सोमवार, 19 सितंबर 2022

हत्या की जांच की मांग, याचिका पर सुनवाई से इनकार

हत्या की जांच की मांग, याचिका पर सुनवाई से इनकार

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा वकील टीका लाल टपलू की हत्या की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में परिवार के सदस्यों के पुनर्वास और कश्मीर घाटी में उनकी संपत्तियों की बहाली और हत्या में शामिल लोगों की जांच और मुकदमा चलाने की भी मांग की गई थी। स्वर्गीय वकील टीका लाल टपलू के पुत्र आशुतोष टपलू द्वारा रिट याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता के पिता, एक कश्मीरी पंडित की हत्या में शामिल लोगों की जांच, परिवार के सदस्यों के पुनर्वास और सुरक्षा की मांग की गई थी।

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सी टी रविकुमार की खंडपीठ ने इस आधार पर इस मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया कि इसी तरह के आधार पर एक और मामले पर कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था। जस्टिस गवई ने कहा कि हम हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता को वैकल्पिक उपायों का लाभ उठाने का मौका दिया और याचिका को वापस लेते हुए खारिज कर दिया। 2 सितंबर को, पीठ ने वी द सिटिजन नाम के एक एनजीओ द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था, जिसमें 1990 के दशक के दौरान कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की जांच की मांग की गई थी और उन लोगों के पुनर्वास की मांग की गई थी, जिन्हें कश्मीर घाटी से भागना पड़ा था।पीठ ने एनजीओ को केंद्र सरकार के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने की छूट दी थी। आज, टपलू की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट गौरव भाटिया ने याचिका को एनजीओ के मामले से अलग करने की मांग करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से पीड़ित है क्योंकि पीड़िता उसके पिता थे।

भाटिया ने कहा कि मैं व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हूं। 32 साल बीत चुके हैं और जांच की फुसफुसाहट भी नहीं है। मैं एक भेद करने की कोशिश कर रहा हूं। मैं व्यथित हूं, मेरे मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया है और जिस तरह के माहौल के कारण मैं वहां इसका पीछा नहीं कर सकता। मुझे मृत्यु के बाद कश्मीर छोड़ने के लिए कहा गया था और मैंने दस्तावेजों की एक प्रति प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक प्रयास किया है। उन्होंने उस आदेश का भी जिक्र किया जिसमें करीब तीन दशकों के बाद 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया था। हालांकि, पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष भी राहत की मांग की जा सकती है। पीठ ने पूछा, “हमें अभी भी उच्च न्यायालय में विश्वास है। आप क्या चाहते हैं? क्या हमें खारिज करना चाहिए या आप वापस लेना चाहते हैं?” इसके बाद, अन्य उपायों को आगे बढ़ाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस ले ली गई।

राउत की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ाई 

राउत की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ाई 

कविता गर्ग 

मुंबई। पात्रा चौल भूमि घोटाला मामला में शिवसेना सांसद संजय राउत की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ा दी गई है। उनकी जमानत याचिका पर अब बुधवार, 21 सितंबर को सुनवाई होगी। कोर्ट के निर्देश के बाद प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने संजय राउत को चार्जशीट की कॉपी सौंपी।

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को शिवसेना सांसद संजय राउत की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि पात्रा चॉल पुन: विकास परियोजना से जुड़े धन शोधन में नेता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और पर्दे के पीछे रह काम किया है। राज्यसभा सदस्य को इस मामले में जुलाई में गिरफ्तार किया गया और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। उन्होंने विशेष पीएमएलए (धन शोधन निषेध कानून) अदालत में जमानत की अर्जी दी है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने राउत की इस दलील को खारिज किया कि उनके खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक बदले के रूप में की गई है।जांच एजेंसी ने कहा कि आरोपी ने अपने प्रॉक्सी और करीबी सहयोगी प्रवीण राउत (सह-आरोपी) के जरिए अपराध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। धन के लेन-देन से बचने के लिए वह (संजय राउत) पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं। ईडी पात्रा चॉल पुन:विकास परियोजना में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है. उपनगर गोरेगांव में स्थित सिद्धार्थ नगर, जोकि पात्रा चॉल के नाम से लोकप्रिय है.. 47 एकड़ से ज्यादा भूमि में फैला हुआ है और उसमें 672 किराएदार परिवार रहते थे।

