल की अहम बैठक से पहले जोधपुर में पायलट के समर्थन में ‘नए युग की तैयारी’ लिखे पोस्टर दिखे। राजधानी जयपुर से 100 किमी दूर टोंक में लोगों को उम्मीद है कि पायलट को मौका मिला तो इसका सबसे ज्यादा फायदा टोंक को मिलेगा, क्योंकि टोंक को विकसित करने के रोडमैप पर काम तेज गति से होगा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य सऊद सैदी ने कहा कि टोंक में लोग पायलट के पक्ष में फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि पायलट के मुख्यमंत्री बनने के बाद टोंक चमकेगा। सैदी ने बताया कि टोंक विधायक के रूप में पायलट अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए काफी सक्रिय रहे हैं और एक बार जब वह मुख्यमंत्री बन जाएंगे, तो काम की गति बढ़ जाएगी। यही कारण है कि आम जनता पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में देखने का इंतजार कर रही है।

उन्होंने बताया कि लोग चार साल से इंतजार कर रहे हैं और अब यह 100 प्रतिशत माना जा रहा है कि पायलट मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। टोंक को उद्योगों और रोजगार के अवसरों की जरूरत है और अगर मुख्यमंत्री टोंक से हैं, तो निश्चित रूप से इसका लाभ मिलेगा। पायलट ने वर्ष 2018 में टोंक सीट पर 54159 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रहे भाजपा के यूनुस खान को हराया। टोंक में एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि गहलोत के पद छोड़ने पर इस पद के लिए पायलट के अलावा कोई और नेता नहीं है।

टोंक में एक कांग्रेस नेता लक्ष्मण चौधरी ने बताया कि पायलट के अलावा और कोई नहीं है जिसे अशोक गहलोत के बाद मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। यह लोगों के बीच धारणा है। पायलट न केवल गुर्जरों बल्कि सभी ‘36 कौम’ में स्वीकार्य हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक अन्य नेता ने कहा कि पायलट समर्थकों को भरोसा है कि वह राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन वे रणनीतिक रूप से चुप हैं। पायलट के एक वफादार राजेश मेहता का विचार है कि राजस्थान में सरकार के शीर्ष पद पर पायलट को होना चाहिए। हालांकि, गहलोत के गृहनगर जोधपुर शहर में भी पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में देखने से जुड़े होर्डिंग्स लगे हैं।

एक अन्य पूर्व पीसीसी सदस्य करण सिंह ने कहा कि राज्य की बागडोर एक युवा और गतिशील नेता के पास जानी चाहिए और वह हैं सचिन पायलट। गौरतलब है कि गहलोत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और उनके मुख्यमंत्री पद छोड़ने की संभावना है। दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद मुख्यमंत्री बनने के लिए गहलोत और पायलट नेतृत्व को लेकर आमने-सामने आ गये थे। लेकिन पार्टी ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री बताया और पायलट उपमुख्यमंत्री बने। जुलाई 2020 में सचिन पायलट ने पार्टी के 18 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। एक महीने तक चला राजनीतिक संकट पार्टी नेता राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद समाप्त हुआ था।

पर्यावरण मंत्रियों के 'राष्ट्रीय सम्मेलन' का शुभारंभ 

पर्यावरण मंत्रियों के 'राष्ट्रीय सम्मेलन' का शुभारंभ 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गुजरात के एकता नगर में पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने एकता नगर में आयोजित पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में सभी का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सम्मेलन तब हो रहा है जब भारत अगले 25 वर्षों के लिए नए लक्ष्य निर्धारित कर रहा है। इसका महत्व बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वनों, जल संरक्षण, पर्यटन और हमारे आदिवासी भाइयों व बहनों की बात करें तो एकता नगर का समग्र विकास पर्यावरण के तीर्थ क्षेत्र का एक प्रमुख उदाहरण है।

इंटरनेशनल सोलर एलाइंस, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेसिलियंट इन्फ्राट्रक्चर, और लाइफ अभियान का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत न केवल अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी प्रगति कर रहा है, बल्कि दुनिया के अन्य देशों का भी मार्गदर्शन कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज का नया भारत, नई सोच, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत तेजी से विकसित होती इकोनॉमी भी है, और निरंतर अपनी इकोलॉजी को भी मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे वन कवर में वृद्धि हुई है और आर्द्रभूमि का दायरा भी तेजी से बढ़ रहा है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के हमारे ट्रैक रिकॉर्ड के कारण ही दुनिया आज भारत के साथ जुड़ रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “बीते वर्षों में गीर के शेरों, बाघों, हाथियों, एक सींग के गेंडों और तेंदुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश में चीता की घर वापसी से एक नया उत्साह लौटा है।” प्रधानमंत्री ने वर्ष 2070 के नेट जीरो लक्ष्य की ओर सबका ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि भारत ने साल 2070 तक  नेट जीरो का लक्ष्य रखा है। अब देश का फोकस ग्रीन ग्रोथ पर है, ग्रीन जॉब्स पर है। उन्होंने कहा कि इन सभी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, हर राज्य के पर्यावरण मंत्रालय की भूमिका बहुत बड़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं सभी पर्यावरण मंत्रियों से आग्रह करूंगा कि राज्यों में सर्कुलर इकोनॉमी को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दें।” श्री मोदी ने कहा कि इससे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और एकल उपयोग वाली प्लास्टिक से मुक्ति के हमारे अभियान को भी ताकत मिलेगी।

पर्यावरण मंत्रालयों की भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस भूमिका को सीमित तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि लंबे समय तक पर्यावरण मंत्रालय एक नियामक के रूप में ही अधिक देखा गया है। हालांकि, प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि पर्यावरण मंत्रालय की भूमिका नियामक के बजाय पर्यावरण को प्रोत्साहित करने के रूप में अधिक है।” उन्होंने राज्यों से वाहन स्क्रैपिंग नीति, और जैव ईंधन उपायों जैसे एथेनॉल मिश्रण आदि उपायों को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए कहा। उन्होंने इन उपायों को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ राज्यों के बीच सहयोग कायम करने का आह्वान किया।

भूजल के मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आजकल हम देखते हैं कि कभी जिन राज्यों में पानी की बहुलता थी, ग्राउंड वॉटर ऊपर रहता था, वहां आज पानी की किल्लत दिखती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती, अमृत सरोवर और जल सुरक्षा जैसी चुनौतियां व उपाय सिर्फ पानी से जुड़े विभाग की ही नहीं है, बल्कि पर्यावरण विभाग को भी इसे उतनी ही बड़ी चुनौती समझना होगा। “पर्यावरण मंत्रालयों द्वारा एक सहभागी और एकीकृत दृष्टिकोण के साथ काम करना महत्वपूर्ण है। जब पर्यावरण मंत्रालयों का नजरिया बदलेगा तो मुझे यकीन है कि प्रकृति को भी फायदा होगा।”

इस बात पर जोर देते हुए कि यह काम सिर्फ सूचना विभाग या शिक्षा विभाग तक सीमित नहीं है, प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए जन जागरूकता एक और महत्वपूर्ण पहलू है। श्री मोदी ने कहा, “जैसा कि आप सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि देश में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनुभव आधारित शिक्षा पर बहुत जोर दिया गया है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अभियान का नेतृत्व पर्यावरण मंत्रालय को करना चाहिए। इससे बच्चों में जैव विविधता के प्रति जागरूकता पैदा होगी और पर्यावरण की रक्षा के बीज भी बोए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे तटीय क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को यह भी सिखाया जाना चाहिए कि मरीन इको-सिस्टम की रक्षा कैसे करें। हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना है।” हमारे राज्यों के विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं को जय अनुसंधान के मंत्र का पालन करते हुए पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नवाचारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने पर भी जोर दिया। श्री मोदी ने कहा, “जंगलों में वनों की स्थिति पर अध्ययन और अनुसंधान समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।”

