शिंदे गुट की अर्जी पर फिलहाल कोई फैसला न लें
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। शिवसेना पर नियंत्रण को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट असली शिवसेना किसकी है, इसपर दोनों गुट चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। इसपर नियंत्रण को लेकर दोनों पक्षों के बीच कानूनी लड़ाई जारी है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए उद्धव गुट को राहत दी है और कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वे शिंदे गुट की अर्जी पर फिलहाल कोई फैसला न लें। अब इस मामले पर सोमवार को अगली सुनवाई होगी।
इससे पहले, बुधवार को भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जहां दोनों गुटों ने अपना-आपना पक्ष रखा था। इस मामले को पांच जजों की बेंच को सौंपने के संबंध में फैसला लिया जाएगा। वहीं दोनों पक्षों के लिखित तर्कों का सत्यापन किया जाएगा। सुनवाई के दौरान शिंदे कैंप के वकील हरीश साल्वे अपनी तरफ से प्रस्तावित सुनवाई के बिंदुओं को रखा. साल्वे अयोग्यता को लेकर स्पीकर के अधिकार और प्रक्रिया को पूरा करने के तरीके को लेकर सिलसिलेवार तरीके से बातें रखी।
CJI ने पूछा कि क्या एक बार चुने जाने के बाद विधायक पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता? वह सिर्फ पार्टी के विधायक दल के अनुशासन के प्रति जवाबदेह होता है? इसके जवाब में शिंदे समूह के वकील साल्वे ने कहा कि जब तक विधायक पद पर है, तब तक वह सदन की गतिविधि में हिस्सा लेने का अधिकारी है। वह पार्टी के खिलाफ भी वोट करे तो वह वोट वैध होगा। इसपर साल्वे ने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि पार्टी का नियंत्रण नहीं होता। यह कह रहा हूँ कि हमने पार्टी नहीं छोड़ी है और सिर्फ पार्टी के अंदर अपनी आवाज़ उठाई है। वहीं, दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मामला संविधान पीठ को मत भेजें।