शनिवार, 14 मई 2022

एडमिशन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि बढ़ाने को मंजूरी

एडमिशन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि बढ़ाने को मंजूरी 

अकांशु उपाध्याय

नई दिल्ली । सीयूईटी एडमिशन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि बढ़ाए जाने के मद्देनजर, जामिया कुलपति ने पीएचडी को छोड़कर जामिया के बाकी सभी पोस्ट ग्रेजुएट / अंडर ग्रेजुएट / पीजी डिप्लोमा / डिप्लोमा/ एडवांस डिप्लोमा कोर्स और विदेशी नागरिक/एनआरआई वार्ड के लिए शैक्षणिक सत्र 2022-2023 के ऑनलाइन एडमिशन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 13 मई, 2022 से 25 मई, 2022 तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी है।

जिन आवेदकों ने सीयूईटी के तहत जामिया कोर्सेज़ के लिए आवेदन किया है। उन्हें भी यूनिवर्सिटी एग्ज़ामिनेशन वेबसाइट पर 205.2022 तक जेएमआई पंजीकरण फॉर्म भरना होगा।

न्यूजीलैंड की पीएम, कोरोना संक्रमित मिलीं

न्यूजीलैंड की पीएम, कोरोना संक्रमित मिलीं 

अखिलेश पांडेय          
वेलिंगटन। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने शनिवार को कहा कि वह कोरोना संक्रमित पाई गई हैं। अर्डर्न ने शनिवार सुबह सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट में कहा, "सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद दुर्भाग्य से मैं अपने परिवार के बाकी सदस्यों में शामिल हो गयी और कोविड -19 से ग्रसित पायी गयी।" सुश्री अर्डर्न रविवार से अपने परिवार के साथ घर पर आइसोलेट है। सुश्री अर्डर्न ने अपने मंगेतर क्लार्क गेफोर्ड ने कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद खुद को आइसोलेट कर लिया था। 
उन्होंने कहा, "हम रविवार से ही अलग-थलग हैं, जब श्री क्लार्क पहली बार कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। नेव (सुश्री अर्डर्न की बेटी) बुधवार को कोविड-19 से ग्रसित पायी गयी थी।"

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

1. अंक-218, (वर्ष-05)
2. रविवार, मई 15, 2022
3. शक-1944, वैशाख, शुक्ल-पक्ष, तिथि-चतुर्दशी, विक्रमी सवंत-2079।
4. सूर्योदय प्रातः 05:33, सूर्यास्त: 07:01।
5. न्‍यूनतम तापमान- 29 डी.सै., अधिकतम-44+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
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शुक्रवार, 13 मई 2022

'जलवायु परिवर्तन' के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी

'जलवायु परिवर्तन' के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी 

श्रीराम श्रेष्ठ उपाध्याय           
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी है और इस लड़ाई में हमारा सबसे बड़ा हथियार जानकारी है। जानकारी का सबसे बड़ा स्रोत मीडिया और पत्रकार बंधु हैं। इसी एहम कड़ी के महत्व को ध्यान में रखते हुए, एक उत्साहवर्धक पहल के रूप में, जलवायु परिवर्तन जैसे जटिल और तथाकथित उदासीन मुद्दे पर पत्रकारों की क्षमता संवर्धन के उद्देश्य से वैश्विक स्तर के कुछ विशेषज्ञों ने, पत्रकारों के लिये एक दिग्‍दर्शिका (गाइड) प्रकाशित की है। इसमें पर्यावरण की रिपोर्टिंग करने वाले संवाददाताओं के लिये इस बात का मार्गदर्शन प्रदान किया गया है कि वे कैसे जलवायु परिवर्तन और ताप लहर, तूफान तथा बाढ़ जैसी चरम मौसमी स्थितियों के बीच सम्‍बन्‍ध।
जोड़ने के लिये कौन-कौन से तर्क दे सकते हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी, इम्‍पीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गयी और जलवायु वैज्ञानिकों के अंतर्राष्‍ट्रीय समूह वर्ल्‍ड वेदर एट्रिब्‍यूशन द्वारा प्रकाशित इस गाइड में यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि किस तरह से एट्रिब्‍यूशन साइंस के जरिये चरम मौसमी घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़ना सम्‍भव होता है और कैसे व कहां कुछ घटनाओं को हमेशा मानव की गतिविधियों के कारण उत्‍पन्‍न वार्मिंग से जोड़कर नहीं देखा जा सकता।
हाल के समय तक, वैज्ञानिक एकल घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखने से परहेज करते थे। इसके बजाय वे इसी बात तक सीमित रहते थे कि कोई घटना इस तरह की चीजों को जाहिर कर सकती है और अगर प्रदूषणकारी तत्‍वों का उत्‍सर्जन और वार्मिंग इसी तरह जारी रही तो आशंका है
कि भविष्‍य में ऐसी और घटनाएं हो सकती हैं।
मगर वैज्ञानिकों ने ऐसी पद्धतियां विकसित की हैं, जिनसे संवाददाताओं को जलवायु परिवर्तन और किसी एकल चरम मौसमी घटना के बीच सम्‍बन्‍ध जोड़ने का मौका मिलता है। साथ ही यह गणना करने का अवसर भी मिलता है कि कोई घटना ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण कितनी कम या ज्‍यादा सम्‍भावित है और कितनी ज्‍यादा या कम तीव्रता वाली है। इन एट्रिब्‍यूशन अध्‍ययनों की मदद से
वैज्ञानिकों को ऐसे बयान देने में मदद मिलती है, जैसे- ‘‘यह ताप लहर (हीटवेव) तीन डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी। अगर ग्‍लोबल वार्मिंग नहीं होती तो यह दुनिया इतनी गर्म नहीं होती’’, या यहां तक कि जलवायु परिवर्तन के बिना कोई घटना प्रभावी रूप से संभव नहीं होती।
यहां तक कि विशिष्‍ट एट्रिब्‍यूशन अध्‍ययन की गैर-मौजूदगी में भी पत्रकार अक्‍सर जलवायु परिवर्तन और मौसमी घटनाओं के बीच सम्‍बन्‍ध स्‍थापित कर सकते हैं। यह गाइड ऐसी हिदायतें तय करती है कि पत्रकार हीटवेव, बाढ़, चक्रवात, हिमपात, सूखा और वनों की आग के मामले में क्‍या–क्‍या कह सकते हैं।
इस दिग्‍दर्शिका में कहा गया ‘‘जलवायु परिवर्तन किसी एक घटना का कारण नहीं बन सकता, क्‍योंकि सभी मौसमी घटनाओं के कई कारण हो सकते हैं, मगर जलवायु परिवर्तन इस बात को प्रभावित करता है कि वह किसी घटना को किस हद तक सम्‍भावित और कितनी तीव्रता से प्रभावित कर सकता है।’’
इस गा‍इड के निष्‍कर्षों में यह भी शामिल है कि हर हीटवेव का सम्‍बन्‍ध अब जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा सकता है और भारी वर्षा तथा दुनिया के कुछ हिस्‍सों में सूखा पड़ने की घटनाएं ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन के कारण अधिक सामान्‍य और ज्‍यादा तीव्र हो गयी हैं। कुछ अन्‍य प्रकार की चरम मौसमी स्थितियों के साथ कुछ अन्‍य महत्‍वपूर्ण कारक भी हैं, जिनके बारे में
पत्रकारों को जलवायु परिवर्तन से सम्‍बन्‍ध जोड़ते वक्‍त ख्‍याल रखना चाहिये।

ट्विटर का सौदा, फिलहाल रोका गया: मस्क

ट्विटर का सौदा, फिलहाल रोका गया: मस्क  

अखिलेश पांडेय       

वाशिंगटन डीसी। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने हाल ही में ट्विटर का सौदा किया था। लेकिन शुक्रवार को उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि यह सौदा फिलहाल रोक गिया गया है। इसके पीछे उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर फर्जी या स्पैम अकाउंट्स की लंबित जानकारी को कारण बताया है। मस्क ने कहा कि यह गणना बताती है कि प्लेटफॉर्म पर फर्जी या स्पैम अकाउंट्स की संख्या पांच फीसदी से कम है।

हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया है कि स्पैम एवं फर्जी खातों से जुड़ा ब्योरा इस सौदे को जारी रखने के लिए कितना बड़ा जोखिम खड़ा कर सकता है। इस खबर के बाद ट्विटर का शेयर प्री मार्केट ट्रेडिंग में 20% तक गिर गया है। हालांकि, होल्ड की खबर के बाद टेस्ला के सीईओ ने एक और ट्वीट कर कहा कि वह अभी भी ट्विटर के अधिग्रहण के लिए प्रतिबद्ध हैं।बता दें कि ट्विटर के सबसे बड़े शेयरधारक मस्क ने 44 अरब डॉलर में इसका अधिग्रहण करने की घोषणा की थी। मस्क के पास ट्विटर की 9.2% हिस्सेदारी है। इसके लिए उन्होंने फंड जुटाना भी शुरू कर दिया था। बता दें कि ट्विटर के पास करीब 22.9 करोड़ यूजर्स हैं।

कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता हैं 'हरियल'

कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता हैं 'हरियल'   

सरस्वती उपाध्याय            

दुनियाभर में कई ऐसे जीव-जन्तु हैं, जिनकी अपनी खास विशेषताएं हैं। आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमयी पक्षी के बारे में बताएंगे। जिसके बारे में कहते हैं कि वह अपने पूरे जीवन में कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता है। यह सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन बात बिल्कुल सच है। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या यह पक्षी कभी धरती पर उतरता ही नहीं है ? तो इसका जवाब है... हां, यह पक्षी धरती पर उतरता है, लेकिन अपने पैरों में लकड़ी का टुकड़ा लेकर।

भारत में पाया जाता है हरियल...

