रविवार, 19 जून 2022

गाड़ी की बेवजह चेकिंग नहीं कर सकेगी, ट्रैफिक पुलिस

गाड़ी की बेवजह चेकिंग नहीं कर सकेगी, ट्रैफिक पुलिस

कविता गर्ग 

मुंबई। मुंबईवासियों के लिए बड़ी खबर है। अब ट्रैफिक पुलिस उनकी गाड़ी की बेवजह चेकिंग नहीं कर सकेगी। दरअसल, बीते दिनों तत्कालीन कमिश्नर ऑफ पुलिस ने एक सर्कुलर ट्रैफिक डिपार्टमेंट को जारी किया। जिसके अनुसार अब आपके वाहन बिना वजह नहीं रोकी जाएगी। नए नियम के अनुसार ट्रैफिक पुलिस वाले गाड़ियों की जांच नहीं करेंगे। जहां चेक नाका है, वहां ट्रैफिक मॉनिटरिंग की जाएगी। किसी वाहन चालक को तभी रोका जाएगा, तब उससे ट्रैफिक की स्पीड पर असर पड़ रहा हो।

दरअसल ट्रैफिक पुलिस सिर्फ शक के आधार पर गाड़ियों को रोककर उनकी जांच करने लगते हैं। जिससे सड़क पर यातायात प्रभावित होता है। सभी ट्रैफिक पुलिस को वाहनों की जांच करने से रोकने के लिए कहा गया है। इसके रोड पर ट्रैफिक बढ़ जाता है। उन्हें आवाजाही पर निगरानी रखने को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया है। सर्कुलर के अनुसार यदि मोटर चालक नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। तब उन्हें पुलिस मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर सकती है।ट्रेफिक और स्थानीय पुलिसकर्मी संयुक्त नाकाबंदी के दौरान यातायात पुलिस सिर्फ उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई करेगी। गाड़ियों की जांच नहीं करेगी। यदि निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित यातायात चौकी के सीनियर निरीक्षक जिम्मेदार होगा। ट्रैफिक पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यातायात पुलिस को संदेह के आधार पर वाहनों की जांच नहीं करनी चाहिए और न रोकना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमारे जवान पहले की तरह ट्रैफिक अपराधों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखेंगे। वह उल्लंघन करने वालों को रोका जाएगा।

100 से ज्यादा सिख-हिंदुओं को ई-वीजा जारी किया

100 से ज्यादा सिख-हिंदुओं को ई-वीजा जारी किया

अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय
नई दिल्ली/काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गुरुद्वारे पर हमले के बाद भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए 100 से ज्यादा सिख-हिंदुओं को ई-वीजा जारी किया है। अफगान सिखों की शऱण की गुहार के बाद भारत ने यह कदम उठाया है। भारत सरकार की ओर से जारी किए गए ई-वीजा को ऑनलाइन आवेदन के जरिए भी हासिल किया जा सकता है। इससे पहले गृह मंत्रालय की तरफ से पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबानियों के कब्जे के वक्त भी ई-वीजा जारी किया गया था। बता दें कि शनिवार को हुए इस हमले में एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। यह हमला तब हुआ, जब बंदूकधारियों ने एक हथगोला फेंका जिससे गुरुद्वारे के गेट के पास आग लग गई। 
हालांकि, अफगान सुरक्षाकर्मियों ने विस्फोटक लदे एक गाड़ी को गुरुद्वारे में एंट्री करने से रोककर एक अन्य बड़ी घटना को टाल दिया।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने हमले के बाद कहा कि काबुल में गुरुद्वारे पर हमले की खबरों से बहुत चिंतित हैं। विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा है कि गुरुद्वारा कार्ते परवान पर हुए कायरतापूर्ण हमले की सभी को कड़े शब्दों में निंदा करनी चाहिए। हमले की खबर मिलने के बाद से हम घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण चिंता समुदाय के कल्याण के लिए है। गौरतलब है कि काबुल के एक गुरुदारे में मार्च 2020 में हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 25 सिख मारे गए थे और आठ अन्य लोग घायल हुए थे। यह हमला अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख समुदाय पर हुए सबसे घातक हमलों में से एक था। शोर बाजार इलाके में हुए इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने ली थी।

