बोस की प्रतिमा लाने के लिए फाटकों को तोड़ा
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के लिए विशाल ग्रेनाइट पत्थर को तेलंगाना से लेकर दिल्ली लाने वाले 100 फुट लंबे ट्रक को गुजरने के लिए राजमार्गों पर कुछ टोल प्लाजा के फाटकों को अस्थायी रूप से तोड़ना पड़ा, ताकि ट्रक को निकलने का रास्ता देने के लिए उन्हें चौड़ा किया जा सके। तेलंगाना के खम्मम में एक खदान से टेलीफोन ब्लैक स्टोन की आपूर्ति दिल्ली स्थित ग्रेनाइट स्टूडियो इंडिया ने की। ग्रेनाइट स्टूडियो इंडिया के निदेशक रजत मेहता ने कहा कि खदान से इसे राजमार्ग तक ले जाने के लिए एक अस्थायी सड़क बनानी पड़ी थी। मेहता ने शुक्रवार को मीडिया संस्थान से कहा कि यह पत्थर का एक विशाल खंड था, जिसका वजन 280 मीट्रिक टन (एमटी) और लंबाई 32 फुट थी। यह 11 फुट ऊंचा और 8.5 फुट चौड़ा था, जिसमें नेताजी की छवि बनाई गई। लेकिन इसे दिल्ली लाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
बोस की एक मूर्ति का निर्माण करने के लिए विशाल ग्रेनाइट को तराशा गया, जिसका वजन 65 मीट्रिक टन था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत बृहस्पतिवार शाम यहां इंडिया गेट के सामने ऐतिहासिक छतरी में स्थापित की गई बोस की प्रतिमा का अनावरण किया। संस्कृति मंत्रालय ने पहले कहा था कि बड़े ट्रक को विशेष रूप से तेलंगाना से ग्रेनाइट खंड को नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (एनजीएमए) तक ले जाने के लिए डिजाइन किया गया था और इनके बीच 1665 किलोमीटर की दूरी थी। मेहता ने कहा कि खदान से राष्ट्रीय राजमार्ग तक का हिस्सा कच्चा था और पत्थर को राजमार्ग तक ले जाने के लिए थोड़े समय में एक अस्थायी सड़क बनानी पड़ी थी।
रास्ते में 100 फुट लंबे ट्रक के 42 टायर फट गए और इससे 72 घंटे खराब हो गए। ट्रक दिल्ली पहुंचने के लिए पांच राज्यों से गुजरा। संस्कृति मंत्रालय के अनुसार मूर्तिकारों की एक टीम ने बोस की 28 फुट ऊंची प्रतिमा को तराशने के लिए ‘गहन प्रयास’ किया और इस पर कुल 26,000 मानव घंटे खर्च किए। मेहता ने कहा कि विशाल पत्थर को दिल्ली लाना कोई आसान काम नहीं था। ट्रक इतना विशाल था कि राजमार्गों पर कई जगह कुछ टोल प्लाजा के फाटकों को अस्थायी रूप से तोड़ना पड़ा, खासकर वहां जहां अधिक मोड़ थे।
इस तोड़फोड़ का मकसद फाटकों को चौड़ा करना था ताकि किसी चीज से टकराने के जोखिम के बिना ट्रक वहां से गुजर सके। मेहता के मुताबिक पुलिस ने विशाल पत्थर का महत्व समझने के बाद कई सीमावर्ती क्षेत्रों में ट्रक की अगवानी की। उन्होंने कहा कि ट्रक में चार चालक थे, जो इसे दिन-रात चलाकर लाये थे। मेहता ने बताया कि एक मुद्दा यह भी था कि विशाल ट्रक को आम तौर पर रात के समय चलाकर लाना था, जब सड़क का तापमान कम होता है। लेकिन दिन के समय भी इसे चलाने के कारण गर्मी की वजह से 42 टायर रास्ते में फट गए।