शुक्रवार, 13 मई 2022
'जलवायु परिवर्तन' के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी
ट्विटर का सौदा, फिलहाल रोका गया: मस्क
ट्विटर का सौदा, फिलहाल रोका गया: मस्क
अखिलेश पांडेय
वाशिंगटन डीसी। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने हाल ही में ट्विटर का सौदा किया था। लेकिन शुक्रवार को उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि यह सौदा फिलहाल रोक गिया गया है। इसके पीछे उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर फर्जी या स्पैम अकाउंट्स की लंबित जानकारी को कारण बताया है। मस्क ने कहा कि यह गणना बताती है कि प्लेटफॉर्म पर फर्जी या स्पैम अकाउंट्स की संख्या पांच फीसदी से कम है।
हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया है कि स्पैम एवं फर्जी खातों से जुड़ा ब्योरा इस सौदे को जारी रखने के लिए कितना बड़ा जोखिम खड़ा कर सकता है। इस खबर के बाद ट्विटर का शेयर प्री मार्केट ट्रेडिंग में 20% तक गिर गया है। हालांकि, होल्ड की खबर के बाद टेस्ला के सीईओ ने एक और ट्वीट कर कहा कि वह अभी भी ट्विटर के अधिग्रहण के लिए प्रतिबद्ध हैं।बता दें कि ट्विटर के सबसे बड़े शेयरधारक मस्क ने 44 अरब डॉलर में इसका अधिग्रहण करने की घोषणा की थी। मस्क के पास ट्विटर की 9.2% हिस्सेदारी है। इसके लिए उन्होंने फंड जुटाना भी शुरू कर दिया था। बता दें कि ट्विटर के पास करीब 22.9 करोड़ यूजर्स हैं।
कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता हैं 'हरियल'
कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता हैं 'हरियल'
सरस्वती उपाध्याय
दुनियाभर में कई ऐसे जीव-जन्तु हैं, जिनकी अपनी खास विशेषताएं हैं। आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमयी पक्षी के बारे में बताएंगे। जिसके बारे में कहते हैं कि वह अपने पूरे जीवन में कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता है। यह सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन बात बिल्कुल सच है। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या यह पक्षी कभी धरती पर उतरता ही नहीं है ? तो इसका जवाब है... हां, यह पक्षी धरती पर उतरता है, लेकिन अपने पैरों में लकड़ी का टुकड़ा लेकर।
भारत में पाया जाता है हरियल...
माना जाता है कि यह पक्षी उसी लकड़ी के टुकड़े पर बैठता है। सबसे खास बात है कि यह पक्षी भारत में बहुतायत में पाया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह पक्षी भारत के महाराष्ट्र राज्य का राजकीय पक्षी है। इस पक्षी का नाम हरियल है। 29 सेंटीमीटर से लेकर 33 सेंटीमीटर तक के आकार वाले इस पक्षी का वजन सिर्फ 225 ग्राम होता है। सबसे खास बात यह है कि हरियल एक सामाजिक प्राणी है, जो हमेशा झुंड में रहना पसंद करता है। हरियल के पंखों का फैलाव 17 से 19 सेंटीमीटर होता है। हल्के पीला और हरे रंग का हरियल ओलिव के फल से बिल्कुल मिलता-जुलता है। हरियल के सिर के ऊपर हल्के नीले-भूरे रंग के बाल उगते हैं। हरियल को ऊंचाई वाले पेड़ पसंद हैं। यह ज्यादातर जंगलों में ही रहता है. हरियल पीपल और बरगद के पेड़ों पर अपना घोंसला बनाना पसंद करते हैं और भोजन की तलाश में शहरों के पार्क में भी देखे जाते हैं।
नॉर्वे: 1700 साल पुराना तीर मिलने का अंदाजा
यूएई के राष्ट्रपति व शासक नाह्यान का निधन
यूएई के राष्ट्रपति व शासक नाह्यान का निधन
डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत
रियाद। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति एवं अबूधाबी के शासक शेख खलीफा बिन जायद नाह्यान का शुक्रवार को निधन हो गया। राष्ट्रपति मामलों के मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। राष्ट्रपति के मामलों के मंत्रालय ने संयुक्त अरब अमीरात, अरब तथा इस्लामिक राष्ट्र एवं दुनिया के लोगों को यूएई के राष्ट्रपति महामहिम शेख खलीफ बिन जायद उल नाह्यान के निधन पर शोक व्यक्त किया।शेख खलीफा ने तीन नवबंर, 2004 से यूएई केे राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक के रूप में अपनी सेवाएं दी थी। वह अपने पिता, मरहूम शेख जायद बिन सुल्तान अल नाह्यान के उत्तराधिकारी चुने गए थे। शेख जायद ने 1971 से दो नवंबर 2004 तक अंतिम सांस लेने तक यूएई के पहले राष्ट्रपति के तौर पर देश की सेवा की थी।
शेख खलीफा का 1948 में जन्म हुआ था और वह यूएई के दूसरे राष्ट्रपति और अबू धाबी अमीरात के 16वें शासक
थे। वह शेख जायद के सबसे बड़े साहबजादे थे।
उनके राष्ट्रपति के बनने के यूएई ने तेजी से विकास किया। शेख खलीफा को एक अच्छा श्रोता, विनम्र और लोगों की बातों में गहरी दिलचस्पी रखने वाले व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता था। उन्हें यूएई के बहुत पसंदीदा इंसान थे।
परीक्षा स्थगित करने की मांग संबंधी याचिका खारिज
परीक्षा स्थगित करने की मांग संबंधी याचिका खारिज
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल पाठ्यक्रम की स्नातकोत्तर स्तर की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश (नीट-पीजी -2022-23) की 21 मई को होने वाली परीक्षा स्थगित करने की मांग संबंधी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा,“हमारा देश महामारी की चपेट से अब बाहर आ रहा है। इस हालात में मेडिकल शैक्षणिक सत्र को व्यवस्थित करना समय की मांग है। इक्कीस मई को परीक्षा कराना एक नीतिगत फैसला है। लिहाजा, यह अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।”
शीर्ष अदालत ने कहा कि नीट-पीजी परीक्षाओं में पहले से ही देरी हो रही है। ऐसे में और देरी करने से अस्पतालों में रोगी देखभाल पर गंभीर प्रभाव होंगे, क्योंकि वहां सामान्य परिस्थितियों में उपलब्ध तीन बैचों की बजाए रेजिडेंट डॉक्टरों के केवल दो बैच ही उपलब्ध हैं। सर्वोच्च अदालत इस तथ्य पर गौर किया कि दो लाख से अधिक विद्यार्थियों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण किया है। अंतिम समय में स्थगन अराजकता और अनिश्चितता पैदा करेगा। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में दाखिले के लिए 21 मई को निर्धारित है।याचिकाकर्ता ने अदालत से नीट-पीजी परीक्षा स्थगित करने के लिये उचित दिशा निर्देश या आदेश देने की मांग की थी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि नीट-पीजी परीक्षाओं में पहले से ही देरी हो रही है। ऐसे में और देरी करने से अस्पतालों में रोगी देखभाल पर गंभीर प्रभाव होंगे, क्योंकि वहां सामान्य परिस्थितियों में उपलब्ध तीन बैचों की बजाए रेजिडेंट डॉक्टरों के केवल दो बैच ही उपलब्ध हैं। सर्वोच्च अदालत इस तथ्य पर गौर किया कि दो लाख से अधिक विद्यार्थियों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण किया है। अंतिम समय में स्थगन अराजकता और अनिश्चितता पैदा करेगा।
19 मई को होगा, राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
19 मई को होगा, राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग
नई दिल्ली/मुंबई। रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी (आरएमपी), मुंबई स्थित एक थिंक-टैंक के तत्वाधान में लोकतांत्रिक शासन के लिए वंशवादी राजनीतिक दलों के खतरे पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 19 मई को सुबह 10:30 बजे से 5 बजे के बीच नेहरू मेमोरियल, ऑडिटोरियम नई दिल्ली में करेगा। यह जानकारी आरएमपी के महानिदेशक रवींद्र साठे ने मीडिया को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने बताया कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा इस तरह के पहले संगोष्ठी का उद्घाटन करेंगे। इस संगोष्ठी के विचार-विमर्श में वंशवादी दलों के कारण लोकतांत्रिक खतरे और वंश आधारित राजनीतिक दलों को पनपने से रोकने के लिए संभावित नियामक ढांचे जैसे पहलुओं को शामिल किया जाएगा। रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे और महा निदेशक रवींद्र साठे ने इस संगोष्ठी के बारे में मीडिया को जानकारी दी।
यह परिभाषित करते हुए कि वंशवादी दल वे हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी एक विशेष वंश द्वारा नियंत्रित होते हैं, और जहां न केवल अध्यक्ष का पद एक वंश के पास होता है, बल्कि अन्य प्रमुख पदाधिकारी भी उसी परिवार से आते हैं, संगोष्ठी के आयोजकों ने कहा कि इस तरह की प्रथाओं से लोकतांत्रिक साख कमजोर होती हैं और राजनीतिक दलों को संस्थागत नुकसान पहुंचता है। इस तरह के वंशवाद संचालित पार्टियों में मौजूदा तंत्र के तहत एक ही परिवार व्यावहारिक रूप से सब कुछ नियंत्रित करता है, पार्टी वित्त, पार्टी सदस्यता, पार्टी उम्मीदवारी, और गठबंधन और राजनीतिक भागीदारी के बारे में निर्णय भी वही लेते हैं। विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि इस तरह की पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।’ अपने नेताओं के बेटे-बेटियों को उम्मीदवारी देना एक बात है और एक पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने वाला परिवार पूरी तरह से अलग है। दूसरी वाली प्रचलन लोकतंत्र के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है। सहस्रबुद्धे ने कहा, इसमें कोई भी भविष्यवाणी कर सकता है कि परिवार संचालित पार्टी में मुखिया के परिवार का एक बच्चा तीन दशक बाद पार्टी अध्यक्ष बनना निश्चित है और यह गंभीर रूप से आपत्तिजनक है।
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