गूगल ने 'फादर्स डे' के मौके पर खास डूडल बनाया

गूगल ने 'फादर्स डे' के मौके पर खास डूडल बनाया 

सुनील श्रीवास्तव/अकांशु उपाध्याय 
वाशिंगटन डीसी/नई दिल्ली। भारतीय घरों में पिता की छवि ऐसी मानी जाती है कि पापा हमेशा सख्त रहते हैं, डांटते हैं। यही वजह है कि लड़का हो या लड़की अधिकतर बच्चे अपनी मां से हर बात शेयर कर लेते हैं, लेकिन पिता से कहने में डरते हैं या हिम्मत नहीं कर पाते। हालांकि, ऐसा नहीं है कि पिता बच्चों को प्यार नहीं करते।
बच्चे जब धीरे-धीरे बड़े होते हैं और उन्हें जिम्मेदारियों की समझ होने लगती है, तो अहसास होता है कि पिता क्या होता है और पिता की क्या भूमिका होती है। पिता के प्रेम, त्याग को सम्मान देने के लिए दुनिया के तमाम देशों में फादर्स डे मनाया जाता है। पिता को स्पेशल फील कराने के लिए हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। सर्च इंजन गूगल ने पिछले साल की तरह, इस साल भी फादर्स डे के मौके पर आज, 19 जून 2022 को एक खास डूडल बनाया है। फादर्स डे पर गूगल के डूडल में छोटे और बड़े हाथ दिखाई दे रहे हैं। पापा को समर्पित फादर्स डे के डूडल में साफ दिखाई दे रहा है कि बच्चा किस तरह से पिता की छवि बनता है।

आइए जानते हैं कि फादर्स डे मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई ?

फादर्स डे मनाने की शुरुआत 1910 से हुई थी। माना जाता है कि वॉशिंगटन के स्पोकन शहर में रहने वाली लड़की सोनोरा डॉड ने फादर्स डे की शुरुआत की थी। सोनोरा की मां के निधन के बाद पिता ने ही अकेले उनकी परवरिश की। पिता ने एक मां की तरह बेटी को प्यार दिया तो एक पिता की तरह सुरक्षा की। सोनोरा के पिता उन्हें कभी मां की कमी का अहसास नहीं होने देते थे। सोनोरा के मन में ख्याल आया कि जब मां के मातृत्व को समर्पित मदर्स डे मनाया जा सकता है तो फिर पिता के प्रेम और स्नेह के सम्मान में फादर्स डे भी मनाना चाहिए।
सोनोरा के पिता का जन्मदिन जून में होता था। इसलिए उन्होंने जून में फादर्स डे मनाने की मांग को लेकर याचिका दायर की। जिसे मान लिया गया और 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। इसके बाद साल 1916 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने फादर्स डे मनाने के प्रस्ताव को भी स्वीकार किया। साल 1924 में राष्ट्रपति कैल्विन कूलिज ने फादर्स डे को राष्ट्रीय आयोजन घोषित कर दिया। बाद में 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने फादर्स डे को जून के तीसरे रविवार को मनाने का ऐलान किया।

प्लेन में आग लगने की वजह से इमरजेंसी लैंडिंग कराई

प्लेन में आग लगने की वजह से इमरजेंसी लैंडिंग कराई

अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। बिहार के पटना में रविवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। दरअसल, पटना में स्पाइसजेट के प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई है। जानकारी के मुताबिक, प्लेन में आग लगने की वजह से इसकी इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई है। बता दें दिल्ली जा रहे इस विमान को पटना एयरपोर्ट पर लैंड कराया गया है। इस विमान में 185 लोग सवार थे। अबत क की रिपोर्ट के अनुसार विमान में सवार सभी यात्री सुरक्षित हैं। अधिकारियों के मुताबिक, सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, विमान के उड़ान भरते समय इंजन में आग लग गई। मौके पर फायर ब्रिगेड और दमकल की गाड़ियों को बुला लिया गया है। जानकारी के मुताबिक ये विमान पटना के जयप्रकाश इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 12 बजतक 10 मिनट पर उड़ा था। टेक ऑफ के कुछ ही मिनट के बाद इस विमान के एक पंखे में आग  लग गई।
हैरानी की बात ये है कि इस विमान के पंखे में लगी आग को नीचे से लोगों ने देखा। लोगों ने देखा कि विमान के एक पंखे से आग का लपटें निकल रही थी। लोगों ने इस घटना की सूचना तत्काल पटना पुलिस को दी। इसके बाद इस घटना की सूचना एयरपोर्ट को दी गई। फिर इस विमान को वापस लाया गया।

8,000 प्राचीन टॉड और मेंढक की हड्डियां मिलीं

8,000 प्राचीन टॉड और मेंढक की हड्डियां मिलीं 

सुनील श्रीवास्तव  
लंदन। ब्रिटेन में कैम्ब्रिज के पास वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा देखा, जिसे देखकर वे हैरान रह गए। बार हिल पर एक सड़क के किनारे खुदाई के दौरान, वैज्ञानिकों को 8,000 प्राचीन टॉड और मेंढक की हड्डियां मिलीं हैं। 2016-2018 के बीच, लौह युग  में बने एक घर के पास ये खुदाई हुई थी। इस दौरान 14-मीटर लंबी यानी कुछ 6 फुट गहरे गड्ढे में हड्डियां मिली थीं। वैज्ञानिकों को मेंढकों के इस कब्रगाह तक पहुंचने के लिए एक मीटर की टॉप सॉइल और सब सॉइल‌ खोदनी पड़ी थी। एक ही जगह पर इतने सारे अवशेषों का मिलना असामान्य और असाधारण खोज है। साथ ही वैज्ञानिक अब तक ये समझ नहीं पाए हैं कि ये सब गड्ढे में पहुंचे कैसे ?

लंदन पुरातत्व संग्रहालय का वरिष्ठ पुरातत्वविद् विकी इवेन्स का कहना है कि लंदन में इतनी साइटों पर काम करते हुए, हमें इतने मेंढक कहीं नहीं मिले। एक गड्ढे से इतनी सारी हड्डियों का मिलना हैरान करता है‌। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये हड्डियां ज्यादातर मेंढक और टोड की सामान्य प्रजाति से हैं, जो पूरे देश में पाई जाती हैं। इसमें पोखर में पाए जाने वाले मेंढक के अवशेष भी हैं, जो हौरान करने वाले हैं। बात करें तो ऐसे प्रमाण पाए गए हैं जो ये बताते हैं कि तब लोग मेंढक खाया करते थे। हालांकि, गड्ढे में मिली हड्डियों पर किसी तरह का न तो कोई कट है न ही जलने का निशान। इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि लोगों ने इन मेंढकों को खाया था। हालांकि, अगर मेंढकों को उबाला भी गया होता, तो भी इसके निशान मिलते। जहां से ये अवशेष मिले हैं, वहां से जले हुए अनाज के प्रमाण मिले थे, जिससे पता चलता है कि लोग फसल को प्रोसेस करते थे। फसलों की वजह से दूसरे कीट वहीं आते होंगे और उन्हें खाने के लिए मेंढक वहां आए होंगे। प्रागैतिहासिक काल में मेंढकों के साथ हुई इस त्रासदी के पीछे एक और थ्योरी दी जाती है।वह ये कि मेंढक प्रजनन क्षेत्रों की तलाश में वसंत में इस इलाके में आए होंगे और गड्ढे में गिरकर फंस गए होंगे। ये भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कड़ाके की ठंड ने इन मेंढकों की जान ली होगी। एक थ्योरी यह भी है कि ऐसा मेंढकों में किसी बीमारी की वजह से हुआ होगा। ब्रिटेन में 1980 के दशक में रानावायरस ने मेंढकों की आबादी को खत्म कर दिया था। इस वायरस से मेंढक इतने प्रभावित हुए कि रोग की निगरानी और रिपोर्ट करने के लिए फ्रॉग मेर्टैलिटी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। रानावायरस ऐसे वायरस हैं, जो कुछ मछलियों और सरीसृपों की बड़ी संख्या को प्रभावित करते हैं। 

विकी इवेन्स का कहना है कि यह एक हैरान करने वाली खोज है, जिसे हम अब भी समझने की कोशिश कर रहे हैं। मेंढक के अवशेषों के एक साथ होने के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं। आने वाले समय में हम यह भी जान जाएंगे। लेकिन अभी हमें नहीं पता कि ऐसा क्यों था। साइट पर केवल मेंढक की हड्डियां ही नहीं पाई गई थीं, बल्कि कलाकृतियों के साथ-साथ इंसानों और जानवरों के अवशेष भी मिले थे। नमूनों पर अब भी काम किया जा रहा है।उम्मीद है कि यह रहस्य जल्दी सुलझेगा।