पश्चिमी दुनिया में जंगल की आग की चिंताजनक दर पर ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वाइल्ड-फायर की वजह से वैश्विक उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी भले ही नगण्य हो, लेकिन हमें अभी से जागरूक होना होगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हर राज्य में फायर फाइटिंग मैकेनिज्म मजबूत हो, टेक्नोलॉजी आधारित हो, ये बहुत जरूरी है। श्री मोदी ने हमारे वन रक्षकों के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया, जब जंगल में आग बुझाने की बात हो तो विशेष जोर दिया जाना चाहिए।

एनवायरमेंट क्लीयरेंस प्राप्त करने में आने वाली जटिलताओं की ओर इशारा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना, देश का विकास, देशवासियों के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास सफल नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री ने सरदार सरोवर बांध का उदाहरण दिया जिसे 1961 में पंडित नेहरू द्वारा शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के नाम पर की जा रही साजिशों के कारण इसके निर्माण को पूरा करने में दशकों लग गए। प्रधानमंत्री ने विभिन्न वैश्विक संगठनों और फाउंडेशनों से करोड़ों रुपये लेकर भारत के विकास में बाधा डालने में शहरी नक्सलियों की भूमिका को भी चिन्हित किया। प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों की साजिशों की ओर भी इशारा किया जिसके चलते विश्व बैंक ने बांध की ऊंचाई बढ़ाने के लिए कर्ज देने से इनकार कर दिया था।

नरेंद्र मोदी ने कहा, “इन साजिशों को विफल करने में कुछ समय लगा, लेकिन गुजरात के लोग विजयी हुए। बांध को पर्यावरण के लिए खतरा बताया जा रहा था और आज वही बांध पर्यावरण की रक्षा का पर्याय बन गया है।” प्रधानमंत्री ने सभी से अपने-अपने राज्यों में शहरी नक्सलियों के ऐसे समूहों से सतर्क रहने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने दोहराते हुए कहा कि एनवायरमेंट क्लीयरेंस के लिए 6000 से अधिक प्रस्ताव और फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए 6500 आवेदन राज्यों के पास पड़े हैं। उन्होंने कहा, “राज्यों द्वारा हर उपयुक्त प्रस्ताव को जल्द से जल्द मंजूरी देने का प्रयास किया जाना चाहिए। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस देरी की वजह से हजारों करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट अटक जाएंगे।” प्रधानमंत्री ने काम के माहौल में बदलाव लाने की जरूरत पर भी जोर दिया ताकि लंबित मामलों की संख्या कम हो और मंजूरी में तेजी लाई जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि एनवायरमेंट क्लीयरेंस देने में हम नियमों का भी ध्यान रखते हैं और उस क्षेत्र के लोगों के विकास को भी प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा, “यह इकोनॉमी और इकोलॉजी दोनों के लिए एक जीत की स्थिति है।” उन्होंने जोर देकर कहा, “हमारी कोशिश होनी चाहिए कि पर्यावरण के नाम पर ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के कार्य में कोई बाधा पैदा न होने दी जाए। हमें यह याद रखना होगा कि जितनी तेजी से एनवायरमेंट क्लीयरेंस मिलेगी, विकास भी उतनी ही तेजी से होगा।

प्रधानमंत्री ने दिल्ली में प्रगति मैदान सुरंग का उदाहरण दिया जिसे कुछ सप्ताह पहले राष्ट्र को समर्पित किया गया। “इस सुरंग के कारण दिल्ली के लोगों के जाम में फंसने की परेशानी कम हुई है। प्रगति मैदान सुरंग हर साल 55 लाख लीटर से अधिक ईंधन बचाने में भी मदद करेगी। इससे हर साल कार्बन उत्सर्जन में करीब 13 हजार टन की कमी आएगी जो कि 6 लाख से ज्यादा पेड़ों के बराबर है। श्री मोदी ने कहा, “चाहे फ्लाईओवर, सड़कें, एक्सप्रेसवे या रेलवे परियोजनाएं हों, उनके निर्माण से कार्बन उत्सर्जन को कम करने में समान रूप से मदद मिलती है। क्लीयरेंस के समय हमें इस बिंदु की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।” प्रधानमंत्री ने पर्यावरण से संबंधित सभी प्रकार की मंजूरी के लिए सिंगल विंडो मोड परिवेश पोर्टल के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि परिवेश पोर्टल, पर्यावरण से जुड़े सभी तरह के क्लीयरेंस के लिए सिंगल-विंडो माध्यम बना है। ये  ट्रांसपेरेंट भी है और इससे अप्रूवल के लिए होने वाली भागदौड़ भी कम हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आठ साल पहले तक एनवायरमेंट क्लीयरेंस में जहां 600 से ज्यादा दिन लग जाते थे, वहीं आज 75 दिन लगते हैं।”

मोदी ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में समन्वय बढ़ा है, जबकि कई परियोजनाओं ने गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के कार्यान्वयन के बाद से गति प्राप्त की है। पर्यावरण की रक्षा के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान भी एक बेहतरीन उपाय है। उन्होंने आपदा-रोधी इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता पर भी जोर दिया। श्री मोदी ने कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए अर्थव्यवस्था के हर उभरते हुए क्षेत्र का सदुपयोग करना है। प्रधानमंत्री ने कहा, “केंद्र और राज्य सरकार दोनों को मिलकर ग्रीन इंडस्ट्रियल इकोनॉमी की ओर बढ़ना है।” अपने संबोधन के समापन में प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय न केवल एक नियामक संस्था है, बल्कि लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार के नए साधन पैदा करने का एक बड़ा माध्यम भी है। “आपको एकता नगर में सीखने, देखने और करने के लिए बहुत कुछ मिलेगा। गुजरात के करोड़ों लोगों को अमृत देने वाला सरदार सरोवर बांध यहीं मौजूद है।’

केवड़िया, एकता नगर में सीखने के अवसरों की ओर इशारा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इकोलॉजी और इकोनॉमी के एक साथ विकास, पर्यावरण को मजबूत करने एवं रोजगार के नए अवसरों के निर्माण, इको-टूरिज्म को बढ़ाने के माध्यम के रूप में जैव विविधता, और हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों की संपत्ति के साथ वन संपदा के विकास जैसे मुद्दों का समाधान यहां से किया जा सकता है। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव उपस्थित थे।

सहकारी संघवाद की भावना को आगे बढ़ाते हुए, बहु-आयामी दृष्टिकोण के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण मैं कमी लाने, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए राज्यों की कार्ययोजनाओं, जीवन-शैली पर प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित करने, पर्यावरण के लिए जीवन शैली जैसे मुद्दों पर बेहतर नीतियां तैयार करने में केंद्र व राज्य सरकारों के बीच और तालमेल बनाने के लिए सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह वन क्षेत्र को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें विशेष रूप से डीग्रेडेड भूमि को दुरुस्त करने और वन्यजीव संरक्षण पर जोर दिया जाएगा।

23 और 24 सितंबर को आयोजित किए जा रहे दो-दिवसीय सम्मेलन में छह विषयगत सत्र होंगे, जिनमें लाइफ, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला (उत्सर्जन के शमन और जलवायु प्रभावों के अनुकूलन के लिए जलवायु परिवर्तन पर राज्यों की कार्ययोजनाओं को अद्यतन करना), परिवेश (एकीकृत हरित मंजूरी सिंगल विंडो सिस्टम); वानिकी प्रबंधन; प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण; वन्यजीव प्रबंधन; प्लास्टिक और अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने वाले विषय शामिल होंगे।

3 प्रमुख समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करेगा, लिमिटेड 

3 प्रमुख समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करेगा, लिमिटेड 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भूतल कोयला गैसीकरण (एससीजी) मार्ग के माध्यम से कोयला-से-रासायनिक परियोजनाओं की स्थापना को आसान बनाते हुए, कोयला मंत्रालय के तत्वावधान में कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) 27 सितंबर 2022 को नई दिल्ली में तीन प्रमुख समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगा। चार एससीजी परियोजनाओं की स्थापना के लिए सीआईएल देश के तीन अन्य प्रमुख पीएसयू – भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) और गेल (इंडिया) के साथ मिलकर काम करेगा।

