मंगलवार, 5 जुलाई 2022

दो दिवसीय 'वृहद पौधारोपण कार्यक्रम' का शुभारंभ

दो दिवसीय 'वृहद पौधारोपण कार्यक्रम' का शुभारंभ

दीपक राणा 
लोनी। मंगलवार को लोनी नगर पालिका अध्यक्ष रंजीता धामा के द्वारा दो दिवसीय 'वृहद पौधारोपण कार्यक्रम' का शुभारंभ किया गया। जो कि आज दो दिन तक चलेगा, तथा जिसमे दस हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, लोनी नगर पालिका अध्यक्ष धामा ने जगह-जगह पर पौधारोपण किया तथा जिसमें जामुन, आम, अमरूद, आवंला,शहतूत, नीम, पीपल,शीशम, गूलर, आदि के पौधे लगाएं। इस अवसर पर लोनी नगर पालिका अध्यक्ष ने सभी शहर वासियों से अपील करते हुए कहा कि जिस प्रकार से आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है तथा लकड़ी के सामानों की मांग बढ रही है। जिसके इस्तेमाल होने वाली चीजों का लोगों में आकषर्ण बढ़ता जा रहा है। उस वजह से पेड़ों का कटान अधिक हो रहा है तथा जंगलों को काटा जा रहा है एवं शहर में कंक्रीट की इमारते खड़ी होती जा रही हैं। 
जिससे पेड़ों की संख्या लगातार घटती जा रही है तथा पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। हम सभी को मिलजुल कर प्रयास करना चाहिए तथा अधिक से अधिक पेड़-पौधे अपने आसपास लगाने चाहिए। हमारे आसपास जो भी पार्क खाली, वहां पर हम सबको पेड़ लगाने चाहिए। जिससे की हरियाली रहे तथा पर्यावरण शुद्ध रहे एवं लोगों को ताजी हवा मिलती रहे। लोनी नगरपालिका अध्यक्ष ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पौधारोपण का कार्य सहभागिता से ही संभव है। एक अकेला व्यक्ति सीमित संख्या मे ही पौधे लगा सकता है। लेकिन समाज के हर नागरिक को पर्यावरण के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझते हुए पौधारोपण करना चाहिए। जिससे कि आने वाले समय मे इन पौधों का रख-रखाव करके उनको फलदार व उपयोगी वृक्ष बनाया जा सके। पर्यावरण से हम लोगों को सब कुछ मिलता है। जैसे लकड़ी, फल, फूल, आक्सीजन और भी लाभकारी चीजें अत: हम सभी को पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। 
इस अवसर पर लोनी नगर पालिका में नवनियुक्त अधिशासी अधिकारी कृष्णकांत भढ़ाना, अधिशासी अभियंता पंकज गुप्ता ,भंडारी बाबू शिवम, सचिन, अशोक चौधरी, दीपक, राहुल,रौनक, सहित लोनी नगर पालिका कार्यालय के सैकड़ों कर्मचारी उपस्थित रहे।
वृक्ष लगाओ, धरा बचाओ।

ट्विटर ने अंतिम नोटिस का अनुपालन पूरा किया

ट्विटर ने अंतिम नोटिस का अनुपालन पूरा किया  

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने आईटी मंत्रालय द्वारा जारी अंतिम नोटिस का अनुपालन पूरा कर लिया है। एक आधिकारिक सूत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी। विश्वसनीय सूत्रों ने मंगलवार को आईएएनएस को बताया कि कंपनी ने आखिरकार कुछ विवादास्पद ट्वीट्स पर कार्रवाई करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा भेजे गए 27 जून के नोटिस का अनुपालन किया। सरकार ने ट्विटर को आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत भेजे गए कंटेंट पर कार्रवाई करने के लिए कहा था। इसकी समय सीमा 4 जुलाई तय की थी।

