बुधवार, 18 मई 2022

बैजल ने उप-राज्यपाल के पद से इस्तीफा दिया

बैजल ने उप-राज्यपाल के पद से इस्तीफा दिया

अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। अनिल बैजल ने दिल्ली के उप-राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया है। वो 31 दिसंबर 2016 को दिल्ली का उप-राज्यपाल बने थे। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी रहे अनिल बैजल को तब दिल्ली का एलजी बनाया गया था जब दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों को लेकर खींचतान चरम पर पहुंच गई थी। उस वक्त दोनों सरकारें दिल्ली की नौकरशाही पर अधिकारों को लेकर एक-दूसरे के आमने-सामने थी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था।


ऐसी ही परिस्थिति में तत्कालीन उप-राज्यपाल नजीब जंग ने इस्तीफा दे दिया था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 28 दिसंबर 2016 को नजीब जंग का इस्तीफा स्वीकार किया था और तीसरे दिन 31 दिसंबर को अनिल बैजल दिल्ली के 20वें उप-राज्यपाल बनाए गए थे। वो 1969 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं, जो दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने प्रसार भारती और इंडियन एयरलाइंस जैसी सरकारी कंपनियों के शीर्ष पदों पर भी रहे थे। वर्ष 2004 में जब कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार केंद्र में बनी तब बैजल केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव थे। हालांकि, नई सरकार ने उन्हें इस पद से मुक्त कर दिया था।

सरकार में चल रहें भ्रष्टाचार व महंगाई की बात करें

सरकार में चल रहें भ्रष्टाचार व महंगाई की बात करें

कविता गर्ग

पुणे। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमंत पाटिल ने बुधवार को कहा कि अन्ना हजारे स्वयं को समाज सुधारक कहते हैं तो वह उन्हें चुनौती देते हैं कि अन्ना केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में चल रहे भ्रष्टाचार और देश में महंगाई की बात करें। भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा ‘अन्ना’ पर तीखे हमले करते हुए श्री पाटिल ने कहा कि अन्ना हजारे केवल भाजपा की कठपुतली बन गए हैं और लोग अब उन्हें धमकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, अन्ना ने गलत समझा है कि वह देश के दूसरे गांधी हैं। वह महाराष्ट्र में लोकपाल की नियुक्ति के लिए राजनीतिक उद्देश्यों की खातिर आंदोलन करने की धमकी दे रहे हैं।

उन्होंने प्रश्न करते हुए कहा कि जब दिल्ली में पूरे देश के किसान न्याय के लिए अपने जीवन का बलिदान दे रहे थे, तब 'स्वघोषित गांधी' चुप क्यों थे ? उन्होंने कहा कि अन्ना ने किसान आंदोलन के समर्थन में अपनी उपस्थिति की घोषणा की थी। हालांकि, जब मोदी सरकार ने अन्ना के सामने झुकने के लिए फडनवीस की एक टीम भेजी, तो अन्ना ने अपना मन बदल लिया। भाजपा के विपक्ष में होने पर ही अन्ना को आंदोलन करने की ताकत मिलती है। इस बल के पीछे के राजनीतिक उद्देश्यों से हर कोई वाकिफ है।उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे के शांतिपूर्ण और बिना पक्षपात के आंदोलन से उन्हें कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंद स्वराज्य ट्रस्ट के ट्रस्टी रहते हुए अन्ना ने अपने जन्मदिन पर ट्रस्ट फंड से एक लाख रुपये से अधिक खर्च किए थे।


कर्मचारियों के राशन कार्ड को रद्द करने का निर्णय

कर्मचारियों के राशन कार्ड को रद्द करने का निर्णय  

अविनाश श्रीवास्तव          

पटना। बिहार सरकार ने सरकारी कार्यालयों में कार्यरत 10 हजार रुपये और उससे अधिक आय वर्ग वाले कर्मचारियों के राशन कार्ड को रद्द करने का निर्णय लिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यहां बताया कि सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के तहत योग्य नहीं पाए जाने वालों के राशन कार्ड रद्द करने का निर्देश दिया है। साथ ही विभिन्न सरकारी कार्यालयों में अनुबंध के आधार पर काम करने वाले और मानदंड को पूरा नहीं करने वाले कर्मचारियों के राशन कार्ड भी रद्द कर दिए जाएंगे।

इस निर्णय को 31 मई 2022 तक क्रियान्वित किया जाना है, जिसके लिए राज्य भर में विशेष अभियान चलाने का निर्देश जारी किया गया है। खाद्य विभाग के सचिव विनय कुमार ने कहा कि इस संबंध में जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मानदंड के दायरे में नहीं आने वालों को राशन कार्ड वापस करने को कहा गया है। जिलाधिकारियों को भी इस्तेमाल नहीं किये जा रहे राशन कार्डों को तत्काल निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।


राजनीति: भाजपा पर मायावती का करारा हमला

राजनीति: भाजपा पर मायावती का करारा हमला

संदीप मिश्र
वाराणसी/लखनऊ। वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में लंबे समय से चल रहे विवादों और अदालत की सुनवाई के बीच, बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कथित तौर पर धार्मिक स्थलों को लक्षित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी पर हमला किया। गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी विशेष धर्म से जुड़े स्थानों के नाम बदलने से केवल नफरत पैदा होगी और आगाह किया कि इससे देश कमजोर होगा।

