गुरुवार, 16 जून 2022

सेना में नई भर्ती के प्रारूप पर युवा वर्ग निराश-बेचैन है

सेना में नई भर्ती के प्रारूप पर युवा वर्ग निराश-बेचैन है

संदीप मिश्र
लखनऊ। सेना भर्ती अभियान ‘अग्निपथ’ को युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को कहा कि सेना में नई भर्ती के प्रारूप को लेकर युवा वर्ग निराश और बेचैन है। इसके मद्देनजर सरकार को अल्प अवधि की इस नौकरी के लिये किये गये फैसले पर पुर्नविचार करना चाहिये।
मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा “ सेना में काफी लम्बे समय तक भर्ती लम्बित रखने के बाद अब केन्द्र ने सेना में 4 वर्ष अल्पावधि वाली ’अग्निवीर’ नई भर्ती योजना घोषित की है, उसको लुभावना व लाभकारी बताने के बावजूद देश का युवा वर्ग असंतुष्ट एवं आक्रोशित है। वे सेना भर्ती व्यवस्था को बदलने का खुलकर विरोध कर रहे हैं।
1. सेना में काफी लम्बे समय तक भर्ती लम्बित रखने के बाद अब केन्द्र ने सेना में 4 वर्ष अल्पावधि वाली ’अग्निवीर’ नई भर्ती योजना घोषित की है, उसको लुभावना व लाभकारी बताने के बावजूद देश का युवा वर्ग असंतुष्ट एवं आक्रोशित है। वे सेना भर्ती व्यवस्था को बदलने का खुलकर विरोध कर रहे हैं।
उन्होने कहा “ इनका मानना है कि सेना व सरकारी नौकरी में पेंशन लाभ आदि को समाप्त करने के लिए ही सरकार सेना में जवानों की भर्ती की संख्या को कमी के साथ-साथ मात्र चार साल के लिए सीमित कर रही है, जो घोर अनुचित तथा गरीब व ग्रामीण युवाओं व उनके परिवार के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा “ देश में लोग पहले ही बढ़ती गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी एवं सरकार की गलत नीतियों व अहंकारी कार्यशैली आदि से दुःखी व त्रस्त हैं, ऐसे में सेना में नई भर्ती को लेकर युवा वर्ग में फैली बेचैनी अब निराशा उत्पन्न कर रही है। सरकार तुरन्त अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, बीएसपी की यह माँग।
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने पिछले मंगलवार को अग्निपथ भर्ती योजना का ऐलान किया था। योजना के तहत सेना के तीनो अंगों यानी थल,नभ और जल सेना में चार साल के लिये युवाओं की भर्ती की जायेगी। इन रणबांकुरों को अग्निवीर का नाम दिया जायेगा। चार साल बाद अग्निवीरों को सार्टिफिकेट और वेतन के एक अंश के रूप में मोटी रकम देकर विदा किया जायेगा। सरकार का मानना है कि इस योजना से न सिर्फ सैन्य बलों की ताकत में इजाफा होगा बल्कि युवा वर्ग में राष्ट्र प्रेम की भावना और मजबूत होगी। इस योजना को लेकर हालांकि देश के अलग अलग भागों से मिलीजुली प्रतिक्रियायें मिल रही है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  

1. अंक-251, (वर्ष-05)
2. शुक्रवार, जून 17, 2022
3. शक-1944, आषाढ़, कृष्ण-पक्ष, तिथि-तीज/चतुर्थी, विक्रमी सवंत-2079।
4. सूर्योदय प्रातः 05:22, सूर्यास्त: 07:15।
5. न्‍यूनतम तापमान- 31 डी.सै., अधिकतम-41+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
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7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसेन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
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बुधवार, 15 जून 2022

शासन-प्रशासन स्तर पर कौन लेगा जिम्मेदारी ?

शासन-प्रशासन स्तर पर कौन लेगा जिम्मेदारी ?

अश्वनी उपाध्याय 
गाजियाबाद। जनपद की तहसील, विधानसभा क्षेत्र, नगर पालिका परिषद एवं विकास खंड क्षेत्र लोनी की वर्तमान आबादी 15 लाख से अधिक है। ऐसे सघन आबादी वाले क्षेत्र में सुविधाओं का कितना अभाव है ? जन समस्याएं मुंह उठाकर जैसे शासन-प्रशासन को चेतावनी दे रही है। किंतु कोई चेतावनी को स्वीकार नहीं करना चाहता है। जनता को समस्या से जूझने के लिए उसके हाल पर छोड़ दिया गया है। 
गौरतलब हो, दिल्ली-सहारनपुर राज्यमार्ग 709 बी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लाइफ लाइन कहे जाने में किसी प्रकार की कोई अतिशयोक्ति नहीं है। 709 बी यातायात और व्यापार का एक प्रमुख संसाधन है। लाखों लोगों का आवागमन प्रतिदिन इस राजमार्ग से होता है। दिल्ली से सहारनपुर तक इतना जाम कहीं पर नहीं लगता है, जितना जाम मेन लोनी तिराहे पर लगता है। इसका प्रमुख कारण है, शासन-प्रशासन की उदारता।
शासनिक और प्रशासनिक स्तर पर जनता की मूल समस्याओं पर किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं की जाती है। बल्कि अगर यूं कहें मूल समस्याओं पर कोई ध्यान ही नहीं है तो भी कोई बुराई नहीं है।
स्थानीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर, निकाय चेयरमैन रंजीता धामा, जिला अधिकारी और उप जिला अधिकारी किस प्रकार से जन जनता की सेवा कर रहे हैं। इतनी बड़ी जन समस्या बिना चश्मे के भी दिखाई दे सकती है। हालांकि, सभी लोग काले-पीले चश्मे लगा कर रहते हैं। एक तरफ जनता उत्पीड़ित है, समस्या से रूबरू होती है। दूसरी तरफ सभी लोग जनता की सेवा में दिन-रात जी-जान से लगे हुए हैं। 
क्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों को अभी तक इस बात का आभास नहीं हुआ है कि लोनी तिराहे पर एक 'फुट ओवर ब्रिज' की अत्यधिक आवश्यकता है। बूढ़े बच्चे इस समस्या से अत्यधिक ग्रसित है। जवान व्यक्ति सड़क को पार करने में सक्षम है। कई बार वह भी हादसे का शिकार हो जाता है। लेकिन बात यदि बच्चे-स्त्री और वृद्ध जनों की जाए तो यह एक बड़ी समस्या है।
जनता लोनी तिराहे पर सड़क पार करने की समस्या से त्रस्त है। हालांकि किसी जनप्रतिनिधि का इस पर ध्यान नहीं है। अपितु यह कहा जाए जनसमस्याओं के बजाय अन्य कार्यों में ज्यादा व्यस्त हैं।

400-220 केवी लाइनों के प्रस्ताव को मंजूरी मिली

400-220 केवी लाइनों के प्रस्ताव को मंजूरी मिली

संदीप मिश्र
लखनऊ। योगी आद‍ित्‍यनाथ कैबिनेट ने मेरठ में 765 केवी बिजली उपकेंद्र से संबंधित 400 केवी और 220 केवी लाइनों की लागत के पुनरीक्षित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इन परियोजनाओं की पुनरीक्षित लागत 305.9 करोड़ रुपये है।
इसके तहत मेरठ के 765 केवी उपकेंद्र से संबंधित 400 केवी डीसी मेरठ-शामली लाइन का टैरिफ बेस्ड कंप्टीटिव बिल्‍ड‍िंग (टीबीसीबी) पद्धति से निर्माण कराया जाएगा, जिसकी कुल लागत 164.53 करोड़ रुपये होगी। मेरठ के इसी उपकेंद्र से संबंधित 220 केवी डीसी मेरठ-जानसठ लाइन व संबंधित हाइब्रिड बे तथा 220 केवी डीसी मेरठ-अमरोहा लाइन व उससे संबंधित हाइब्रिड बे का निर्माण इंजीनियर‍िंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) पद्धति से कराया जाएगा, जिसकी कुल लागत 141.37 करोड़ रुपये होगी।
इन परियोजनाओं का 70 प्रतिशत वित्त पोषण वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेकर और बाकी 30 प्रतिशत शासकीय अंशपूंजी से कराने का निर्णय लिया गया है। कार्यदायी संस्था की नियुक्ति के बाद 18 माह में कार्य पूर्ण किया जाना संभावित है। मेरठ के 765 केवी उपकेंद्र से संबंधित 400 केवी डीसी मेरठ-शामली लाइन और 220 केवी डीसी मेरठ-जानसठ लाइन के निर्माण से शामली, जानसठ तथा अमरोहा क्षेत्र में भविष्य में बढऩे वाले विद्युत भार की पूर्ति तथा सुदृढ़ प्राथमिक स्रोत की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।

