रविवार, 29 मई 2022

जुलाई-अगस्त तक ऊर्जा संकट खड़ा हो सकता है

जुलाई-अगस्त तक ऊर्जा संकट खड़ा हो सकता है

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारत में ताप बिजली संयंत्रों में मानसून से पहले कोयला भंडार की कमी होने से संकेत मिल रहा है कि जुलाई-अगस्त तक देश में एक और ऊर्जा संकट खड़ा हो सकता है। स्वतंत्र शोध संगठन सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लिन एयर (सीआरईए) की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। खदानों पर लगे ऊर्जा स्टेशनों के पास अभी 1.35 करोड़ टन का कोयला भंडार है और देशभर के ऊर्जा संयंत्रों के पास 2.07 करोड़ टन कोयला भंडार है। सीआरईए ने अपनी ‘‘भार उठाने में विफल। भारत का ऊर्जा संकट कोयला प्रबंधन का संकट है’ शीर्षक की रिपोर्ट में कहा है, ‘‘आधिकारिक स्रोतों से एकत्रित आंकड़े बताते हैं कि कोयला आधारित बिजली संयंत्र ऊर्जा की मांग में मामूली बढ़ोतरी को भी झेलने की स्थिति में नहीं हैं और कोयला परिवहन की योजना पहले से बनाने की जरूरत है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) का अनुमान है कि अगस्त में ऊर्जा की अधिकतम मांग 214 गीगावॉट पर पहुंच जाएगी, इसके अलावा औसत बिजली की मांग भी मई के दौरान 13,342.6 करोड़ यूनिट से अधिक हो सकती है।
सीआरईए ने कहा, ‘‘दक्षिणपश्चिमी मानसून के आगमन से खनन में और खदानों से बिजली स्टेशनों तक कोयले के परिवहन में भी मुश्किलें आएंगी। मानसून से पहले यदि कोयला भंडार को पर्याप्त स्तर तक नहीं बनाया गया, तो जुलाई-अगस्त में देश को एक और बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि हाल में देश में जो बिजली संकट आया था उसकी वजह कोयला उत्पादन नहीं बल्कि इसका ‘‘वितरण और अधिकारियों की उदासीनता’’ थी। इसमें कहा गया, ‘‘आंकड़ों से यह जाहिर है कि पर्याप्त कोयला खनन के बावजूद ताप बिजली संयंत्रों में कोयले का पर्याप्त भंडार नहीं रखा गया।
भारत में 2021-22 में कोयले का 77.72 करोड़ टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ जो इससे एक साल पहले के 71.60 करोड़ टन उत्पादन की तुलना में 8.54 प्रतिशत अधिक है। सीआरईए में विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा 2021-22 में देश की कुल खनन क्षमता 150 करोड़ टन रही जबकि कुल उत्पादन 77.72 करोड़ टन रहा जो उत्पादन क्षमता का ठीक आधा है।
दहिया ने कहा कि यदि कोयले की वास्तव में कमी होती तो कोयला कंपनियों के पास उत्पादन बढ़ाने का विकल्प था। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अभी-अभी बनी है ऐसा नहीं है, बल्कि बिजली संयंत्रों के पास से तो मई, 2020 से ही कोयले का भंडार लगातार घट रहा है। दहिया ने कहा कि पिछले वर्ष बिजली संकट की स्थिति बनने का प्रमुख कारण यह था कि बिजली संयंत्र परिचालकों ने मानसून से पहले कोयले का पर्याप्त भंडार नहीं बनाया था।