मायावती ने कहा, “देश में बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी और आसमान छूती महंगाई जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी और उसके सहयोगी संगठन खासतौर पर धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे हैं और यह बात किसी से छिपी नहीं है।
“यह स्थिति कभी भी खराब कर सकती है। स्वतंत्रता के वर्षों बाद जिस तरह से लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया जा रहा है, ज्ञानवापी, मथुरा, ताजमहल और अन्य स्थानों की आड़ में एक साजिश के तहत, देश को मजबूत नहीं करेगा बल्कि मजबूत करेगा। केवल इसे कमजोर करें। भाजपा को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।”
मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि एक के बाद एक धर्म विशेष से जुड़े स्थानों के नाम बदले जा रहे हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट के 9 न्यायाधीशों ने शपथ ग्रहण की

दिल्ली हाईकोर्ट के 9 न्यायाधीशों ने शपथ ग्रहण की

अकांशु उपाध्याय

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के 9 न्यायाधीशों ने बुधवार को पद की शपथ लीं। इसके साथ ही उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या-44 हो गई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने न्यायमूर्ति तारा वितास्ता गंजू, न्यायमूर्ति मिनी पुष्करण, न्यायमूर्ति विकास महाजन, न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला, न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा, न्यायमूर्ति सचिन दत्ता, न्यायमूर्ति अमित महाजन, न्यायमूर्ति गौरांग कंठ और न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी को शपथ दिलाई। केंद्र सरकार ने इन नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की अधिसूचना 13 मई को जारी की थी।

मुख्य न्यायाधीश की अदालत में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया तथा इस मौके पर उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश, वकील और नवनियुक्त न्यायाधीशों के परिजन उपस्थित थे। उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम ने न्यायमूर्ति गंजू और न्यायमूर्ति पुष्करण को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने को अगस्त 2020 में मंजूरी दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय में अब न्यायाधीशों की कुल संख्या 44 हो गई है, जिसमें 12 महिला न्यायाधीश हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 60 है।


सीएम को किसानों से पंगा नहीं लेना चाहिए: सिद्धू

सीएम को किसानों से पंगा नहीं लेना चाहिए: सिद्धू 

अमित शर्मा         

चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को कहा, कि मुख्यमंत्री भगवंत मान काे किसानों से पंगा नहीं लेना चाहिए और जहां तक ‘मुर्दाबाद‘ के नारों की बात है, सुनने की आदत डाल लें क्योंकि विपक्ष में वह खुद हमेशा ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने किसानों के आंदोलन को ‘अनुचित’ और ‘अवांछनीय’ करार देते हुए पंजाब में पानी के गिरते स्तर एवं पर्यावरण को बचाने में प्रदेश की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से सहयोग की अपील वाला बयान जारी किया था।

इसी बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिद्धू ने ट्वीट की एक श्रृंखला में कहा कि वह बासमती और मूंग पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा का स्वागत करते हैं और मंत्रिमंडल की बैठक बुलाने और इसे अधिसूचित करने की मांग करते हैं, ताकि किसानों को विश्वास हो। उन्होंने कहा कि जहां तक ‘मुर्दाबाद’ की बात है तो मान खुद विपक्ष में जिंदगी भर ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाते रहे हैं, अत: उन्हें ‘अन्नदाता’ को सुनने की आदत डालनी चाहिए।


500 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देने पर विचार

500 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देने पर विचार  

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव        

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। भारत की रूस पर हथियारों के लिए निर्भरता कम करने की दिशा में अमेरिका एक बड़ा कदम उठा सकता है। वह भारत को 500 मिलियन डॉलर, यानी लगभग 3800 करोड़ रुपये की सैन्य सहायता देने पर विचार कर रहा है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से ब्लूमबर्ग ने बताया कि इतनी मोटी रकम देने के पीछे अमेरिकी की मंशा भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत बनाना भी है। अगर भारत को ये रकम मिलती है, तो वह इजरायल और इजिप्ट के बाद अमेरिका से सबसे बड़ी सैन्य सहायता पाने वाला देश बन जाएगा। ये घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है, जब भारत अमेरिका की कथित नाराजगी को नजरअंदाज रूसी मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 को तैनात करने जा रहा है।

ब्लूमबर्ग ने अमेरिका के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से बताया कि इस कवायद के पीछे अमेरिका का मकसद भारत की हथियारों के लिए रूस पर निर्भरता कम करना चाहता है। भारत दुनिया में रूसी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है। दुनिया में हथियारों की खरीद-फरोख्त पर नजर रखने वाली संस्था स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक में उसने रूस से 25 अरब डॉलर के सैन्य साजोसामान खरीदे हैं। जबकि अमेरिका से 4 अरब डॉलर के हथियार ही भारत ने खरीदे। पड़ोसी चीन और पाकिस्तान से खतरे को देखते हुए हथियार खरीदना भारत की मजबूरी है। भारत ने रूस से हथियार खरीदने कम किए हैं। लेकिन अब भी उसके सैन्य आयात का बड़ा हिस्सा रूस से आता है।

यूक्रेन पर हमला करने को लेकर रूस इन दिनों अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के निशाने पर है। तमाम देशों ने उस पर पाबंदी लगा दी है। लेकिन भारत ने अब तक तटस्थ रुख अपनाया हुआ है। अमेरिका की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत ने यूक्रेन हमले के लिए रूस की सीधी आलोचना नहीं की है। रूस से संबंध तोड़ने की तमाम अपीलों के बावजूद भारत उससे सस्ते दामों पर तेल खरीद रहा है। इसे लेकर शुरू में अमेरिका में काफी नाखुशी भी देखी गई। लेकिन अब वो उसे बड़े सुरक्षा सहयोगी के रूप में लुभाने में जुट गया है।

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...