एससीजी मार्ग से कोयले को सिनगैस में परिवर्तित किया जाता है, जिसे बाद में मूल्य वर्धित रसायनों के डाउनस्ट्रीम उत्पादन के लिए संसाधित किया जा सकता है। अन्यथा इनका उत्पादन आयातित प्राकृतिक गैस या कच्चे तेल के माध्यम से किया जाता है। परिकल्पित अंतिम उत्पाद डाइ-मिथाइल ईथर, सिंथेटिक प्राकृतिक गैस और अमोनियम नाइट्रेट हैं। प्रस्तावित परियोजनाओं से विदेशी मुद्रा व्यय में कमी आयेगी एवं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के लगभग 23,000 अवसरों का सृजन होगा।आत्मनिर्भरता और ऊर्जा स्वतंत्रता के दोहरे उद्देश्यों के साथ, कोयला मंत्रालय ने 2030 तक 100 मिलियन टन कोयला गैसीकरण प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

सभी विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील: सीएम 

सभी विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील: सीएम 

राणा ओबरॉय 

फतेहाबाद। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस और वाम दलों समेत सभी विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील की और कहा कि “विपक्षी दलों का यह मुख्य मोर्चा” यह सुनिश्चित करेगा कि 2024 के आम चुनाव में भगवा पार्टी को बुरी तरह शिकस्त मिले। कुमार ने यहां इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) द्वारा आयोजित एक विशाल रैली में कहा कि अगर सभी गैर-भाजपा दल एकजुट हो जाएं, तो वे देश को तबाह करने के लिए काम कर रहे लोगों से छुटकारा दिला सकते हैं।

पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित रैली में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)के प्रमुख शरद पवार और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के सुखबीर सिंह बादल सहित अन्य नेता भी शामिल हुए। कुमार ने कहा, “मैं कांग्रेस समेत सभी दलों से एकसाथ आने की अपील करता हूं, तभी 2024 के लोकसभा चुनाव में वह (भाजपा) बुरी तरह हारेगी।” कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने हाल में भाजपा से नाता तोड़ लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू और मुसलमानों के बीच कोई लड़ाई नहीं है और भाजपा अशांति पैदा करना चाहती है। कुमार ने कहा, “मेरी बस एक ही इच्छा है कि हम राष्ट्रीय स्तर पर साथ आएं…हमें और दलों को अपने साथ लाने की आवश्यकता है।”

समान विचारधारा वाले दलों का संयुक्त मोर्चा, आह्वान 

समान विचारधारा वाले दलों का संयुक्त मोर्चा, आह्वान 

राणा ओबरॉय 

फतेहाबाद। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने रविवार को समान विचारधारा वाले दलों का संयुक्त मोर्चा बनाने का आह्वान किया। बादल ने यहां इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) की रैली में कई विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में कहा कि उनकी पार्टी, शिवसेना और जनता दल (यूनाइटेड) ‘असली राजग’ है, क्योंकि उन्होंने ही गठबंधन की स्थापना की थी। बादल ने कहा कि यही समय है, जब सभी समान विचारधारा वाले दल किसानों और मजदूरों के झंडे तले एकजुट हों और उनके कल्याण के लिए काम करें। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बारे में बात करते हुए कि बादल ने कहा कि गठबंधन का गठन तब किया गया था, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपेक्षाकृत कमजोर पार्टी थी।

उन्होंने कहा, असली राजग यहां बैठा है, इसकी स्थापना शिवसेना, अकाली दल और जद (यू) ने की थी। हम भाजपा के साथ तब खड़े थे, जब वह अपेक्षाकृत छोटी पार्टी थी। लेकिन अब किसानों और मजदूरों के लिए गठबंधन बनाने का समय है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राकांपा के प्रमुख शरद पवार, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत की मौजूदगी में ये टिप्पणियां कीं। बादल ने आम आदमी पार्टी (आप) पर भी निशाना साधा और कहा कि ऐसी पार्टियां सत्ता में आते ही पूरे राज्य की मशीनरी को तहस-नहस कर देती हैं। पूर्व उप प्रधानमंत्री व इनेलो के संस्थापक देवी लाल की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस रैली में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सीताराम येचुरी समेत विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए।

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी ...