बुधवार, 22 जून 2022

भोपाल: एयरपोर्ट पर फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग

भोपाल: एयरपोर्ट पर फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग 

मनोज सिंह ठाकुर
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल एयरपोर्ट पर इंडिगो फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई है। फ्लाइट इंदौर जा रही थी, लेकिन अचानक उसका रूट चेंज कर भोपाल में लैंडिंग कराया गया। इस फ्लाइट में 140 यात्री थे।
मिली जानकारी के मुताबिक, भोपाल एयरपोर्ट पर फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग हुई है। इंडिगो एयरवेज की फ्लाइट जम्मू से इंदौर जा रही थी। इंदौर में मौसम की खराबी के चलते भोपाल एयरपोर्ट पर लैंड कराया गया है।
2.45 बजे इंदौर एयरपोर्ट पर लैंड होनी थी, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से 3.28 बजे भोपाल के राजाभोज एयरपोर्ट पर लैंड कराई गई। 6E6402 एयरबस 320 विमान संख्या में सवार सभी यात्रियों को इंदौर भेजा जा रहा है।
बता दें कि इससे पहले बिहार के पटना हवाईअड्डे पर रविवार को दिल्ली के रास्ते में स्पाइसजेट की एक फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग की गई थी। पता चला कि फ्लाइट नंबर एसजी-723 ने पटना से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी, इस दौरान इंजन में अचानक आग लग गई। यह घटना पक्षी की चपेट में आने से हुई थी।
बताया गया कि फुलवारी शरीफ में कुछ लोगों ने प्लेन से धुआं निकलते देखा। इसकी जानकारी तुरंत एयरपोर्ट अथॉरिटी को दी गई, जिसके बाद फ्लाइट को वापस पटना एयरपोर्ट के लिए बुला लिया गया था। फ्लाइट में 185 यात्री थे।

बच्चे की आंशिक रूप से नसबंदी, हर्जाने की मांग

बच्चे की आंशिक रूप से नसबंदी, हर्जाने की मांग
अकांशु उपाध्याय /अखिलेश पांडेय 
नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के टेक्सास में चिकित्सकीय लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है। जिसमें चार साल के एक बच्चे की आंशिक रूप से नसबंदी कर दी गई। शहर के एक दंपति ने अपने चार साल के बेटे का हर्निया का ऑपरेशन एक स्थानीय अस्पताल में कराया, जहां उनके बच्चे के साथ ये लापरवाही हुई। दंपति ने इस लापरवाही के लिए अस्पताल और डॉक्टर पर मुकदमा दायर किया है। 
एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुकदमे में माता-पिता जोश और क्रिस्टल ब्रोड ने बताया कि उनके बेटे के दाहिने अंडकोश में सूजन हो गई थी। इसके बाद उन्होंने टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल की मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजैन एल. जारोस से परामर्श किया। डॉक्टर ने पिछले अगस्त में हर्निया रिपेयर के लिए बच्चे की लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की। इस सर्जरी को डॉक्टर जारोस और एक अन्य सहयोगी ने मिलकर पूरा किया। नागरिकों की मौत ऑपरेशन के बाद सामने आई रिपोर्ट में बच्चे के शुक्राणु वाहिनी में कुछ ऊतक देखने को मिले। ये ऊतक स्खलन से पहले शुक्राणु को मूत्रमार्ग तक पहुंचाते हैं। 
परिवार के वकील रैंडी सोरेल्स ने पूरे मामले पर बात करते हुए कहा, 'डॉक्टर ने 2D तकनीक का इस्तेमाल कर बच्चे की लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की।इसमें बच्चे के शरीर पर खुला चीरा नहीं लगाया जाता है। टीवी स्क्रीन पर देखकर सर्जरी करते वक्त डॉक्टर ये नहीं देख पाई कि वो गलत ट्यूब को काट रही है। क्रिस्टल ब्रोड की तरफ से दायर मुकदमे में कहा गया है कि परिवार को इस गलती के बारे में सूचित किया गया था। उन्हें बताया गया था कि इससे उनके बच्चे के प्रजनन क्षमता में कमी आ सकती है। 
लेकिन बच्चे के पिता ने अदालत में डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दायर कर कहा है कि डॉक्टर अपने मरीज की सामान्य देखभाल भी नहीं कर सकीं, जिस कारण उनके बच्चे को भविष्य में काफी परेशानी होने वाली है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि अब उनका 5 साल का बेटा भविष्य के अपने जीवन में प्रजनन संबंधी दिक्कतों का सामना करेगा। उसे भविष्य में होने वाले मेडिकल खर्च, दर्द, मानसिक पीड़ा, शारीरिक नुकसान और प्रजनन क्षमता के लिए भविष्य के खर्चों का सामना करना पड़ेगा। परिवार ने हर्जाने के रूप में डॉक्टर और अस्पताल से 10 लाख डॉलर की मांग की है।अस्पताल ने इस पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की है। हर्निया रिपेयर सर्जरी के दौरान शुक्राणुवाहिनी या अन्य किसी अंग को नुकसान पहुंचने की बहुत कम घटनाएं होती हैं। अमेरिका के क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, ग्रोइन एरिया (पेट और जांघ के बीच का हिस्सा) में हर्निया लगभग 1% से 5% छोटे लड़कों को प्रभावित करता है
 6 साल से कम उम्र के बच्चों में ये सबसे आम है। ये तब होता है जब पेट और जननांगों के बीच का हिस्सा जन्म से पहले पूरी तरह से बंद नहीं होता है। इससे ऊतक दूसरे अंग से बाहर निकल जाते हैं। इसका मुख्य लक्षण एक उभार है, जो बच्चे के आराम करने या सोने पर छोटा हो सकता है। इलाज नहीं किया गया तो ये हर्निया ब्लड सर्कुलेशन में मुश्किल पैदा कर सकता है। इससे बच्चे के जननांगों में सूजन हो सकती है और जान भी जा सकती है। क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, इस तरह के हर्निया का इलाज एक सर्जरी के द्वारा किया जाता है जिसमें एक घंटे से भी कम समय लगता है। सैन फ्रांसिस्को विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग की वेबसाइट का कहना है कि ये प्रक्रिया आम तौर पर सुरक्षित है और इससे किसी तरह का खतरा नही।

विश्व योग दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया

विश्व योग दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया

बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन के तत्वाधान में योग दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन सिविल लाइन स्थित राम मंदिर मार्ग शिविर में किया गया। जिसमें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्ति सी.पी. सिंह आई.जी वशिष्ठ अतिथि सुरेश सिंह तोमर राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। कार्यक्रम की संयोजिका अनुपमा नारायणी थी तो वहीं, संचालन विजय सिंह राष्ट्रीय प्रमुख ने किया। इस अवसर पर अनुपमा नारायणी द्वारा योग कराया गया और योग के बारे में विस्तार से चर्चा भी की गई‌। 
मुख्य अतिथि सी.पी सिंह आई.जी  ने बताया कि हर इंसान को योग करना चाहिए योग करने से तन और मन दोनों तरोताजा रहते हैं। योग से मानव के स्वास्थ्य में विशेष लाभ होता है। इस अवसर पर एसोसिएशन के चेयरमैन सुरेश सिंह तोमर ने कहा इस तरह की संगोष्ठी से आम जनमानस का योग के प्रति रुझान बढ़ेगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सत्य पाल श्रीवास्तव,बृजेश यादव, अमित कुशवाहा,सौरभ सक्सेना, अनिता राज,राजेंद्र गुप्ता,विजय शंकर पांडेय,हिमांशु,विजय सिंह, नंदकिशोर पंडित एवं अन्य सभी  लोग मौजूद रहे। 

बच्चों को ड्रेस एवं किताबों का वितरण: संस्थान

बच्चों को ड्रेस एवं किताबों का वितरण: संस्थान

मनोज सिंह ठाकुर 
कुण्डलपुर। प्रवेश उत्सव हायर सेकेंडरी स्कूल कुशालपुर के बच्चों को ड्रेस एवं किताबों का वितरण किया। नगर निगम अध्यक्ष प्रमोद दुबे एवं शाला विकास समिति के सदस्यों ने कुशालपुर उच्चतर माध्यमिक शाला में शाला प्रवेश उत्सव का कार्यक्रम रखा गया था। जिसमें सभापति प्रमोद दुबे द्वारा गणवेश एवं किताब कॉपी का वितरण किया गया।
शाला विकास समिति के अध्यक्ष मुन्ना मिश्रा, मनहरण साहू, डॉ विष्णु राजपूत ,महेंद्र देवांगन, एवं प्राचार्य कल्पना देशमुख  आचार्य श्री बंजारे संहित अनेक गणमान्य जन एवं छात्र छात्राएं उपस्थित होकर प्रवेश उत्सव  में शामिल हुए। शाला के बच्चों द्वारा कई। उत्कृष्ट कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, साथ ही जनरल नॉलेज से संबंधित प्रश्न उत्तर भी किए गए।
ऑनलाईन पढ़ाई में बच्चों की शिक्षा में जो कमी आई है उन कमियों को दूर करने की बात प्रमोद दुबे ने कहीं तथा इन 2 वर्षों में ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों के मानसिक स्तर पर जो प्रभाव पड़ा उस से ऊपर उठकर अब ऑफलाइन में उन कमियों को दूर करने कहा।

सीमावर्ती सड़कों पर सुविधायें स्थापित करने की मंजूरी

सीमावर्ती सड़कों पर सुविधायें स्थापित करने की मंजूरी 
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की सीमावर्ती सड़कों के विभिन्न इलाकों के 75 स्थानों पर सड़क किनारे सुविधायें स्थापित करने को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य है पर्यटकों को बुनियादी सुविधायें प्रदान करना और सीमावर्ती इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को गति देना। इस कदम से स्थानीय लोगों के लिये रोजगार भी पैदा होंगे। सड़क किनारे स्थित इन सुविधाओं को ‘बीआरओ कैफे’ के नाम से जाना जायेगा।
बीआरओ की पहुंच दूर-दराज के सीमावर्ती इलाकों तक है और उन इलाकों की सामरिक जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ वह उत्तरी और पूर्वी सीमाओं में सामाजिक-आर्थिक उन्नति की दिशा में भी काम करता है। 
इस तरह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थानों पर पर्यटकों की तादाद बढ़ी है। इन स्थानों पर आसानी से पहुंचना कठिन होता है। सख्त जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों वाली इन सड़कों पर पर्यटकों की आवाजाही को आरामदेह बनाने के लिये, सड़कों के किनारे बहुपयोगी सुविधायें तैयार करने की जरूरत है। यह कदम इन क्षेत्रों के प्रमुख पर्यटन सर्किटों को चिह्नित करने के बाद उठाया जा रहा है। चूंकि ये सड़कें दूर-दराज स्थित हैं और वहां तक पहुंचना कठिन है, इसलिये वहां व्यापारिक विकास होना मुश्किल हो जाता है। बीआरओ वहां पहले से कार्यरत है, इसलिये इन दूर-दराज के इलाकों में ऐसी सुविधायें उपलब्ध कराने का बीड़ा उसने खुद उठाया है।
इस योजना के तहत एजेंसियों के साथ मिलकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी में सड़क किनारे सुविधायें विकसित तथा संचालित की जायेंगी। एजेंसियों को इसके लिये लाइसेंस दिया जायेगा और वे बीआरओ के दिशा-निर्देश में इन सुविधाओं की डिजाइन, निर्माण और संचालन करेंगी। सुविधाओं में दो पहिया और चार पहिया वाहनों की पार्किंग, फूड प्लाजा/रेस्त्रां, महिलाओं, पुरुषों व दिव्यांगों के लिये अलग-अलग प्रसाधन सुविधा, फर्स्ट-एड सुविधा/एमआई कक्ष आदि का प्रस्ताव किया गया है। प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के जरिये लाइसेंस देने का कार्य पूरा किया जायेगा। समझौते की अवधि 15 वर्ष होगी और उसे पांच वर्ष की अवधि तक बढ़ाया जा सकता है। नीचे 75 बीआरओ कैफों का विवरण दिया जा रहा है।

