पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी बनाने की मांग की
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) एससी-एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम ने वाइस चांसलर से शिक्षकों की स्थायी नियुक्तियों से पूर्व रोस्टर, काले कमेटी की रिपोर्ट, 10 फीसदी अतिरिक्त ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करते हुए व विज्ञापनों की सही से जांच कराने के लिए एक पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी बनाने की मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि कमेटी में वरिष्ठ प्रोफेसर्स, पूर्व विद्वत परिषद सदस्य के अलावा रोस्टर की जानकारी रखने वालों को रखा जाए और यह कमेटी अपनी रिपोर्ट एक महीने के अंदर दे। शिक्षकों ने वाइस चांसलर से कहा है कि सही रोस्टर के बाद ही कॉलेजों के विज्ञापन निकालकर शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की जाए। साथ ही उनका कहना है कि य पांच सदस्यीय कमेटी बनाने, रोस्टर की सही जांच व प्रोफेसर काले कमेटी को लागू कराने की मांग के अलावा हाल ही में 10 फीसदी अतिरिक्त ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करते हुए सभी वर्गो के शिक्षकों को नियुक्तियों में प्रतिनिधित्व दिया जाए। दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम के महासचिव व पूर्व विद्वत परिषद सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि हाल ही में आ रहे स्थायी शिक्षकों की नियुक्तियों के विज्ञापनों में अनेक प्रकार की विसंगतियां है।
कॉलेजों द्वारा निकाले जा रहे विज्ञापनों में भारत सरकार की आरक्षण नीति व डीओपीटी के निर्देशों को सही से लागू नहीं किया गया है। साथ ही जो पद निकाले जा रहे हैं उनमें शॉर्टफाल, बैकलॉग और विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकारते हुए करेक्ट रोस्टर नहीं बनाया गया है। इससे एससी,एसटी, ओबीसी अभ्यर्थियों को जिस अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए था नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बताया है कुछ कॉलेजों में लंबे समय से पढ़ा रहे एससी एसटी व ओबीसीकोटे के शिक्षकों की सीटें ही खत्म कर दी हैं। वाइस चांसलर को लिखे गए पत्र में विश्वविद्यालय में सामाजिक न्याय दिलाने की मांग करते हुए आरक्षण, रोस्टर और विज्ञापनों की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ प्रोफेसर के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन की मांग है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो (ईडब्ल्यूएस आरक्षण) का 10 फीसदी आरक्षण फरवरी, 2019 में आया था, जिसे विश्वविद्यालय और कॉलेजों ने स्वीकारते हुए इसको रोस्टर में शामिल कर लिया। शिक्षकों का कहना है कि कॉलेजों ने ईडब्ल्यूएस रोस्टर को फरवरी 2019 से न बनाकर उसे एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण के आरक्षण लागू होने से पहले लागू करते हुए रोस्टर बना दिया। वहीं 10 फीसदी आरक्षण के स्थान पर किसी-किसी कॉलेज ने 10 फीसदी से ज्यादा आरक्षण दे दिया, जिससे कि एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण कम कर दिया गया और ईडब्ल्यूएस बढ़ाकर दिया गया।
फोरम का कहना है कि यूजीसी भी ओबीसी की बकाया सेकेंड ट्रांच के पदों को भरने के निर्देश कॉलेजों को कई बार दे चुकी हैं, लेकिन अभी तक कॉलेजों ने ओबीसी एक्सपेंशन की बढ़ी हुई सीटों को रोस्टर में शामिल नहीं किया है। कॉलेज ईडब्ल्यूएस व सेकेंड ट्रांच को रोस्टर में शामिल किए बिना ही पदों को निकाल रहे थे, इसमें किसी तरह का आरक्षण न देना डीओपीटी के नियमों का सरेआम उल्लंघन है।