अगर ट्विटर समय सीमा के तहत आईटी नियमों, 2021 का पालन नहीं कर पाता, तो परिणामस्वरूप आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत सोशल मीडिया मध्यस्थ के रूप में कंपनी अपनी प्रतिरक्षा खो सकती थी। सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 में कहा गया है कि सोशल मीडिया कंपनी को शिकायतों को हल करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना होगा। माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने अपनी मासिक अनुपालन रिपोर्ट में बताया कि ट्विटर ने अपने दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर मई में भारतीय उपयोगकर्ताओं के 46,000 से अधिक अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया।

एपीआईएल पर 153.50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया

एपीआईएल पर 153.50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया 

अकांशु उपाध्याय/राणा ओबरॉय 

नई दिल्ली/चंडीगढ़। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सुशांत लोक फेज वन, गुड़गांव में अपनी परियोजना द्वारा विभिन्न पर्यावरणीय उल्लंघनों के लिए अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एपीआईएल) पर 153.50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार (4 जुलाई) को अपने आदेश में कहा, "153,50,62,892 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा प्रतिवादी 11 (एपीआईएल) द्वारा भुगतान किया जाएगा और तीन महीने के भीतर एचएसपीसीबी के पास जमा किया जाएगा।"

यह आदेश पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन के मामले में सुनाया गया।दरअसल, सुशांत लोक वन निवासियों ने 4 सितंबर 2018 को एनजीटी में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि सी ब्लॉक के पार्क और सड़कों पर अतिक्रमण किया गया। भूजल का अवैध रूप से दोहन किया जा रहा है। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। सीवर का पानी बरसाती नालों में जा रहा है। आरोप था कि इस रियल एस्टेट कंपनी ने 45 प्रतिशत जमीन सडक, ओपन स्पेस, स्कूल, कॉमन एरिया के लिए छोड़नी थी, जो नहीं है।

ट्रिब्यूनल ने टीसीपीडी, गुरुग्राम को हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को 2 करोड़ रुपये का जुर्माना जमा करने के लिए भी कहा है। टीसीपीडी हरियाणा ने यांत्रिक तरीके से लाइसेंस दिए, लेकिन यह सुनिश्चित नहीं किया कि क्या एपीआईएल-पीपी द्वारा लाइसेंस की पहले की शर्तो का पालन किया गया था या नहीं ?

आईपीएस को अरेस्ट किए जाने के बाद निलंबित किया

आईपीएस को अरेस्ट किए जाने के बाद निलंबित किया

इकबाल अंसारी
बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार ने आईपीएस अधिकारी अमृत पॉल को पीएसआई भर्ती घोटाला मामलें में उनकी कथित भूमिका के लिए सीआईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद निलंबित कर दिया। बता दे की अक्टूबर 2021 में 545 पुलिस सब-इंस्पेक्टर (PSI) की नियुक्ति के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें 54,041 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था। कर्नाटक के 93 केंद्रों पर परीक्षा ली गई थी। जनवरी 2022 में रिजल्ट जारी किया गया तो कुछ छात्रों ने नंबर देने में गड़बड़ी की शिकायत की थी। एशियानेट न्यूज नेटवर्क ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया तो मामले ने तूल पकड़ लिया। कर्नाटक विधानसभा में घोटाले का मुद्दा उठा।
इसके बाद सरकार ने जांच कराने का फैसला किया था। एक सप्ताह बाद परीक्षा में शामिल हुए वीरेश की ओएमआर (ऑप्टिकल मार्क रीडिंग) उत्तर पुस्तिका लीक हो गई थी। प्रारंभिक जांच में पता चला कि वीरेश ने 130 में से केवल 21 प्रश्नों का उत्तर दिया, लेकिन उसे सातवां रैंक मिला था। ऐसा माना जाता है कि वीरेश ने अपनी रैंक बदलने के लिए किसी को भुगतान किया। इसके बाद जांच में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। घोटाला सामने आने के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बैकफुट पर आ गई थी।

