मंगलवार, 30 अगस्त 2022

नेताओं के परिसर में आने पर रोक, आदेश जारी 

नेताओं के परिसर में आने पर रोक, आदेश जारी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों द्वारा विधानसभा परिसर में रात भर किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद मंगलवार को विधानसभा सचिवालय ने एक आदेश जारी कर सांसदों और राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के परिसर में आने पर रोक लगा दी है। भाजपा नेता और दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी हालांकि, विधानसभा की स्वागत डेस्क (रिसेप्शन) तक आए और पत्रकारों से कहा कि उनकी पार्टी के (दिल्ली से) अन्य सांसद भी सचिवालय के आदेश के बावजूद सत्र में हिस्सा लेंगे। उन्हें गेट पर रोक दिया गया। सचिवालय द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, ‘‘विधानसभा उपाध्यक्ष ने कहा कि परिसर में सत्तारूढ़ और विपक्षी दल के सदस्य प्रदर्शन कर रहे हैं, इसलिए परिसर और उसके आसपास सुरक्षा कड़ी की जानी चाहिए ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अप्रिय घटना नहीं हो।’’

आदेश के मुताबिक विधायक के साथ केवल एक आगंतुक को परिसर में अपनी पहचान सत्यापित कराने के बाद आने की अनुमति होगी। इसमें कहा गया, ‘‘संसद सदस्यों और पार्टियों के नेताओं को हालांकि उनकी सुरक्षा और परिसर में बने तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’ आदेश की प्रति साझा करते हुए रोहिणी से भाजपा के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने ट्वीट किया, ‘‘केजरीवाल सरकार भयभीत है! दिल्ली के सांसदों के विधानसभा में प्रवेश करने पर रोक लगा दी गई है।’’ गौरतलब है कि आप के सदस्य उप राज्यपाल वी के सक्सेना के खिलाफ छह साल पुराने मामले में जांच कराने की मांग कर रहे हैं जबकि भाजपा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग कर रही है।

लगातार सामने आ रहे घोटालों पर मौन तोड़ें 'पीएम'

लगातार सामने आ रहे घोटालों पर मौन तोड़ें 'पीएम' 

पंकज कपूर 

देहरादून। आम आदमी पार्टी (आप) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उत्तराखंड में लगातार सामने आ रहे घोटालों पर अपना मौन तोड़ने को कहा और उनकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की। यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आप के प्रदेश समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने आरोप लगाया कि एक के बाद एक सामने आ रहे भर्ती घोटालों की सूची में अब विधानसभा का भी नाम जुड़ गया है जहां पूर्व अध्यक्षों ने बेटे-बहू, भांजे और भतीजियों सहित अपने अनेक रिश्तेदारों को नियुक्ति दिलवाई।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि प्रधानमंत्री अब इन घोटालों पर अपना मौन तोड़ें और बताएं कि इन पर उनके क्या विचार हैं।’’ बिष्ट ने यह भी आरोप लगाया कि प्रदेश में एक बड़े शराब घोटाले को भी अंजाम दिया गया जिसमें दुकानों को शराब के ठेके एक साल की बजाय तीन साल के लिए दे दिए गए। उन्होंने कहा, ‘‘इससे प्रदेश के राजकोष को भारी नुकसान होगा।’’ उन्होंने दावा किया कि यह बदलाव 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शराब माफिया को खुश करने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह भी एक बड़ा घोटाला है। हम इसकी भी सीबीआई और ईडी से जांच की मांग करते हैं।’’ प्रदेश में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षाओं में गड़बड़ी की आशंका के चलते विशेष कार्यबल (एसटीएफ) द्वारा की गयी जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है और अब तक इस मामले में उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश के 28 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

जांच के बीच पूर्व में आयोजित सचिवालय रक्षक, कनिष्ठ सहायक, (न्यायिक), वन आरक्षी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, पुलिस दारोगा, उत्तराखंड उर्जा निगम में अभियंताओं की नियुक्ति में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप सामने आये जिनसे प्रदेश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। कांग्रेस भी इस मुद्दे को लेकर धरना-प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बार-बार दोहराया है कि जिस भी संस्था में भर्ती परीक्षा में अनियमितता की शिकायत आ रही है, वहां जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। विधानसभा में हुई नियुक्तियों की बाबत उन्होंने कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी से जांच करवाने का अनुरोध करेंगे और सरकार इसमें पूरा सहयोग करेगी।

फार्माकोपिया आयोग के साथ समझौते पर हस्ताक्षर 

फार्माकोपिया आयोग के साथ समझौते पर हस्ताक्षर 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। देश भर में आयुष उत्पादों के समान मानक तय करने के लिए आयुष मंत्रालय ने भारतीय फार्माकोपिया आयोग के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। आयुष मंत्रालय ने मंगलवार को यहां बताया कि आयुष उत्पादों की एकरुपता के लिए यह अंतर मंत्रालय समझौता ‘हर्ब, वन स्टैंडर्ड’ किया गया है। समझौते पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।इस अवसर पर कोटेचा ने कहा कि समझौते का प्राथमिक उद्देश्य सामंजस्यपूर्ण हर्बल दवा मानकों के विकास को सुविधाजनक बनाकर सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि यह समझौता वैज्ञानिक जानकारी और दवा कच्चे माल, अर्क, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, प्रशिक्षण तथा विचार-मंथन कार्यक्रमों को साझा करके पारंपरिक चिकित्सा के मानकीकरण के क्षेत्र में सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए सहयोग की सुविधा प्रदान करेगा।

कोटेचा ने कहा कि ‘एक जड़ी बूटी एक मानक’ के तहत वर्गीकृत मोनोग्राफ के प्रकाशन का एकमात्र अधिकार केवल पीसीआईएम और एच के पास होगा। पीसीआईएम एंड एच और आईपीसी द्वारा विकसित मोनोग्राफ की पहचान की जाएगी। आयुष मंत्रालय का मानना ​​है कि मानकों का यह सामंजस्य ‘एक जड़ी बूटी, एक मानक और एक राष्ट्र’ के उद्देश्य को पूरा करेगा और व्यापार आसान करेगा और भारतीय वनस्पति विज्ञान के समग्र व्यापार में भी सुधार करेगा। समझौते के अनुसार तकनीकी कार्य करने के लिए औषधीय पौधों और उनके घटक मार्करों के चयन के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा।

केंद्र के निर्णय की संवैधानिक वैधता की जांच करेंगे 

केंद्र के निर्णय की संवैधानिक वैधता की जांच करेंगे 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज करने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करने से पहले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को दाखिले तथा नौकरी में दस प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के निर्णय की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी, न्यायमूर्ति रविंद्र भट्ट, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा कि वह प्रक्रियागत पहलुओं तथा अन्य ब्योरों पर छह सितंबर को निर्णय लेगी और 13 सितंबर से याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। केन्द्र ने 103वें संविधान संशोधन अधिनियम 2019 के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए दाखिलों तथा लोक सेवाओं में आरक्षण का प्रावधान जोड़ा था।

शीर्ष अदालत आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिकाओं और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज कर दिया था। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों वाली पीठ ने चार भिन्न मतों वाले फैसले में ‘स्टेट टू मुस्लिम कम्युनिटी अधिनियम’ 2005 के तहत इन प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया था संवैधानिक पीठ ने चार वकीलों शादान फरासत, नचिकेता जोशी, महफूज नजकी और कनू अग्रवाल को नोडल अधिवक्ता के रूप में कार्य करने के लिए कहा।

‘कोयला चोरी घोटाले’ की जांच, बनर्जी को समन जारी 

‘कोयला चोरी घोटाले’ की जांच, बनर्जी को समन जारी 

मिनाक्षी लोढी 

कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को ‘कोयला चोरी घोटाले’ की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए मंगलवार को समन जारी किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को शुक्रवार की सुबह अपने कोलकाता स्थित कार्यालय में पेश होने को कहा है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि  हमने अभिषेक बनर्जी को यहां अपने अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए तलब किया है। नई दिल्ली से हमारे अधिकारी उनसे पूछताछ करने आएंगे।

तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को एक कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए आशंका जतायी थी कि केंद्रीय एजेंसियां उनके भतीजे और अन्य वरिष्ठ नेताओं को नोटिस भेज सकती है।

पार्श्वगायक नौटियाल का नया गीत 'मीठी मीठी' रिलीज 

पार्श्वगायक नौटियाल का नया गीत 'मीठी मीठी' रिलीज 

कविता गर्ग 

मुंबई। जाने-माने पार्श्वगायक जुबिन नौटियाल का नया गीत 'मीठी मीठी' रिलीज हो गया है। जुबिन नौटियाल के गीत 'मीठी मीठी' को टी सीरीज के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है। इस गीत के बोल लिखे हैं रश्मि - विराग ने और संगीत दिया है पायल देव ने।

गीत को जुबिन नौटियाल और पायल देव ने गाया है। गीत के म्यूजिक वीडियो में जुबिन नौटियाल और शानवी श्रीवास्तव नजर आए हैं। गीत को विजय सिंह ने निर्देशित किया है।

सीएम गहलोत अध्यक्ष का पद संभाले: गांधी 

सीएम गहलोत अध्यक्ष का पद संभाले: गांधी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद म्यूजिकल चेयर बन गया है। अध्यक्ष का पद नेताओं के इर्द गिर्द घूम रहा हैं मगर नेता अध्यक्ष बनने से इनकार कर रहे है। कांग्रेस पार्टी के हर बड़े नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। राहुल गांधी अध्यक्ष बनने से लगातार इनकार कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी नेताओं को साफ शब्दों में कह दिया है कि वह किसी भी सूरत में कांग्रेस अध्यक्ष बनना नहीं चाहते हैं। वह बिना पद के ही पार्टी का काम करना चाहते हैं। राहुल गांधी के इनकार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक, वर्किंग कमेटी की सदस्य कुमारी शैलजा सहित कई नेताओं के नाम अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हो गए हैं। 

मगर कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तो यहां तक कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अध्यक्ष का पद संभाले। अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता है। वे इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी के साथ काम कर चुके हैं। ऐसे में वह सबके साथ तालमेल बिठाकर काम कर सकते हैं लेकिन जैसे ही कांग्रेसी हलकों में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत का नाम आगे आया वैसे ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया। गहलोत का कहना है कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष के रूप में पार्टी को मजबूत कर सकते हैं। गहलोत का कहना है कि अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए कई कार्य प्रारंभ किए थे जिसका लाभ आने वाले समय में कांग्रेस को मिलेगा। गहलोत राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए 250 से अधिक बड़े नेताओं से समर्थन लेकर राहुल गांधी को मनाने का प्रयास कर रहे हैं। 

गहलोत का कहना है कि मुझे राजस्थान की जिम्मेवारी मिली हुई है, जहां मेरा कार्यकाल बाकी है। अभी मैं राजस्थान की जनता की सेवा करना चाहता हूं। गहलोत का कहना है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के साथ ही गुजरात में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें सोनिया गांधी ने वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। ऐसे में वह अपनी दोनों जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं। उनका प्रयास है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर कर कांग्रेस की सरकार बनाएं। अभी वह इसी मिशन में लगे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभालना उनके लिए अनुकूल नहीं है। यह सभी को पता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता है। वे इंदिरा गांधी, राजीव गांधी व नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव, सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही गहलोत तीन बार राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता, तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। 

राजस्थान में अशोक गहलोत कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे हैं। बहुमत नहीं मिलने पर भी जोड़-तोड़ कर वह दूसरी बार सरकार बनाकर सफलतापूर्वक चला रहे हैं ऐसे में वह किसी भी स्थिति में मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ना चाहते हैं। गहलोत को पता है कि यदि वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर जयपुर से दिल्ली जाते हैं तो उनके स्थान पर कांग्रेस आलाकमान उनके कट्टर विरोधी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना सकता है। गहलोत किसी भी स्थिति में नहीं यह होने देना चाहते हैं। अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच छत्तीस का आंकड़ा किसी से छुपा हुआ नहीं है। दोनों नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहते है। कांग्रेस आलाकमान द्वारा अपने स्तर पर दोनों नेताओं के मध्य सुलह करवाने के उपरांत भी दोनों नेताओं के मन अभी तक नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहेंगे कि उनके बाद पायलट राजस्थान में मजबूत होकर अपने पैर जमा सकें। गहलोत को पता है कि राजस्थान की राजनीति व दिल्ली की राजनीति में बड़ा फर्क है। राजस्थान की राजनीति को तो वह वर्षों से अपनी अंगुली पर नचा रहे हैं मगर दिल्ली जाने के बाद ऐसा कर पाना संभव नहीं होगा। 

उनको पता है कि यदि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन भी जाते हैं तो पार्टी तो गांधी परिवार के नियंत्रण में रहेगी। ऐसे में वह मात्र कठपुतली बनकर रह जाएंगे। ऊपर से राजस्थान भी उनके हाथ से निकल जाएगा। अगले कुछ महीनों में गुजरात, हिमाचल प्रदेश की विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। उसके बाद अगले साल कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के चुनाव होंगे। यदि विधानसभाओं के चुनावी नतीजे कांग्रेस पार्टी के मनमाफिक नहीं रहते हैं तो पूरी जिम्मेदारी उनकी मानी जाएगी तब असफलता का ठीकरा उनके सर ही फूटेगा। गहलोत किसी भी सूरत में ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं। इसीलिए वह दिल्ली जाने के लिए आनाकानी कर रहे हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी कि अपनी-अपनी वफादारों की मंडली है। जिन की सलाह पर यह नेता काम करते हैं। यदि गहलोत दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में इन वफादार नेताओं की बातों को अनसुना करते हैं तो उन्हें उनकी साजिशों का शिकार होना पड़ेगा और उनका दिल्ली की राजनीति में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा। 

अभी गहलोत राजस्थान में जैसा चाहते हैं वैसा ही पार्टी करती है। राजस्थान के अधिकांश मंत्री व विधायक उनके ही वफादार हैं। राजनीतिक नियुक्तियों में भी ज्यादातर गहलोत समर्थकों को बनाया गया हैं। पिछले दिनों राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीट के चुनाव हुये थे। जिनमें गहलोत ने कांग्रेस आलाकमान की पसंद को तवज्जो देते हुये तीनो ही बाहरी लोगों को चुनाव जीता कर भेजा था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल, कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला व प्रमोद तिवारी राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। यह सभी दिल्ली की राजनीति में भारी-भरकम नेता माने जाते हैं तथा दिल्ली में गहलोत की खुलकर पैरवी करते हैं। दिल्ली में अपनी मजबूत लाबी के बल पर ही गहलोत पायलट को हासिये पर लगा पाये हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पांच बार लोकसभा, पांच बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 

गहलोत 1980 में पहली बार लोकसभा सदस्य बने थे और उसी दौरान 1982 में इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में उप मंत्री बनाए गए थे। उसके बाद राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर भी गहलोत केंद्र सरकार में राज्य मंत्री बने थे। गहलोत को पता है कि राजनीति में हमेशा बहार नहीं रहती हैं। उदय के साथ अस्त भी होता है। इसी लिये वह चाहते हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा करें और यदि अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को प्रदेश में सफलता मिलती है तो वह फिर से मुख्यमंत्री ही बने न कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष। क्योंकि कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आगे के सभी विकल्प बंद हो जाते हैं। इस बात का उन्हें बखूबी ज्ञान है। इसीलिए गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से इनकार कर रहे हैं।

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी ...