रविवार, 29 मई 2022

कच्चे आम का पुलाव बनाने की रेसिपी, जानिए

कच्चे आम का पुलाव बनाने की रेसिपी, जानिए  

सरस्वती उपाध्याय      

कच्चे आम के मौसम में आम पना और चटनी तकरीबन हर घर में बनाई जाती है। कई लोग आम के जायके को साल भर चखते रहने के लिए आम का अचार और कुच्चा जैसी खट्टी-मीठी चीज़ें बनाते हैं। आम की ही अगर इन सबसे अलग कोई डिश बनाना चाहते हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, रॉ मैंगो राइस यानी, कच्चे आम का पुलाव। दक्षिण भारत में इस डिश को ख़ास तौर पर बनाया जाता है। इस डिश को बनाने के लिए आपको न ज़्यादा सामान की ज़रूरत होती है न ही अधिक समय की. बस कच्चा आम करी पत्ते हैं, तो इस डिश को झटपट बनाकर तैयार किया जा सकता है। जिस दिन कुछ हल्का खाने की इच्छा हो या फिर बढ़ती गर्मी की वजह से रसोई में वक्त गुज़ारना मुश्किल हो रहा हो, तो खट्टे स्वाद वाले इस चावल को बनाने और गर्मा-गर्म सर्व करें। आइए जानते है, कच्चे आम का पुलाव बनाने के लिए किन चीज़ों की ज़रूरत होती है और यह कैसे बनता है।

सामग्री...

चावल – 2 कटोरी
कच्चा आम – 1 बड़े आकार का
सरसों – ½ टीस्पून
जीरा – 1 टीस्पून
मूंगफली – 2 टेबलस्पून
चना दाल – 1 टेबलस्पून
उड़द दाल – 1 टेबलस्पून
करी पत्ते – 8-10
साबुत लाल मिर्च – 2
हरी मिर्च – 2 बारीक कटी हुई
हल्दी – 1 टीस्पून
सरसों तेल – 2 टेबलस्पून
नमक – स्वादानुसार

कच्चे आम का पुलाव बनाने की विधि...
चावल को भगोने में पकाकर इसका माड़ निकाल लें। एक पैन में तेल गर्म करें और इसमें सरसों-जीरा चटकाए। 1 मिनट बाद इसमें लाल मिर्च, मूंगफली, करी पत्ते, उड़द और चना की दाल डालकर धीमी आंच पर दो से तीन मिनट तक भूनें। अब इसमें कद्दूकस किया हुआ कच्चा आम, हल्दी, नमक डालकर तेज आंच पर 5 मिनट के लिए आम को अच्छी तरह भूनें।

अब इसमें पके हुए चावल डालकर चलाएं। जब चावल और तड़के वाला मिश्रण अच्छी तरह से मिल जाए, तब गैस बंद कर दें। इस राइस के साथ टमाटर,प्याज और खीरे का रायता सर्व कर सकते हैं। खट्टापन के ज़ायके से भरपूर कच्चे आम के पुलाव का बेहतर स्वाद पाने लिए इसे गर्मा-गर्म ही खाएं।

'महिला व्यापार मंडल' सदस्यता अभियान को बढ़ाया

'महिला व्यापार मंडल' सदस्यता अभियान को बढ़ाया 

बृजेश केसरवानी         
प्रयागराज। अखिल भारतीय महिला व्यापार मंडल की मंडल प्रभारी लक्ष्मी बहुगुणा जोशी, जिला प्रभारी स्मृति श्रीवास्तव के नेतृत्व में महिला व्यापार मंडल सदस्यता अभियान को आगे बढ़ाते हुए 20 सदस्य बनाएं। जिसमें ब्यूटी पार्लर संचालक, बुटीक, के अलावा व्यापार कर रही महिलाओं को जोड़कर संगठन को आगे बढ़ाया और स्वच्छता अभियान को तेजी लाने के लिए संगठन को मजबूत करने के लिए 5 महिलाओं को स्मृति चिन्ह देकर प्रदेश संगठन जिला अध्यक्ष रमेश केसरवानी, नगर प्रभारी नीरज जायसवाल ने देकर उनका सम्मान किया। 
सम्मान होने वालों में प्रमुख रूप से जिला प्रभारी स्मृति श्रीवास्तव, लक्ष्मी बहुगुणा जोशी, कल्याणी बक्स, अंजना गुप्ता, रीता वर्मा,शालिनी सिन्हा, उषा गुप्ता, स्वरिका भरद्वाज , अनुराधा त्रिपाठी का सम्मान किया गया। जिला अध्यक्ष रमेश केसरवानी, नगर प्रभारी नीरज जायसवाल, ने सभी महिलाओं को संगठन को मजबूत करने के लिए डोर-टू-डोर पहुंच कर महिलाओं को जोड़ने के लिए और संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए अपील किया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदिनाथ द्वारा पूरे प्रदेश में अतिक्रमण अभियान के तहत चौराहा जनपद प्रयागराज में स्मार्ट सिटी के तहत मंडला आयुक्त संजय गोयल, जिलाधिकारी प्रयागराज संजय खत्री द्वारा अभियान में महिला व्यापार मंडल, एवं अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने अपना पूर्ण योगदान देने का शपथ लिया और निगरानी समिति में महिलाओं का भी योगदान रहेगा।

सेवा 'शिक्षा प्रशिक्षण' वर्ग के पांचवे दिन का उद्घाटन

सेवा 'शिक्षा प्रशिक्षण' वर्ग के पांचवे दिन का उद्घाटन 

बृजेश केसरवानी                  
प्रयागराज। रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज, राजापुर प्रयागराज के संगीताचार्य एवं मीडिया प्रभारी मनोज गुप्ता की सूचना अनुसार, विद्यालय के प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे के संयोजन में विद्या भारती काशी प्रांत द्वारा संचालित सेवा बस्तियों में चल रहे संस्कार केंद्रों के संयोजको के सात दिवसीय सेवा शिक्षा प्रशिक्षण वर्ग के पांचवे दिन का उद्घाटन, मुख्य अतिथि सचिव, भारतीय शिक्षा परिषद पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं प्रशिक्षण प्रमुख दिनेश सिंह ने किया तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम का प्रारंभ संगीताचार्य मनोज गुप्ता के निर्देशन में मां सरस्वती की सुमधुर वंदना से हुआ। अतिथियों का सम्मान माल्यार्पण स्मृति चिन्ह एवम अंगवस्त्रम से किया गया। प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे ने अतिथियों सहित आए हुए समस्त केंद्र संयोजको का स्वागत किया।
मुख्य अतिथि के रूप में अपना उद्बोधन देते दिनेश सिंह ने बताया कि आप सब का जीवन त्याग और तपोमय है, समता और समानता की लहर पूरे देश में दौड़ रही है और पूरे देश में नारी का सम्मान भी बढ़ रहा है। भारतीय जीवन मूल्यों में नारी की संस्कृति फलती-फूलती है। हमारे भारतीय महापुरुषों ने अनेकों बुराइयों एवं कुरीतियों को दूर करने का प्रयास तथा जिसे समाज ने ठुकराया उसे अपनाने का कार्य किया है। वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सर्व समाज के साथ-साथ हिंदुओं को जगाने का प्रयास तथा इसको परम वैभव तक पहुंचाने का कार्य कर रहा है। क्योंकि हिंदू जगे तो देश जगेगा, तभी मानव का विश्वास जगेगा, भेद भावना तमस हटेगा, समरसता अमृत बरसेगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में अपना उद्बोधन देते हुए विजय उपाध्याय ने बताया कि सीमा क्षेत्रों में कार्य करने से हमारे लक्ष्य की पूर्ति संभव है। आप सभी बंधु ,भगिनी श्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं और प्रेरणास्रोत हैं सेवा कार्य ईश्वरीय कार्य है। जो स्वयं ईश्वर की कृपा से पूर्ण हो जाता है। सीमा क्षेत्र नेपाल में संस्कार केंद्रों के 28000 स्वयंसेवकों का कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें दूरदराज के अनेकों स्वयंसेवकों ने बढ़-चढ़कर कार्यक्रम में भाग लेकर इसे सफल बनाया, उक्त कार्यक्रम में काशी प्रांत से लगभग 100 सेवा केंद्र के संयोजक भाग ले रहे है।
 इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा शिक्षा संयोजक रामस्वरूप, प्रांतीय सेवा प्रमुख कमलाकर तिवारी, क्षेत्रीय सीमा सेवा संयोजक राघव , सह शिक्षा सेवा संयोजक नरसिंह नारायण सिंह, सुनील कुमार गुप्ता, अवधेश कुमार, प्रवीण कुमार तिवारी, कुंदन सिंह, अभिषेक शर्मा ,दीपक दयाल ,सचिन सिंह परिहार, विशाल कुमार सहित विद्यालय के समस्त आचार्य बंधु एवं आचार्या दीदियां उपस्थित रहे। संचालन दिनेश कुमार शुक्ला ने किया।

दक्षिण एशियाई देशों के लिए समस्‍या बना, वायु प्रदूषण

दक्षिण एशियाई देशों के लिए समस्‍या बना, वायु प्रदूषण 

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत         
नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। वायु प्रदूषण खासकर दक्षिण एशियाई देशों के लिए बहुत विकट समस्‍या बन गया है। इस विपत्ति की सबसे ज्‍यादा तपिश दक्षिण एशियाई देशों भारत, पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और नेपाल को सहन करनी पड़ रही है। वायु प्रदूषण संपूर्ण दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी समस्या है और इस क्षेत्र में स्थित कोई भी देश इससे अकेला नहीं लड़ सकता। भारत और पाकिस्‍तान के सांसदों ने इन देशों का एक ऐसा मंच तैयार करने की जरूरत बतायी है, जहां पर वायु प्रदूषण से निपटने के लिये विशेषज्ञताओं और अनुभवों का आदान-प्रदान किया जा सके।
पर्यावरण थिंक टैंक ‘क्‍लाइमेट ट्रेंड्स’ ने वायु प्रदूषण, जन स्‍वास्‍थ्‍य और जीवाश्‍म ईंधन के बीच अंतर्सम्‍बंधों को तलाशने और सभी के लिये स्‍वस्‍थ धरती से सम्‍बन्धित एक विजन का खाका खींचने के लिये शनिवार को एक ‘वेबिनार’ का आयोजन किया। 
वेबिनार में असम की कलियाबोर सीट से सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि वायु प्रदूषण के मामले में पूरी दुनिया की नजर दक्षिण एशिया पर होती है, क्‍योंकि ये विशाल भूभाग प्रदूषण की समस्‍या का सबसे बड़ा शिकार है, लिहाजा हमें अपने मानक और अपने समाधान तय करने होंगे। हमें एक ऐसा मंच और ऐसे मानक तैयार करने होंगे जिनसे इस सवाल के जवाब मिलें कि हमने स्टॉकहोम और ग्लास्गो में जो संकल्प लिए थे उन्हें दिल्ली, लाहौर, ढाका और दिल्ली में कैसे लागू किया जाएगा। यह मंच विभिन्न विचारों के आदान-प्रदान का एक बेहतरीन प्लेटफार्म साबित होगा। उन्‍होंने कहा कि जब हम वायु प्रदूषण के एक आपात स्थिति होने के तौर पर बात करते हैं तो इस बात को भी नोट करना चाहिए कि हम इस मुद्दे पर कितना ध्‍यान केन्द्रित करते हैं। इन मामलों में सांसद बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि हम इस क्षेत्र में अपने सांसदों की क्षमता को और बढ़ाएं। उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वायु प्रदूषण उनके अपने राज्य को किस तरह प्रभावित कर रहा है ताकि वे अपने क्षेत्र में सर्वे कर सकें और लोगों को जागरूक बना सकें। इससे यह भी पता लगेगा कि वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर हमारे स्‍थानीय निकाय कितने तैयार हैं।
पाकिस्‍तान के सांसद रियाज फतयाना ने वायु प्रदूषण को दक्षिण एशिया के लिये खतरे की घंटी बताते हुए महाद्वीप के स्‍तर पर मिलजुलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि दक्षिण एशियाई सांसदों का एक फोरम बनाया जाना चाहिए जहां इन विषयों पर बातचीत हो सके। पाकिस्तान में वायु प्रदूषण की समस्या बहुत ही खतरनाक रूप लेती जा रही है। जहां एक तरफ दुनिया कह रही है कि नए कोयला बिजलीघर न लगाए जाएं लेकिन दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में अब भी इन्‍हें लगाए जाने का सिलसिला जारी है। इनकी वजह से होने वाला वायु प्रदूषण जानलेवा साबित हो रहा है।
उन्‍होंने कहा कि हमें वैकल्पिक ऊर्जा और एनवायरमेंटल एलाइनमेंट दोनों पर ही काम करना होगा। एक दूसरे के अनुभवों का आदान-प्रदान करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। हमें और भी ज्यादा प्रभावी कानून बनाने होंगे। क्‍लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि वायु की गुणवत्ता का मसला अब सिर्फ भारत की समस्या नहीं रहा, बल्कि यह पूरे दक्षिण एशिया की भी समस्या बन चुका है। दुनिया वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में ह्यूमन एनवॉयरमेंट पर हुई संयुक्‍त राष्‍ट्र की पहली कॉन्फ्रेंस की 50वीं वर्षगांठ अगले महीने मनाने जा रही है। यह इस बात के आकलन के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है कि किस तरह से जैव विविधता तथा पर्यावरण से जुड़े अन्य तमाम पहलू मौजूदा स्थिति से प्रभावित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण एक प्राथमिक सार्वजनिक स्वास्थ्य इमरजेंसी है। दक्षिण एशिया यह मानता है कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ राजनीतिक मसला नहीं है बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्या भी बन चुका है।
बांग्लादेश के सांसद साबेर चौधरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये राजनीतिक इच्‍छाशक्ति की जरूरत बेहद महत्‍वपूर्ण है। हमें पूरी दुनिया में सांसदों की ताकत का सदुपयोग करना चाहिये। वायु प्रदूषण एक पर्यावरणीय आपात स्थिति नहीं बल्कि प्लेनेटरी इमरजेंसी है। इसकी वजह से वॉटर स्ट्रेस और खाद्य असुरक्षा समेत अनेक आपदाएं जन्म ले रही हैं। वायु प्रदूषण दक्षिण एशिया के लिये एक साझा चुनौती है। यह किसी एक देश की सेहत का सवाल नहीं है। यह पूरे दक्षिण एशिया का प्रश्न है। सांसद के रूप में मैं जन स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान केन्द्रित करना चाहता हूं। हमें नये सिरे से विकास की परिकल्पना करनी होगी।
नेपाल की सांसद पुष्पा कुमारी कर्ण ने काठमांडू की दिन-ब-दिन खराब होती पर्यावरणीय स्थिति का विस्‍तार से जिक्र करते हुए कहा कि वायु प्रदूषण दुनिया की सभी जानदार चीजों की सेहत पर प्रभाव डाल रहा है। काठमांडू नेपाल की राजधानी है और यह दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। हर साल सर्दियों के मौसम में काठमांडू में वायु की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है। ऑटोमोबाइल्स और वाहनों की बढ़ती संख्या की वजह से समस्या दिन-ब-दिन विकट होती जा रही है। काठमांडू में पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ के सुरक्षित मानकों के मुकाबले 5 गुना ज्यादा है। हालांकि नेपाल सरकार ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए एक योजना तैयार की है। इसी तरह की योजनाएं दक्षिण एशिया के अन्य देशों में भी लागू की जानी चाहिए।
वायु प्रदूषण खासकर दक्षिण एशियाई क्षेत्रों के लिये एक स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी आपात स्थिति बन गया है। मेदांता हॉस्पिटल के ट्रस्‍टी डॉक्‍टर अरविंद कुमार ने कहा कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल को यह सवाल पूछने की जरूरत है कि जलवायु परिवर्तन कितना प्रभावी है। इन चारों देशों में वायु प्रदूषण के स्तर खतरनाक रूप ले चुके हैं। वायु प्रदूषण सिर्फ पर्यावरणीय और रासायनिक मुद्दा नहीं है बल्कि यह विशुद्ध रूप से स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ा मसला है।
फेफड़े के विशेषज्ञ के तौर पर वह अपने 30 साल के अनुभव से कहते हैं कि फेफड़े के कैंसर के लगभग 50 प्रतिशत मरीज ऐसे आ रहे हैं जो धूम्रपान नहीं करते। इसके अलावा 10 प्रतिशत मरीज 20 से 30 साल के बीच के होते हैं। भारत के 30% बच्चे यानी हर तीसरा बच्‍चा दमा का मरीज है। वायु प्रदूषण सिर्फ हमारे फेफड़ों को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहा है बल्कि इसकी वजह से दिल की बीमारियां, तनाव, अवसाद और नपुंसकता समेत अन्य अनेक रोग पैदा हो रहे हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे को भी समस्याएं हो रही हैं। यानी पैदाइश से पहले से लेकर मौत तक वायु प्रदूषण हमें प्रभावित कर रहा है। हमारे पास वायु प्रदूषण को समाप्त करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और इस दिशा में काम करने का सबसे सही समय आज ही है।
नेपाली रेस्पिरेटरी सोसाइटी के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर रमेश चोखानी ने दक्षिण एशिया के पर्वतीय देश नेपाल में वायु प्रदूषण की चिंताजनक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि नेपाल जीवाश्म ईंधन का प्रमुख उपयोगकर्ता है और वह ज्यादातर जीवाश्म ईंधन को भारत से आयात करता है। नेपाल में अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की कमी की वजह से मजबूरन बायोमास और लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। नेपाल की ज्यादातर आबादी परंपरागत बायोमास पर निर्भर करती है। नेपाल में बायोमास जलने के कारण उत्‍पन्‍न वायु प्रदूषण की वजह से हर साल तकरीबन 7500 लोगों की मौत होती है।
उन्‍होंने बताया कि वायु प्रदूषण को लेकर आपात स्थिति से गुजरने के बावजूद पिछले पांच सालों में नेपाल में पेट्रोल की खपत लगभग दोगुनी हो गयी है। डीजल का उपयोग भी लगभग 96% बढ़ा है। हाल ही में 69 किलोमीटर की पेट्रोलियम पाइपलाइन बिहार के मोतिहारी से नेपाल के बीच तैयार की गई है। इसका मतलब यह है कि नेपाल सरकार का अक्षय ऊर्जा में रूपांतरण का कोई भी इरादा नहीं है। हालांकि नेपाल के पास अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बड़े पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन करने की क्षमता है। उसके पास वायु, हाइड्रो और सोलर पावर उत्पन्न करने की काफी संभावना है लेकिन अभी उन पर ज्यादा काम नहीं किया गया है। अगर हाइड्रो पावर की तमाम संभावनाओं का सर्वश्रेष्ठ दोहन किया जाए तो इससे नेपाल की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में काफी मदद मिल सकती है। नेपाल के पास काफी प्राकृतिक संपदा है लेकिन उसका सही उपयोग नहीं हो रहा है। बांग्लादेश लंग फाउंडेशन के काजी बेन्नूर ने कहा कि जीवाश्म ईंधन यानी कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस की वजह से अनेक पर्यावरणीय तथा स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी नुकसान होते हैं।
इससे जीवाश्म ईंधन की आपूर्ति श्रृंखला के हर चरण में अतिरिक्‍त भार पैदा होता है। जब जीवाश्म ईंधन को जलाया जाता है तो उससे कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैस उत्पन्न होती है जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देती है। जीवाश्म ईंधन से पैदा होने वाली गैसों की वजह से समुद्रों का अम्‍लीकरण, अत्यधिक बारिश और समुद्र के जल स्तर में वृद्धि होती है। जीवाश्म ईंधन जलाने के कारण उत्पन्न वायु प्रदूषण की वजह से दमा, कैंसर, दिल की बीमारी और असामयिक मौत हो सकती है। वैश्विक स्तर पर हर पांच में से एक मौत वायु प्रदूषण की वजह से होती है। वहीं, प्रदूषण दुनिया में चौथा सबसे बड़ा मानव स्वास्थ्य संबंधी खतरा है।
उन्‍होंने कुछ आंकड़े देते हुए बताया कि वायु प्रदूषण एक अदृश्य हत्यारा है। दक्षिण एशिया में 29% लोगों की मौत फेफड़े के कैंसर से होती है, 24% लोगों की मौत मस्तिष्क पक्षाघात से, 25% लोगों की मौत दिल के दौरे से और 43 प्रतिशत लोगों की मौत फेफड़े की बीमारी से होती है। दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में वायु प्रदूषण की वजह से 20 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है।
फॉसिल फ्यूल ट्रीटी के हरजीत सिंह ने वायु प्रदूषण के लिये मौजूदा आर्थिक ढर्रे को काफी हद तक जिम्‍मेदार ठहराया। उन्‍होंने कहा कि हम मौजूदा आर्थिक मॉडल के साथ आगे नहीं बढ़ सकते। हमें एक ऐसे विकास मॉडल की जरूरत है जो हमारे पर्यावरण को संरक्षण देता हो।
कोई भी देश मौजूदा आर्थिक ढर्रे से हटना नहीं चाहता है, लेकिन ऐसा किए बगैर दुनिया को सुरक्षित नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की भी जरूरत होती है। क्योंकि इसके बिना कुछ नहीं हो सकता।

अपनी बारी आने तक श्रीवारी दर्शन की प्रतीक्षा करें

अपनी बारी आने तक श्रीवारी दर्शन की प्रतीक्षा करें 

इकबाल अंसारी  

अमरावती/तिरुमाला। आंध्र प्रदेश में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम्स (टीटीपी) पार्टी के अध्यक्ष वाई.वी. सुब्बा रेड्डी ने रविवार को भक्तों से आग्रह किया कि वे भीषण गर्मी में धैर्यपूर्वक अपनी बारी आने तक श्रीवारी दर्शन की प्रतीक्षा करें। टीटीडी के अध्यक्ष ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इस दौरान तिरुमाला मंदिर परिसर के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखी गई, क्योंकि 48 घंटे तक मुफ्त दर्शन के लिए प्रतीक्षा समय बढ़ा दिया गया है।

देश भर के कई राज्यों में एसएससी और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के समापन के बाद तिरुमाला में भक्तों की अचानक भीड़ उमड़ी। उन्होंने बताया कि तिरुमाला में इस सप्ताह के अंत में भक्तों की संख्या में इजाफा हो रहा है, क्योंकि कोविड महामारी के दो साल बाद नियमों में छूट दे दी गयी है। उन्होंने बताया कि भक्तों के लिए सभी सुविधाओं का प्रबंधन किया गया है। टीटीडी अध्यक्ष ने भक्तों की सेवा में कड़ी मेहनत के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की सराहना करते हुए कहा कि सभी भक्तों के लिए पीने का पानी और अन्नप्रसादम सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गयी हैं।


द्रविड़ों और आदिवासियों का हैं, भारत: ओवैसी

द्रविड़ों और आदिवासियों का हैं, भारत: ओवैसी 

कविता गर्ग      
ठाणे। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ‘‘भारत द्रविड़ों और आदिवासियों का है’’ न कि उनका या महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का, न राकांपा अध्यक्ष शरद पवार का या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। एआईएमआईएम के अध्यक्ष ने शनिवार को शाम को यहां एक रैली को संबोधित करते हुए जानना चाहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख पवार ने शिवसेना सांसद संजय राउत के लिए क्यों प्रधानमंत्री मोदी से गुहार लगाई और राज्य में राकांपा के मंत्री नवाब मलिक के लिए क्यों नहीं पैरवी की जिन्हें धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किया गया है।
भाजपा, शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस पर करारा प्रहार करते हुए ओवैसी ने दावा किया कि ये पार्टिंया अपना वोट बैंक बचाना चाहती हैं, इसलिए जब अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य को निशाना बनाया जाता है तो ये प्रतिक्रिया नहीं करते। उन्होंने मंहगाई और अन्य मुद्दों का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री देश पर अपने सफल शासन का जश्न मना रहे हैं, लेकिन उन्हें एहसास नहीं है कि देश किस मुश्किल दौर से गुजर रहा है।
ओवैसी ने कहा, ‘‘अगर भारत किसी का है तो, वह द्रविड़ों और आदिवासियों का है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे (अन्य पार्टियां) 600 साल का उदाहरण देती हैं लेकिन मैं आपको 65 हजार साल से अधिक का उदाहरण देता हूं। यह देश ठाकरे, पवार, ओवैसी, मोदी या शाह का नहीं था बल्कि द्रविड और आदिवासियों का था।’’ ओवैसी ने दावा किया कि अगर कोई मुख्यमंत्री ठाकरे, पवार, मोदी या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी (आदित्यनाथ) की आलोचना करता है तो वे (संबंधित पार्टियां) तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं और कार्रवाई करते हैं, ‘‘लेकिन जब हमारी आलोचना होती है या हमारे खिलाफ टिप्पणी होती है तो कोई प्रतिक्रिया नहीं देता।
ओवैसी ने मुस्लिमों, दलितों और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सहित अन्य से अपील की कि वे समझें कि ‘‘उनकी सहायता के लिए कथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां नहीं आएंगी’’क्योंकि वे केवल अपने वोट बैंक को लेकर चिंतित हैं। ओवैसी ने कहा कि किसी को भी उन्हें चुनौती नहीं देनी चाहिए या उकसाना नहीं चाहिए नहीं तो वह उन्हें ‘‘आइना दिखाएंगे।’’ उन्होंने दावा किया कि मुस्लिमों को मस्जिद के साथ-साथ हिजाब पहनने और हलाल मीट जैसे मुद्दों को लेकर निशाना बनाया जा रहा है। 
ओवैसी ने इसके साथ ही समुदाय से इनके खिलाफ लड़ने की अपील की। ओवैसी ने दावा किया कि महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सत्तासीन राकांपा के नेता पवार ने प्रधानमंत्री मोदी से सांसद राउत के लिए गुहार लगाई। उन्होंने सवाल किया, ‘‘ क्यों उन्होंने (पवार ने) नवाब मलिक के लिए गुहार नहीं लगाई? राउत के बारे में खास क्या है?’’ ज्ञानवापी मस्जिद विवाद का संदर्भ देते हुए ओवैसी ने कहा कि वे (केंद्र सरकार) अलग-अलग स्थानों की खुदाई चाहते हैं, लेकिन उन्हें वहां कुछ नहीं मिलेगा।
’उन्होंने कहा, ‘‘ वे उसे (ज्ञानवापी मस्जिद को) बाबरी मस्जिद की तरह मिटाना चाहते हैं।’’ ओवैसी ने कहा कि बाबरी ढांचा विवाद में अदालत का फैसला आने के बाद उन्होंने कहा था कि अब वे (सरकार) ज्ञानवापी और लखनऊ सहित अन्य मस्जिदों की खुदाई शुरू करेंगे और उनका दावा सच हो रहा है।

पनीर के फूल का सेवन करना, बेहद फायदेमंद

पनीर के फूल का सेवन करना, बेहद फायदेमंद 

सरस्वती उपाध्याय          
आपने पनीर के बारे में तो सुना होगा, लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि पनीर का फूल भी होता है। इस फूल का भी सेवन किया जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि भला इसका उपयोग कैसे किया जाता है और इसके क्या-क्या फायदे आपको मिल सकते हैं, तो आइए जानने का प्रयास करते हैं कि पनीर के फूल ब्लड शुगर कंट्रोल में कैसे प्रभावी है ? 
वर्तमान समय में डायबिटीज से ज्यादातर लोग पीड़ित हैं। इससे निपटने के लिए कुछ लोग दवाइयों पर निर्भर हैं तो कुछ लोग एहतियात अपनाते हैं। बता दें कि यह एक ऐसी बीमारी है जिसे कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में आपको सही खानपान, हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ-साथ कुछ घरेलू उपाय अपनाने होंगे, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसे में पनीर का फूल भी काफी फायदे है। डायिबटीज मरीजों के लिए यह रामबाण इलाज हो सकता है। दरअसल, इसका उपयोग करन से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। अब आप सोच रहे होंगे कि इस फूल का कैसे इस्तेमाल करें, तो आइए जानते हैं।
वर्तमान समय में डायबिटीज से ज्यादातर लोग पीड़ित हैं। इससे निपटने के लिए कुछ लोग दवाइयों पर निर्भर हैं तो कुछ लोग एहतियात अपनाते हैं। बता दें कि यह एक ऐसी बीमारी है जिसे कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में आपको सही खानपान, हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ-साथ कुछ घरेलू उपाय अपनाने होंगे, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल किया जा सकता है।
ऐसे में पनीर का फूल भी बेहद फायदेमंद है। डायिबटीज मरीजों के लिए यह रामबाण इलाज हो सकता है। दरअसल, इसका उपयोग करन से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। 

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...