4 साल के लिए सेना में युवाओं की भर्ती की जाएगी

4 साल के लिए सेना में युवाओं की भर्ती की जाएगी

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। देश की सेवा के लिए भारतीय सेना में शामिल होना युवाओं का सपना होता है। लेकिन पिछले कई सालों से सेना में भर्ती प्रक्रिया थमी हुई है, इससे युवाओं में हताशा है। ऐसे में अग्निपथ योजना (टूर ऑफ ड्यूटी) के तहत भारत के युवाओं को भारतीय सेना, नेवी और एयरफोर्स में भर्ती करने की तैयारी की जा रही है। इसमें 4 साल के लिए युवाओं की सेना में भर्ती की जाएगी।
जानकारी के अनुसार, ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ के तहत भर्ती किए गए जवानों में से 100 फीसदी चार साल बाद सेवा से मुक्त किए जाएंगे। इनमें से 25 फीसदी को पूर्ण सेवा के लिए फिर से सूचीबद्ध किया जाएगा।
जानकार बताते हैं कि प्रारंभिक प्रस्ताव के विपरीत ‘टूर ऑफ़ ड्यूटी’ के तहत युवाओं की तीन साल के लिए भारतीय सेना में शामिल होने की बात कही जा रही थी। लेकिन अब चार साल की संविदा सेवा के बाद इन सैनिकों को सेवा मुक्त किए जाने के करीब 30 दिनों की अवधि के साथ उनमें से 25 फीसदी को वापस बुला लिया जाएगा। शामिल होने की एक नई तारीख के साथ सैनिकों के रूप में फिर से भर्ती किया जाएगा।
सैनिकों को उनकी पिछले 4 सालों की संविदा सेवा को वेतन और पेंशन के निर्धारण के लिए उनकी पूर्ण सेवा में नहीं गिना जाएगा। इस तरह से एक बड़ी राशि की बचत होने की उम्मीद है। सूत्रों का कहना है कि तीन सेवाओं में सैनिकों के कुछ ट्रेडों के लिए कुछ अपवाद होंगे, जिसमें उनकी नौकरी की तकनीकी नेचर की वजह से उन्हें 4 साल की संविदा सेवा से परे रखा जा सकता है। इनमें आर्मी मेडिकल कोर में सेवारत कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं।

'भारत के कब्जे वाली भूमि' वापस लेने के लिए प्रतिबद्ध

'भारत के कब्जे वाली भूमि' वापस लेने के लिए प्रतिबद्ध  

अखिलेश पांडेय       
काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार 'भारत के कब्जे वाली विवादित भूमि' वापस लेने के लिए प्रतिबद्ध है। बजट पेश करने से पहले संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश की जमीन की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
कालापानी क्षेत्र में नेपाल और भारत के बीच लंबे समय से सीमा विवाद है। के.पी. शर्मा ओली सरकार ने मई 2020 में कल्पना, लिपुलेख और लिंपियाधुरा - सभी भारतीय क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक नए राजनीतिक मानचित्र का अनावरण किया था। भारत ने नेपाल द्वारा एकतरफा क्षेत्रीय विस्तार को "काटरेग्राफिक अभिकथन' के रूप में खारिज कर दिया था और नेपाल से स्थापित राजनयिक तंत्र के माध्यम से विवाद को निपटाने का आग्रह किया था।
देउबा ने शनिवार को कहा कि चूंकि सीमा से संबंधित मुद्दा संवेदनशील है, इसलिए सरकार इसे बातचीत और कूटनीतिक तरीकों से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल के हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री ओली ने शुक्रवार को सदन को संबोधित करते हुए भारत के कब्जे वाली जमीन को वापस लेने में विफल रहने के लिए देउबा सरकार की आलोचना की।
देउबा ने कहा कि भारत के साथ संबंध बहुआयामी हैं और सहयोग के क्षेत्र विविध हैं।उन्होंने ओली को दिए जवाब में कहा, "हम अपने विदेशी संबंधों का संचालन करते हुए गुटनिरपेक्षता की नीति पर चल रहे हैं। राष्ट्रीय हित, पारस्परिक लाभ और सम्मान बनाए रखते हुए सरकार पड़ोसियों और सभी मित्र राष्ट्रों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। नेपाल से संबंधित भूमि की रक्षा के लिए सरकार भी प्रतिबद्ध है।
देउबा ने अपने बयान में नेपाल और भारत के बीच पहली बार 2014 में हस्ताक्षरित ऊर्जा सहयोग पर भी प्रकाश डाला। पिछले जुलाई में देउबा के सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार ने पहले ही भारत को एक जलविद्युत परियोजना का अनुबंध देने का फैसला किया है और दूसरे को विकसित करने के लिए बातचीत जारी है।
तीन साल से लंबित नेपाल-भारत संबंधों पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के मुद्दे पर देउबा ने ओली से पूछा कि उन्हें तीन साल पहले रिपोर्ट क्यों नहीं मिली थी।
2016 में वापस, नेपाल और भारत ने नेपाल-भारत मैत्री संधि 1950 सहित द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करने के लिए आठ सदस्यीय ईपीजी का गठन किया था, और इसने कहा कि एक विस्तृत रिपोर्ट के साथ आने के लिए लगभग साढ़े तीन साल तक काम किया है और इसे जल्द ही नेपाल और भारत के प्रधानमंत्रियों को सौंपेंगे। भारतीय पक्ष कुछ आपत्तियों के कारण रिपोर्ट को स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक था।
ओली ने रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए माहौल बनाने में विफल रहने के लिए देउबा सरकार की आलोचना की थी। जब ईपीजी रिपोर्ट तैयार हुई तो ओली नेपाल में प्रधानमंत्री थे।
देउबा ने ओली से कहा, आपको तीन साल पहले रिपोर्ट प्राप्त करने से किस बात ने रोका नेपाल सरकार एक ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि रिपोर्ट दोनों पक्षों को सौंपी जा सके।
ओली द्वारा एक-चीन नीति का सम्मान करने की नेपाल की लंबे समय से चली आ रही स्थिति के उल्लंघन पर सवाल उठाने के बाद देउबा ने चीन के साथ नेपाल के संबंधों पर भी बात की। ओली ने कहा कि हाल ही में एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने काठमांडू स्थित तिब्बती शिविरों का दौरा किया, जिसने नेपाल की एक-चीन नीति का उल्लंघन किया है। नेपाल लगभग 15,000 तिब्बती शरणार्थियों का घर है और कुछ 6,000 दस्तावेजीकरण से वंचित हैं। अमेरिका और कुछ पश्चिमी देश नेपाल सरकार पर पंजीकरण से वंचित शेष तिब्बतियों को शरणार्थी पहचान पत्र प्रदान करने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
देउबा ने कहा कि सरकार एक चीन की नीति के लिए प्रतिबद्ध है और पूरी तरह से जानती है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल उसके पड़ोसियों के खिलाफ नहीं किया जाएगा।

नगरीय निकाय चुनाव में नए प्रयोग करने की तैयारी

नगरीय निकाय चुनाव में नए प्रयोग करने की तैयारी  

मनोज सिंह ठाकुर     

भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में नए प्रयोग करने की तैयारी में है। यह प्रयोग वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। राज्य में पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है जो गैर दलीय आधार पर हो रहे हैं तो वही नगरीय निकाय चुनाव की तारीख का भी जल्दी एलान हो सकता है जो दलीय आधार पर होंगे। नगर निगम में महापौर का चुनाव जहां सीधे जनता करने वाली है, वही नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्षों का चुनाव पार्षदों द्वारा किया जाएगा।भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने नगरीय निकाय चुनाव में नए चेहरों को ज्यादा तरजीह देने की रणनीति बनाई है। इस पर संगठन से जुड़े लोग मंथन भी कर चुके हैं। 

आगामी समय में जल्दी ही पार्टी की समितियां गठित हो जाएंगी और वे निचले स्तर पर उन संभावित चेहरों की तलाश करेंगी जो साफ-सुथरे हैं और पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर काम भी कर रहे हैं।भाजपा वर्षों से मध्य प्रदेश में लगातार नए प्रयोग करती आ रही है, वर्तमान में संगठन के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा से लेकर प्रदेश कार्यकारिणी और जिला स्तर के पदाधिकारी पर गौर किया जाए तो अधिकांश नए चेहरे हैं। इसी तरह का प्रयोग नगरीय निकाय चुनाव में होने वाला है। इन चुनावों में पार्टी विभिन्न क्षेत्रों के पढ़े लिखे और सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों को प्राथमिकता देने वाली है।पार्टी सूत्रों का कहना है कि ऐसा करने के पीछे नए चेहरों को सामने लाने के अलावा राज्य में परिवारवाद पर भी अंकुश लगाना बड़ा मकसद है। पार्टी लगभग यह भी मन बना चुकी है कि एक परिवार से एक व्यक्ति ही उम्मीदवार बनाया जाएगा, वहीं अगर उस परिवार का सदस्य संगठन में पदाधिकारी है तो उसे टिकट नहीं दिया जाएगा। हां उसके पास यह विकल्प चुनने का जरूर अवसर रहेगा कि वह संगठन का पद छोड़ दें और अपने लिए अथवा परिवार के सदस्य के लिए टिकट मांगे।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ हितेष वाजपेई का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव किसी भी राजनीतिक दल के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और भाजपा भी इन चुनावों को लेकर गंभीर है। पार्टी हमेशा अपनी नीतियों और योजनाओं के साथ जनता के हित में किए गए कामों को लेकर चुनाव के मैदान में जाती है। इस चुनाव में भी ऐसा ही होगा। जहां तक उम्मीदवारी की बात है, पार्टी की ओर से सक्षम व्यक्ति का उम्मीदवार के तौर पर चयन किया जाएगा।


देश की पहली आरआरटीएस ट्रेन चलाने का लक्ष्य

देश की पहली आरआरटीएस ट्रेन चलाने का लक्ष्य 

अकांशु उपाध्याय/अश्वनी उपाध्याय 
नई दिल्ली/गाजियाबाद। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के प्रायोरिटी सेक्शन पर मार्च 2023 तक देश की पहली आरआरटीएस ट्रेन चलाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एनसीआरटीएस तेजी से कार्य कर रहा है। इस कॉरिडोर पर चलने वाली आरआरटीएस ट्रेनें गुजरात के सावली से जल्द गाजियाबाद स्थित दुहाई डिपो पहुंचेंगी। दुहाई डिपो में इनके लिए ट्रैक बनकर तैयार हो चुके हैं और ट्रेन की टेस्टिंग के लिए भी पूरी तैयारी है। आरआरटीएस ट्रेनों के संचालन के लिए दुहाई डिपो में ही प्रशासनिक भवन बनाया गया है।
17 किमी लंबे प्रायोरिटी सेक्शन में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई आरआरटीएस स्टेशन और दुहाई डिपो हैं। आरआरटीएस ट्रेनों के लिए दुहाई डिपो में 11 स्टेबलिंग लाइन, 2 वर्कशॉप लाइन, 3 इंटरनल-बे लाइन (आईबीएल) और एक हेवी इंटरनल क्लीनिंग (एचईसी) लाइन बनाई जा रही हैं, जिनमें एक वर्कशॉप और एक आईबीएल लाइन का निर्माण अंतिम चरण में हैं, जबकि बाकी लाइनों का निर्माण पूरा हो चुका है।
स्टेबलिंग लाइनों का प्रयोग ट्रेनों के खड़ा करने के लिए किया जाता है। वर्कशॉप लाइनों पर ट्रेनों के रख रखाव और तकनीकी खराबियों को ठीक किया जाता है। आईबीएल लाइनें ट्रेनों की टेस्टिंग के लिए बनाई जाती हैं और हेवी इंटरनल क्लीनिंग लाइन पर ट्रेनों के भीतर की सफाई की जाती है।
आरआरटीएस ट्रेनों को जनता के लिए ऑपरेशनल करने से पहले इसकी कई प्रकार की टेस्टिंग की जाती है। साथ ही सिग्नलिंग, रोलिंग स्टॉक और सतत विद्युत सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए इसे कई प्रक्रियाओं द्वारा जांचा-परखा जाता है। सभी प्रक्रियाओं की सफल टेस्टिंग के बाद प्री-ऑपरेशनल ट्रायल होता है, जिसमें सफल होने के बाद ही ट्रेन को यात्रियों के लिए ऑपरेशनल किया जाता है।
दुहाई डिपो में ट्रेनों के लिए रूफ शेड लगाने, अंडरपास और बाउंड्री वॉल के निर्माण समेत अन्य कई कार्य तेजी से चल रहे हैं। इसके साथ ही ट्रेनों के लिए विद्युत आपूर्ति के लिए ओएचई लगाने का काम जल्द शुरू होने वाला है। डिपो में ओएचई लगाने के लिए पोल और केंटीलिवर लगाए जा चुके हैं। जल्द ही पूरा डिपो ट्रेनों के संचालन के लिए तैयार हो जाएगा।
इसके साथ ही दुहाई आरआरटीएस स्टेशन को दुहाई डिपो से जोड़ने वाले वायाडक्ट का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। इस वायाडक्ट के पूरा होने के साथ ही ट्रेनों के लिए डिपो से बाहर निकलने के लिए लाइन तैयार हो जाएगी। वहीं प्रायोरिटी सेक्शन पर ट्रैक बिछाने और ओएचई लगाने का कार्य भी प्रगति पर है।

लिपुलेख-लिंपियाधुरा व कालापानी का मुद्दा उठाया

लिपुलेख-लिंपियाधुरा व कालापानी का मुद्दा उठाया 

सुनील श्रीवास्तव
काठमांडू। नेपाल ने उत्तराखंड के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी का मुद्दा फिर उठाया है। अब प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने भी इन तीनों क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताया। कहा कि इस मामले में नेपाल का रुख पूरी तरह दृढ़ है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के कार्यकाल में भी नेपाल इन क्षेत्रों पर अपना दावा कर चुका है।
देउबा ने कहा कि हमारा देश तटस्थ विदेश नीति पर चलता रहा है। नेपाल सरकार ने हमेशा राष्ट्रीय हित को सामने रखा है। पड़ोसियों और अन्य देशों से जुड़े मुद्दों में हम आपसी लाभ की नीति पर चलते हैं। सरकार अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहती है। देउबा ने कहा, सीमा का मुद्दा एक संवेदनशील मामला है। हम समझते हैं कि इन मुद्दों का समाधान संवाद के माध्यम से निकाला जा सकता है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए हम राजनयिक चैनलों के जरिये प्रयास कर रहे हैं।
बता दें कि भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल ने चाल चलते हुए 20 मई 2020 को कैबिनेट में नए नक्शे को पेश किया था। जिसे नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा ने 13 जून को अपनी मंजूरी दे दी थी। इसमें भारत के कालापानी, लिपु लेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। वहीं भारत ने इसका विरोध करने के लिए नेपाल को एक डिप्लोमेटिक नोट भी सौंपा था। इसके अलावा, भारतीय विदेश मंत्रालय ने नेपाल के नए नक्शे को एतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ भी करार दिया था।
नेपाल के इस कदम से भारत के साथ उसके रिश्‍तों पर गहरा असर पड़ रहा है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि इस सीमा विवाद का हल बातचीत के माध्यम से निकालने के लिए आगे बढ़ना होगा। इसके बाद नेपाल ने पिथौरागढ़ से सटे बॉर्डर पर बरसों पुराने एक रोड प्रोजेक्‍ट को शुरू करवा दिया। यह रोड रणनीतिक रूप से अहम है और उसी इलाके में है जहां पर नेपाल अपना कब्‍जा बताता रहा है।


31 को जिला कलेक्ट्री पर प्रदर्शन कर, सभा की जाएगी

31 को जिला कलेक्ट्री पर प्रदर्शन कर, सभा की जाएगी 

नरेश राघानी  
उदयपुर। देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ वामपंथी दलों द्वारा आगामी 31 मई को यहां जिला कलेक्ट्री पर प्रदर्शन कर सभा की जाएगी। माकपा के जिला सचिव राजेश सिंघवी ने बताया कि जिला कलेक्ट्री, उदयपुर पर प्रदर्शन और सभा के पूर्व टाउन हाल से रेली निकलेगी, जो देहली गेट होते हुए कलेक्ट्री पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि बढ़ती महंगाई से लोगों पर अभूतपूर्व बोझ पड़ा है। 
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में 70 प्रतिशत सब्जियों में 20 प्रतिशत खाना पकाने के तेल में 23 प्रतिशत और अनाज की कीमतों में आठ प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।

'समाधान दिवस' में फरियादियों की समस्याएं सुनीं

'समाधान दिवस' में फरियादियों की समस्याएं सुनीं  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर थाना खालापार पर आय...