माना जाता है कि यह पक्षी उसी लकड़ी के टुकड़े पर बैठता है। सबसे खास बात है कि यह पक्षी भारत में बहुतायत में पाया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह पक्षी भारत के महाराष्ट्र राज्य का राजकीय पक्षी है‌। इस पक्षी का नाम हरियल है। 29 सेंटीमीटर से लेकर 33 सेंटीमीटर तक के आकार वाले इस पक्षी का वजन सिर्फ 225 ग्राम होता है। सबसे खास बात यह है कि हरियल एक सामाजिक प्राणी है, जो हमेशा झुंड में रहना पसंद करता है। हरियल के पंखों का फैलाव 17 से 19 सेंटीमीटर होता है‌। हल्के पीला और हरे रंग का हरियल ओलिव के फल से बिल्कुल मिलता-जुलता है। हरियल के सिर के ऊपर हल्के नीले-भूरे रंग के बाल उगते हैं‌। हरियल को ऊंचाई वाले पेड़ पसंद हैं‌। यह ज्यादातर जंगलों में ही रहता है. हरियल पीपल और बरगद के पेड़ों पर अपना घोंसला बनाना पसंद करते हैं और भोजन की तलाश में शहरों के पार्क में भी देखे जाते हैं।

नॉर्वे: 1700 साल पुराना तीर मिलने का अंदाजा

नॉर्वे: 1700 साल पुराना तीर मिलने का अंदाजा

सुनील श्रीवास्तव
ओस्लो। नॉर्वे में एक लौह युग (Iron Age) का एक तीर मिला है। यह तीर पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके ऐरोहेड यानी लोहे का नुकीला हिस्सा, सिन्यू रैपिंग यानी उसे बांधने वाला धागा और एयरोडायनेमिक पंख भी लगे मिले हैं। 1700 साल पुराना यह तीर फिलहाल स्टडी के लिए ग्लेशियल आर्कियोलॉजिस्ट्स पास मौजूद है। इटली के आल्प्स पहाड़ियों पर रहने वाले ओट्जी द आइसमैन (Ötzi the Iceman) 5300 साल पहले ही खत्म हो गए थे। ये लोग तीर के फ्लेचिंग्स, यानी इसमें लगने वाले पंखों को संभालकर रखते थे। यह तीर 1700 साल पुराना है‌।
लेकिन यह इससे पुराना भी हो सकता है। फिलहाल उसकी जांच हो रही है। नॉर्वे के ग्लेशियर आर्कियोलॉजी प्रोग्राम को सह-निदेशक लार्स पिलो ने कहा कि हो सकता है, ये ओट्जी द आइसमैन का तीर हो। लार्स पिलो ने कहा कि आइसमैन उस जमाने में इन तीरों से रेंडियर का शिकार करते थे। उनका मांस खाते थे और खाल का कपड़ा, चादर या ओढ़ने के लिए रजाई बना लेते थे। हालांकि ओट्जी इस तीर की उम्र से हजारों साल पहले मौजूद थे। इसलिए अभी यह कहना मुश्किल है कि ये उनका तीर है‌। यह तीर 31.5 इंच लंबा है‌। यह दक्षिणी नॉर्वे के जोटनहीमन माउंटेन के पास 2019 में मिला था। तब से उसकी जांच चल रही थी‌। जिसके बारे में पुरातत्वविदों ने अब जाकर ट्विटर पर जानकारी बांटी गई है। लार्स ने कहा कि यह अब तक मिले सभी तीरों में से सबसे ज्यादा सुरक्षित हालत में है। इस लोहे के तीर को लकड़ी से बांधने वाले धागे के ऊपर लगाए गए चारकोल के अंश भी बचे हैं।
लार्स ने कहा कि तीर की लकड़ी पाइन (Pine) की है‌। अब हम यह जांच कर रहे हैं कि इसमें लगा पंख किस पक्षी का है। ऐसे तीर डैनिश हथियारों (Danish Weapon) के जखीरे में उपयोग किए जाते थे। ये बात 300 से 600 एडी की है। उस समय बर्फीले पहाड़ों पर लोग रेंडियर और अन्य जानवरों की शिकार करने के लिए ऐसे तीरों का उपयोग करते थे।

यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई

यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई  संदीप मिश्र  लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन को लेकर उत्तर प्रदेश में भी 7 दिनों के...