राम-हनुमान का विरोध, बर्बादी का पुख्ता निशान

राम-हनुमान का विरोध, बर्बादी का पुख्ता निशान
कविता गर्ग  
मुंबई। महाराष्ट्र में आजकल हर तरफ हलचल है।शिवसेना के सैतीस विधायक बगावत कर गये!कभी बाला साहब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना हिन्दुत्व का परचम लहराते सारे देश में अपनी पहचान हिन्दू वादी पार्टी का बना लिया था। जब भी शिवसेना का नाम आता उसका खूंखार स्वरूप दहाडते शेर के चेहरे के साथ भगवा ध्वज लिए बीर शिवाजी की गौरवशाली गाथा को अलंकृत करते नजर आता था।
बाला साहब ठाकरे के देहावसान के बाद पार्टी भी अवसान के तरफ घरेलू घमासान के जंग में बिदिर्ण हो गयी। हिन्दुत्व का चेहरा बदल गया। राम मन्दिर का विरोध, हनुमान चालीसा का विरोध, अजान पर घमासान के समर्थन से बर्रबादी का पुख्ता निशान छोड़ दिया। आज हालात बदल गये है। शिवसेना के कट्टर हिन्दूबादी चेहरों में सैंतीस उध्वठाकरे के तालिबानी मोह को देखते हुए बगावत का रास्ता बदल दिए। अब संकट के बादल उद्धव सरकार पर गहराता जा रहा है।
न इधर के हुए न उधर के। सहयोगी दल भी इस दल दल से बाहर निकलना चाहते हैं।बीजेपी की खामोश रणनिति गुल खिला दिया है। हिन्दुत्व का ऐजेन्डा सब पर भारी है।सबको बता दिया। सियासी चपला यूं ही खतरनाक आगाज के साथ नहीं चमक बिखेर रही है इसके लिए माकूल मौसम का इन्तजार था। अब महाराष्ट के सियासी आसमान पर बदलाव के काले बादल भी उमड़ने घुमडने लगे हैं।
अगर मौसम माकूल रहा तो हिन्दुत्व का पानी सुनामी बनकर कहर बरपा सकता है। उद्धव सरकार की जड़ें हिला सकता है। साधुओं की हत्या,पूर्वाचल के हिन्दी भाषी फिल्मी कलाकारों की हत्या,हनुमान चालीसा के पाठ पर सियासी खेल फिर जेल धीरे धीरे बगावत की आग को हवा दे रहा था। उद्धव सरकार के सामने बिकट समस्या है आगे नदी तो पीछे गहरी खाई है।जाए तो जाए कहां। अपने बगावत कर दिए। सहयोगी मिलावट कर दिए। ऐसे हालात महाराष्ट्र सरकार को खुली चुनौती मिल रही है।
हालांकि शिवसेना तथा बीजेपी का मीशन एक ही था फिर शिवसेना ने मूगालता पाल लिया अहम हो गया तालिबानी राज जैसे स्वयंभू बनकर राज चलाने का राम काज से विमुख हो गई पार्टी। नतीजा सामने है बदलाव का आगाज औकात पर आ गई सारी अथार्टी। देखिए आज होता क्या है। शिवसेना बीजेपी से मिलकर सरकार बनाती है। या फिर अपना निर्णय बदलती है।आज जो कुछ होगा ऐतिहासिक होगा। बस थोड़ा इन्तजार करें।

गर्भाशय में शिशु का शीश काट किया प्रसव: संवेदना

गर्भाशय में शिशु का शीश काट किया प्रसव: संवेदना
सुनील श्रीवास्तव  
इस्लामाबाद। भारत में अगर दंगाइयों पर कार्रवाई होने के बाद पता चलता है कि वो एक संप्रदाय विशेष से जुड़े हैं, तो पाकिस्तान पूरे विश्व में शोर मचाना शुरू कर देता है। लेकिन उसके अपने देश में अक्सर ऐसे समाचार आते हैं, जिनसे पता चलता है कि वहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं की क्या स्थिति है।
ताजा मामला पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के थारपारकर जिले का है। यहां एक हिन्दू महिला प्रसव पीड़ा होने पर निकटतम ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र गई। वहां कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं थीं, इसलिए अनुभवहीन लोगों ने ही उसका ऑपरेशन कर डाला या कहें कि ऑपरेशन के नाम पर दर्दनाक मजाक किया। ऑपरेशन करने वाले जब शिशु को निकाल नहीं पाए, तो उन्होंने गर्भाशय में ही शिशु का सर काट कर शेष शरीर बाहर निकाल दिया।
बच्चे का सर पेट में ही बना रहा।
इस कारण पीड़ित महिला की तबीयत बिगड़ गई। उसे पास के प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां भी कोई विशेषज्ञ नहीं था। इसके बाद किसी तरह उसे पाकिस्तानी हैदराबाद के लियाकत यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में लेकर आया, जहां विशेषज्ञों ने किसी तरह महिला की जान बचाई। सिंध की सरकार ने रविवार का मामला वायरल होने पर जांच के आदेश दे दिए हैं। सिंध स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक डॉ. जुमान बहोतो के अनुसार ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र पर कुछ कर्मचारी पीड़ित महिला की फोटो ले रहे थे और इस दौरान वीडियो भी बनाया गया। यही नहीं, इसको व्हाट्स एप के कई ग्रुपों में भी भेजा गया। अब इसकी भी जांच होगी।
यह सुनने में अच्छा लगता है कि चिकत्सकीय लापरवाही का संज्ञान लेते हुए पाकिस्तान ने जांच शुरू कर दी है। पर क्या पीड़ित हिन्दू महिला को न्याय मिलेगा। यहां हम पीड़िता को बार-बार हिन्दू महिला इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार की कभी कोई सुनवाई नहीं होती। अक्सर हिन्दुओं के मंदिर तोड़ दिए जाते हैं। प्रमुख आरोपियों को आज तक सजा नहीं मिली।इसलिए यह लगातार चल रहा है‌।हिन्दुओं की जनसँख्या उनके धर्मांतरण के कारण लगातार कम हो रही है। इसके लिए भी कभी कोई ठोस कदम पाकिस्तान ने नहीं उठाया।

फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी

फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भविष्यवाणी क...