3 दिवसीय जैविक विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कराया

3 दिवसीय जैविक विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कराया

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव/अमित शर्मा   

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी/गुरुग्राम। सोसाइटी ऑफ एकेडमिक रिसर्च फॉर रूरल डवेलपमेन्ट, एस.जी.टी. विश्वविद्यालय, गुरुग्राम एवं आ.सी.ए.आर. सेन्ट्रल सोईल सैलिनीटी रिसर्च इन्स्टीयूट द्वारा संयुक्त रूप से 3 दिवसीय जैविक विज्ञान में हालिया प्रगति पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कराया गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में देश एवं विदेशों से छात्रों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों एवं विभिन्न संस्थानों के प्रमुखों ने भाग लिया। 
उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आई.सी.ए.आर. के अतिरिक्त महानिदेशक (बीज) डॉ. डी. के. यादव एवं अन्तराष्ट्रीय अतिथि के रूप में अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय खरपतवार संस्था के अध्यक्ष डॉ. समुन्दर सिंह, डीन फैक्लटी आफ एग्रीकल्चर सांईसेस एस.जी.टी. विश्वविद्यालय, गुरूग्राम के डॉ. अशोक कुमार, तथा सोसाईटी के अध्यक्ष डॉ. नितिन तनवर एवं मुख्य कार्यकर्ता डॉ. हिना, डॉ. नितिन गोयल, डॉ. मनीष वर्मा, डॉ. वी. रवि, डॉ. कैलाश कुमार, डॉ. ललित कुमार, डॉ. प्रवीन, डॉ. दीपांकर, सहित भारत के विभिन्न शैक्षिणिक एवं शोध संस्थानों से आये प्रसिद्ध विद्वानों ने सिरकत की एवं अपने-अपने विचार रखें। सी.सी.एस.एच.ए.यू. विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त डा. बी. के. हूड्डा ने बायोलॉजिकल रिसर्च में सांख्यिकी के महत्व पर व्याख्यान दिया। सम्मेलन में कृषि विज्ञान में उत्कृष्ट कार्यों के लिए डॉ. सौरव शर्मा युवा वैज्ञानिक के रूप में एवं भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के शोध छात्र डॉ. नीरज को यंग रिर्सचर अवार्ड से सम्मानित किया गया। डॉ. नीरज ने नैनो सिल्वर के दुष्प्रभाव पर शोध किया है। कार्यक्रम समापन के दौरान मुख्य आयोजक डॉ. नितिन तनवर ने कार्यक्रम में आये सभी अतिथियों का आभार व्यक्त कर धन्यवाद दिया।

युवाओं के जीवन व महत्वाकांक्षाओं से खिलवाड़, गलत

युवाओं के जीवन व महत्वाकांक्षाओं से खिलवाड़, गलत

कविता गर्ग  

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना को लेकर केंद्र पर रविवार को प्रहार किया और कहा कि देश के युवाओं के जीवन और महत्वाकांक्षाओं से खिलवाड़ करना गलत है। शिवसेना के 56वें स्थापना दिवस पर पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि यदि युवाओं के पास नौकरी नहीं होगी तो केवल भगवान राम के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र के कुछ कृषि कानूनों के खिलाफ पहले किसान सड़कों पर उतरे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आपको सिर्फ वही आश्वासन देना चाहिए, जो आप पूरा कर सकते हैं।’ 

ठाकरे ने सवाल किया, ‘‘योजनाओं को अग्निपथ और अग्निवीर नाम क्यों दिया गया? 17 से 21 साल तक के युवा चार वर्षों बाद क्या करेंगे?’’ शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘संविदा पर सैनिक रखना खतरनाक है और युवाओं के जीवन एवं महत्वाकांक्षाओं से खिलवाड़ करना गलत है। यदि युवाओं के पास नौकरी नहीं होगी तो केवल भगवान राम के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के कुछ हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन होने के बावजूद महाराष्ट्र शांत है। ठाकरे ने कहा, ‘‘आज मेरा दिन हो सकता है, कल कोई और बेहतर विकल्प के तौर पर उभरेगा।’’

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...