महाराष्ट्र आवासीय आर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (महाडा) ने 2008 में पात्रा चॉल के पुन:विकास का काम एचडीआईएल से जुड़ी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रेक्शन प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा। निविदा के अनुसार, कंस्ट्रक्शन कंपनी को किराएदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और कुछ फ्लैट उसे महाडा को भी देने थे। बाकी बची जमीन वह निजी डेवलपर्स को बेच सकता था, लेकिन 14 साल बाद भी किराएदारों को एक फ्लैट नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुन:विकास नहीं किया और सारी जमीन को दूसरे बिल्डरों को 1,034 करोड़ रुपये में बेच दी।

ईडी द्वारा दायर याचिका पर एससी की सुनवाई

ईडी द्वारा दायर याचिका पर एससी की सुनवाई

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) यू यू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अजय रस्तोगी ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) घोटाला मामले में जांच स्थानांतरित करने की मांग की गई है, जो छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में भ्रष्टाचार से संबंधित है।

पीठ ने पक्षों को निर्देश दिया कि वे जिस सामग्री पर भरोसा करना चाहते हैं उसे सीलबंद लिफाफे में दें। यह मामला अब 26 सितंबर 2022 को दोपहर 3 बजे के लिए सूचीबद्ध किया गया है। अदालत ने आगे पक्षकारों को याचिकाओं के सुनवाई योग्य होने पर अपनी लिखित प्रस्तुतियां पेश करने का निर्देश दिया।भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामला इतना बड़ा है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में संवैधानिक पदों पर अधिकारियों की मिलीभगत से उच्च पदस्थ अधिकारी अपने पदों का फायदा उठा रहे हैं। प्रतिवादियों की ओर से सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी, सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उक्त घोटाला छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के शासन के दौरान हुआ था।

एसजी मेहता ने कहा कि यह सामने आया है कि छत्तीसगढ़ सरकार के वरिष्ठ अधिकारी याचिकाकर्ताओं के मामले को कमजोर करने में सक्रिय रूप से शामिल हैं और अभियुक्तों ने न केवल गवाहों को ईडी के समक्ष अपने बयान वापस लेने के लिए प्रभावित किया था, बल्कि एसआईटी ने भी कार्रवाई को रोकने के सात प्रयास किए थे। उन्होंने प्रस्तुत किया कि ईडी की जांच से पता चला है कि आरोपी संवैधानिक पदाधिकारियों के संपर्क में था और अन्य सह-आरोपियों के अपराधों की गंभीरता को कम करने का प्रयास किया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों को वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार से मदद मिली थी।

एक गाय लेकर विधानसभा परिसर पहुंचे, विधायक 

एक गाय लेकर विधानसभा परिसर पहुंचे, विधायक 

नरेश राघानी 

जयपुर। गोवंश में फैले लंपी चर्म रोग की ओर राज्‍य सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए बीजेपी के एक विधायक सोमवार को एक गाय लेकर राजस्थान विधानसभा परिसर पहुंचे। हालांकि, यह गाय वहां के शोर-शराबे के बीच बिदक कर भाग गई और विधायक के साथी लोग उसे पकड़ने की कोशिश करते नजर आए। राजस्‍थान विधानसभा के सातवें सत्र की बैठक सोमवार को फिर शुरू हुई। पुष्‍कर से भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत एक गाय लेकर विधानसभा परिसर की ओर पहुंचे। इस पर मीडिया वाले उनकी ओर लपके। अपने हाथ में लाठी पकड़े हुए व‍िधायक ने कहा कि पूरे राजस्‍थान में गोवंश लंपी बीमारी से ग्रस्‍त है लेकिन राज्‍य सरकार सो रही है।

व‍िधायक मीडिया से बात कर ही रहे थे कि वहां हो रहे शोर-शराबे से गाय ब‍िदक गई और वहां से भाग खड़ी हुई। गाय लाने वाले दो लोग उसे पकड़ने के लिए पीछे भागते नजर आए। व‍िधायक रावत ने कहा कि लंपी की ओर ध्‍यान आकर्षित करने के लिए मैं व‍िधानसभा (पर‍िसर) में गोमाता लेकर आया।गाय के भाग जाने पर उन्‍होंने कहा कि देखिए निश्चित रूप से गोमाता भी सरकार से दुखी हैं। उन्‍होंने सरकार से मांग की लंपी से बीमार गायों की देखभाल के लिए दवाओं व टीकों आद‍ि की पूरी व्‍यवस्‍था की जाए। उल्‍लेखनीय है कि इस मुद्दे को लेकर राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के तीन विधायकों ने सदन में भी नारेबाजी की ओर आसन के सामने धरने पर बैठे।

इन विधायकों ने हाथ में ‘गोमाता करे पुकार हमे बचा लो सरकार’ ल‍िखे पोस्‍टर ले रखे थे। मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने सदन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि केंद्र सरकार लंपी रोग को राष्‍ट्रीय आपदा घोषित करे। उन्‍होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि लंपी चर्म रोग से गायों की जान कैसे बचे, लेकिन वैक्सीन भारत सरकार देगी, दवाइयां वो उपलब्ध करवाएगी तो ऐसी स्थिति में हम तो भारत सरकार से मांग कर रहे हैं कि आप राष्ट्रीय आपदा घोषित करो।

दीवानगी की हदें पार, सीएम योगी का मंदिर बनवाया 

दीवानगी की हदें पार, सीएम योगी का मंदिर बनवाया 

संदीप मिश्र

अयोध्या। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक समर्थक ने दीवानगी की सारी हदें पार करते हुए सीएम योगी का मंदिर ही बनवा दिया। इस मंदिर में सीएम योगी की बकायदा किसी भगवान की तरह पूजा की जाती है और भजन-आरती गाई जाती हैं। योगी आदित्यनाथ का यह मंदिर अयोध्या से 15 किलोमीटर दूर अंबेडकर नगर राजमार्ग पर भरतकुंड के समीप मौर्या का पुरवा गांव में है। यहां के निवासी प्रभाकर मौर्य ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह मंदिर बनवाया है। अनिल ने यह मंदिर योगी आदित्यनाथ के कामों से प्रभावित होकर और अपना संकल्प पूरा करने के लिए बनवाया है।बता दें कि, अनिल एक भजन गायक हैं और योगी आदित्यनाथ के समर्थन में कई भजन बना और गा चुके हैं। इसलिए लोग उन्हें योगी का प्रचारक भी करते है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रभाकर ने मंदिर का निर्माण 8 लाख 56 की लागत से कराया है। मंदिर में स्थापित मूर्ति राजस्थान से विशेष ऑर्डर देकर बनवाई है। मंदिर में लगी प्रतिमा को योगी आदित्यनाथ को राम के अवतार में दिखाया गया है। प्रतिमा में योगी आदित्यनाथ धनुष और तीर लेकर दिखाई दे रहे है। प्रभाकर मानते है कि योगी भगवान राम और कृष्ण के अवतार है। इसलिए सनातन धर्म का प्रचार कर रहे है। वे किसी भगवान से कम नहीं है। प्रभाकर मौर्या ने भास्कर से बताया कि उन्होंने 2015 में संकल्प लिया था, कि जो राम का मंदिर राम जन्मभूमि अयोध्या में बनाएगा, उसका मंदिर बनाकर नित्य पूजन करेंगे। इसलिए 2016 में मैंने एक भजन गाया था, राम लला का अयोध्या में मंदिर बनाएंगे… इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का राम मंदिर के निर्माण को लेकर फैसला आया और अब योगी आदित्यनाथ के सानिध्य में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। संकल्प पूरा होने और मुख्यमंत्री के कार्यों से प्रभावित होकर मैंने यह मंदिर का निर्माण कराया है।

