समझौतों पर हस्ताक्षर, हसीना ने मोदी से मुलाकात की
अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय
नई दिल्ली/ढाका। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत चार दिवसीय दौरे पर आईं हैं। उन्होंने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में स्थित हैदराबाद हाउस में मुलाकात की। दोनों की मुलाकात के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान कई महत्वपूर्ण समझौते भी हुए। इसके अलावा वाटर मैनेजमेंट, रेलवे, साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े क्षेत्र में भी कई समझौते किए गए।
महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर...
दोनों देशों ने IT, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे सेक्टर्स में सहयोग बढ़ाने का निश्चय किया। इस दौरान कुशियारा नदी से जल बंटवारे पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। पीएम मोदी ने भारत और बांग्लादेश के फ्यूचर विजन पर अपनी राय दी।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। बांग्लादेश के निर्यात के लिए भारत एशिया में सबसे बड़ा मार्केट है। हम जलवायु परिवर्तन और सुंदरवन जैसी साझा धरोंहरों को संरक्षित रखने पर बात करेंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष हमने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ, हमारे डिप्लोमैटिक संबंधों की स्वर्ण जयंती, शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी एक साथ मनाई थी। मुझे विश्वास है कि अगले 25 साल के अमृत काल में बार-बांग्लादेश की मित्रता नई ऊंचाईयां छुएगी।प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि शेख हसीनाजी की यात्रा हमारी आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान हो रही है। और मुझे पूरा विश्वास है कि अगले 25 सालों के अमृत काल में भारत-बांग्लोदश मित्रता नई ऊंचाइयां छूएगी’ आज बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा डेवलपमेंट पार्टनर और क्षेत्र में हमारा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। हमारे घनिष्ठ सांस्कृतिक और पीपल टू पीपल संबंधों में भी निरंतर वृद्धि हुई है।
मोदी ने कहा कि हमने IT, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे सेक्टर्स में भी सहयोग बढ़ाने का निश्चय किया, जो हमारी युवा पीढ़ियों के लिए रूचि रखते हैं। आज हमने कुशियारा नदी से जल बंटवारे पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे भारत में दक्षिणी असम और बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र को लाभ होगा।ऐसी 54 नदियां हैं, जो भारत-बांग्लादेश सीमा से गुजरती हैं, और सदियों से दोनों देशों के लोगों की आजीविका से जुड़ी रही हैं। ये नदियां, इनके बारे में लोक-कहानियां, लोक-गीत, हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत के भी साक्षी रहे हैं। आज हमने आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ सहयोग पर भी जोर दिया। 1971 की स्प्रिट को जीवंत रखने के लिए भी यह बहुत आवश्यक है कि हम ऐसी शक्तियों का मिल कर मुकाबला करें, जो हमारे आपसी विश्वास पर आघात करना चाहती हैं।