अब तक बाढ़ के कहर से 400 लोगों की मौंत
अखिलेश पांडेय
काबुल। अफगानिस्तान में मंगलवार देर रात आए भूकंप के बाद अब लगातार हो रही बारिश के कारण बाढ़ ने जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है। बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक बाढ़ के कहर से 400 लोगों की मौंत हो गई। तालिबान सरकार की ओर से इस बात की पुष्टि की गई है। बाढ़ से देश के कई इलाके प्रभावित हैं।
अफगानिस्तान के जल संसाधन विशेषज्ञ नजीबुल्लाह सादिद ने बुधवार को ही कहा था कि क्षेत्र में मानसून के चलते तेज बारिश हो रही है, जिससे पारंपरिक तौर मिट्टी के बने घर कमजोर हो गए हैं। और इस कारण से भूकंप ज्यादा भयावह साबित हुआ। भूकंप का केंद्र अपेक्षाकृत ऊपर रहने से भी तबाही बढ़ गई।
देश में कुनार, नांगरहार, नुरिस्तान, लघमन, पंजशीर, परवान, काबुल, कपिसा, मैदान, वारदाक, बामियान, गजनी, लोगर, समंगन, सार-ए-पुल, ताखर, पाकटिया, खोस्त, कपिसा, मैदान वारदाक, बामियान, गजनी, लोगार, समंगन का इलाका प्रभावित है।
प्राकृतिक आपदा प्रबंधन विभाग की देखरेख करने वाले उपमंत्री मावलावी शरफुद्दीन मुस्लिम ने बताया, ‘इस दौरान बचाकर निकाले गए लोगों को अस्पतालों मं भेज दिया गया है। जिनके मकान इस बाढ़ के पानी में ढह गए हैं उन्हें टेंट में ले जाया गया है। 2022 में अफगानिस्तान में प्राकृतिक आपदा के कारण 30 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
बता दें कि शक्तिशाली भूकंप से 1,000 से अधिक लोगों की जान चली गई और 1,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। अफगानिस्तान में ज्यादातर कच्चे मकान हैं, जो भूकंप के झटके से पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं और उनके नीचे अभी कई लोगों के दबे होने की आशंका है।
तालिबान के सुप्रीम लीडर हैबतुल्ला अखुंदजादा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सभी मानवीय संगठनों से मदद की अपील की है। प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद ने राहत प्रयासों के समन्वय के लिए राष्ट्रपति भवन में आपातकालीन बैठक कर हालात की समीक्षा की। तालिबान सरकार ने सहायता एजेंसियों से क्षेत्र में टीमें भेजने का आग्रह किया है। अमेरिकी जियोलाजिकल सर्वे के अनुसार भूकंप का केंद्र दक्षिणपूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त शहर से 44 किलोमीटर दूर और 51 किलोमीटर जमीन के नीचे था। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 मापी गई है। भूकंप के झटकों को पाकिस्तान और भारत के भी कुछ इलाकों में महसूस किया गया।