गैंगरेप: जिंदा जलाई किशोरी, 12 दिन बाद मौंत 

गैंगरेप: जिंदा जलाई किशोरी, 12 दिन बाद मौंत  

संदीप मिश्र 

लखनऊ। सामूहिक रूप से बलात्कार करने के बाद जिंदा जलाई गई किशोरी ने 12 दिनों तक जिंदगी पाने के लिए मौत से संघर्ष करने के बाद हार मानकर आज दम तोड़ दिया है। इलाज के दौरान अस्पताल में किशोरी की मौत हो जाने से अब परिवार के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल बना हुआ है। सोमवार को पीलीभीत के माधोटांडा थाना क्षेत्र की रहने वाली दुष्कर्म पीड़िता किशोरी की मौत हो गई है।

दुष्कर्म के बाद जिंदा जलाई गई किशोरी को 7 सितंबर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। किशोरी को 11 सितंबर को हालत नाजुक होने पर चिकित्सकों ने राजधानी लखनऊ के लिए रेफर कर दिया था। सोमवार की सवेरे अस्पताल में इलाजरत किशोरी की मौत हो गई है।उल्लेखनीय है कि 10 सितंबर को किशोरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में किशोरी ने गांव के ही रहने वाले दो युवकों के ऊपर गैंग रेप करने और उसे जिंदा जलाकर मार डालने के प्रयास का आरोप लगाया था। फिलहाल घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए गांव में भारी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है। किशोरी की मौत के बाद परिजनों का रो रो कर बुरा हाल बना हुआ है। पोस्टमार्टम के बाद सौपे गए किशोरी के शव को लेकर परिजन अब पैतृक गांव गए हैं। जहां उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

जन्म के 9 वर्ष बाद बच्ची का नाम रखा 'महाती'

जन्म के 9 वर्ष बाद बच्ची का नाम रखा 'महाती'

इकबाल अंसारी 

हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने 9-वर्ष की एक बच्ची का नाम ‘माहाती’ रखा है। बच्ची का जन्म 2013 में हुआ था और तेलंगाना आंदोलन से जुड़े उसके माता-पिता आंदोलन के नेता केसीआर से उसका नाम रखवाना चाहते थे इसलिए उन्होंने बच्ची का कोई आधिकारिक नाम नहीं रखा था। टीआरएस एमएलसी मधुसूदनाचारी ने तीनों को मुख्यमंत्री से मिलवाया।तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से बच्ची और उसके परिजनों की मुलाकात रविवार को हुई। बच्ची के माता-पिता सुरेश और अनिथा ने केसीआर की अगुआई में चलाए गए तेलंगाना राज्य आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। 2013 में जब उनकी बेटी का जन्म हुआ तो उनकी इच्छा थी कि बच्ची का नाम केसीआर द्वारा रखा जाए। उनकी यह इच्छा 9 साल तक पूरी नहीं हुई। इस दौरान लड़की बिना नाम के रही।

तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधान परिषद सदस्य और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मधुसूधन चारी को हाल ही में इस बात की जानकारी मिली। वह बच्ची और उसके परिजनों को तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के आधिकारिक निवास स्थान प्रगति भवन लेकर आए। केसीआर को जब इस संबंध में जानकारी मिली तो उन्होंने बच्ची और उसके परिजनों से मुलाकात की और बच्ची का नाम महती रखा। मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी ने दंपति और उनकी बेटी को उपहार भी सौंपे। सीएम ने महती की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की।

सीएम केसीआर द्वारा नामकरण किए जाने के बाद बच्ची और उनके परिजन काफी खुश दिखे। बच्ची के पिता सुरेश ने कहा कि हमारा सपना आज साकार हुआ है। मुख्यमंत्री ने महती की शिक्षा के लिए मदद की बात की है। हमलोग इसके लिए उनके आभारी हैं

फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी

फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भविष्यवाणी क...