शुक्ल-पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है, वैवस्वत सप्तमी

शुक्ल-पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है, वैवस्वत सप्तमी

सरस्वती उपाध्याय 
वर्ष 2022 में वैवस्वत सप्तमी 6 जुलाई 2022, बुधवार को पड़ रही है। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल-पक्ष की सप्तमी तिथि को वैवस्वत सप्तमी मनाई जाती है। सूर्यपुत्र वैवस्वत मनु ही मनु स्‍मृति के रचयिता हैं। यह दिन सूर्य देव की उपासना करने हेतु विशेष महत्व का बताया जाता है। सूर्य पुत्र वैवस्वत मनु की पौराणिक इस प्रकार है- मत्स्य पुराण के अनुसार, सत्यव्रत नाम के राजा एक दिन कृतमाला नदी में जल से तर्पण कर रहे थे। उस समय उनकी अंजुलि में एक छोटी-सी मछली आ गई। सत्यव्रत ने मछली को नदी में डाल दिया तो मछली ने कहा कि इस जल में बड़े जीव-जंतु मुझे खा जाएंगे। 
यह सुनकर राजा ने मछली को फिर जल से निकाल लिया और अपने कमंडल में रख लिया और आश्रम ले आए। रात भर में वह मछली बढ़ गई। तब राजा ने उसे बड़े मटके में डाल दिया। मटके में भी वह बढ़ गई तो उसे तालाब में डाल दिया अंत में सत्यव्रत ने जान लिया कि यह कोई मामूली मछली नहीं, जरूर इसमें कुछ बात है। तब उन्होंने ले जाकर समुद्र में डाल दिया। 
समुद्र में डालते समय मछली ने कहा कि समुद्र में मगर रहते हैं, वहां मत छोड़िए। लेकिन राजा ने हाथ जोड़कर कहा कि आप मुझे कोई मामूली मछली नहीं जान पड़ती है। आपका आकार तो अप्रत्याशित तेजी से बढ़ रहा है, बताएं कि आप कौन हैं ? तब मछली रूप में भगवान विष्णु ने प्रकट होकर कहा कि आज से सातवें दिन प्रलय (अधिक वर्षा से) के कारण पृथ्वी समुद्र में डूब जाएगी।
तब मेरी प्रेरणा से तुम एक बहुत बड़ी नौका बनाओ। जब प्रलय शुरू हो तो तुम सप्त ऋषियों सहित सभी प्राणियों को लेकर उस नौका में बैठ जाना तथा सभी अनाज उसी में रख लेना। अन्य छोटे बड़े बीज भी रख लेना। नाव पर बैठ कर लहराते महासागर में विचरण करना। प्रचंड आंधी के कारण नौका डगमगा जाएगी। तब मैं इसी रूप में आ जाऊंगा। तब वासुकि नाग द्वारा उस नाव को मेरे सींग में बांध लेना। 
जब तक ब्रह्मा की रात रहेगी, मैं नाव समुद्र में खींचता रहूंगा। उस समय जो तुम प्रश्न करोगे मैं उत्तर दूंगा। इतना कह मछली गायब हो गई। राजा तपस्या करने लगे। मछली का बताया हुआ समय आ गया। वर्षा होने लगी। समुद्र उमड़ने लगा। तभी राजा ऋषियों, अन्न, बीजों को लेकर नौका में बैठ गए। और फिर भगवान रूपी वही मछली दिखाई दी। उसके सींग में नाव बांध दी गई और मछली से पृथ्वी और जीवों को बचाने की स्तुति करने लगे। 
मछली रूपी श्री विष्णु ने उसे आत्मतत्व का उपदेश दिया। मछली रूपी विष्णु ने अंत में नौका को हिमालय की चोटी से बांध दिया। नाव में ही बैठे-बैठे प्रलय का अंत हो गया। यही सत्यव्रत वर्तमान में महाकल्प में विवस्वान या वैवस्वत (सूर्य) के पुत्र श्राद्धदेव के नाम से विख्यात हुए तथा वैवस्वत मनु के नाम से भी जाने गए।

