गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में इजाफा
संदीप मिश्र
लखनऊ। उत्तर-प्रदेश में बिजली की आपूर्ति कर रही बिजली कंपनियों ने लोगों को महंगी बिजली की सौगात देने के लिए गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में घना इजाफा कर दिया। उत्तर प्रदेश नियामक आयोग को जब गरीबों की संख्या पर संदेह हुआ तो उसकी ओर से चेयरमैन एम देवराज से गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों में शामिल बिजली जलाने वाले लोगों की संख्या की जांच कराने के लिए कहा गया है। नुकसान दरअसल उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ाने के लिए उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति कर रही कंपनियों की तरफ से उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सामने इस बात की दलील दी गई थी कि उनके यहां आर्थिक रूप से कमजोर बिजली उपभोक्ताओं की संख्या एक करोड़ 39 लाख तक पहुंच गई है। जबकि तकरीबन 1 साल पहले तक बिजली जलाने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की संख्या केवल उंगलियों पर गिनने लायक यानी 19 लाख थी। आश्वासन उत्तर प्रदेश नियामक आयोग का मानना है कि अब 1 साल के भीतर अचानक पर बिजली जलाने वाले आर्थिक रूप से कमजोर उपभोक्ताओं की संख्या एक करोड़ 20 लाख कहा से बढ़ गई है? वैसे इस संख्या को लेकर उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद की ओर से सवाल उठाते हुए इस बात की शिकायत उत्तर प्रदेश नियामक आयोग के की गई थी।
अब उपभोक्ता परिषद की शिकायत के आधार पर ही उत्तर प्रदेश नियामक आयोग की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर बिजली जलाने वाले उपभोक्ताओं की जांच के आदेश दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने इस बड़े घालमेल को लेकर उत्तर प्रदेश नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से समय लेकर मुलाकात की और उन्हें बताया कि बिजली कंपनियों की तरफ से आर्थिक रूप से कमजोर उपभोक्ताओं के आंकड़ों में भारी हेरफेर किया गया है ताकि बिजली कंपनियों को बिजली महंगी करने में मदद मिल सके।