योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए विभाग को बधाई
मनोज सिंह ठाकुर
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अमल में मध्यप्रदेश 30 लाख से अधिक हितग्राहियों के पंजीयन, 1294 करोड़ की राशि वितरण और वर्तमान वित्त वर्ष में अगस्त माह तक 2 लाख 26 हजार 306 हितग्राहियों को लाभान्वित कर देश में अव्वल है। चौहान ने योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए महिला बाल विकास विभाग को बधाई दी है। मध्यप्रदेश लगातार चौथे वर्ष इस योजना में वर्ष 2021-22 के लिए राष्ट्रीय स्थान पर प्रथम स्थान पर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग किए गए नवाचारों और उपलब्धियों की ब्रांडिंग कर जनता तक इन कार्यों का संदेश पहुंचाएं। चौहान ने कहा कि जिस तरह जन्म-दिवस और विवाह वर्षगांठ पर पौधा लगाने का आव्हान किया गया है, उसी तरह आंगनवाड़ी केंद्र में जा कर बच्चों के साथ मिष्ठान वितरण और भोजन ग्रहण करने का कार्य नागरिक बंधु कर सकते हैं। इसके लिए विभाग द्वारा भी प्रयास किए जाएं। बैठक में ‘एडॉप्ट एन आंगनवाड़ी’ की समीक्षा के दौरान बताया गया कि मुख्यमंत्री चौहान की पहल पर आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए प्रदेश में खिलौने, अन्य सामग्री सहित 25 करोड़ का जन-सहयोग मिला है। अधो-संरचना के कार्यों की पहल हुई है। आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए आउटडोर खेल सामग्री झूला और फिसलपट्टी आदि का प्रदाय हुआ है। डेढ़ हजार से अधिक केंद्र का आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र के रूप में उन्नयन किया गया है। बच्चों के लिए जूते-चप्पल और स्वच्छता किट का भी प्रदाय हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में प्रथम प्रसव की पात्र गर्भवती महिला और धात्री माता को 5 हजार रूपए की राशि और द्वितीय प्रसव में बालिका के जन्म पर शिशुवती माता को 6 हजार रूपए की राशि दिलवाने का कार्य प्राथमिकता से किया गया है। योजना में लगभग 80 लाख आवेदनों की मंजूरी एक उपलब्धि है। इसी प्रकार कम वजन वाले बच्चों का कुपोषण कम करने के प्रयासों में भी मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। चौहान ने पोषण के क्षेत्र में जन-सहयोग से मिल रही सफलताओं पर प्रसन्न्ता व्यक्त की और महिला एवं बाल विकास विभाग को अच्छे प्रयासों के लिए बधाई दी। प्रदेश में सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0 में 6 माह से तीन साल आयुवर्ग के 30 लाख बच्चे पूरक पोषण आहार का लाभ ले चुके हैं। इसी तरह 10 लाख 81 हजार गर्भवती और धात्री माताएं भी लाभान्वित हो चुकी है। प्रदेश में टेक होम राशन का लाभ 38 लाख से अधिक हितग्राही ले चुके हैं। वर्तमान में पोषण ट्रैकर पर 71 लाख 20 हजार हितग्राहियों का आधार सत्यापन भी पूरा हो चुका है। प्रदेश में 13 संयंत्रों से टेक होम राशन उत्पादन का कार्य हो रहा है।
नाश्ता एवं गर्म पका भोजन ग्रामीण क्षेत्रों में 50 हजार से अधिक सांझा चूल्हा समूहों द्वारा किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में भी 2 हजार से अधिक समूह यह कार्य कर रहे हैं। मंडला और डिंडौरी जिलों में सप्ताह में एक दिन मोटा अनाज दिया जा रहा हैं। कोदो-कुटकी आधारित नाश्ता प्रदाय करने की व्यवस्था इन जिलों में की गई है। आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषण मटका से प्राप्त अनाजों से रूचिकर पकवान तैयार कर पोषण कॉर्नर के रूप में बच्चों के लिए उपलब्ध करवाए गए हैं। प्रदेश के 85 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रो में पोषण कॉर्नर स्थापित हुए हैं। साथ ही पोषण वाटिकाएँ भी निर्मित की गई हैं। प्रदेश में कम वजन के बच्चों का कुपोषण दूर करने, दुबलेपन और ठिगनेपन जैसे लक्षणों से बच्चों को बचाने की दिशा में मध्यप्रदेश देश के श्रेष्ठ कार्य करने वाले राज्यों में शामिल है। जहाँ कम वजन के बच्चों को सहायता पहुंचाने के मामले में प्रदेश राष्ट्रीय रैंकिंग में दूसरे क्रम पर, दुबलेपन के कारण कम वजन की समस्या के समाधान में तीसरे क्रम पर और ठिगनेपन के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण की दृष्टि से राष्ट्रीय रैंकिंग में छठवें क्रम पर है।
मुख्यमंत्री चौहान ने इस क्षेत्र में प्रगति के लिए विभाग को बधाई दी। कम वजन के बच्चों की संख्या में जहाँ देश में 3.7 प्रतिशत की गिरावट हुई है वहीं प्रदेश में यह गिरावट सर्वाधिक 9.8 प्रतिशत दर्ज हुई है। इसी तरह दुबलेपन के कारण कुपोषण की समस्या में देश में 1.7 प्रतिशत की कमी लाई गई है, वहीं मध्यप्रदेश में 6.8 प्रतिशत कमी लाने में सफलता मिली है। ठिगनेपन के मामलों में भी देश में 3 प्रतिशत की कमी के मुकाबले मध्ययप्रदेश में 6.3 की कमी लाने में सफलता मिली है। चौहान ने कहा कि लाड़ली लक्ष्मी योजना में कल्ब बनाने और नगरवार लाड़लियों के सम्मेलन की रूप रेखा तैयार की जाए। यह योजना मध्यप्रदेश सरकार की प्रमुख उपलब्धि के रूप में स्थापित है। योजना में विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जाए। बैठक में लाड़ली लक्ष्मी योजना के क्रियान्वयन की जानकारी देते हुए बताया गया कि अब तक योजना में 43 लाख बालिकाओं को लाभ मिला है। लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 में कक्षा 6,9,11 और 12 की चार लाख 87 हजार 731 बालिकाओं को छात्रवृत्ति की राशि मिली है। लाड़लियों से सतत संवाद के लिए एप प्रारंभ किया गया है।
अन्य योजनाओं की समीक्षा के साथ ही चौहान ने विभाग की अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी भी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की योजना शौर्या दल से जुड़ी बालिकाओं और महिलाओं को समाज की ताकत बनाया गया है। इन बहनों का समाज हित में रचनात्मक उपयोग हो। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा जेंडर बजटिंग का विश्लेषण भी करें। मुख्यमंत्री नारी सम्मान कोष, मिशन शक्ति, मिशन वात्सलय, स्ट्रीट चिल्ड्रन कल्याण, प्रदेश की बाल संरक्षण नीति, गैर संस्थागत पुनर्वास एवं निजी स्पॉन्सरशिप, पीएम केयर्स स्कीम फॉर चिल्ड्रन, मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना और मुख्यमंत्री उद्यम शक्ति योजना पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव महिला एवं बाल विकास अशोक शाह और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।