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गुरुवार, 8 सितंबर 2022
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
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1. अंक-335, (वर्ष-05)
2. शुक्रवार, सितंबर 9, 2022
3. शक-1944, भाद्रपद, शुक्ल-पक्ष, तिथि-चतुर्दशी, विक्रमी सवंत-2079।
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बुधवार, 7 सितंबर 2022
8 सितंबर को मनाया जाएगा 'विश्व साक्षरता दिवस'
8 सितंबर को मनाया जाएगा 'विश्व साक्षरता दिवस'
सरस्वती उपाध्याय
हर साल 8 सितंबर को दुनियाभर में 'विश्व साक्षरता दिवस' मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरुआत साल 1966 में हुई थी, जब यूनेस्को ने शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और दुनियाभर के लोगों का इस तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए हर साल आठ सितंबर को 'विश्व साक्षरता दिवस' मनाने का फैसला किया था। चूंकि इस बार दुनियाभर में कोरोना महामारी फैली है, इसलिए इस बार साक्षरता दिवस की थीम 'साक्षरता शिक्षण और कोविड -19: संकट और उसके बाद' पर रखी गई है। आइए जानते हैं, इस दिवस के बारे में खास बातें, जैसे कि इसे क्यों मनाया जाता है, इसका महत्व क्या है और इससे समाज में क्या बदलाव आया है।
कब आया अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का विचार ?
इसे मनाने की घोषणा भले ही 26 अक्तूबर 1966 को हुई हो, लेकिन सबसे पहले इसका विचार ईरान के तेहरान में शिक्षा से जुड़े मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौरान आया था। यह सम्मेलन साल 1965 में हुआ था, जिसमें निरक्षरता को खत्म करने के लिए दुनियाभर में एक जागरूकता अभियान चलाने पर चर्चा की गई थी।
क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस ?
अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है। इस दिवस के माध्यम से दुनियाभर में लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाता है, ताकि वो अपने आने वाले कल को बेहतर बना सकें।
साक्षरता के मामले में भारत कहां ?
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों पर आधारित एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साक्षरता दर 77.7 फीसदी है। अगर देश के ग्रामीण इलाकों की बात करें तो वहां साक्षरता दर 73.5 फीसदी है जबकि शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 87.7 फीसदी है। साक्षरता के मामले में देश का शीर्ष राज्य केरल है, जहां 96.2 फीसदी लोग साक्षर हैं। वहीं आंध्र प्रदेश इस मामले में सबसे निचले पायदान पर है। वहां की साक्षरता दर महज 66.4 फीसदी ही है।
पहले के मुकाबले भारत में काफी बढ़ी है साक्षरता दर...
अगर हम आजादी से वर्तमान साक्षरता दर का आंकलन करें तो स्थिति थोड़ी बेहतर नजर आती है। आजादी के बाद से देश में साक्षरता दर में 57 फीसदी की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश शासन के दौरान देश में सिर्फ 12 फीसदी लोग ही साक्षर थे।
बागपत: योजना के अंतर्गत कार्यक्रम का आयोजन
बागपत: योजना के अंतर्गत कार्यक्रम का आयोजन
छात्राओं को सैनेट्री पैड किए वितरित
बाम गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यक्रम हुआ आयोजित
गोपीचंद/भानु प्रताप उपाध्याय
बागपत। सारथी वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वाधान में बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार की योजना के अंतर्गत उच्च प्राथमिक विद्यालय बाम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमे छात्राओं को सेनेटरी पैड वितरण कर उनके इस्तेमाल करने के तरीके भी छात्राओं को बताएं। सारथी वेलफेयर फाउंडेशन की चेयरपर्सन वंदना गुप्ता ने छात्राओं को हेल्पलाइन नंबर 1070 ,1090, 1076 मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 181 ,यूपी 112 आदि के विषय में जानकारी दी। इस दौरान स्कूल की प्रधानाचार्य पूनम देवी,इंदु हजेला, सुजाता मलिक व छात्राएं मोजूद रही।
अभिनेत्री ने मैगजीन हैलो के लिए फोटोशूट किया
अभिनेत्री ने मैगजीन हैलो के लिए फोटोशूट किया
कविता गर्ग
मुंबई। बॉलीवुड अभिनेत्री कियारा आडवाणी ने फेमस मैगजीन हैलो के लिए फोटोशूट किया है। कियारा ने हैलो मैगजीन का फोटोशूट करवाया है, जिसका एक वीडियो उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। इस वीडियो में कियारा ने अलग-अलग आउटफिट को कैरी किया है। वह इन सभी ऑउटफिट में स्टनिंग लग रही हैं।
कियारा ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में ‘हैलो’ लिखा है। कियारा के इन लुक्स की फैंस खूब तारीफ कर रहे हैं। कियारा इन दिनों कार्तिक आर्यन के साथ फिल्म ‘सत्य प्रेम की कथा’ में काम कर रही हैं।
सीट बेल्ट व एयरबैग्स से जुड़े नियमों में बदलाव, तैयारी
सीट बेल्ट व एयरबैग्स से जुड़े नियमों में बदलाव, तैयारी
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की सड़क दुर्घटना में मौंत के बाद सरकार कार सेफ्टी नियमों को लेकर सख्त हो गई है। सरकार अब सीट बेल्ट और एयरबैग्स से जुड़े नियमों में बदलाव करने की तैयारी में है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार कार निर्माता कंपनियों के लिए रियर सीट बेल्ट अलार्म सिस्टम को अनिवार्य करने की योजना बना रही है। वर्तमान में, सभी वाहन विनिर्माताओं के लिए सिर्फ आगे की सीट पर बैठे यात्रियों के लिए सीट बेल्ट ‘रिमाइंडर’ देना अनिवार्य है।
केंद्रीय मोटर वाहन नियम के नियम 138(3) के तहत पिछली सीट पर सीट बेल्ट नहीं लगाने पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि, ज्यादातर लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि यह नियम अनिवार्य है। यातायात पुलिसकर्मी भी पिछली सीट पर बैठे यात्रियों के सीट बेल्ट लगाने पर जुर्माना नहीं लगाते हैं।
केंद्र सरकार वाहन कंपनियों के लिए अक्टूबर से आठ सीट वाले वाहनों में कम से कम छ: ‘एयरबैग’ को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। नितिन गडकरी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह कदम वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से उठाया जा रहा है। इससे पहले इसी साल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा था कि वाहन यात्रियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन का फैसला किया गया है, ताकि वाहनों में सुरक्षा को बढ़ाया जा सके।
छात्रवृत्ति समारोह में शामिल हुए, जयशंकर-हसीना
छात्रवृत्ति समारोह में शामिल हुए, जयशंकर-हसीना
अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय
नई दिल्ली/ढाका। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पुरस्कार वितरण बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान छात्रवृत्ति समारोह में बुधवार को शामिल हुए। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच के सांख्यिकी साझेदारी पिछले दशक में और आगे बढ़ी है। 50 साल की मज़बूत संबंधों में दोनों देशों ने बहुत से क्षेत्रों में अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाया है। हमने समुद्री और सीमा से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए चर्चा को आगे बढ़ाया है। भारत और बांग्लादेश संयुक्त तौर पर बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान पर बायोपिक बना रहे हैं, जिसपर काम जारी है। हम इसके जल्द रिलीज होने की उम्मीद कर रहे हैं।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि हमारे लिए भी बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व है। बांग्लादेश की तरह भारत में भी उन्हें याद किया जाता है। PM ने कहा कि बंगबंधु हमारे भी राष्ट्रीय नायक हैं। उनके सम्मान में दोनों देश उन पर एक बायोपिक बना रहे हैं जो पूरी होने वाली है। बता दें कि इंडिया के सबसे काबिल और दिग्गज फिल्ममेकर्स में गिने जाने वाले श्याम बेनेगल की नई फिल्म आ रही है। इसका नाम है- Mujib: The Making of a Nation ये बांग्लादेशी लीडर शेख मुजीबुर्रहमान की बायोपिक है।
शेख मुजीबुर्रहमान के बारे में जानिए...
शेख मुजीबुर्रहमान का बांग्लादेश की आज़ादी में उनका बड़ा हाथ था। उन्हें ‘बंगबंधु’ के नाम से भी जाना जाता था, जिसका मतलब होता है बंगाल का दोस्त। बायोपिक को इंडिया की नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और बांग्लादेश फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने मिलकर बनाया है।
शेख मुजीबुर्रहमान ने अवामी लीग पार्टी की स्थापना की थी। ये बांग्ला लोगों की पार्टी थी। इसी पार्टी ने ईस्ट पाकिस्तान को अलग देश बनाने के लिए आंदोलन शुरू किया था। 1970 में पाकिस्तान के पहले डेमोक्रेटिक इलेक्शन में उनकी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की। मेजॉरिटी हासिल करने के बावजूद उन्हें पाकिस्तान में सरकार नहीं बनाने दी गई। इस चीज़ से नाराज़ आबादी के एक बड़े हिस्से ने असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया। देशभर में प्रोटेस्ट होने लगे। 7 मार्च, 1971 को ढाका के रामना रेस कोर्स में मुजीब ने 10 लाख लोगों के सामने एक भाषण दिया।
इस स्पीच में उन्होंने बांग्लादेश की आज़ादी की घोषणा कर दी। ईस्ट पाकिस्तान में हो रहे प्रोटेस्ट के जवाब में पाकिस्तानी आर्मी ने ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया। इस ऑपरेशन के पहले फेज़ में मुजीब को गिरफ्तार कर पश्चिमी पाकिस्तान की किसी गुमनाम जगह पर कैद कर दिया गया। देश में कत्ल-ए-आम मच गया. मुजीब की गैर-मौजूदगी में लाखों लोगों ने गुरिल्ला आर्मी मुक्ति बाहिनी जॉइन कर ली। उन्होंने भारतीय सेना की मदद से पाकिस्तानी आर्मी को हरा दिया और ऐसे एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। बांग्लादेश की आज़ादी के बाद पाकिस्तान पर इंटरनेशनल प्रेशर काफी बढ़ गया। इसकी वजह से उन्हें मुजीब को छोड़ना पड़ा। 1972 में मुजीब बांग्लादेश लौटे और देश के पहले प्रधानमंत्री बने। 15 अगस्त, 1975 को बांग्लादेशी आर्मी के कुछ अफसरों ने तख्तापलट की कोशिश की. इस प्रोसेस में 15 अगस्त की सुबह शेख मुजीबुर्रहमान समेत उनकी फैमिली के कई सदस्यों की हत्या कर दी गई। पिलहाल उनकी बेटी शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं।
पहले इस बायोपिक का नाम बंगबंधु था...
श्याम बेनेगल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पहले इस फिल्म का नाम बंगबंधु था, क्योंकि पब्लिक उन्हें उसी नाम से जानती थी। मगर फिर उन्होंने शेख हसीना से बात की. शेख हसीना ने उन्हें बताया कि बंगबंधु नाम काफी ज्यादा इस्तेमाल हो चुका है, इसलिए उन्हें इस फिल्म का नाम मुजीब रखना चाहिए। फिल्म का नाम बदलने के पीछे की एक वजह ये भी थी कि शेख मुजीबुर्रहमान को उनके आखिरी 6 सालों में बंगबंधु नाम से जाना गया। जबकि ये फिल्म उनकी पूरी लाइफ को कवर करती है। मुजीब- द मेकिंग ऑफ अ नेशन श्याम बेनेगल के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि की तरह है। उन्होंने 87 साल की उम्र में कोविड-19 पैंडेमिक के दौरान फिल्म को पूरा किया। फिल्म की शूटिंग खत्म हो चुकी है। फिलहाल पोस्ट-प्रोडक्शन का काम चल रहा है।
मुजीब- द मेकिंग ऑफ अ नेशन को इंडिया और बांग्लादेश की अलग-अलग लोकेशंस पर शूट किया गया है। फिल्म की कास्टिंग का प्रोसेस भी जटिल था, क्योंकि बांग्लादेशी लोगों की भाषा, पश्चिम बंगाल में बोली जाने वाली बांग्ला से थोड़ी अलग होती है, इसलिए श्याम बेनेगल इस फिल्म में बांग्लादेशी एक्टर्स को ही कास्ट करना चाहते थे। इस फिल्म में मुजीब का टाइटल कैरेक्टर प्ले किया है अरिफिन शुवु ने। उन्हें फिल्म ढाका अटैक के लिए बांग्लादेश नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिल चुका है। उनके साथ डूब- नो बेड ऑप रोजेज फेम एक्ट्रेस नुशरत इमरोज़ तिशा, फज़लुर रहमान बाबू, चंचल चौधरी और नुसरत फारिया जैसे एक्टर्स ने भी इस फिल्म में काम किया है।
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