शनिवार, 2 जुलाई 2022
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'स्वदेशी मानव रहित' विमान की सफल उड़ान, इतिहास
'स्वदेशी मानव रहित' विमान की सफल उड़ान, इतिहास
नई दिल्ली/बेंगलुरु। डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने शनिवार को अपने पहले 'स्वदेशी मानव रहित' विमान की सफल उड़ान से इतिहास रच दिया। कर्नाटक ने चित्रदुर्ग में पूरी तरह से ऑटोनॉमस प्लेन ने सटीकता के साथ उड़ान पूरी की और परफैक्ट तरीके से जमीन पर लैण्ड हुआ। डीआरडीओ के इस मिशन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारत का एक अहम कदम बताया है। आधिकारिक बयान के अनुसार, यह उड़ान भविष्य के मानवरहित विमानों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण तकनीकियों को साबित करने के मामले में एक बड़ी कामयाबी मिली है।
यह सामरिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्म निर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। बयान में कहा गया है कि इस मानवरहित प्लेन को वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) बेंगलुरू की ओर से डिजाइन और विकसित किया गया है जो डीआरडीओ की एक प्रमुख रिसर्च लैब है। यह विमान एक छोटे टर्बोफैन इंजन द्वारा ऑपरेट होता है। विमान के लिए उपयोग किए जाने वाले एयरफ्रेम, अंडर कैरिज और फ्लाइट कंट्रोल स्वदेशी तौर पर विकसित है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर डीआरडीओ को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह मानव रहित विमानों की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है और इससे सेना में आत्मनिर्भर भारत का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
रूसी मिसाइल हमलों में 1 बच्चे सहित 21 लोगों की मौंत
रूसी मिसाइल हमलों में 1 बच्चे सहित 21 लोगों की मौंत
सुनील श्रीवास्तव
मॉस्को/कीव। यूक्रेन के दक्षिणी ओडेसा क्षेत्र में शनिवार की रात रूसी मिसाइल हमलों में एक बच्चे सहित कम से कम 21 लोगों की मौंत हो गई। जबकि छह बच्चों समेत 38 अन्य घायल हो गये। प्रांतीय आपातकालीन सेवा डीएसएनएस ने कहा कि सेरहिवका गांव में नौ मंजिला इमारत में एक मिसाइल के टकराने से 16 लोग मारे गये। वहीं हॉलिडे रिजॉर्ट पर अलग-अलग हमले में एक बच्चे समेत पांच लोगों की मौत हो गयीयूक्रेनी अधिकारियों के मुताबिक काला सागर के ऊपर रूसी युद्धक विमानों से तीन मिसाइलें दागी गयी है।
रूस ने पिछले कुछ दिनों में यूक्रेन के शहरों पर दर्जनों मिसाइलें दागी हैं। रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने हालांकि इससे इंकार किया है कि हमले नागरिकों को लक्ष्य कर किये जा रहे हैं।
तालिबान का फिर से उभरना, प्रतिक्रियावादी घटना नहीं
उन्होंने कहा कि भारत में पीएफआई, हमास, आईएसआईएस जैसे संगठनों के रूप में कई देशों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
उन्होंने कहा, इन घटनाओं को किसी ने नहीं भड़काया है, अगर किसी को ऐसा लगता है तो फिर से सोचने की जरूरत है।
अंबेकर ने रेखांकित किया, हर किसी को तालिबान के उदय के प्रकरणों को जानने की जरूरत है, उनकी मानसिकता और विचारधारा सभी को पता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि तालिबान से जुड़े मुद्दों को समझना महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह हमारे पड़ोस में हो रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को केवल राजनीतिक नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने कहा, जिस देश को आजादी मिलने के बाद विभाजन के आघात का सामना करना पड़ा और उसके नागरिक तालिबान के फिर से उभरने को कभी भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। यह पता लगाने के लिए मूल स्थान पर जाने की जरूरत है कि क्या हमारे देश से कोई लिंक जुड़ा हुआ है ?
उन्होंने कहा, हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या इन दिनों देश भर में हो रही घटनाएं ऐसी विचारधारा से जुड़ी हुई हैं.. क्या ऐसी विचारधाराएं हमारे देश में प्रवेश कर रही हैं या ऐसी घटनाओं का समर्थन करने वाले कोई संगठन उस विचारधारा से जुड़े हुए हैं? हम सभी को यह जानने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, हमें इसे ढकने से कुछ नहीं मिलेगा। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।
स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग स्वतंत्रता आंदोलन को अपनी विचारधारा के अनुसार और राजनीतिक उद्देश्य के लिए देखते हैं, वह स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है। उन्होंने कहा, इतिहास में आईएनए के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया गया है, यहां तक कि आजादी के बाद के दौर में आरएसएस पर भी ज्यादा ध्यान नहीं जाता है, लेकिन इतिहास को दबाया नहीं जा सकता।
नई पीढ़ी को विनायक दामोदर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस, बिरसा मुंडा के बारे में जानने की जरूरत है जो देश की एकता को मजबूत करेगा। नई पीढ़ी को पता होना चाहिए कि पहला संवैधानिक संशोधन क्यों किया गया था। उन्हें पता होना चाहिए कि भारत क्यों और कैसे विभाजित किया गया था। ताकि भविष्य में इसे दोबारा नहीं दोहराया जा सके।
मंदिर का मूल ढांचा व धार्मिक स्वरूप बदलने का आरोप
मंदिर का मूल ढांचा व धार्मिक स्वरूप बदलने का आरोप
संदीप मिश्र
वाराणसी। उत्तर-प्रदेश के वाराणसी में एक स्थानीय अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंध समिति के सदस्यों पर इस परिसर में स्थित काशी विश्वेश्वर मंदिर का मूल ढांचा एवं धार्मिक स्वरूप बदलने का आरोप लगाते हुए इनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली अर्जी को खारिज कर दिया। वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने गत जितेन्द्र सिंह द्वारा 27 जून काे दायर अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत ने इस अर्जी को तथ्यों के आधार पर अपूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया। इससे पहले एक और निचली अदालत द्वारा इस अर्जी को खारिज करने के फैसले को सही बताया।
गौरतलब है कि गत 14 जून को जिला अदालत में दायर इस अर्जी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का प्रबंधन संभाल रही अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गयी थी। अर्जी में दलील दी गयी है कि मस्जिद परिसर में स्थित काशी विश्वेश्वर मंदिर को मुगलों ने नष्ट कर दिया था। लेकिन मंदिर के मूल भाग को तहस नहस नहीं किया था, लेकिन कमेटी के सदस्यों ने इस मंदिर के मूल भाग का धार्मिक स्वरूप बदलने की काेशिश की है।
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