भारत: एक दिन में कोरोना के 13,086 नए मामलें

भारत: एक दिन में कोरोना के 13,086 नए मामलें 

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। भारत में एक दिन में कोरोना वायरस के 13,086 नए मामलें सामने आने के बाद देश में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 4,35,31,650 हो गई। वहीं, उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 1,14,475 पर पहुंच गई।
वहीं, उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 1,14,475 पर पहुंच गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार सुबह आठ बजे जारी अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, भारत में संक्रमण से 19 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 5,25,242 हो गई। देश में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 1,14,475 हो गई है, जो कुल मामलों का 0.26 प्रतिशत है।
पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 611 की बढ़ोतरी हुई है। मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 98.53 प्रतिशत है।
आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी तक 86.44 करोड़ नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है, जिनमें से 4,51,312 नमूनों की जांच पिछले 24 घंटे में की गई। दैनिक संक्रमण दर 2.90 प्रतिशत, जबकि साप्ताहिक संक्रमण दर 3.81 प्रतिशत है।
गौरतलब है कि देश में सात अगस्त 2020 को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी।
संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020 को 70 लाख, 29 अक्टूबर 2020 को 80 लाख और 20 नवंबर को 90 लाख के पार चले गए थे।
देश में 19 दिसंबर 2020 को ये मामले एक करोड़ से अधिक हो गए थे। पिछले साल चार मई को संक्रमितों की संख्या दो करोड़ और 23 जून 2021 को तीन करोड़ के पार पहुंच गई थी। इस साल 26 जनवरी को मामले चार करोड़ के पार हो गए थे।

अमरूद को सुपर फ्रूट कहें जाने के विशेष कारण

अमरूद को सुपर फ्रूट कहें जाने के विशेष कारण 

सरस्वती उपाध्याय 
कभी अमरूद को गरीबों का फल माना जाता था। लेकिन, अब इसके गुणों का लोहा पूरी दुनिया मानती है। यह एक पौष्टिक फल है, जो आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसकी विशेषता यह भी है कि यह स्वास्थ्य को ठीक रखता है। इस विदेशी फल से भारत ने बहुत ही अपनापन दिखाया है।अब तो लगता है कि यह जैसे भारत का ही फल है। पूरी दुनिया में अमरूद की सबसे अधिक उपज वाले देशों में भारत का नाम शुमार है। विशेष बात यह है कि भारत उन देशों को भी अमरूद निर्यात करता है, जहां इसकी उत्पत्ति हुई है।
अमरूद को सुपर फ्रूट कहें जाने के विशेष कारण यह हैं कि इसमें संतरे की तुलना में चार गुणा अधिक विटामिन-सी और तीन गुणा अधिक प्रोटीन होता है। इसके अलावा अनानास से चार गुणा अधिक फाइबर, टमाटर से दो गुणा अधिक लाइकोपीन और केले की तुलना में थोड़ा अधिक पोटेशियम होता है। इसके अलावा इसमें अनेक औषधीय गुण भी हैं। अमरूद का पत्ता तक लाभकारी है। अगर दांतों में कीड़ा लगा है या दांत या मसूड़ों में कोई रोग या दर्द है तो इसके पत्तों को चबाने से आराम मिलता है। भारत में अमरूद को पुर्तगाली सौदागर लेकर आए।
अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी की वनस्पति विज्ञानी सुषमा नैथानी ने अमरूद के उत्पत्ति केंद्र (भू-भाग) की जानकारी दी है। उनका कहना है कि मैक्सिको व मिजो अमेरिकी सेंटर जैसे दक्षिणी मैक्सिको, ग्वाटेमाला, होंडुरास व कोस्टारिका अमरूद के मूल स्थल हैं। उनका यह भी कहना है कि दक्षिण अमेरिका के पेरू, इक्वाडोर व बोलिविया इसके उपकेंद्र है। अगर इसके काल की बात करें तो कहते हैं कि 1520 के आसपास यूरोपीय लोगों ने कैरिबियन में अमरूद की फसलों की खोज की। इसके कुछ साल बाद यह वेस्टइंडीज, बहामास, बरमूडा और दक्षिण फ्लोरिडा तक आ गया। कहा यह भी गया है। कि 2500 ईसा पूर्व में कैरिबियन क्षेत्र में अमरूद दिखने लगा था, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है। भारत में 17वीं शताब्दी में अमरूद को पुर्तगाली सौदागर लेकर आए। उन्होंने पूर्वी एशिया तक भी अमरूद को फैलाया। भारत की जलवायु और मिट्टी अमरूद को पसंद आई, तब से इसकी आज तक सफलतापूर्वक खेती की जा रही है। वैसे एक पक्ष यह भी कहता है कि भारत में अमरूद पहली बार 11वीं शताब्दी में उगाया गया।

भारत में होती है अमरूद की सबसे अधिक खेती...
अमरूद अब गरीबों का फल नहीं रहा। अब यह पूरे भारत वर्ष में पाया जाता है। पहले सामान्य अमरूद हुआ करते थे, अब विशाल अमरूद के अलावा अंदर से लाल व गुलाबी अमरूद भी मिलने लगे हैं। यह विदेशी फल है लेकिन भारत की मिट्टी में यह ऐसे रचा-बसा कि आज दुनिया में अमरूद की सबसे अधिक खेती भारत में होती है। इसके बाद चीन, थाइलैंड, पाकिस्तान आदि देशों में यह उगाया जाता है।भारत में सबसे अधिक इसकी खेती बिहार, आंध्रप्रदेश व उत्तर प्रदेश में होती है।
पूरे विश्व में प्रयागराज का अमरूद मशहूर है।
वैसे हर दो-चार साल में यह नंबर बदलते रहते हैं। प्रयागराज का अमरूद तो पूरे विश्व में मशहूर है।भारत ने अमरूद की क्वॉलिटी को इतना अधिक सुधारा है कि अब यह अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड सहित कई देशों को निर्यात किया जाता है।

गुणों का खजाना है अमरूद...
यह बात कन्फर्म है कि अमरूद भारत का फल नहीं है, क्योंकि देश की किसी भी प्राचीन धार्मिक ग्रंथ या पुरानी आयुर्वेद की किताबों में इसका कोई वर्णन नहीं है। इसके बावजूद यकीन करना मुश्किल है कि यह भारतीय फल नहीं है। जाने-माने आयुर्वेदाचार्य व योगगुरु आचार्य बालकृष्ण तभी दावा करते हैं कि अमरूद का पेड़ भारतवर्ष के कई स्थानों पर जंगलों में होता है। परंतु सच यह है कि जंगली आम, केला आदि के समान इसकी उपज अत्यन्त प्राचीन काल से हमारे यहां होती रही है। वह दावा करते हैं कि अमरूद यहां का ही मूल फल है। उनका यह भी कहना है कि इस फल में गुणों का खजाना है और इसमें सिर दर्द, खांसी-जुकाम, दांत का दर्द, मुंह के रोग रोकने के अलावा दिल के रोगों का भी बचाव करता है। यह हिमोग्लोबीन की कमी को दूर करता है और कब्ज से भी निजात दिलाता है।

दिल की सेहत को रखता है, दुरुस्त...
आहार विशेषज्ञों का कहना है कि अमरूद को इसलिए भी सुपर फ्रूट कहा जाता है। क्योंकि इसमें विटामिन ए और बी के अलावा लोहा, चूना और फास्फोरस भी पाया जाता है। इसीलिए यह शरीर की हड्डियों को भी पोषण देता है। यह रक्त में शुगर की मात्रा कम करता है। इसमें पाया जाने वाला लाइकोपीन तत्व त्वचा में निखार लाता है। विटामिन ए के कारण यह आंखों के लिए लाभकारी है।इसका नियमित और संतुलित सेवन शरीर का वजन कम करता है साथ ही शरीर का एक्स्ट्रा फैट घटाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे दिल सबंधी बीमारियां दूर रहती हैं।

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...