पहल: अपना बायोडाटा खुद पेश करेंगे, इंदौर के पेड़

पहल: अपना बायोडाटा खुद पेश करेंगे, इंदौर के पेड़

मनोज सिंह ठाकुर  
इंदौर। मध्य प्रदेश राज्य के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ों संवारा जा रहा है। अब इंदौर के पेड़ अपना बायोडाटा खुद ही पेश करेंगे। पेड़ों पर लगे बारकोड की मदद से उनकी पूरी जानकारी मोबाइल के जरिए ली जा सकेगी। इसकी शुरुआत इंदौर के चिड़ियाघर (जू) से की गई है। वहां पेड़ों पर बारकोडिंग की जा रही है। इससे पहले यह काम ग्वालियर के चिड़ियाघर में किया जा चुका है।
दरअसल इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय (जू) ने एक अनूठी पहल की है। इंदौर जू अपने किए गए कामों को लेकर हमेशा से चर्चा में रहता है। चाहें वह पक्षियों के लिए बनाया गया वर्ड हाउस हो या मंकी हाउस या फिर व्हाइट ब्लैक टाइगर हों, इंदौर में जू आकर्षण का केंद्र है। पर्यटक खास उत्साह के साथ यहां घूमने जाते हैं। अब पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए जू प्रशासन पेड़ों के बारे में पर्यटकों को जानकारी देने के लिए उनपर बारकोडिंग कर रहा है।
जू आने वाला कोई पर्यटक जैसे ही किसी पेड़ पर लगे बार कोड को स्कैन करेगा, उसे उस पेड़ की पूरी जानकारी उसके मोबाइल के स्क्रीन पर आ जाएगी। इसमें उस पेड़ की उम्र, पेड़ का नाम, उसके आयुर्वेदिक गुण दर्ज होगा। चिड़ियाघर प्रशासन ने अब तक 150 अलग-अलग पेड़ों की प्रजातियों पर इन बारकोड को लगा दिया है। आने वाले समय में इंदौर के और भी गार्डन में पेड़ अपनी पहचान बताएंगे।
इंदौर जू के प्रबंधक डॉक्टर उत्तम यादव ने बताया की जू अथॉर्टी पेड़ों पर टैग लगा रहा है। उन्होंने बताया कि बारकोड के माध्यम से पेड़ अपना बायोडाटा खुद पेश करेंगे। उन्होंने बताया कि यहां आने वाले पर्यटक बारकोड की मदद से यह जान सकेंगे कि पेड़ की खूबियां क्या हैं और वह किस प्रजाति का है ? उन्होंने बताया कि अभी जू में 150 प्रजातियों के पेड़ों पर टैगिंग की जा रही है। उन्होंने बताया की इंदौर जू प्रदेश का ऐसा दूसरा प्राणी संग्रहालय है, जहां इस प्रकार का प्रयोग किया जा रहा हैं। इससे पहले ग्वालियर जू में पेड़ों पर बारकोडिंग की गई है।

चीन की चाल को मात देने के लिए प्रयास तेज किए

चीन की चाल को मात देने के लिए प्रयास तेज किए

सुनील श्रीवास्तव     
वाशिंगटन डीसी/बीजिंग। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चीन की चाल को मात देने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। शीर्ष अधिकारियों ने स्वीकार किया कि उन्हें चीन पर शक है कि वह अमेरिका में रह रहे चीनियों से अधिक फोन काल करा व ईमेल एकत्र कर गोपनीय सूचनाएं जुटा रहा है। इससे नागरिक स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है, जो कि अमेरिका के लिए चिंताजनक है।
दरअसल, परमाणु हथियारों, भू-राजनीति और कोरोना महामारी की उत्पत्ति सहित विभिन्न मुद्दों पर चीन के निर्णय को बेहतर ढंग से समझने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसियों पर लगातार दबाव है। इसके लिए बीजिंग के खिलाफ सख्त निगरानी के लिए अमेरिका में दोनों दलों का समर्थन है। दूसरी ओर, नागरिक अधिकार समूह और अधिवक्ता चीनी मूल के लोगों पर बढ़ी हुई निगरानी के प्रभाव से चिंतित हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर नागरिकों के समूहों के खिलाफ अमेरिकी सरकार के भेदभाव का एक लंबा इतिहास रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी अमेरिकियों को नजरबंदी शिविरों में मजबूर किया गया था, 1960 के नागरिक अधिकारों के आंदोलन के दौरान अश्वेत नेताओं की जासूसी की गई थी। वहीं, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय की एक नई रिपोर्ट में कई सिफारिशें की गई हैं।

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी ...